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गया के छोटे से मोहल्ले से ओटीटी स्टार तक एक्टर लिलीपुट का सफर, Actor Liliput Life Story

Actor Liliput Life Story

Actor Liliput Life Story: लिलीपुट, भारतीय मनोरंजन उद्योग का एक ऐसा नाम है जो अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अदम्य जज़्बे के लिए जाना जाता है। चाहे वह थिएटर हो, टेलीविज़न का युगांतरकारी शो देख भाई देख, या वेब सीरीज़ मिर्ज़ापुर, लिलीपुट ने हर बार अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। हाल ही में, गेस्ट इन द न्यूज़रूम में उनकी बेबाक बातचीत ने उनके जीवन के संघर्ष, उनके सफर और उनके अनुभवों को बयां किया।

Actor Liliput Life Story

Actor Liliput Life Story

बचपन और पहला मंच

गया, बिहार के छोटे से मोहल्ले में जन्मे लिलीपुट का असली नाम मिस्बाह उद्दीन फारुकी है। उनके पिता शहर की मस्जिद में इमाम थे। सीमित आय और चार बच्चों के परिवार को पाले जाने की कहानियां खुद उनकी जिद और इच्छाशक्ति का गवाह हैं। बचपन में ही उन्हें अपनी औसत से कम लंबाई के कारण कई बार उपहास का सामना करना पड़ा।

पहली बार उन्होंने अभिनय का स्वाद अपने स्कूल की सरस्वती पूजा में चखा। दाढ़ी लगाकर मंच पर जाने और एक कविता सुनाने के बाद मिले तालियों के शोर ने उनके भीतर के कलाकार को पहचान दिलाई। तभी से मंच और अभिनय उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गए।

कद के कारण चुनौतियां और निर्णय

एक चिकित्सकीय स्थिति, जिसे उन्होंने एंडोप्लेसिया बताया, के चलते उनके पैर बचपन में ठीक से विकसित नहीं हो पाए। इससे ना केवल शारीरिक समस्याएं हुईं, बल्कि सामाजिक उपहास भी सहना पड़ा। मोहल्ले के लड़के उन्हें चिढ़ाते थे। एक किस्सा उन्होंने साझा किया जब उन्होंने ऐसे उपहास से परेशान होकर सड़क पर “बेहोश” होने का नाटक कर दिया।

हालांकि, चुनौतियों के बावजूद, वह कभी पीछे नहीं हटे। अपने पिता की खुली सोच और समर्थन ने उन्हें वह बल दिया कि वह सांस्कृतिक पहचान से ऊपर उठें और अपनी कला को निखारें। उनके मुताबिक, “धर्म इंसान को बुरा करना नहीं सिखाता, मगर उसकी सही भावना को समझना और अपनाना हर इंसान का काम है।”

मुंबई का सफर: भूख, संघर्ष और सपने

पढ़ाई में कमज़ोर और अभिनय के जुनून से भरे लिलीपुट ने अपने दोस्त सुबोध से पैसे लेकर मुंबई का रुख किया। बिना किसी ठिकाने, बिना ज्यादा साधनों के, उन्होंने दादर स्टेशन पर कदम रखा। शुरुआती दिनों में भूखों रहना, एक ही कपड़े में म्युनिसिपल बाथरूम में नहाना जैसे संघर्ष उन्होंने झेले। थिएटर और छोटे-मोटे काम करके किसी तरह पेट भरते रहे।

उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपनी कहानीकार प्रतिभा का इस्तेमाल नाटकों और फिल्मों में काम पाने के लिए किया। एक था गधा उर्फ अलादद खां जैसे मंचीय प्रस्तुतियों ने उन्हें थिएटर जगत में पहचान दिलाई।

“देख भाई देख” से प्रसिद्धि

टीवी धारावाहिक देख भाई देख उनके करियर का बड़ा मोड़ साबित हुआ। आनंद महेंद्रू के साथ मिलकर उन्होंने इसे लिखा और इसमें काम किया। यह शो अपनी सोच और लेखन में प्रगतिशील था। लिलीपुट के मुताबिक, “हमारी कोशिश थी कि ह्यूमर के नाम पर किसी की बेइज्जती न हो।” यही कारण था कि उनकी लेखनी ने हर वर्ग के दर्शकों के दिलों में जगह बना ली।

मिर्जापुर: वेब सीरीज़ का अनुभव

वेब सीरीज़ मिर्जापुर में उनका किरदार दद्दा त्यागी एक मील का पत्थर रहा। इस रोल को पहले करने से झिझकने वाले लिलीपुट आखिरकार राज़ी हो गए। उन्होंने कहा, “मैंने खुद को दद्दा त्यागी मानना शुरू किया। यही मेरी तैयारी का राज है।” यह भूमिका उन्होंने इतनी सहजता से निभाई कि दर्शक उनके किरदार से डरने लगे।

बॉलीवुड के सितारों के साथ काम

धर्मेंद्र, शशि कपूर, और अमिताभ बच्चन जैसे स्टार्स के साथ काम करने का अनुभव उनके अंदर की विनम्रता को दिखाता है। उन्होंने बताया कि कैसे धर्मेंद्र हमेशा उनके नाम और काम को याद रखते थे। साथ ही उन्होंने फिल्म चमत्कार और शाहरुख खान के लिए अपनी स्क्रिप्ट लिखने का अनुभव भी साझा किया, हालांकि सेट पर उनसे बातचीत नहीं हो पाई।

थिएटर से लेकर ओटीटी तक का सफर

थिएटर के मंच से उठे हुए लिलीपुट ने जब ओटीटी की दुनिया में कदम रखा तो किरदारों पर अपनी पकड़ बरकरार रखी। चाहे वह उनके पुराने शानदार नाटक हों, या हाल की वेब सीरीज़, हर बार उन्हें दर्शकों का प्यार मिला। वह साउथ की फिल्म बीस्ट में भी नजर आए, और विजय के साथ काम को उन्होंने सराहा।

कविताएं और लेखनी

लिलीपुट केवल अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील कवि भी हैं। उनकी एक कविता की पंक्तियां, “मिटाएं दिल से सदियों की अदावत, चलो हम एक हो जाएं,” दर्शाती हैं कि वह अपने लेखनी और विचारों के ज़रिए हमेशा शांति का संदेश देते आए हैं।

भविष्य और उम्मीदें

आज भी, अपनी आत्मकथा लिखने और नई कहानियों को स्क्रीन पर लाने का सपना लिलीपुट पाले हुए हैं। वह मानते हैं कि किस्मत उनकी कहानियों को सुनाने का सही समय तय करेगी।

अंत में

लिलीपुट की कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परेशानियां कितनी भी बड़ी हों, हौंसले से हर बाधा पार की जा सकती है। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की गाथा है। यह प्रेरणा देता है कि जब तक आप खुद हार नहीं मानते, दुनिया भी आपको नहीं हरा सकती।

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