Nehru Exposed as Womanizer:बीजेपी की सरकार आने के बाद नेहरू को क्यों बदनाम किया जाता है, फोटोशॉप की हुई तस्वीरों को फैलाकर

Nehru Exposed as Womanizer

Nehru Exposed as Womanizer: पंडित जवाहरलाल नेहरू, देश के पहले प्रधानमंत्री को आज के समय में दुनिया भर के वर्ल्ड लीडर्स, इन्हें रिस्पेक्ट की नजरों से देखते हैं. लेकिन इन्हें कहीं पर अगर सबसे ज्यादा बदनाम किया जाता है, कहीं पर इन्हें सबसे ज्यादा गालियां दी जाती है तो वो अपने देश में ही है. हाल ही में सिंगापुर के प्रधानमंत्री ने इनकी तारीफ करी थी, अपनी स्पीच में:-

“ बहुत सारे देशों की नींव महान सिद्धांतों की बुनियाद पर रखी गयी है। उन देशों की आजादी के लिए लड़ने और जीतने वाले नेता, उन आजाद देशों के नए सफर की शुरुआत भी करते हैं और भारत के जवाहरलाल नेहरू उनमें से एक हैं। हालांकि देशों के इस सफर में आने वाली जनरेशन के साथ चीजें धीरे-धीरे बदलने लगती हैं। आज भारत की लोकसभा में लगभग आधे से ज्यादा सांसदों के खिलाफ बलात्कार और हत्या के मामले चल रहे हैं।”

-ली सीन लूंग, पीएम, सिंगापुर

वहीं दूसरी तरफ इंडिया में कभी इन पर फर्जी खबरें फैलाई जाती है. कभी इन पर blame डाला जाता है, देश में आज के problems के लिए. तो कभी इनकी photos circulate की जाती है, औरतों के साथ, ये दिखाने के लिए कि  Nehru कितने characterless आदमी थे. देखो कैसे लड़कियों के साथ घूमते थे और ये क्या-क्या हरकते महिलाओं के साथ करते थे. क्या है इसके पीछे की सच्चाई चलिए जानते हैं, आज के इस आर्टिकल में.

साल 1955 नेहरू जी एरोप्लेन में बैठकर लंदन जाते हैं. जब उनका प्लेन लंदन पहुंचता है, वो प्लेन की सीढ़ियों से नीचे उतर रहे होते हैं, तो वहां पर उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित मौजूद होती हैं, बड़ी खुश हो जाती हैं. उनको देखकर नेहरू जी पास जाते हैं. अब इस पॉइंट ऑफ टाइम पर अगर मेरे पास टाइम मशीन होती तो मैं टाइम में पीछे जाता और बोलता ठहर जाइए नेहरू जी उनसे गले मत मिलिए। मैं जानता हूँ कि वो आपकी बहन हैं, लेकिन आप उनसे गले मिलेंगे तो बड़ी प्रॉब्लम हो जाएगी। नेहरू जी मुझे देखकर बोलते हैं भाई क्या दिक्कत है? मैं अपनी बहन से गले भी नहीं मिल सकता। बहुत टाइम से मैं उनसे मिला नहीं हूँ. वो मुझे देखकर बड़ी खुश हैं और मैं भी बहुत खुश हूँ, उन्हें देखकर। दिक्कत क्या है आखिर?

नेहरू जी असल में बात क्या है ना कि आज ये फोटोग्राफर आपकी फोटो खींचेंगी, अपनी बहन से गले मिलते हुए, लेकिन आज से 70 साल बाद इसी फोटो का दुरुपयोग किया जाएगा, आपको बदनाम करने के लिए। कुछ व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी वाले और कुछ आईटी सेल वाले, आपकी फोटो को circulate करेंगे, ये दिखाते हुए कि देखिए आप किस लड़की के साथ गले मिल रहे हैं, आपकी क्या रिलेशन हैं उनके साथ.

नेहरू जी बोलेंगे भाई ये तो सबको पता है, भाई वो मेरी बहन है. यहाँ पर लोगों को अपना कॉमन सेंस use करना चाहिए? मैं कहूँगा भाई देखो लोग अपना दिमाग तो इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन क्या है ना इंटरनेट का जमाना आनेवाला है. कुछ साल बाद, इंटरनेट का आविष्कार होगा और फिर बाद में ट्विटर और व्हाट्सएप भी आएंगे। ये सारी चीजें ऐसी हैं, जिसकी वजह से लोगों का ध्यान बहुत जाता है. लोगों के पास इतना समय नहीं होता, अपना दिमाग इस्तेमाल करने का तो ज्यादातर लोग बस उस झूठ पर विश्वास कर लेंगे, जो उस व्हाट्सएप्प पर circulate किया जाएगा।

नेहरू जी यहाँ पर बोलेंगे, मुझे कोई क्यों बदनाम करना चाहेगा? मैंने किसी का क्या बिगाड़ दिया? और मैं कहूंगा उन्हें देखिए बात क्या है ना कि आज से 70 साल बाद बेरोजगारी इतनी हो जाएगी, देश में कि लोग दो-दो रुपए के लिए ये झूठे messages circulate करेंगे। फेक न्यूज़ फैलाएंगे, देश में नफरत फैलाएंगे। और कुछ political पार्टीज आपका इस्तेमाल भी करेंगी, अपनी गलतियों का दोष आप पर डालने के लिए और आपको बदनाम किया जाना उन लोगों के लिए एक काम बन जाता है ताकि वो लोग अपनी ego को सटिस्फाय कर सकें।

खैर नेहरू जी को अपनी बहन से मिलने की ख़ुशी ज्यादा प्यारी थी तो time machine में वापस जाकर भी मैं होनी को टाल नहीं पाया, unfortunately. लेकिन विजयलक्ष्मी पंडित के बारे में अगर मैं आपको बताऊँ तो वो actually में active worker थी Indian Nationalist movement की. 3 बार वो जेल जा चुकी थी 1932, 1940 और 1942 में क्योंकि उन्होंने civil disobedience movement में participate किया था, अंग्रेजों के खिलाफ। 1946 में वो constituent assembly की member भी थी, united provinces से और जब 1947 में देश को आजादी मिली तो उन्होंने एक diplomatic करियर अपना लिया। वो इंडियन representative बनी कई देशों में सोवियत यूनियन, यूएसए, मेक्सिको, यूके, स्पेन और 1953 में actually में वो दुनिया की पहली औरत बन गई to be elected the president of united nations general assembly और उन्होंने यूनाइटेड नेशंस की जनरल assembly के eighth session को हेड भी किया था.

साल 1955 में जब Pandit Nehru London में आये तो उस वक़्त  वो United Kingdom में India के  high commissioner थी. एयरपोर्ट पर वो पंडित नेहरू को रिसीव करने आयी अपनी बेटी नयनतारा सहगल के साथ. यहीं पर आप ये तस्वीर देख सकते हो. इसी समय पर एक और फेमस फोटो ली गई थी, जिसे circulate किया जाता है, नेहरू जी को बदनाम करने के लिए, जब नयनतारा actually में नेहरू जी को किस करती है। नयन तारा के मामा जी थे, पंडित नेहरू और यहाँ पर कुछ ऐसा नहीं किया जा रहा है जो गलत हो. यहाँ पर KISS किया जाना और प्यार जताना, ठीक वैसा ही प्यार है, जो एक औरत अपने बेटे से जतायेगी या फिर एक पिता अपनी बेटी से.

अब अगर अगली फोटो पर आए तो ये भी बड़ा interesting है. देखना की इनके पीछे की कहानी क्या है? आपको बता दूँ की माउंटबेटन को इंडिया भेजा गया था मार्च 1947 में। वो अपनी वाइफ एडविना माउंटबेटन के साथ और अपनी सत्रह साल की बेटी पामेला के साथ इंडिया आए। एक ऐसा समय था वो जब बहुत लंबी discussions हो रही थी कि actually में इंडिया का independence कैसे दिया जाए? क्या उसके exact specific कानून रहेंगे? क्या Rules यहाँ पर बनाए जाएंगे। और इंडियंस और ब्रिटिश के बीच में बहुत discussion हो रही थी। इसी समय पर पंडित नेहरू अच्छे दोस्त बन गए, एडविना माउंटबेटन साथ, शायद दोस्त से भी ज्यादा करीब।

एडवीना की जो बेटी थी, पामेला उनके शब्दों में एडविना और नेहरू एक profound relationship शेयर करते थे. पामेला ने कई चिट्ठियों को पढ़ा था और examine किया था जो नेहरू और एडविना ने एक दूसरे को लिखे थे। और उस पर एक किताब भी publish करी थी, कुछ सालों बाद। पामेला ने नोट किया कि she यानी एडवेना found in पंडित जी the companionship and equality of spirit and intellect that she craved और इसी किताब में पामेला ने इस चीज को clear किया है कि पंडित जी और एडविना के बीच में कोई physical affair कभी नहीं हुआ तो जितने भी जो rumours फैलाए जाते हैं, इस चीज को लेकर वो सरासर झूठ है.

एडविना और पंडित जी actually में काफी करीब दोस्त थे. एक-दूसरे के तो इनमें से एक फोटो में आप देख सकते हो कि पामेला यहाँ पर खड़ी है, पंडित नेहरू के साथ और पीछे उनके पेरेंट्स लुइस और एडविना खड़े हैं, बैकग्राउंड में वो गुड बाय कह रहे हैं पंडित नेहरू को और एक और फोटोग्राफ है यहाँ पर, नेहरू और एडविना के साथ में जहाँ पर ये साथ में किसी जोक पर हंस रहे हैं. कोई unusual चीज नहीं है, क्योंकि कोई भी अपने दोस्तों के साथ jokes पर ऐसे हँसते होंगे। बस फर्क ये था कि इस time पर किसी ने फोटो खींच ली.

अब इन सब के बाद एक ऐसी फोटो आती है, जहां पर पंडित नेहरू smoke कर रहे हैं। सिगरेट पी रहे हैं। हम सब जानते हैं कि स्मोकिंग बहुत ही खतरनाक होती है, हेल्थ के लिए एक बहुत ही बुरी आदत होती है। लेकिन सिगरेट पीना, स्मोकिंग करना एक बुरी आदत है। उससे किसी का character judge करना सही चीज नहीं होती। actually में क्या आप जानते हो नाज़ीयों ने एंटी स्मोकिंग campaign launch करी थी. हिटलर ने खुद 1919 में स्मोकिंग क्वीट कर दी थी और मुसोलिनी और फ्रांक वो भी नॉन स्मोकर्स हुआ करते थे. क्या इसका मतलब ये हुआ वो अच्छे लोग हो गए बिल्कुल भी नहीं, तो जैसे हम हिटलर को एक अच्छा इंसान नहीं कह सकते, क्योंकि वो नॉन स्मोकर हुआ करते थे तो इसी तरीके से एल्बर्ट आइनस्टाइन को, सिग्मंड फ्रॉड को, जवाहरलाल नेहरू को हम बुरा इंसान नहीं कह सकते क्योंकि वो स्मोकर थे.

इन्फेक्ट इस लिस्ट में नेताजी सुभाष चंद्र बोस और काछे गुएवारा का नाम भी आएगा क्योंकि वो भी स्मोकर्स थे. यहाँ पर एक दूसरा ये भी है कि आज 2022 में हम जानते हैं कि सिगरेट स्मोकिंग कितनी हानिकारक है. हमारी हेल्थ के लिए बहुत ही खराब चीज है. मीडिया में, इसे फिल्मों में, सरकारों के द्वारा हर जगह इसे criticize किया जाता है promote नहीं किया जाता. लेकिन नेहरू जी के जमाने में 1950 में वो एक ऐसा टाइम था. जब कई campaigns launch करी गई थी, कई सिगरेट companies के द्वारा स्मोकिंग को promote करने के लिए और उस समय मीडिया में कह लो, लोगों के perception में कह लो, स्मोकिंग की इतनी बुरी इमेज नहीं थी, जितनी आज है। बहुत से लोग जानते तक नहीं थे कि स्मोकिंग एक बुरी चीज है। आपकी हेल्थ के लिए हानिकारक है, उस जमाने में।

In Fact ये सिर्फ 1964 में ही था कि यूएस के सर्जन जनरल लूथर टेरी ने एक बड़ी bold announcement करी थी, definite रिपोर्ट publish करी कि स्मोकिंग से actually में लंग कैंसर होता है और उसके बाद भी बीस तीस साल का समय लग गया1990 में ही जाकर सरकारों ने यहाँ पर एक्शन लेना शुरू किया और एंटी स्मोकिंग कैंपेन लॉन्च करी.

अब आते हैं हम अपनी नेक्स्ट फोटो पर और जानते हैं इसके पीछे की कहानी। अम्मू स्वामीनाथन एक freedom fighter थी. 1942 में इन्हें जेल किया गया था क्योंकि इन्होंने क्विट इंडिया movement में participate किया था। 1946 में ये कॉन्सटूएंट असेंबली का पार्ट बनी मद्रास से और 1952 में इन्हें लोकसभा में भी इलेक्ट कर लिया गया था। तो obviously ये पंडित नेहरू को जानती थी. नेताजी बोस की जो आजाद हिंद फौज थी उसमें रानी झांसी regiment को lead किया था, इनकी बेटी लक्ष्मी ने. इसके अलावा अमू की एक और छोटी बेटी थी मृनालिनी साराभाई जो कि बहुत ही रेपुटेड classical dancer बनी. इस फोटो में जो आप औरत देख रहे हैं वो actually में मृनालिनी है। इनकी उम्र actually में इंदिरा गाँधी से काफी same थी. ये याद करती है कि 1927 में पंडित नेहरू चेन्नई में आए थे। और इनके परिवार के साथ खाना खाया था। उसके बाद वो शांति निकेतन गए, एक नए हिंदी भवन हॉल को खोलने के लिए और वहां पर मृनालिनी और इंदिरा बैठी थी फ्रेम में इस आर्टिस्टिक विंडो के साथ.

एक interesting fact यहाँ पर मृणालिनी के जो हस्बैंड थे वो थे विक्रम साराभाई। फेमस physicist, जिन्हें आज हम Father of India space program के नाम से जानते हैं। interestingly पंडित नेहरू सारा भाई family के भी काफी करीब थे। वो एक rich merchant family थी और उनकी भी involvement रही थी. आजादी की movement में। विक्रम की बहन लीला बहन याद करती है कि पूरा नेहरू परिवार उनके घर आता था, The retreat में अहमदाबाद में और कुछ दिन रुककर जाता था। तो ये पीछे का context में इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि पंडित नेहरू actually में मृनालिनी को जानते थे, दोनों साइडों से उनके परिवार के। मृनालिनी उन्हें अपनी dance recycles पे invite करती थी और कल्चर enthusiasm भी थी वो।

साल 2009 में मृणालिनी ने actually में लाइव mint  से बात करी थी फोन पर और इस फोटोग्राफ के बारे में उन्हें बताया। उन्होंने कहा कि 1948 में वो एक डांस ड्रामा में perform कर रही थी. जिसका नाम था मनुष्य। उस समय में वो कहती थी कि कत्थक कली को ज्यादा approve नहीं किया जाता था. ज्यादा लोग उसे appreciate नहीं करते थे। लेकिन पंडित नेहरू उनकी performance देखने आए और बाद में उनसे गले मिले और उन्हें congratulate भी किया और उसी समय पर ये फोटो click करी गई थी। तो एक बार फिर से यहाँ पर कोई अनजान औरत नहीं है बल्कि ये family फ्रेंड है नेहरू जी की और नेहरू जी इनकी dance performance देखने आए. इन्हें congratulate किया और compliment किया। कुछ भी unusual नहीं है इस फोटो म में.

और finally यहाँ पर एक फोटो है, इसमें आप देख सकते है, जैकलिन केनेडी को. जो उस समय की first lady थी  यूएसए की यानि कि वाइफ of former usa president जॉन एफ केनेडी। 1962 में वो इंडिया में आई थी मार्च 12  से लेकर मार्च 21 के बीच में. ये एक goodwill tour था. वो अपनी sister ली रैड्स good will ambassador, US, John Kenneth Galbraith उस समय के और इंदिरा गांधी के साथ काफी जगहे घूमने गई ताजमहल, उदयपुर, जयपुर और ये जो particular फोटो है यहाँ पर, पंडित नेहरू actually में सेरेमोनियल वेलकम दे रहे हैं as a पार्ट of Indian कल्चर। उनके फोर हेड पर तिलक लगाकर। माथे पर उनके तिलक लगाने लग रहे हैं। imagine कर सकते हो। इस फोटो को misuse किया जाए, ये दिखाने के लिए कि ये देखो क्या करने लग रहे हैं, पंडित नेहरू किस औरत के साथ।

overall अगर इन नो फोटोज को साथ में देखा जाए, तो इसमें कुछ भी नहीं था, कुछ भी सीक्रेटिव नहीं था। यहाँ पर ये सारी फोटोज किसी ना किसी बड़े पब्लिक इवेंट में ली गई थी. कुछ ना कुछ मेजर event हो रहा था यहाँ पर. लेकिन ये चीज बड़ी क्लियर है कि यहाँ पर किसी ने इन फोटोज को कंपाइल किया, जानबूझकर पंडित नेहरू को बदनाम करने के लिए, ये झूठ फैलाया गया कि ये देखो पंडित नेहरू एक कैरेक्टरलेस आदमी है, एक वुमेनाइजर है.

आजकल अजीबोगरीब और फेक चीजें व्हाट्सएप पर देखने को मिलती है. obviously हर इंसान की तरह नेहरू जी भी एक इंसान थे. कुछ उन्होंने अच्छे काम किए. कुछ उनकी गलतियां थी. उनकी बात किसी और आर्टिकल में करेंगे लेकिन अभी के लिए मैं आपको बताना चाहूंगा कि actually में पंडित नेहरू को बहुत लोगों ने praise किया है। कीर्ति मैगजीन में भगत सिंह ने कहा था कि पंडित नेहरू एक ऐसे लीडर हैं, जिनको यूथ को फॉलो करना चाहिए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपनी आजाद हिंद फौज में one of the brigades का नाम नेहरू के नाम पर रखा था, नेहरू ब्रिगेड। फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था। सही से विश्लेषण किया जाए तो किसी देश की ताकत केवल उसकी भौतिक सम्पत्ति में नहीं होती। देश को चाहिए महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लोग.

एल्बर्ट आइनस्टाइन ने पंडित नेहरू के बारे में कहा था कि उनकी किताब the discovery of India बहुत interesting लगी और marvellous लगी। सरदार पटेल एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनको नेहरू के हमेशा against रखा जाता है कि देखो नेहरू प्रधानमंत्री नहीं होते तो सरदार पटेल को प्रधानमंत्री होना चाहिए था। ये भी वैसे एक बहुत बड़ा झूठ है जो फैलाया जाता है कि अगर नेहरू प्रधानमंत्री नहीं होते सरदार पटेल प्रधानमंत्री होते। देश का क्या हो चुका होता। लेकिन असलियत क्या है इस आर्टिकल के जरिये आप समझ सकते हो।

देश में पहले चुनाव कब हुए? शायद 1952 में। सरदार पटेल का देहांत कब हुआ, 1950 में. फिर पटेल कैसे होते प्रधानमंत्री? अब ऐसा नहीं है कि सरदार पटेल जी और नेहरू जी के बीच में कोई disagreements नहीं थी बिल्कुल थी। लेकिन वो एक दूसरे के दुश्मन नहीं थे. वो एक-दूसरे की respect किया करते थे।

सरदार पटेल ने अभिनंदन ग्रन्थ में 1949 में एक open लेटर पब्लिश किया था। जवाहरलाल और मैं कांग्रेस के फेलो members रहे हैं। आजादी के संघर्ष में सिपाही रहे हैं। समय बीतने के साथ-साथ हमारा एक दूसरे के लिए स्नेह बढ़ता गया। अब जब हम दूर होते हैं, एक दूसरे से हमारी समस्याओं के लिए सलाह नहीं कर पाते। तब हम एक-दूसरे को कितना याद करते हैं लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। यानी सोचकर देखो सरदार पटेल लिख रहे थे कि वो कितना मिस करते थे, पंडित नेहरू को। दोनों कितना एक दूसरे को admire करते थे।

आपको कांग्रेस supporter होने की जरूरत नहीं है, पंडित नेहरू को admire करने के लिए। बस आपके पास थोड़ी respect होनी चाहिए, इंडिया के freedom struggle के लिए और कुछ factual knowledge होनी चाहिए कि actually में पंडित नेहरू ने कितनी contribution की थी as a प्राइम मिनिस्टर हमारे देश के लिए। बस इतनी सी चीज आप समझ लोगे, तो आप realize करोगे कि बीजेपी के politician होने के बावजूद भी आप पंडित नेहरु की तारीफ कर सकते हो। जैसे कुछ टाइम पहले यूनियन मिनिस्टर नितिन गडकरी ने पंडित नेहरू की तारीफ करी थी.

even हमारे फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर अटल बिहारी वाजपेयी नेहरू को याद किया था. उनकी तारीफ करी थी साउथ ब्लॉक में. नेहरू जी का एक चित्र लगा रहता था. मैं आते-जाते देखता था और जब मैं विदेश मंत्री बन गया तो एक दिन मैंने देखा कि गलियारे में टंगा हुआ नेहरू जी का फोटो गायब है. मैंने कहा ये चित्र कहां गया? कोई उत्तर नहीं दिया गया. वो चित्र वहाँ फिर से लगा दिया गया. लेकिन unfortunate ये है कि आज के दिन के कुछ politicians हैं जो इतने egoistic हैं, जलते हैं पंडित नेहरू से. क्या ही बताया जाए उनके बारे में हर चीज का दोष वो पंडित नेहरू पर डालते हैं, बदनाम करने की कोशिश करते हैं. उनके खिलाफ झूठे व्हाट्सएप्प forwards फैलाए जाते हैं. फर्जी खबरें फैलाई जाती हैं. यहाँ पर हम बस इतना ही कर सकते हैं कि अगली बार अगर आप किसी व्हाट्सएप मैसेज में नेहर जी के खिलाफ ये सारी चीजें सुने तो बस इस आर्टिकल का लिंक उस व्हाट्सएप ग्रुप में या मैसेज में फॉरवर्ड करें।

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