Homestay and Hotels near Yamunotri: गर्मी से परेशान इंसान पहाड़ों पे गर्मी में ना जाए तो कब जाए। 17 जून से बारिश का पूर्वानुमान था। सो विचार करके weekdays में 13 से 17 जून ऋषिकेश से यमुनोत्री की ओर चल दिए। वैसे हम कभी बुकिंग करा के नही चलते हैं। पर चार धाम भीड़ के डर के चलते gmvn की 4 दिन की बुकिंग करा ली.
यमुनोत्री धाम में gmvn के कई होटल हैं। Renovate हुए हैं हाल ही में तो ठीक ठाक हो गए हैं। Online हमे gmvn स्यानाचट्टी ही अच्छा और available लगा। मगर ऑनलाइन उतना पता नहीं चलता है। Gmvn फूलचट्टी और gmvn हनुमानचट्टी बहुत सुंदर location पे बने हुए हैं। यहां चार दिन बुकिंग नहीं कर पाए इसकी कसक रह गई। gmvn जानकीचट्टी यमुनोत्री धाम के सबसे पास हैं। वहां थोड़ी लोकल भीड़ हमें ज्यादा लगी। Gmvn असनोलगढ़ भी सुंदर location है। मगर वो एकदम जंगल में है। रात को पुरानी फ़िल्मों के भूत बंगले सा लगता है।
बाकी काफी होमस्टे और लोकल टाइप होटल हैं। उनका शायद बस वालों और चार धाम agents से लिंक होगा। वहां एकदम भीड़ आती है। और एकदम खाली होते हैं। एक दो resorts नाम से ऑनलाइन भी पड़े हैं। जो ठीक ठाक locations पे हैं। मगर सादे ही होंगे।
यमुनोत्री धाम की चढ़ाई जानकी चट्टी से शुरू होती है। उसके सबसे पास एक खरसाली गांव पड़ता है। एक आध resort online है मगर वहां बहुत से homestays हैं जो ऑनलाइन नहीं हैं। ये बहुत ही सुंदर जगह है। ऑर्गेनिक खाना झरने का पानी। हमे लगा यहां आके देखकर बुकिंग कराई जाए तो महीना भर किताबें पढ़ते पहाड़ों को निहारते बिताया जा सकता है।
यमुनोत्री से बहुत से ट्रैक निकलते हैं। धाम के मुख्य ट्रैक पे खच्चर पिट्ठू पालकी की इतनी भीड़ है। जबकि इतने treks हैं जो बिना भीड़ के किए जा सकते हैं। सबसे मुश्किल है सप्तऋषि कुंड ट्रैक जिसके लिए अच्छे लेवल की ट्रेकिंग स्किल्स चाहिए ऐसा बताते हैं। वहां ब्रह्म कमल जैसे कई दुर्लभ flora and fauna और अति दुर्लभ views हैं। सुनकर दैवीय लगा। पता नहीं मैं जा सकूंगी या नहीं। Though I am not a tough trekking person but for this I want to train myself.
किसी भी धाम या tourist place पे जाओ तो आस पास की लोकल जगह explore करो। यूं लगता है यमुनोत्री में क्या है घूमने को। घूमना शुरू किया तो चार दिन कम पड़ गए। कुपरा, मदेश, राना और बहुत से गांवों में यहां की असली सुंदरता बसी हुई है। भीड़ भाड़ से दूर ये आपको स्वर्गिक अनुभव देते हैं। लोग यमुनोत्री के भीड़ से भरे hotsprings में जाते हैं। गांवों में इतने isolated hotsprings हैं। रास्ते में लोकल लोगों को लिफ्ट दी, उनसे ऐसे प्राचीन मंदिरों और जगहों के बारे में पता चला। Hospitality ऐसी की आपको चाय भोजन के बिना जाने ही न दें। पत्थर लकड़ी से बड़े scientific तरीके से बने घर। कोठार जिनमें सालों अनाज और सब्जी स्टोर करके रखी जा सकती है। उनके साथ जंगल से सब्जी तोड़कर (जगरू , लिंगरी) होटल में बनवा कर खाई।
ऋषिकेश से देहरादून मंसूरी से यमुनोत्री की सड़क मक्खन बनी हुई है। मसूरी पे जाम मिलता है। बाकी गाड़ी बिना गड्ढों के सरपट दौड़ती है। यमुनोत्री दोबारा आया जायेगा।