अजब घटना: इस गांव में कोई नहीं करता था अपनी बेटी की शादी, फिर गांव के कुंवारे लड़कों ने किया ऐसा काम, Some Amazing and Wonderful Villages of India and its Significances 

Village

Amazing and Wonderful Villages of India: क्या आप लोगों ने कभी ऐसे गांव के बारे में सुना है जहां पर दिन में एक देश की जमीन में होता है लंच और दूसरे देश की धरती में होता है आराम। जी हां ये पढ़कर आप भी सोच में जरूर पड़े गए होंगे कि भला ऐसा भी गांव होता है क्या? इस स्टोरी में हम आपको भारत के एक ऐसे अनूठे गांव के बारे में बता रहे हैं जहां पर एक घर दो देशों के बीच की बॉर्डर पर आता है और ये भी बताएँगे कि किस गांव में लड़कियों की शादी नहीं की जाती है. 

इस गांव में है दो देशों की सरहद

ये गांव लोंगवा, नागालैंड के मोन जिले में मौजूद हैं. यह गांव दो देशों के सरहद पर आता है। आपको बताते दें कि इस गांव के मुखिया का घर 2 हिस्सों में विभाजित है। इस गांव का एक हिस्सा भारत में तो दूसरा हिस्सा म्यांमार में आता है। एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश मानचित्रकारों द्वारा भारत के अपने राज के आखिरी दिनों में इस सीमा का निर्धारण किया था। साल 1970 -1971 में दोनों देशों के बीच में खींची गई अंतरराष्ट्रीय सीमा गांव के वर्तमान प्रधान के घर को विभाजित करती हैं। गांव के मुखिया का परिवार म्यांमार में खाता है और भारत में सोता है।

जानिये बिहार के कुंवारे गांव के बारे में

बिहार में मौजूद कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड में बरवा कला गांव को सालों से कुंवारों के गांव के बारे में जाना जाता है। इस गांव में आजादी के इतने साल बाद भी पर्याप्त और जरुरी सुविधाओं का अभाव था. इसी वजह से ज्यादातर लोग अपनी बेटियों की शादी इस खास गांव में नहीं करना चाहते थे। साल 2017 से पहले तक इस कंवारे गांव तक पहुंचने के लिए 10 किमी का ट्रैक करना पड़ता था। फिर बाद में यहाँ के गांव वालों ने खुद ही मिलकर 6 किलोमीटर लम्बी सड़क बनाई थी. इसका नतीजा ये हुआ कि जिस गांव में बिजली और पानी जैसी सुविधाएं भी नहीं था। उस गांव में जब पहली बार शादी समारोह हुआ तो दुल्हन के स्वागत के लिए जश्न मनाया गया।

जूते पहनने की अनुमति नहीं है इस गांव में

ये गांव तमिलनाडु के कोडाइकनाल हिल स्टेशन के पास वेल्लागवी में मौजूद है। इस गांव में कुल 200 से 300 लोग फिलहाल रहते हैं। इस गांव की कई खासियत है – जैसे इस गांव में घरों से ज्यादा तो मंदिर है। इसके अलावा इस खास गांव में सिर्फ यहाँ के निवासियों को ही नहीं, बल्कि बाहरी लोगों को भी जूता पहनने की इजाजत नहीं है। अगर कोई व्यक्ति इस गांव में जूता पहनता है तो उसे सजा दिया जाता है।

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