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“छठी क्लास में मेरे साथ बस में हुई छेड़छाड़, बहुत डर गई थी” — गौतमी कपूर ने शेयर किया बचपन का दर्दनाक अनुभव, Gautami Kapoor Story

"छठी क्लास में मेरे साथ बस में हुई छेड़छाड़, बहुत डर गई थी" — गौतमी कपूर ने शेयर किया बचपन का दर्दनाक अनुभव, Gautami Kapoor Story

Gautami Kapoor Story: टीवी और फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री गौतमी कपूर ने एक इंटरव्यू में अपने बचपन का एक ऐसा अनुभव साझा किया है, जिसने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। महज 12 साल की उम्र में स्कूल यूनिफॉर्म में सफर करते हुए उनके साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को याद करते हुए गौतमी आज भी भावुक हो जाती हैं।

गौतमी ने बताया कि वह तब छठी क्लास में थीं और बस से स्कूल जा रही थीं। तभी एक अनजान व्यक्ति ने उनकी पैंट में हाथ डाल दिया। “मैं बहुत छोटी थी। पहले तो मुझे समझ ही नहीं आया कि हो क्या रहा है। जब थोड़ी देर बाद अहसास हुआ कि कुछ गलत हुआ है, तो मैं डर के मारे कांपने लगी और अगले ही स्टॉप पर उतर गई,” गौतमी ने कहा।

इस घटना को लेकर गौतमी ने अपनी मां से जो बातचीत की, वह आज की पीढ़ी के लिए भी एक सशक्त संदेश बनकर सामने आई है। गौतमी कहती हैं, “जब मैंने घर आकर मां को ये सब बताया, तो पहले तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं मां मुझे ही न डांट दें। मगर मां ने बहुत ही समझदारी भरी बात कही। उन्होंने कहा कि अगर कोई तुम्हारे साथ ऐसा करे, तो उसका कॉलर पकड़ो या उसे एक जोरदार थप्पड़ मारो।”

गौतमी की मां ने उन्हें सिखाया कि डरने की नहीं, बल्कि गलत के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत होती है। उन्होंने यह भी सलाह दी कि अगर दोबारा ऐसा कुछ हो, तो ऐसे इंसान का हाथ पकड़कर ज़ोर से चिल्लाओ, ताकि सबका ध्यान उस पर जाए।

इंटरव्यू में जब गौतमी से मुंबई की सुरक्षा को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “मैं इमोशनली मुंबई से जुड़ी हूं, इसलिए इस शहर को लेकर थोड़ी बायस्ड हूं। मुंबई ने मुझे बहुत कुछ दिया है, और यह शहर मुझे सुरक्षित महसूस कराता है।”

उन्होंने बताया कि बचपन में उनके पास कार नहीं थी और वह पांच साल की उम्र से ही बस से सफर करने लगी थीं। उसी दौर की इस घटना ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला, लेकिन मां की सीख ने उन्हें अंदर से मजबूत बना दिया।

इस इंटरव्यू के ज़रिए गौतमी कपूर ने न सिर्फ अपनी पीड़ा साझा की, बल्कि एक बार फिर यह संदेश दिया कि बच्चों को गलत के खिलाफ बोलना सिखाना ज़रूरी है। ऐसी घटनाओं पर चुप रहना समाधान नहीं है — आवाज़ उठाना ही सबसे बड़ा हथियार है।

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