डर से आगे जीत की कहानी, मेवाड़ बायोडायवर्सिटी पार्क, उदयपुर, राजस्थान, Best Biodiversity Park in Udaipur Rajsthan

Biodiversity Park in Udaipur Rajsthan

Biodiversity Park in Udaipur Rajsthan: आपलोगो से एक ऐसी कहानी शेयर करने वाला हूँ जो बेहद खूबसूरत और प्रेरणादायक है. ये कहानी मेरे चचेरे भाई की है जो उन्होंने मेरे साथ शेयर किया था. मेरा चचेरा भाई भी मेरी तरह का बहुत ज्यादा घुमक्कड़ प्रवृति का है और कहीं न कहीं घूमता ही रहता है और जब भी हमलोग साथ बैठते हैं तो एक दूसरे को सुनाने के लिए बहुत सारी कहानियां होती है.

मैं शिवेश वर्मा, वैसे तो मुझे घूमना बहुत ज्यादा पसंद है लेकिन मुझे शुरू से ही ज्यादा ऊंचाई, एडवेंचर गेम्स और राइड्स वगैरह से डर लगता रहा है. कुछ दिनों पहले मैं अपने परिवार के साथ मेवाड़ जैव विविधता केंद्र ( mewad biodiversity park) घूमने के लिए  गया था. ये पार्क उदयपुर के काफी नजदीक है और उदयपुर शहर के बिलकुल करीब होते हुए भी इस पार्क में आप को घने जंगल जैसा अहसास होगा और आपको काफी मजा आएगा. इस पार्क में आपके मनोरंजन के लिए ट्री क्लाइम्बिंग, जिप लाइनिंग और रिवर क्रॉसिंग जैसे एडवेंचर गेम्स की भी व्यवस्था की गयी है.
Biodiversity Park in Udaipur Rajsthan
थोड़ा सा मैं परिवार के बारे में बता देता हूँ. शादी से पहले मुझे बहुत ज्यादा घूमने का शौक तो नहीं था लेकिन मेरी बीबी बहुत ही ज्यादा घुमक्कड़ प्रवृति की है इसलिए अब मैं भी एक घुम्मकड़ बन गया हूँ. इशू और शानू मेरी दो बेटियां है जो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी है.

वैसे तो स्वर्ग जैसे इस बायो पार्क में मुझे घूमना तो पसंद आ रहा था लेकिन यहाँ पर चल रहे एडवेंचर एक्टिविटीज को  देखकर मुझे काफी डर रहा था.

मेरी दोनों बेटियाँ (इशू, शानू) इन गेम्स को देख कर काफी खुश हो गई. उन लोगों को तो जैसे मनचाही मुराद मिल गई पर मुझे तो ये सब ज्यादा पसंद नहीं आ रहा था.

परन्तु इशू और शानू तो इन सब गेम्स को करना चाहती थी और मेरी भी दिली इच्छा यही थी की मेरी तरह मेरी बेटियां इन सब चीजों से ना डरे, उनमें भी डर से जीतने का हौसला आये.

सबसे पहले ट्री क्लाइम्बिंग की गई. इसमें तीन चार पेड़ों के बीच झूलते हुए पुल बने हुए थे जो की बीच बीच से कहीं कटे हुए और कहीं जुड़े हुए थे. बहुत ज्यादा ऊंचाई वाले इस गेम को मैने जैसे तैसे डरते डरते पूरा कर ही लिया.

मुझे पार करते देख इशू और शानू ने भी इसे पार किया और ट्री क्लाइम्बिंग को पूरा करने के बाद उन के चेहरे की ख़ुशी देखने लायक थी. मुझे भी इन सब में बड़ा मजा आ रहा था.

हम लोग ट्री क्लाइम्बिंग के ज़िप क्लाइम्बिंग की तरफ आगे बढे. इस खेल में एक ऊँची पहाड़ी पर ले जा कर बन्दे को एक हुक के सहारे बाँध कर उस हुक को एक केबल से जोड़ दिया जाता है और वो केबल सामने वाली दूसरी पहाड़ी तक जाती है. वो बंदा उस हुक के सहारे लटके हुए इस पहाड़ी से बीच की गहरी खाई को पार करते हुए दूसरी पहाड़ी का सफर चीखते चिल्लाते हुए तय करता है और डर पर विजय पाता है.

मुझे तो ये समझ नहीं आता की वो चीखे डर की होती है या मज़े की या फिर डर वाले मज़े की! खैर ये सब देख कर मेरा तो कलेजा मुँह को आ गया था लेकिन बड़ी बेटी इशू ये राइड करना चाहती थी पर उस के मन में भी थोड़ा सा डर था इसलिए उस ने कह दिया की पापा पहले आप ये वाला राइड करो उसके बाद मैं करुँगी.

मेरी हालत तो डर के मारे पहले से ही पतली हो रखी थी और ऊपर से दूसरे राइड करने वाले लोगों की चीखों ने और मेरी हालत और ख़राब कर दी. इसलिए मैने बेटी को जीप लाइनिंग करने से मना कर दिया लेकिन वो नहीं मानी और कहा की आप तो मेरे डैडी हो! आप कैसे डर सकते हो!

बेटी की इस बात ने पता नहीं कहाँ से थोड़ी सी हिम्मत मेरे अंदर भी आ गयी और मैं वो राइड करने को तैयार हो गया. हुक बंधवाते हुए मैंने सारे देवी देवताओं को याद कर लिया और महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू कर दिया और पत्नी से कहा की मेरे पीछे इन दोनों का ख्याल रखना.

राइड तो शुरू भी हो गयी और कुछ सेकेंड्स के बाद ख़त्म भी हो गई और यकीन मानिए उस समय में मैं दुनिया का सब से खुश इंसान था. बेटी की उस लाइन में छुपे विश्वास को मैं कायम रख पाया था.

“आप तो पापा हो! आप कैसे डर सकते हो!”

ऐसा नहीं है क़ी हमेशा बड़े ही बच्चों को हौसला देते है कई बार बच्चे भी बड़ों को कुछ कर गुजरने की हिम्मत दे जाते हैं.

थैंक्स इशू और शानू अपने डैडी पर भरोसा करने के लिए! मुझे मेरे डर से जीताने के लिए!

एक बात और अगर आप कभी उदयपुर जाएँ तो मेवाड़ बायोडायवेर्सिटी पार्क जरूर जायेगा और ज़िप क्लाइम्बिंग और दूसरे एक्टिविटीज भी जरूर कीजियेगा. सच में आप को बहुत मज़ा आएगा।

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