Pindari Glacier Trek: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में प्रकृति के अद्भुत नज़ारे और हिमालय की ऊँचाई से गले मिलते ग्लेशियर हर यात्री को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन्ही में से एक है पिंडारी ग्लेशियर, जिसे देखने का सपना हर ट्रेकर जरूर देखता है। इस लेख में हम आपको पिंडारी ग्लेशियर तक के सफ़र की पूरी जानकारी देंगे।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले से शुरू होकर यह ट्रेक आपको प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगलों, शानदार झरनों और ऊंची पर्वतीय चोटियों के बीच से ले जाता है।
Pindari Glacier Trek

पिंडारी ग्लेशियर की शुरुआत: खाती गांव तक पहुंचना
पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक की शुरुआत होती है बागेश्वर से लगभग 50 किलोमीटर दूर खाती गांव से। खाती गांव न केवल इस ट्रेक का मुख्य पड़ाव है, बल्कि यहाँ से शुरू होने वाली यात्रा आपको हर पल उत्साहित करती है।
खाती गांव के चार किलोमीटर पहले आपको फारेस्ट डिपार्टमेंट के चेक पोस्ट पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है। खाती पहुंचकर मैंने होमस्टे में रुकने का इंतजाम किया। यहाँ की लोकल होमस्टे सुविधा किफायती और आरामदायक है। पहले ही दिन शाम को बारिश ने हमारा स्वागत किया, लेकिन अगले दिन सुबह का मौसम साफ और सूरज की किरणों से भरा हुआ था।
खाती से द्वाली: हर कदम नई कहानी
खाती गांव से पिंडारी ग्लेशियर की ओर बढ़ते हुए 13 किलोमीटर दूर द्वाली नामक जगह पहला बड़ा पड़ाव है। यह सफर अपने आप में अनूठा है। शुरुआत में ट्रेक का रास्ता हल्की चढ़ाई और घने जंगलों के बीच से गुजरता है। रास्ते में लोहे के पुल और छोटे-छोटे झरने आपको ठहरने पर मजबूर कर देते हैं।
खाती से चलते हुए हमारा सामना एक सस्पेंशन ब्रिज से हुआ, जो 2013 की आपदा के बाद बनाया गया था। इसके बाद रास्ता जंगलों के अंदर से जाता है, जहाँ बांस के पेड़ों की घनी कतारें बहुत सुंदर लगती हैं।
झरने और ढाबे का मज़ा
करीब पाँच किलोमीटर बाद हमें पहला ढाबा मिला, जो श्री खरक सिंह का था। यहाँ पर हमारे गाइड ने मैगी खाई, जबकि मैंने सेब खाकर अपनी भूख मिटाई। ढाबे के पास ही एक झरना था, जिसकी आवाज़ सुनते हुए आराम करने का अनुभव अविस्मरणीय था।
द्वाली: प्रकृति का संगम
दोपहर तक हम द्वाली पहुंचे। द्वाली वह जगह है, जहाँ पिंडर नदी और कफिनी नदी का संगम होता है। यहाँ KMVN का रेस्ट हाउस और PWD का डॉर्मिटरी रुकने के विकल्प देते हैं। यह जगह शांत और बेहद खूबसूरत है, लेकिन यह भी याद दिलाती है कि 2013 की आपदा ने यहाँ पर कितना बड़ा प्रभाव डाला था।
द्वाली से फुर्किया: कठिन लेकिन खूबसूरत चढ़ाई
अगले दिन सुबह जल्दी उठकर हमने द्वाली से फुर्किया की ओर ट्रेक शुरू किया। करीब पाँच किलोमीटर की दूरी वाले इस ट्रेक पर हर कदम के साथ हिमालय की चोटियाँ और पास आती हैं। रास्ते में रंग-बिरंगे फूलों और झरनों का नजारा किसी पेंटिंग जैसा लगता है।
यहाँ के रोडोडेंड्रॉन (बुरांश) के फूल और हरे-भरे बुग्याल इस ट्रेक को और खास बनाते हैं। रास्ते में पड़ने वाले संकरे मार्ग, लैंडस्लाइड ज़ोन और ऊँचाई वाली चोटियाँ इस ट्रेक में रोमांच जोड़ते हैं।
फुर्किया से पिंडारी ग्लेशियर: आखिरी मुकाम
फुर्किया से पिंडारी ग्लेशियर तक का सफर मुश्किल भरा, लेकिन बेहद यादगार है। घास के मैदानों और बर्फ से ढके चट्टानों के बीच से गुज़रते हुए हिमालय की चोटियों के दर्शन होते हैं।
पिंडारी ग्लेशियर 3,900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से पिंडर नदी का उद्गम होता है, जो कर्णप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है और आगे चलकर गंगा का रूप लेती है।
ट्रेक के अनुभव और सलाह
- समय का ध्यान रखें: पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय गर्मी के महीने (मई-जून) हैं।
- रहने की व्यवस्था: खाती, द्वाली, और फुर्किया में रुकने के लिए होमस्टे और डॉर्मिटरी की सुविधा है।
- स्नैक्स साथ रखें: पूरे ट्रेक में बहुत कम जगह खाने के विकल्प मिलते हैं, इसलिए खाती से ही स्नैक्स लेकर चलें।
- गाइड आवश्यक है: यहाँ के जोखिम भरे रास्तों और मौसम को देखते हुए गाइड रखना जरूरी है।
एक यादगार अनुभव
पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक एक ऐसा अनुभव है, जो किसी की भी जिंदगी में गहरी छाप छोड़ सकता है। यह यात्रा सिर्फ एक ग्लेशियर देखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा को सुकून पहुंचाने वाली एक यादगार कहानी है।
जो भी प्रकृति को पास से देखना और महसूस करना चाहता है, उसे पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक जरूर करना चाहिए। यह ट्रेक आपके जीवन को एक नई प्रेरणा और ऊर्जा देगा।
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