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“ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता: क्या ‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो समाज को कर रहे हैं बर्बाद?”Navigating the Controversy of OTT Content

Navigating the Controversy of OTT Content

Navigating the Controversy of OTT Content: बीते कुछ वर्षों में ओटीटी (ओवर-द-टॉप) प्लेटफॉर्म्स ने भारतीय मनोरंजन जगत को एक नया रूप दिया है। पर इस क्रांति के साथ एक बड़ा नैतिक संकट भी सामने आया है। अजय खान का शो ‘हाउस अरेस्ट’ हाल ही में इस विवाद के केंद्र में है, जिसे लेकर समाज में गहरी चिंता जताई जा रही है। यह लेख इस शो के इर्द-गिर्द उठे नैतिक प्रश्नों, उसके सामाजिक प्रभावों और डिजिटल मनोरंजन के क्षेत्र में नियमन की जरूरत पर रोशनी डालता है।

Navigating the Controversy of OTT Content

📺 ओटीटी पर बढ़ती अश्लीलता: मनोरंजन या नैतिक पतन?

‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो आज के समय में बोल्ड कंटेंट के नाम पर अश्लीलता को सामान्य बना रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि ये कार्यक्रम मनोरंजन की आड़ में बेशर्मी को बढ़ावा दे रहे हैं। एक प्रसंग में एक प्रतिभागी को कपड़े उतारने के लिए कहा गया, और अन्य प्रतिभागियों ने उसकी इस हरकत पर तालियां बजाईं। सवाल उठता है: “क्या आधुनिकता के नाम पर नैतिकता का त्याग जायज़ है?”


📉 समाज पर पड़ता गहरा असर

ये कार्यक्रम सिर्फ स्क्रीन तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समाज पर गहरा असर छोड़ते हैं। कई विशेषज्ञों ने इन्हें “सामाजिक कैंसर” तक कहा है जो रिश्तों, सोच और व्यवहार को विकृत कर रहे हैं।

युवा पीढ़ी और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:

  • 💔 प्रेम की गलत परिभाषा: युवा पीढ़ी वासना को प्यार समझ बैठती है।
  • 🧠 आत्म-सम्मान में गिरावट: निरंतर अश्लील कंटेंट देखने से हीन भावना जन्म लेती है।
  • 🔁 लत का खतरा: कई युवा पोर्नोग्राफ़िक सामग्री के आदी हो जाते हैं, जो उनके वास्तविक जीवन को प्रभावित करती है।

पॉर्नहब की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बन चुका है, और 18 से 24 वर्ष के 78% युवा नियमित रूप से अश्लील कंटेंट देखते हैं। यह आंकड़ा किसी सामाजिक खतरे से कम नहीं।


🏛️ सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी कंटेंट के लिए नियमन की आवश्यकता जताई है, लेकिन अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। माता-पिता, शिक्षक और सामाजिक संगठन इस मुद्दे पर चिंतित हैं, पर सरकार की भूमिका अब भी सीमित दिख रही है।


✅ समाधान क्या हो सकते हैं?

  1. ओटीटी पर सेंसरशिप लागू हो: अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट पर रोक लगे।
  2. डिजिटल निगरानी बोर्ड बने: एक स्वतंत्र संस्था सभी ओटीटी कंटेंट पर नजर रखे।
  3. स्कूलों में डिजिटल जागरूकता अभियान: बच्चों को कंटेंट के प्रभाव के बारे में बताया जाए।
  4. पैरेंटल कंट्रोल टूल्स को प्रोत्साहन: माता-पिता को बच्चों की गतिविधियों पर नियंत्रण का साधन मिले।
  5. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही तय हो: नियमों का उल्लंघन करने पर आर्थिक और कानूनी सजा दी जाए।

🛑 चुप्पी तोड़ने की जरूरत

समाज को अब इस विषय पर चुप नहीं रहना चाहिए। बच्चों से संवाद करना, शिक्षकों का मार्गदर्शन और समाज की भूमिका इस नैतिक पतन को रोक सकती है। यदि अभी कार्रवाई नहीं की गई, तो हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर रहे हैं जो नैतिकता और मर्यादा से दूर होगी।


🔚 निष्कर्ष

‘हाउस अरेस्ट’ जैसे शो केवल मनोरंजन नहीं हैं, वे हमारे समाज की नैतिक दिशा पर सवाल उठाते हैं। यदि हम इन प्रवृत्तियों को अभी नहीं रोकते, तो भविष्य में हमारी सांस्कृतिक पहचान खतरे में पड़ सकती है।

अब समय है—जागरूक बनने का, आवाज़ उठाने का और ऐसी मनोरंजन संस्कृति को चुनौती देने का जो समाज को भीतर से खोखला कर रही है।

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