Munsyari & Khalia Top: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का एक खूबसूरत हिल स्टेशन मुनस्यारी न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के विविध ट्रेक और ऐतिहासिक महत्व भी इसे खास बनाते हैं। हिमालय की गोद में बसा यह ‘हिमनगरी’ खलिया टॉप जैसे असाधारण ट्रेक का प्रवेशद्वार है। यहां की घाटियाँ, हिमालय की चोटियाँ, और लोक संस्कृति आपको मंत्रमुग्ध कर देंगी। आइए, मुनस्यारी और खलिया टॉप ट्रेक की इस यात्रा को करीब से जानें।
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Munsyari & Khalia Top
मुनस्यारी – हिमालय की गोद में बसा छोटा स्वर्ग
मुनस्यारी एक छोटा लेकिन बेहद आकर्षक हिल स्टेशन है, जो समुद्र तल से लगभग 7,218 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। स्थानीय भाषा में ‘मुनस्यारी’ का अर्थ होता है “बर्फीली जगह,” और यही इसे ‘हिमनगरी’ का नाम देता है।
यहाँ से पंचाचूली, राजराम्भा और नागाफू जैसी हिमालय की ऊंची चोटियाँ साफ दिखाई देती हैं। मुनस्यारी से प्राचीन कहावतें जैसे “आधा संसार, आधा मुनस्यार” और “सार संसार, एक मुनस्यार” जुड़ी हुई हैं, जो इस जगह की अनुपम सुंदरता को बयान करती हैं। यहाँ से देखने पर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने आकाश में अपनी अंतिम मुस्कान बिखेर दी हो।
खलिया टॉप ट्रेक – प्रकृति और रोमांच का संगम
ट्रेक की शुरुआत
खलिया टॉप ट्रेक की शुरुआत मुनस्यारी से 8 किमी दूर बलंती बैंड नामक जगह से होती है। इसे ‘खलिया द्वार’ भी कहा जाता है। यहाँ वन विभाग का एक चेक पोस्ट है, जहां आपको ट्रेकिंग के लिए पंजीकरण करना पड़ता है। यदि आप अपने साथ तंबू ले जा रहे हैं, तो इसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना होता है।
सुबह 6 बजे मैंने बलंती बैंड से खलिया टॉप के 12 किमी लंबे ट्रेक की शुरुआत की। यह ट्रेक हरे-भरे घने जंगलों से गुजरता है, जहां हर कदम पर प्रकृति आपको अपने करीब बुलाती है। शुरुआत में ही एक छोटी पानी की धारा मिलती है, जहाँ से आप पानी भर सकते हैं।
घने जंगल से खुली घाटियों तक
करीब 2 किमी बाद जंगल पतला होने लगता है, और फूलों की रंग-बिरंगी छटा दिखाई देती है। रास्ते में कई जगह हिमालय के दूर-दूर तक फैले दर्शन होते हैं, हालांकि हल्के कुहासे की वजह से ये दृश्य कभी-कभी छिप जाते हैं।
जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं, एक छोटा सा बुग्याल (घास का मैदान) मिलता है, जहाँ से हिमालय की चोटियाँ धीमे-धीमे खुलने लगती हैं। पास ही एक चरवाहों की झोपड़ी नजर आती है, जिसके पास भेड़ों का झुंड अपनी शांतिपूर्ण दिनचर्या में मग्न रहता है। यह दृश्य आपको भी सादगी भरी जिंदगी जीने की प्रेरणा देता है।
आखिरी ट्रेक और खलिया टॉप की ऊँचाई
ट्रेक का आखिरी हिस्सा तेज चढ़ाई वाला है और इसमें बुरांस (रhododendron) के पेड़ प्रमुख हैं। जब ये पेड़ पूरी तरह से फूलों से ढके होते हैं, तो रास्ता किसी स्वप्निल दुनिया जैसा महसूस होता है। अब पेड़ों की छाया खत्म होने के बाद एक विशाल बुग्याल शुरू होता है। हवा में ठंडक और लंबे घास की खुशबू महसूस करते हुए खलिया टॉप पर पहुँचना एक अद्भुत अनुभव है।
खलिया टॉप 11,000 से 13,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से पंचाचूली, नंदाकोट, राजराम्भा, और नागाफू जैसी हिमालय की प्रमुख चोटियाँ साफ-साफ देखी जा सकती हैं। मौसम साफ होने पर यहाँ से मुनस्यारी और उसके आस-पास की घाटियों का भी मनमोहक नजारा मिलता है।
नंदा देवी मंदिर – श्रद्धा और सौंदर्य का संगम
मुनस्यारी से 3 किमी दूर स्थित नंदा देवी मंदिर भी यहाँ की प्रमुख आकर्षण है। मंदिर का रास्ता छोटा लेकिन सुंदर है। यह मंदिर माँ नंदा को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। यह स्थान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय देखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
यहाँ से पंचाचूली के पाँचों पर्वत श्रृंखलाएँ एकदम स्पष्ट दिखाई देती हैं, जो आपकी आँखों के लिए किसी सौगात से कम नहीं। इस क्षेत्र को ‘जौहार घाटी’ के नाम से भी जाना जाता है, जो प्राचीन काल में भारत और तिब्बत के बीच व्यापारिक मार्ग था।
मुनस्यारी – हर मौसम में खास
मुनस्यारी सालभर अपनी अलग-अलग अदाओं में आपका स्वागत करता है। गर्मियों में ठंडी घाटियाँ, बरसात में हरियाली की चादर, और सर्दियों में बर्फ की मोटी परत इसे हर मौसम में खास बनाती है।
निष्कर्ष
मुनस्यारी और खलिया टॉप तक की यह यात्रा आपको प्रकृति, रोमांच और शांति का बेहतरीन संगम प्रदान करती है। हिमालय के दिल में बसी इस जगह का हर कोना आपको अंदर तक सुकून देता है। अगर आप भी रोजमर्रा की भागदौड़ से दूर प्रकृति की गोद में कुछ सुकून भरे पल बिताना चाहते हैं, तो मुनस्यारी और खलिया टॉप आपके लिए परफेक्ट जगह है।
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