Sanya Malhotra Story: क्या सान्या मल्होत्रा का सफर उतना ही आसान था जितना हम सोचते हैं? दिल्ली की गलियों से लेकर मुंबई की भागदौड़ में कैसे ढाला उन्होंने खुद को? आइए, सान्या के विचार, संघर्ष और उनकी ज़िंदगी के ऐसे पहलू जानें जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे।

सान्या मल्होत्रा: नाम में क्या रखा है?
सान्या को लेकर अक्सर नाम में कन्फ्यूजन होता है। लोग उन्हें ‘सानया’, ‘सायना’ या ‘सनाया’ बुला देते हैं। यह कन्फ्यूजन उनके बचपन से चला आ रहा है, खासकर जब उनका नाम ‘सान्या-मिर्जा’ से मिलता-जुलता लगता है। लेकिन सान्या इसे हंसी-मजाक में लेती हैं और कहती हैं कि यह सब नॉर्मल है।
दिल्ली से मुंबई की कहानी
दिल्ली की पपड़गंज से ताल्लुक रखने वाली सान्या बताती हैं कि दिल्ली और मुंबई में बड़ा फर्क है। दिल्ली वालों की बेबाक़ी और ‘मुंहफट’ स्वभाव उन्हें हमेशा याद आता है। लेकिन जब मुंबई आईं, तो अकेले रहने और व्यवस्थित होने का नया अनुभव मिला। मुंबई ने उन्हें आज़ादी का एहसास करवाया, लेकिन साथ ही खुद का ख्याल कैसे रखना है, यह भी सिखाया।
दिल्ली में जहां 8 बजे तक घर लौटने की आदत थी, वहीं मुंबई में देर रात 11 बजे तक बाहर रहना किसी अजूबे से कम नहीं था। यह उनके लिए एक नया और रोमांचक अनुभव था।
दंगल: सान्या की लाइफ चेंजिंग फिल्म
दिल्ली से मुंबई आकर, सान्या ने कई एड शूट किए। लेकिन उनके असली संघर्ष और आत्मविश्वास की परीक्षा तब हुई जब उन्हें “दंगल” का ऑडिशन देने का मौका मिला। पहली बार में ही उन्होंने खुद को साबित कर दिया। आमिर खान के साथ काम करना उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
हालांकि, “दंगल” की सफलता के बाद एक अजीब समस्या आई। उनके बाल लंबे नहीं हो पा रहे थे। छोटे बालों का कारण था फिल्म में निभाया गया किरदार। बालों को बढ़ाने के लिए उन्होंने हर तरकीब आज़माई, लेकिन इसमें वक्त लगा।
पिता का प्रभाव और सबसे बड़ा सबक
सान्या के पिता ने उनके जीवन में एक अहम भूमिका निभाई है। बचपन में चाहे पिता की सख्ती रही हो, लेकिन बड़े होने पर उन्होंने पिता के संघर्ष को समझा। उनके पिता ने हमेशा उन्हें ‘पेशेंस’ रखना सिखाया। उनका सबसे बड़ा सबक था – “रोम एक दिन में नहीं बना था।” इसी बात ने सान्या को संघर्ष के दिनों में संतुलित रहने की हिम्मत दी।
शादी और नई पीढ़ी का नज़रिया
सान्या का मानना है कि शादी सही समय और सही इंसान पर निर्भर करती है। नई पीढ़ी शादी के प्रति थोड़ा हिचकिचाती है, खासकर करियर को लेकर। सान्या खुद भी मानती हैं कि जब तक सही इंसान नहीं मिलता, तब तक इंतजार करना बेहतर है।
वो मजाक में कहती हैं कि शादी से डर उन्हें जरा भी नहीं लगता। दरअसल, उन्हें सिर्फ छिपकली से डर लगता है!
नेपोटिज्म और बॉलीवुड में मौका पाने की कहानी
नेपोटिज्म को लेकर अक्सर विवाद होता है। सान्या मानती हैं कि उन्हें “दंगल” का जो मौका मिला, वह हर किसी को आसानी से नहीं मिलता। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इंडस्ट्री में टैलेंट की कद्र होती है। लोगों को वह जगह मिल जाती है जिसके वो हकदार हैं, लेकिन इसमें वक्त लग सकता है।
कंगना रनौत के बारे में क्या कहती हैं सान्या?
सान्या ने कंगना को फ्लाइट में मुलाकात के दौरान बेहतर तरीके से जाना। उन्होंने कंगना को एक मजबूत और ईमानदार इंसान बताया। सान्या को लगता है कि कंगना की सोशल इमेज अक्सर गलत समझ ली जाती है, लेकिन वो असल में बिल्कुल अलग और सॉफ्ट हैं।
शाहरुख खान और जवान का अनुभव
“जवान” में शाहरुख खान के साथ काम करना सान्या के लिए एक सपने के जैसा था। शाहरुख के साथ काम करते हुए उन्होंने बहुत कुछ सीखा। सान्या ने बताया कि शाहरुख न केवल एक बेहतरीन अभिनेता हैं, बल्कि सेट पर हर किसी को खास महसूस कराते हैं।
शाहरुख ने उन्हें कमर्शियल फिल्मों में एक्टिंग की बारीकियां समझाईं। चाहे कैमरा एंगल हो या इमोशनल सीन, शाहरुख का साथ उनके लिए बेहद मददगार रहा।
पैसों की अहमियत क्या है?
सान्या साफ कहती हैं कि पैसा बहुत जरूरी है। उनकी मेहनत का फल है कि उन्होंने मुंबई में खुद का घर खरीदा है। हालांकि, वह हमेशा स्क्रिप्ट और अच्छे किरदार को प्राथमिकता देती हैं।
फिल्म “मिसेज़” और महिलाओं की स्थिति
अपनी नई फिल्म “मिसेज़” में सान्या ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जो अपनी पहचान और परिवार के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश करती है। उन्होंने बताया कि समाज अक्सर महिलाओं से ज्यादा उम्मीदें रखता है, लेकिन उन उम्मीदों को पूरा करने का निर्णय महिलाओं की मर्जी पर होना चाहिए।
क्या है सफलता की परिभाषा?
सान्या के लिए सफलता का मतलब सिर्फ पैसा या शोहरत नहीं है। उनके मुताबिक, असली सफलता वो खुशी है जो आपको अपनी मेहनत से मिलती है।
निष्कर्ष
सान्या मल्होत्रा का सफर हर किसी के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने संघर्ष और अनुभवों से खुद को निखारा है। चाहे “दंगल” का ऑडिशन हो, पिता की सीख हो, या फिर “जवान” में शाहरुख खान के साथ स्क्रीन साझा करना – सान्या की यात्रा हमें यह सिखाती है कि मेहनत और पेशेंस का कोई विकल्प नहीं।
आखिर में, सान्या हमें याद दिलाती हैं कि सही इंसान और सही समय का इंतजार करना हमेशा फलदायक होता है। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करते रहें, क्योंकि “रोम एक दिन में नहीं बना था।”
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