Most Deadly Story Of Indian Cricket: पिछले कुछ दिनों में आपने भारतीय team के साथ एक चीज notice करी होगी कि कैसे अचानक team में कई प्लेयरों का आना और कई प्लेयरों का जाना लगा हुआ है. लगातार पे लगातार कई experiment किए जा रहे हैं।
series के साथ captain और vice captain के रूप में नए-नए चेहरे पेश किए जा रहे हैं। खिलाड़ी लंबे rest के बाद team में आ रहे हैं और अगले दिन खबर आती है कि अगली ही series में वही खिलाड़ी rest करा दिए जा रहे हैं। वजह बताई जाती है कि उन्हें injury से बचाया जा रहा है या कहा जाता है उन्हें टाइम दिया जा रहा है कि वो फॉर्म में वापसी कर सकें।
पर उससे भी कमाल की और दिल तोड़ने वाली बात आज के टाइम पे ये है कि अगर किसी प्लेयर को injury होती है तो महीनों लग जाते हैं उसे वापसी करने में and अगर वापसी भी होती है तो उस प्लेयर का फॉर्म वैसा नहीं हुआ करता है जैसा injury से पहले हुआ करता था.
अब पता है यहाँ पे कटाक्ष क्या है? कहने को तो कहा गया है कि समय के साथ खिलाड़ी की fitness का importance बढ़ गया है। कहने को तो कहा गया है कि समय के साथ खिलाडियों के लिए सुविधा बढ़ गई है. पर still पहले के players के मुकाबले आज players को rest भी ज्यादा दिया जाता है और वो injured भी ज्यादा होते हैं and most important बात ये है कि वो injured हो के recover भी देरी से करते हैं.
तो बस इस article को आप end तक जरूर पढ़ें क्योंकि आज जो मैं किस्सा आपको बताने वाला हूँ वो आपको बताएगा कि कैसे एक player अनिल कुंबले ने ये बताया था कि fitness और injury से भी बड़ी एक और चीज होती है वो है commitment. मैं पहले hi क्लियर कर दूँ कि इस आर्टिकल का मतलब ये बताना बिल्कुल नहीं है कि इंसान को injury में भी खेलना चाहिए but still जैसा मैंने कहा आप बस इस लेख को end तक जरूर पढ़िए। मेरी बात आप तक अपने आप पहुँच जाएगी।
साल था 2002, भारत पाँच टेस्ट के tour के लिए West Indies गया था. पहला मैच draw हुआ था. दूसरे मैच को भारत ने 37 रन से जीता था. तो वहीं तीसरे मैच में वेस्टइंडीज को 10 विकेट से जीत हासिल हुई थी. सीरीज एक-एक से बराबर चल रही थी. तभी शुरू होता है चौथा test West Indies toss जीत के पहले गेंदबाजी का फैसला करती है. भारत की तरफ से opening के लिए आते है शिव Sunder Das और Wasim Jafar. सुंदर तीन run के score पे जरूर out हो जाते है. पर उसके बाद Wasim Jafar और Dravid के बीच शानदार 155 run की partnership होती है. जिसमें जाफर छियासी के score पे आउट हो जाते है. पर Dravid दूसरे end से पारी संभाले रखते है तभी Sachin भी आते ही zero पे out हो जाते है.
इसके बाद फिर से Dravid और गांगुली के बीच कुछ रनों की partnership जरूर होती है. लेकिन जब भारत 233 के score पे होता है तो Sourav Ganguly 45 run के score पे आउट हो जाते है और भारत को सबसे बड़ा सदमा तब लगता है जब दो run बाद Dravid भी 91 run के score पे played on bold हो जाते है.
पर यहाँ से एक ऐसी कहानी शुरू होने वाली होती है जो आज भी हर उस aspiring cricketer को बताई जाती है जो अक्सर किसी ना किसी वजह से हिम्मत हार जाता है. Ganguly Anil Kumble को promote करते हुए उन्हें Ajay Ratra से पहले बैटिंग के लिए भेजते हैं. कुंबले के आते ही उनका स्वागत वेस्ट इंडियन बॉलर मारवेन ढिल्लन ने बाउंसर से किया। जिसके जवाब में कुंबले से गलती ये हुई कि उन्होंने अपनी नजरें बॉल से हटा ली और बॉस सीधे जा के उनके जबड़े पे लगी. कुंबले ने बताया था कि जब वो बॉल उन्हें पड़ी तो कुछ देर के लिए उनकी आँखों के सामने अंधेरा छा चूका था. दिमाग बंद सा पड़ा था और वो थोड़ा जब होश में आए तो देखा कि वो मैदान में खून थूक रहे थे. लेकिन कुंबले ने जानते है क्या पानी की बोतल ले के एक सिप मार मुंह से निकल रहा सारा खून वहीं मैदान में पानी के साथ बाहर थूक दिया हेलमेट वापस पहना और गार्ड ले के बैटिंग के लिए तैयार हो गए लेकिन वेस्ट इंडियन बॉलर को जाना ही उनकी क्रूरता के लिए जाता है ढिल्लन रुके नहीं और उसके बाद भी कुम्बले को बाउंसर फेंकते रहे उनकी ये strategy सफल भी रही और कुंबले backward short leg पे चंद्रपाल को catch थमा बैठे।
जब कुंबले pavilion लौटे तो देखा गया कि उनका जबड़ा पूरा सूज चुका था. जब तक उनकी batting चल रही थी Kumble कुछ बोले तक नहीं। out होने के बाद तुरंत उन्हें hospital ले जाया गया और जब X-ray करा तो देखा गया कि ऐसी कोई खास injury नहीं है. लेकिन फिर आती है अगली सुबह जिस दिन अगले दिन का खेल खेला जाना था तो Kumbhle को अचानक से बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा और उन्होंने अपने physio को जा के बताया भी कि उन्हें बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है. Kumbhle के ऐसा कहने पे जब दुबारा X-ray कराया गया तो देखा गया कि Kumble का जबड़ा पूरे तरीके से टूट चुका था। कुबले से जल्द से जल्द सर्जरी कराने को कहा गया पर कुमले नहीं चाहते थे कि उनकी सर्जरी वेस्टइंडीज में हो। तो इंडिया के फिजियो ने कुमले के जबड़े पे पिन मारी और उसी रात कुमले की इंडिया के लिए टिकट कर दी गई। पर कहानी का असल मज़ा तो यहाँ से शुरू होने वाला था। कुंबले के जाने के बाद गांगुली ने decide करा कि वो आगे batting करते रहेंगे और try करेंगे कि ज्यादा से ज्यादा run मार सके.
क्योंकि कुंबले उनके सबसे main bowler थे और उनके बिना मैच जीतना नामुमकिन होने वाला था. भारत ने पहली inning में 513 run बनाए और जब West Indies की batting आयी तो notice करा गया कि pitch spinners के लिए ज्यादा मददगार थी. पर अफसोस भारत का सबसे बड़ा spinner सर हिलाने की हालत में तक नहीं था. पर अब जो हुआ उसे देख सबकी आँखे फटी की फटी रह गयी.
देखा गया कि Anil Kumble मुँह पे पट्टी बांधे हुए अपने जबड़े को उसी पट्टी से संभाले हुए pitch की तरफ आ रहे थे. इस incident को याद करते हुए Anil Kumble के physio ने था कि मैं कितना भी कोशिश करता पर अनिल कुंबले रुकते नहीं। पर मैंने उन्हें मैदान में जाने से पहले एक सलाह जरूर दी कि तुम कुछ भी करना वहाँ जाकर अपील मत करना वरना अपील करते वक्त जो दर्द तुम्हारे जबड़े पे होगा। वो तुम सहन नहीं कर पाओगे पर इसी के साथ उनके physio ने ये भी कहा कि कुंबले को अपील करने के लिए ना कहना एक अलग बात थी पर उन्हें अपील करने से रोक पाना ये एक अलग बात थी.
अनिल कुंबले जब bowling के लिए पहला over डालने आए तो जब उनका फ्रंट फुट पिच पे लैंड होता था तो वो दर्द से करहा उठते थे उनके साथी प्लेयर भी हर बॉल के बाद कुंबले का हालचाल लेने आ रहे थे. क्योंकि वो उनका दर्द देख पा रहे थे. हालात कुछ ऐसे थे कि खुद अंपायर डेविड शेफर्ड कुंबले के पास आते थे और उन्हें बार-बार कहते रहते कि अगर तुम्हें ज्यादा दर्द हो रहा है तो तुम जा सकते हो.
पर डेविड शेफर्ड ने मैच के बाद बताया कि मैं जब भी कुंबले से जाने के लिए कहता था तो वो कुछ बोल तो नहीं पाते लेकिन हर बार सर को ना में हिला देते थे Kumble उसके बाद भी over डालते रहे और उनका हौसला तब और मजबूत हो गया जब उन्होंने Brian Lara को LBW कर दिया। Kumble wicket पे खुश तो हो रहे थे पर उनके चेहरे पे दर्द भी दिख रहा था. Kumble का पूरा चेहरा फिर से सूझ चुका था. पर Kumble फिर भी उस दिन के end होने तक over डालते रहे.
पूरे मैदान में जहाँ West Indies के दर्शकों की संख्या भारतीय दर्शकों से ज्यादा थी वो तक Anil Kumble को देख shocked थे। कि आखिर किसी के लिए क्रिकेट इतना भी important कैसे हो सकता है? लेकिन कुंबले हर over के साथ इस सवाल का जवाब दिए जा रहे थे. कि हो सकता है क्रिकेट कभी-कभी किसी के लिए खुद से भी ज्यादा important हो सकता है? कुंबले से जब पूछा गया कि आप ऐसी हालत में भी खेलने के लिए क्यों आए? तो कुंबले ने बड़ा ही छोटा सा answer दिया था पर उसके पीछे अर्थ काफी बड़ा था। कुंबले ने बस इतना कहा कि मैं यार खाली नहीं बैठना चाहता था। वो तो draw हो गया पर उस दिन कुंबले का commitment जीत गया था.
अगली सुबह हर देश के हर अखबार के front page पे मुँह पे पट्टी बांधे हुए कुंबले की तस्वीर थी. मुझे लगता है कि आज ये कहानी हर उस cricketer को सुननी चाहिए। जिससे लगता है कि हर दूसरे tour के बाद rest ले लेना चाहिए या सिर्फ बड़े tournament में ही खेलना चाहिए क्या आपको ये कहानी मालूम थी. जो भी ये वीडियो देख रहा है कमेंट में जरूर बताएं।