IIT ग्रेजुएट्स को करोड़ों की जॉब्स मिलने की असली सच्चाई, The Sad Reality of Jobs after IIT

Sad Reality of Jobs after IIT

Sad Reality of Jobs after IIT: बचपन से हम यही सुनते आए है IIT crack कर लो. हर दूसरे माँ बाप की ये दिली तमन्ना तो ज़रूर होती है और अगर आप middle class family से हो तो ये तो मूल मंत्र है. IIT को crack करने का मतलब होता है professional success, intelligence, money, job security. IIT का मतलब आपकी society में इज्जत और marriage market में तो value चौगुनी. ठीक है! IAS का रुतबा कुछ और ही होता है. लेकिन IIT का मतलब USA green card, tech company CEO करोड़ plus salary.

लेकिन हाल ही में आईआईटी के करोड़ प्लस वाले जॉब्स से ज्यादा headlines, कंगाली वाले न्यूज़ खबर में रहे हैं, job placements जो हुई नहीं। salaries 10 लाख रुपए per annum offer हो रही हैं. कंपनी को join करने के immediately फायरिंग और आईआईटी कैंपस में unfortunate suicide cases.

क्या हैं आज प्रॉब्लम? क्या आज की डेट में आईआईटी में admission एक success का फार्मूला हैं क्या? आईआईटी के चलते लाखों स्टूडेंट्स पर crushing प्रेशर डाला जा रहा हैं. क्या हैं आईआईटी और इंजीनियरिंग डिग्रीज का असली सच?

आज के स्टोरी में ना कुछ कड़वे data points जरूर होंगे क्योंकि हर चीज के दो पहलू होते हैं और जहाँ आईआईटी के success के इतने बड़े-बड़े headlines हमें दीखते हैं. उसी समय उसके short comings और उसके failures को अगर हम नजरअंदाज करते रहे तो आज के स्टूडेंट्स को कल बहुत ज्यादा सफर करना पड़ेगा।

आज भी आईआईटी और इंजीनियरिंग डिग्री हजारों लोगों के लिए एक बेहतर जिंदगी का रास्ता है. इसमें कोई डिबेट नहीं है। लेकिन जैसा कि म्यूचुअल फंड के ऐड में कहा जाता है ना की please read the offer document carefully before investing. वही काम आपको education में भी करना जरूरी है.

क्या है आईआईटी का fine print देखते हैं और finally नहीं मैं आईआईटी crack नहीं कर सकता हूँ, नहीं मैं अपने आप को उतना बुद्धू नहीं समझता हूँ और जो इतने परिश्रम के बाद आईआईटी को क्रैक करते हैं, मैं उन्हें नमन करता हूँ, मैं उन्हें सलाम करता हूँ.

Sad Reality of Jobs after IIT

Sad Reality of Jobs after IIT

लेकिन आज के स्टोरी में अगर आपको data point अगर आपको logic sensible लगे तो ये स्टोरी अपने parents के साथ share करिए। अगर आप एक parent हो तो अगर आप ये data देखते हो तो शायद आपको ये बात समझ में आ जाएगी कि तरक्की के और भी रास्ते है. आज हमारे देश में IIT और engineering को छोड़कर मेरा बेटा इंजीनियर बनेगा का टाइम ख़त्म हो चूका है. कम से कम जबरदस्ती तो अपने बेटे को इंजीनियर मत ही बनाना।

सबसे पहले आसान और obvious question solve करते हैं. exam से पहले यही सिखाया जाता है ना तो क्या आईआईटी join करने से नौकरी मिलती है. क्या नौकरी पक्की होती है? कि companies की क्या लाइन लगी रहती है, सारे आईआईटीज के सामने।

IIT=JOB, ऐसा रियल में है क्या?

Careers360 में महेश्वर पेरी ने आईआईटी में 2021 के placements का detailed analysis किया और results कुछ चौंका देने वाले हैं? 20 से 23 प्रतिशत आईआईटी graduates 4 साल की मेहनत के बाद लाखों रुपए खर्च करने के बाद बेरोजगार रहे। placement सीजन के बाद भी आईआईटी का टैग जरूर रहा उनके पास और शायद कुछ टाइम बाद उन्हें कहीं और नौकरी मिल भी गई होगी। लेकिन सवाल ये है कि placement में उन्हें नौकरी क्यों नहीं मिली?

जवाब है the course that they take? देखिए कुछ डेटा पॉइंट्स। आईटी सेक्टर के 20% स्टूडेंट्स, 60% स्टूडेंट्स of engineering physics, 35% students of civil engineer और 33% of industrial इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की placements नहीं होती है। आईआईटी खड़गपुर के 55% of biotech इंजीनियर, 33% of aerospace engineers और 30% of civil engineers को नहीं मिलती है उनको placement. IIT हैदराबाद को की एक new edge IIT है. यहाँ पर 77% of meteorological science के students, 57% of civil engineers के स्टूडेंट्स और 41% of chemical engineers के स्टूडेंट्स को placement नहीं मिलती है.

आईआईटी, कानपुर जो एक prestigious आईआईटी है. यहाँ के 48% material sciences and इंजीनियरिंग, 44% of bio engineering के स्टूडेंट्स को नौकरी नहीं मिलती है. आईआईटी मद्रास, जो कि एक legacy आईआईटी, इतना ज्यादा prestigious IIT में भी 23% ऑफ़ overall students को प्लेस नहीं कर पाए. साल 2021 में 41% of material engineering students, 46% of engineering physics and 37% of ocean engineering students की नौकरी नहीं लग पाती है.

IIT ग्रेजुएट्स को जॉब्स क्यों नहीं मिलती है?

यहाँ पर moral of the story ये है कि अगर आपने pure engineering ली है तो नौकरी में आपको मुश्किल हो सकती है. ये बात IIT की हम कर रहे हैं. अभी हम सैलरी तक नहीं पहुंचे हैं. नॉन iit तक नहीं पहुंचे। ये best engineering colleges के हालत की बात हो रही है यहाँ पर.

नेशनल इंटरनेशनल companies टेक सेक्टर में best offers देती हैं. लेकिन हमारे देश में टॉप क्लास कोर इंजीनियरस को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जॉब्स नहीं मिल पा रही है। ये क्या दर्शाता है? ये दर्शाता है कि हमारे देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हालत क्या है? क्योंकि ऐसी इंजीनियरस की तो भारी डिमांड होनी चाहिए या फिर ऐसा हो रहा है कि मैन्युफैक्चरिंग कंपनीज नॉन आईटीआई कॉलेजेस में जाकर सस्ता टैलेंट पिकअप कर रही है। लेकिन बात साफ है, आज के competitive जमाने में आपकी स्पेशलाइजेशन का बहुत ज्यादा महत्व है, ना कि आपके institutional टैग का.

आईआईटी का टैग आपके लाइफ को गारंटी शायद नहीं कर पाएगा, जितना आपकी skills और आपकी specialization guarantee करेगी। increasingly companies भी ना आपकी specialization को देख रही है, आपकी core competence को देख रही है, आपके additional skill sets को देख रही है, ना कि आप कौन से कॉलेज से हो, या कौन से institution से हो।

अब आते हैं दूसरे बड़े प्रॉब्लम पर, क्या आईआईटी में अगर आपको नौकरी मिल जाती है। आपकी salary क्या उतनी होगी, जितना अखबारों में पढ़ते हैं, तो चलो मान लेते हैं आप उस बीस-पच्चीस प्रतिशत में नहीं आत हो, जिन्होंने course ठीक से choose नहीं किया, नहीं मिला उन्हें, मेहनत नहीं की या प्रेसर नहीं handle कर पाया। आपने सब कुछ किया तो इसका मतलब आपकी जिंदगी set होनी चाहिए।

लेकिन recruitment experts की एक study जो कि economic times में छपी ये दर्शाती है कि 50 लाख per annum वाली salary जो अच्छी वाली salary है. ये मिलती है IT के graduates को मिलती है. 960 स्टूडेंट्स को ऐसी salary मिली। लेकिन ये 960 क्या है. ये 6 प्रतिशत है of the total strength. तो बाकी 90 प्रतिशत प्लस स्टूडेंट्स का क्या उसके बारे में तो कोई नहीं लिखता headlines में.

इस study के 44 परसेंट of स्टूडेंट्स ऑफ आईआईटी के टॉप tear institutions जो बेस्ट आईआईटीज हैं. लगभग 7000 स्टूडेंट्स की बात कर रहा हूँ मैं और 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स जो अगले tier में आते हैं. लगभग 2200 स्टूडेंट्स की बात कर रहा हूँ. उनको अगर आप सब मिला ले तब जाकर 10 to 16 लाख rupees per years उनकी सैलरी होती है. उनके qualification से इसे reasonable pay scale में माना जाता है. माने आप सोचिए आधी आईआईटी की बात हो रही है. जिसे सिर्फ 10 या 15 लाख के range पर सैलरी है. इस स्टडी का यही conclusion है कि कुछ high performing placements को छोड़कर आईआईटी की सैलरी काफी नॉर्मल रेंज में आती है।

Mint में देवीना सेन गुप्ता ने हाल ही में एक बहुत चौंका देने वाला आर्टिकल लिखा। ऐसे cases दर्शाए जहाँ 6 और 8 लाख रूपए के job offers मिल रहे हैं आईटी graduates को और वो भी वेदांता जैसे बड़े कंपनी से. ये वाले figures तो कभी headlines नहीं बनाते हैं। again मैं इस बात पर डाउट नहीं कर रहा हूँ कि ऐसे cases हैं जहाँ करोड़ प्लस की नौकरियां लग रही हैं investment banks, high frequency trading, quant forms है. मैं मानता हूँ जो ऐसी गगनचुंबी salaries दे रही हैं।

लेकिन ये भी सच है कि 10-10 लाख रुपए की salaries offer हो रही है या वो भी नहीं computer science, electronics, electrical जैसे courses में placements अच्छे होते हैं. लेकिन सिविल, chemical इंजीनियरिंग के अच्छे दिन या 6 साल वो नहीं चल रहे हैं।

आईटीआई में 90 प्रोग्राम पढ़ाए जाते हैं. जाहिर सी बात है कि सबको अच्छे salaries नहीं मिल सकते हैं। लेकिन अचंभे की बात ये है कि आज के डेट में कुछ कंपनी 7 लाख तक packages offer कर रही है. आईआईटी graduate को देश के बेस्ट institutions को आईटी services companies एक स्टेप और आगे विप्रो, इनफ़ोसिस, tata consultancy services, एचसीएल, छोटी इंजीनियरिंग colleges पर फोकस करते हैं क्यों?

क्योंकि वहां और भी सस्ते प्लेसमेंट्स उनको मिल जाते हैं। placement सीजन 4 साल के बाद एक और crushing experience होता है. आईआईटी स्टूडेंट्स के लिए हम लुक्रेटिव जॉब छोड़कर बिजनेस शुरू करने वाले IITIANS को तो हीरो बना देते हैं। लेकिन उनके बारे में कभी नहीं सोचते हैं.

जिनके पास ये ऑप्शन ही नहीं होता है। लोन, फॅमिली responsibilities को पूरा करते-करते उनके पास ये ऑप्शन ही नहीं होता कि वो जॉब ना लें, उनके लिए जॉब लेना और पहला जॉब ऑफर लेना सबसे ज्यादा important होता है और recruitment के समय एक और बहुत बड़ा stumbling block जो आईटी स्टूडेंट्स के लिए आता है। lack of presentation and communication skill जो आज के जमाने में और भी ज्यादा important हो गया है।

एडटेक में हायरिंग और फायरिंग

अब इसमें हमारी education system की भी गलती है। क्योंकि हमें इंग्लिश reading और grammar के rules तो पढ़ा भी जाते हैं, क्लास रूम में. लेकिन real life conversation skills how to be a confident speaker? ये तो हमें सिखाना भूल गई हमारी education system चलो, आईआईटी में घुस भी गए। course भी अच्छा select कर लिया और placement में fluent presentation भी आपने दे दिया।

तब तो आपकी job guarantee है ना. तब तो job पक्की अच्छी वाली not really. IITs तेजी से expand कर रही है. पिछले कुछ सालों में आज देश में 23 IIT’s है. the latest IIT being IIT धारवाड़, IIT Jammu, लेकिन नए campus में ना वो आपको facilities मिलेंगी। ना आपको faculty मिलेगी और ना ही वो recruiters मिलेंगे जो आज भी legacy IITs में जाना चाहते हैं. उसके ऊपर ग्लोबल रिसेशन जो अभी जाने का नाम नहीं ले रही है तो कल तक के बूमिंग टेक सेक्टर और स्टार्टअप इंडस्ट्री जो heavy recruitment कर रहे थे. आज वो अपने आप को तहस-नहस में देख रहे हैं।

BYJU’S देश का सबसे valuable startup, golden sachs सबसे prestigious नाम, अमेजॉन दुनिया का one of the richest companies, सब लोगों को ताबड़तोड़ बाहर निकाल रहे हैं और IITIANS होने से आपकी जॉब गारंटी नहीं हो रही है इन कंपनीज में.

इन्फेक्ट हिमांशु की स्टोरी इंटरनेट पर काफी वायरल हुई। गिट हब, एडोबी, फ्लिपकार्ट जैसी कंपनीज में काम करने के बाद आईआईटीन हिमांशु ने मेटा (फेसबुक) ज्वाइन किया और वो भी कनाडा में और वो मूव करते हैं, कनाडा लेकिन नौकरी ज्वाइन करने के दो दिन बाद उनकी छंटाई हो जाती है. ये सारे firings फिर से यही बात दर्शाती है कि आपकी skills matter करती है.

आज के digital economy में आईआईटी का tag होने से आपकी जॉब सिक्योरिटी नहीं आती है. लेकिन हाँ IIT में घुसना शायद दुनिया में सबसे कठिन कामों में से एक है। यूपीएससी अभी भी नंबर वन पर है. लेकिन सोचिए क्लास टेन, क्लास eleven से आपने पढ़ाई शुरू, फिर कोटा और लोकल कोचिंग institutions में घिसाई की, फिर चार साल आईआईटी में रगड़ाई की. अपने आप में ये process killing है इतना कि कोटा में तो suicides के बाद sealing fans हटाने तक की बात हो गई थी.

पिछले बार 9 लाख स्टूडेंट्स जेईई mains में बैठे। आईआईटी के total seats आज की डेट में 16598 है. इनमें से आधे reserved है for the disadvantage सेक्शन of society. इसका मतलब coaching, आईटीआई फीस, living expenses सब कुछ मिला के 10-15 लाख चले जाते हैं. एक डिग्री हासिल करने के लिए और उसके बाद भी अगर सही जॉब नहीं मिले, हाई पेइंग जॉब नहीं मिले तो unfair लगता है. बहुत सारे लोगों को जिनका आईटीआई में admission नहीं होता है. उनको reservations unfair लगता है.

लेकिन अगर आप for arguments से एक reservation हटा देते हैं. तब भी 9 लाख में सिर्फ 16000 seats. आपके ratio कुछ खास इंप्रूव नहीं हो जाती है और ये बात तो सबसे मजे की है कि आईआईटी देश का बेस्ट इंस्टिट्यूट है जहाँ बच्चे जाते हैं. एक बार कंपनी से आपका लेटर आ जाता है आप किसी और interview पर नहीं बैठ सकते, वाह क्या इसे कहते हैं equal opportunity? और ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि पिछले कुछ सालों में अच्छी salaries के चलते स्टूडेंट्स ने edtech सेक्टर में ताबड़तोड़ नौकरियां पाई और सबसे पहले यही नौकरी ले ली उन्होंने placement सीजन में.

लेकिन अब वीसी funds खत्म होने के बाद edtech सेक्टर collapse कर रहा है और बहुत सारी नौकरियां जा रही हैं including, आईआईटी graduates. equality एक चीज है जो आईआईटी में कम मात्रा में ही मिलती है और मैं salary packages की भी बात नहीं करता हूँ जो कि highly unequal है. फरवरी के महीने में आईआईटी चेन्नई में प्रोटेस्ट हुए. जब एक स्टूडेंट ने सुसाइड कमिट किया और एक ने सुसाइड करने की कोशिश की. ऐसी ही एक घटना आईआईटी बॉम्बे में हुई कुछ दिन पहले।

आईआईटी चेन्नई में पिछले 10 सालो में 14 सुसाइड cases रिपोर्ट हो चुकी है और कुछ cases है, जो प्रेशर की वजह से और कुछ because of discrimination on campus. आईआईटी बॉम्बे में एक दलित स्टूडेंट के suicide के बाद चीफ जस्टिस of इंडिया DY चंद्रचूड़ सिंह तक ने ये चिंता जाहिर की कि हमारे institution में ऐसा क्या गलत हो रहा कि हमारे स्टूडेंट्स अपनी जान ले रहे हैं और वो भी the most prestigious स्टूडेंट जो कि हमारे देश का प्रतीक है, इंटरनेशनली also.

कुछ तो गलत है लेकिन मैं आईआईटी को अपने निशाने पर क्यों ले रहा हूँ. आप पूछेंगे इसमें मेरा एजेंडा क्या है? मेरी औकात भी क्या है? आईआईटी से सवाल पूछने के लिए actually तो मैं जो आईआईटी में जो स्टूडेंट्स, जो graduate हैं उनकी बहुत respect करता हूँ, highly intelligent people हैं।

लेकिन मैं ये सवाल इसलिए उठा रहा हूँ क्योंकि अगर ये देश के premium institution के साथ ऐसा हो रहा है तो दूसरे देश भर में सैकड़ों जो 4000 प्लस जो और इंजीनियरिंग institutions है उनकी हालत क्या होगी। नीति आयोग के vice chairman पिछले साल राजीव कुमार ने ये पाया कि लगभग 50% इंजीनियरस देश भर में बेरोजगार है और ये भी कि हमारी जो higher education है वो एकदम stagnant है.

बहुत सारे courses है रियल वर्ल्ड में उसकी कोई महत्व ही नहीं है. आईआईटीस को भी इसको समझना होगा। immediately artificial intelligence, machine learning, deep learning, robotics में बहुत सारे और courses introduce करने होंगे और courses 5 और 10 साल में revise नहीं होने है. every year, every term revise होना होगा। खुद नीति आयोग ये बात मानती है कि भारत आरएनडी (research & development में सिर्फ 0.8% of जीडीपी स्पेंड करती है. ये दुनिया में वन ऑफ द में लोवेस्ट में काउंट किया जाता है.

साउथ कोरिया 4.5% ऑफ जीडीपी स्पेंड करती है. इसलिए छोटा सा देश इनोवेशन लीडर है. दुनिया भर में आईआईटीज को immediately अपने courses को revaluate करना होगा। खासकर की वो traditional pure साइंस और इंजीनियरिंग branches जिसमें अब ऑटोमेशन और एआई के चलते क्वालिटी और स्किल्स की जरूरत है ना कि क्वांटिटी जो कि आज हमारी आईआईटी करने की कोशिश कर रही है. manufacturing construction process में भी ऑटोमेशन और थ्री डी प्रिंटिंग के चलते कम लोगों की जरूरत होगी।

कम इंजीनियर की जरूरत होगी और इसलिए अगर economy कल ठीक हो भी जाती है तो आईआईटीज और इंजीनियरस को अपनी skill sets और ऑफरिंग बढ़ानी होंगी। हमारे देश में सॉफ्ट skills की इज्जत हमेशा कम ही रही है. लेकिन ऑटोमेशन के साथ एआई के साथ वो ही सॉफ्ट skills और important होती जाएंगी।

वो skills और काम जो कंप्यूटर नहीं कर पाएगा। उनकी ज्यादा इज्जत होगी तो आईआईटी हमारे देश का हमेशा एक हीरा रहेगा। लेकिन हमारे देश के कोयले के खानों से और भी हीरे निकलेंगे, जो ना होंगे इंजीनियर, ना होंगे डॉक्टर, लेकिन हमारी सोसाइटी को उन हीरों को पहचानना होगा, उन्हें मानना होगा, उन्हें कीमती समझना होगा। अब ये बात बनेगी?

हम बार-बार सॉफ्ट skills पर काफी emphasis देते आए हैं, मैं इंजीनियरिंग expert तो नहीं हूँ. लेकिन मैं आपको जरूर कहूंगा कि आप सॉफ्ट skills upgraded रखिए। क्योंकि आज के date में वो बहुत ज्यादा important हो गए हैं।

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