चीन-मालदीव के बीत हुआ सैन्य समझौता, ड्रैगन ने ली सुरक्षा की जिम्मेदारी, जानें क्या है भारत की तैयारी? China-India-Maldiv Relationships

China-India-Maldiv Relationships

China-India-Maldiv Relationships: मालदीव में जब से मुइज्जू राष्ट्रपति बने हैं, तभी से भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में खटास का दौर जारी है। मुइज्जू शुरुआत से ही चीन के सपोर्टर रहे हैं और इस बार चीन के प्रति उन्होंने अपना प्यार पूरी दुनिया को दिखाया है।

असल में चीन और मालदीव को लेकर एक रक्षा समझौता हुआ है, जिसके मुताबिक चीन बिना किसी शर्त के मुफ्त मालदीव को सैन्य सुरक्षा मुहैया कराएगा। ये सुरक्षा किस प्रकार की होगी, इस बारे में बहुत ज्यादा खुलासा तो नहीं किया गया है, लेकिन कहा जा रहा है कि अब चीन की आर्मी ही मालदीव की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेगी और मालदीव को हथियार प्रोवाइड कराएगी। मालदीव में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप का सीधा असर भारत में भी देखने को मिलेगा। 

चीन के इशारों पर चल रहा मालदीव

मालदीव में पिछले कई दशकों से भारतीय सेना के कुछ जवान तैनात है, जो वहां पर तीन एविएशन प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने से पहले ये वादा किया था कि प्रेजीडेंट बनने के बाद वो देश से भारतीय सैनिकों को रवाना कर देंगे। जब मुइज्जू और भारत की बातचीत हुई तो ये तय हुआ कि भारत अपने जवानों को वापस बुला लेगा और उनकी बजाय टेक्नीकल स्टाफ को वहां पर तैनात किया जाएगा।

इस खबर के बाद मालदीव में ये अफवाह फैलने लगी कि भारत अपने सैनिकों को सिर्फ वर्दी बदलकर वापस भेज देगा। इसके बाद मुइज्जू ने ऐलान किया कि 10 मई के बाद उनके देश में भारत का एक भी सैनिक वर्दी में या सिविल ड्रेस में नहीं रहेगा। इस पूरे घटनाक्रम में असली हाथ ड्रैगन यानि चीन का बताया जा रहा है। 

भारत की जासूसी करना चाहता है चीन

मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून ने चीन के उपनिदेशक मेजर जनरल झांग बाओकुन से मुलाकात कर नए रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। एक्सपर्ट्स की माने तो इस समझौते के जरिए चीन हिंद महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। चीन कभी भी किसी की मदद बिना स्वार्थ के नहीं करता। चीन ने मालदीव में अपना अनुसंधान जहाज मालदीव में तैनात कर दिया है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर लगे भी लगे हुए हैं।

बहुत जल्द मालदीव और इसके आसपास वाले इलाके में चीन अपनी पनडुब्बियां भी तैनात कर सकता है। अनुसंधान जहाज के जरिए चीन भारत की जासूसी करने की प्लानिंग कर रहा है। इससे पहले चीन ने अपना अनुसंधान जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर भेजा था, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत की आपत्ति के बाद श्रीलंका ने चीन के जहाज को उनके पोर्ट पर रुकने से इनकार कर दिया था। 

क्या है भारत की तैयारी?

हिंद महासागर में यदि चीन की गतिविधियां बढ़ती है तो इसका सीधा असर भारत में भी देखने को मिलेगा। हालांकि, भारत ने भी इस मामले में अपनी पूरी रणनीति तैयार कर ली है। हाल ही में भारत ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइलैंड पर INS जटायू की तैनाती की है। इस आइलैंड से मालदीव की दूरी काफी कम है। लक्षद्वीप के अगाती आइलैंड पर सेना ने एक एयरस्ट्रिप बनाया है।

साथ ही मॉरिशस के अगालेगा आइलैंड पर तो भारतीय सेना ने अपना नेवी बेस बना दिया है। फिलहाल मालदीव में भारत के करीब 85 सैनिक है, जो वहां 2 हेलीकॉप्टर और एक विमान का संचालन देखते हैं। आपातकालीन स्थितियों में भारतीय सैनिक ही मालदीव में मदद के लिए सबसे पहले पहुंचते हैं। 

IMF ने दी मालदीव को चेतावनी

चीन जिस तरह मालदीव के साथ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि बहुत जल्द मालदीव का हाल भी श्रीलंका जैसा ही हो जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने कहा है कि उनके और मालदीव के बीच हुए किसी भी समझौते में तीसरे पक्ष को बाधा नहीं आनी चाहिए। बगैर किसी देश का नाम लिए उन्होंने ये बात भारत के लिए कही है।

IMF द्वारा मालदीव को चेतावनी दी जा चुकी है कि चीन उसे अपनी Debt Trap पॉलिसी में फंसा सकता है, लेकिन मुइज्जू इन वॉर्निंग्स को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं। बहुत जल्द मालदीव में संसदीय चुनाव भी होने वाले हैं। यदि इन चुनावों में भी मुइज्जू की सरकार जीतती है तो यकीनन चीन और मालदीव की दोस्ती और ज्यादा गहरी हो सकती है। 

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