नेपाल में बराहक्षेत्र मन्दिर और कोसी नदी के उद्गम स्थल की यात्रा, Barahakshetra Temple Near Dharan in Nepal

Barahakshetra Temple Near Dharan in Nepal

Barahakshetra Temple Near Dharan in Nepal: नेपाल के सुनसरी जिला का बराहक्षेत्र मन्दिर नेपाल के साथ साथ इण्डिया के भी हिन्दू धर्मावलंबियों के बीच अटूट आस्था का केंद्र पुराने समय से रहा है. बराहक्षेत्र मंदिर में भगवान विष्णु के वराह अवतार को दर्शाया गया है. यह मंदिर उस जगह पर है जहाँ से कोसी नदी हिमालय से धरती पर उतरती है.

बराहक्षेत्र को काफी पवित्र माना जाता है और इसका वर्णन कई सारे पुराणों में भी मिलता है. ब्रह्म पुराण, वराह पुराण और स्कंद पुराण के साथ-साथ महाभारत में भी इस पवित्र और चमत्कारिक स्थल का वर्णन किया गया है. हिन्दू धर्म के पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस तरीके से चार धाम का महत्व है वैसे ही चार क्षेत्र का भी महत्व है. चार में से दो क्षेत्र इंडिया में है कुरुक्षेत्र और धर्मक्षेत्र और दो क्षेत्र बराहक्षेत्र और मुक्तिक्षेत्र नेपाल में है. मुक्तिक्षेत्र को लोग मुक्तिनाथ के नाम से भी जानते है. इसलिए बराहक्षेत्र की यात्रा काफी पवित्र मानी जाती है.
Barahakshetra Temple Near Dharan in Nepal

यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य मेला का आयोजन होता है. नेपाल से तो लोग यहाँ पर आते ही हैं साथ ही भारत से भी काफी संख्या में लोग यहाँ कोसी स्नान और वराह भगवान का दर्शन करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है की भारत से ही इस मेले में हर साल 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां पर पहुंचते है. नेपाल पूर्णत: पर्यटन पर आधारित देश है और कहा जाता है इस मेले से नेपाल सरकार को काफी सारा राजस्व की प्राप्ति होती है.

कोसी नदी सात नदियों का संगम है इसलिए नेपाल में इसे सप्तकोसी के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर कोका नदी और कोसी नदी के संगम पर बना हुआ है. कोका नदी सातवीं नदी है जो कोसी नदी में मिलती है. यहाँ पर पहुँचने के बाद श्रद्धालु सबसे पहले कोसी नदी में स्नान करते हैं और फिर वराह भगवान का दर्शन करते है. यहाँ पर एक पवित्र पत्थर है जिसके बारे में कहा जाता है कि जो लोग यहाँ पर पवित्र मन से पहुंचते है वही लोग इस पत्थर को उठा पाते है अन्यथा आप इस पत्थर को हिला भी नहीं पाएंगे.

यहाँ पर हर बारह साल के अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है और ऐसी मान्यता है कि जो भक्त कोसी नदी और कोका नदी के संगम पर स्नान करके पूजा करते है उसके सभी पाप धुल जाते है. जब भी यहाँ पर कुम्भ का आयोजन हुआ है तो लाखों की संख्या में संगम पर लोगों ने डुबकी लगायी है. नेपाली कैलेंडर के अनुसार 2070 BC में अंतिम बार कुम्भ का आयोजन हुआ था और इसमें नेपाल और इंडिया से आये हुए 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने कुम्भ स्नान किया था.

मकर संक्रांति के दिन यहाँ पर स्पेशल फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है. हर साल मकर संक्रांति के दिन भी यहाँ पर हजारों की संख्या में भारत और नेपाल से इस तीर्थ स्थल पर पहुंचे हैं और संगम पर स्नान के बाद पूजा-अर्चना करते हैं.

यहाँ पर मुख्य मंदिर के अलावा और भी कई सारे छोटे-बड़े मंदिर है. जहां पर श्रद्धालु दर्शन करते हैं. यहाँ पर ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तरह एक लटकता पुल है जिसको दो पहाड़ियों के बीच कोका नदी पर बनाया गया है. जिसको क्रॉस करके आप उस पार भी जा सकते हैं और बेहतरीन नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं. इस पुल से संगम का नजारा काफी सुन्दर दिखता है.

जहाँ तक मेरी बात है मैं यहाँ पर दो बार जा चुका है. जब मैं चौथी क्लास में था तब मैं कार्तिक पूर्णिमा मेले में अपने फॅमिली के साथ पहली बार यहाँ पर गया था. वो मेला और यात्रा आजतक मेरे जेहन में बसी हुई है. हमलोगो ने नेपाल बॉर्डर के भांटाबरी से 10 बजे रात में बस पकड़ी थी और करीब 1 बजे रात में चतरा पहुंचे थे. इससे आगे मेले के समय आपको ट्रैक करना होता है. मेले के बाद जायेंगे तो आपको शेयर ऑटो मिल जाएगी साथ ही साथ वर्तमान में कोसी नदी में मोटर बोट की सुविधा भी उपलब्ध हो गयी है. नेपाली करेंसी में 350 रुपए देकर करीब 7 मिनट में आप चतरा से मंदिर तक मोटर बोट से पहुँच जायेंगे. चतरा से मंदिर तक करीब 6 किलोमीटर का ट्रैक होता है. ट्रैक काफी इजी है क्योंकि रोड बना हुआ हुआ है. आप अपनी बाइक से भी आराम से पहुंच सकते हैं.

पूर्णिमा की रात थी, आसमान भी पूरी तरीके से साफ़ था और आकाश में तारे भी अपनी पूरी ताकत से टिमटिमा रहे थे. रास्ते में आपको तीन चार वाटर फॉल मिलेगा. हम लोग आराम से पैदल चलते हुए पहाड़ी रास्ते के खूबसूरती का मजा लेते हुए करीब डेढ़ घंटे में मंदिर तक पहुँच गए थे. संगम पर हम लोगों ने रात में ही स्नान किया और वराह भगवान के दर्शन किये. दर्शन करने के बाद हम लोगों ने वहां पर कुछ स्नैक्स खाया और सुबह 6 बजे के आसपास हमारी वापसी की यात्रा शुरू हो गयी.

यहाँ पर स्टे करने के लिए दो तीन बेसिक सुविधा वाले होटल्स आपको मिल जायेगा और धर्मशाला भी यहाँ पर उपलब्ध है जिसमे आप रात को रुक सकते हैं. धार्मिक क्षेत्र होने के कारन यहाँ पर आपको नॉन-वेज में कुछ भी नहीं मिलेगा.

अंतिम बार मैं 2020 में यहाँ पर बाइक से गया था. पूरी यात्रा का मैं मोटो व्लॉग वीडियो बनाया हूँ. जिसे आप यहाँ पर क्लिक करके देख सकते हैं. एक बार वीडियो देखिए आपको इस जगह की खूबसूरती के बारे में पता चल जायेगा.

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