Kangana Ranaut Life Story: कंगना रनौत का नाम जब भी आता है, तो उनके विवाद, उनकी बेबाक बातें और उनकी फिल्मों की चर्चा खुद-ब-खुद शुरू हो जाती है। एक तरफ वह अपनी फायरब्रांड छवि और धमाकेदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं, तो दूसरी तरफ उनकी राजनीतिक बयानबाजी और बॉलीवुड में उनकी जगह हमेशा सुर्खियों में रही है। चाहे उनके इंटरव्यू हों या उनकी फिल्में, कंगना हमेशा संवाद का हिस्सा बनी रहती हैं।
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Kangana Ranaut Life Story
क्या कंगना सच में “अकेली योद्धा” हैं?
कंगना ने कई बार खुद को “लोन वॉरियर” कहा है। उन्होंने बताया कि बॉलीवुड में उनके दोस्त नहीं हैं। 20 सालों के करियर में एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसके साथ वह दोस्ती बनाए रख सकें। कंगना का कहना है कि ज्यादातर लोग टाइमपास और दिखावे पर जोर देते हैं, जबकि उन्हें ऐसे लोग पसंद हैं जिनमें गहराई हो, जिनसे कुछ सीखा जा सके।
बॉलीवुड की पार्टियों से दूरी बनाकर रखने वाली कंगना ने स्वीकारा कि वह “चिल” करने के लिए किताबें पढ़ती हैं या म्यूजिक सुनती हैं। लेकिन इंसानों से मिलने-जुलने या किसी भी तरह का सोशलाइज करना उन्हें भारी लगता है।
“इमरजेंसी” पर बनी फिल्म: एक कठिन सफर
उनकी हालिया फिल्म “इमरजेंसी” पर बात करते हुए कंगना ने बताया कि यह प्रोजेक्ट उनके लिए कितना मुश्किल था। सेंसर बोर्ड से लेकर राजनीतिक संगठनों तक, फिल्म को लगातार अड़चनों का सामना करना पड़ा। इस फिल्म में उन्होंने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है।
वह कहती हैं कि यह फिल्म न केवल एक कालखंड की कहानी कहती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक जटिलताओं को भी उजागर करती है। कंगना ने कहा कि इंदिरा गांधी के चरित्र को समझते हुए उन्होंने महसूस किया कि इंडियन पॉलिटिक्स कितनी मुश्किल और मांग करने वाली होती है।
राजनीति में कंगना की भागीदारी
कंगना अब एक सांसद भी हैं, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि यह रोल उनके स्वभाव के खिलाफ है। उन्होंने कहा, “मुझे लोगों से मिलना अच्छा नहीं लगता। लेकिन बतौर पॉलिटिशियन यह मुझे करना पड़ता है।”
अपने निर्वाचन क्षेत्र मंडी के लिए किए गए कार्यों पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि सड़कों से लेकर शिक्षा और कचरा प्रबंधन तक, उन्होंने कई परियोजनाओं पर काम किया है।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी प्राथमिकता अभी भी फिल्में हैं। राजनीति में उनका सफर अभी लंबा है और वह इसे एक प्रक्रिया के रूप में देखती हैं।
“सपने देखने से ज्यादा जरूरी है मेहनत करना”
कंगना ने “मैनिफेस्टेशन” यानी सपने देखने की थीम को खारिज करते हुए कहा कि असल में जो चाहिए, उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने करियर में खुद को बार-बार बेहतर किया, चाहे राइटिंग स्कूल जाना हो या निर्देशन सीखना।
उनका मानना है कि कर्म का फल क्या होगा, इस पर ध्यान न देकर, अपने काम पर फोकस करना चाहिए। भगवत गीता का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहा, “कर्म करो, फल की इच्छा मत करो।”
बॉलीवुड और सम्मान: “असली पहचान जरूरी है”
अवार्ड शोज को लेकर कंगना का स्टैंड भी दिलचस्प है। उन्होंने कहा कि वह उन अवार्ड्स को महत्व नहीं देतीं जो पब्लिसिटी के लिए दिए जाते हैं। “मैं किसी लल्लू-टप्पू के अवार्ड से खुश नहीं हो सकती,” उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा।
उनके मुताबिक, असली कलाकार वही है जिसे कला की गहराई समझ आती हो।
क्या कंगना को सपोर्ट नहीं मिला?
कंगना ने दिलजीत दोसांझ और प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ी चर्चाओं को लेकर भी खुलकर बात की। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कभी प्रधानमंत्री से मिलने का मौका क्यों नहीं मिलता, जबकि दिलजीत को उनके साथ देखा गया, तो उन्होंने कहा, “इसमें बुरा मानने की बात नहीं। प्रधानमंत्री सबके हैं। मैं तो उनसे कभी व्यक्तिगत रूप से मिली ही नहीं।”
कंगना की प्लेलिस्ट: पुराने गानों का जादू
कंगना का म्यूजिक टेस्ट भी दिलचस्प है। उनकी प्लेलिस्ट में सबसे ऊपर हैं:
- चंदन सा बदन
- पिया तोसे नैना लागे रे
- रिमझिम गिरे सावन
- फूलों के रंग से
- धीरे-धीरे से मेरी जिंदगी में आना
निष्कर्ष
कंगना रनौत अपने विरोधाभासों में ही दिलचस्प हैं। वह कभी सख्त लगती हैं, तो कभी बेहद भावुक। चाहे उनका अभिनय हो, राजनीति हो, या फिर उनके निजी विचार, हर चीज में उनकी स्पष्टता झलकती है। “इमरजेंसी” जैसी फिल्मों से लेकर उनकी पॉलिटिकल सोच तक, कंगना ने बार-बार ये साबित किया है कि वह एक बहादुर आवाज हैं जो चलन से अलग चलती हैं।
उनकी यह आवाज उनके फैंस को प्रेरित करती है और आलोचकों को सोचने पर मजबूर। अगर आप उनके सफर को देखें, तो यही कह सकते हैं कि कंगना कोई आम कलाकार नहीं, बल्कि एक ताकतवर व्यक्तित्व हैं जो अपनी जिंदगी की कहानी खुद लिख रही हैं।
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