Parvesh Kaur Case: क्या लालच इंसान को इतना अंधा बना सकता है कि वह अपनों की जान लेने लगे? यह कहानी है सुखविंदर सिंह ढिल्लों की, एक भारतीय मूल का व्यक्ति जिसने कनाडा में परिवार और दोस्तों की हत्याएं सिर्फ इंश्योरेंस के पैसे के लिए कीं। यह कहानी जितनी दर्दनाक है, उतनी ही परेशान करने वाली भी।
Parvesh Kaur Case
सुखविंदर सिंह ढिल्लों: एक सामान्य शुरुआत से खौफनाक अंत तक
सुखविंदर सिंह ढिल्लों का जन्म 9 मई 1959 को पंजाब के एक संपन्न परिवार में हुआ। 1981 में वह एक बेहतर ज़िंदगी का सपना लेकर कनाडा चला गया। शुरुआती दिनों में उसने अलग-अलग नौकरियां कीं, लेकिन कहीं टिक नहीं सका।
1983 में वह भारत वापस लौटा और अपनी मंगेतर परवेश कौर से शादी की। परवेश को वह बड़े सपने दिखाकर कनाडा ले आया। लेकिन वहां का सच बेहद कठोर था। परवेश को पता चला कि सुखविंदर ने झूठ बोलकर शादी की थी। वह मारपीट करता, और उसे मशरूम फार्म में काम करने के लिए मजबूर करता।
लालच की शुरुआत: फर्जी मनोवृति का जन्म
सुखविंदर ने 1991 में पहली बार फर्जी इंश्योरेंस क्लेम किया। उसने फैक्ट्री में चोट लगने का नाटक किया और मुआवजे के तौर पर $19,000 हासिल किए। यह रकम उसे आसान लगी। अगले चार सालों में उसने और 70,000 डॉलर कमाए।
इसके बाद उसने कार इंश्योरेंस फ्रॉड शुरू किया। 1994 तक, वह 15 नकली दुर्घटनाओं के जरिए $15,539 जुटा चुका था। सुखविंदर का मकसद साफ था – मेहनत के बजाय शॉर्टकट से पैसा कमाना।
परवेश कौर की रहस्यमय मौत
1995 में परवेश कौर की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे उल्टियां हुईं, और उसके शरीर में असामान्य अकड़न शुरू हो गई। डॉक्टर उसकी बीमारी समझ नहीं सके। चार दिनों के बाद उसकी मौत हो गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कुछ संदिग्ध नहीं मिला। इसके बाद सुखविंदर ने इंश्योरेंस क्लेम किया और $300,000 हासिल किए।
नई शादियां, नया षड्यंत्र
परवेश की मौत के बाद भारत लौटकर सुखविंदर ने दो और शादियां कीं। उसने दोनों पत्नियों के परिवारों से पैसे लिए। उनकी यह शर्त थी कि शादी के बाद वह पत्नी को कनाडा साथ ले जाएगा।
इसी दौरान सरबजीत कौर (दूसरी पत्नी) ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। सुखविंदर ने जहरीला पदार्थ खिलाकर बच्चों को मार दिया। तीसरी पत्नी खुशविंदर प्रीत कौर को भी उसने जहर देकर मार डाला। परिवार ने इसे बीमारी से मौत माना।
रणजीत सिंह: दोस्त को जाल में फंसाना
1994 में सुखविंदर की मुलाकात रणजीत सिंह खेरी से हुई। 23 वर्षीय रणजीत उसका पार्टनर बन गया। 1996 में, सुखविंदर ने रणजीत को अपने साथ $1 लाख के पर्सनल इंश्योरेंस के लिए मना लिया। नॉमिनी खुद सुखविंदर था।
कुछ दिनों बाद, रणजीत अचानक बीमार पड़ा। उसे भी परवेश कौर की तरह अकड़न और उल्टियां हुईं। अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
क्लिफ एलियट की जांच और खुलासे
इंश्योरेंस कंपनी के जांचकर्ता क्लिफ एलियट को सुखविंदर पर शक हुआ। उन्होंने पुराने रिकार्ड खंगाले, तो पता चला कि परवेश कौर की मौत, रणजीत की मौत, और अन्य मामलों में समानताएं थीं।
कनाडा में रखे गए विसरा की जांच में सभी की मौत का कारण स्ट्रिकनिन नाम का जहर पाया गया। भारत में बच्चों के शवों की भी जांच की गई। नतीजे वही थे।
सजा और अंत
1997 में सुखविंदर को गिरफ्तार कर लिया गया। उसने शुरुआत में सभी आरोपों से इनकार किया, लेकिन सुबूतों के दबाव में सच सामने आ गया।
2001 में कनाडा की अदालत ने उसे फर्स्ट-डिग्री मर्डर का दोषी पाया। उसे 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई, जिसमें पेरोल की कोई संभावना नहीं थी।
16 नवंबर 2013 को जेल में सुखविंदर की अचानक मौत हो गई।
हमारा क्या सीखें?
लालच इंसान से सब कुछ छीन सकता है – रिश्ते, सम्मान, और आखिर में ज़िंदगी। सुखविंदर की कहानी लालच के विनाशकारी परिणामों की जीती-जागती मिसाल है।
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