Shreya Patel Life Story: क्या आपने कभी सोचा है कि एक 14 साल की बच्ची कैसे अपने संघर्ष और मेहनत के बल पर टेलीविजन इंडस्ट्री में जगह बना सकती है? श्रेया पटेल की कहानी हमें यही सिखाती है।
साधारण से शुरू होकर अपने हुनर और मम्मी के सपने को पूरा करने की जिद ने श्रेया को आज वो मुकाम दिलाया है जिसे लोग बरसों की मेहनत के बाद हासिल करते हैं। उनकी प्रेरणादायक जर्नी, दिल को छू लेने वाली बातें और आगे बढ़ने का जज्बा वाकई काबिले-तारीफ है।
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Shreya Patel Life Story
बालिका वधु से पहचान मिली
श्रेया ने 10 साल की उम्र में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। पहले प्रोजेक्ट “संतोषी मां” में छोटे-छोटे रोल्स करते-करते श्रेया ने धीरे-धीरे इंडस्ट्री में अपनी जगह बनानी शुरू की। लेकिन असली पहचान उन्हें बालिका वधु 2 से मिली।
2000 बच्चियों में से चयनित होकर श्रेया इस सीरियल की लीड कास्ट में आईं। ऑडिशन के दौरान किस-किस तरह की बाधाएं आईं, यहां तक कि पैसे देकर रोल लेने की बातें भी हुईं, लेकिन उनकी मम्मी का मोटिवेशन और श्रेया की मेहनत ने उन्हें इस रोल तक पहुंचाया।
“बालिका वधु ने मेरी जिंदगी बदल दी,” श्रेया कहती हैं। इस शो ने न सिर्फ उनके करियर को ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि एक्टिंग का स्तर भी बेहतर किया।
मां बनीं सबसे बड़ी ताकत
श्रेया श्रेय अपनी मां को देती हैं। उनकी मां ने न सिर्फ उन्हें पढ़ाई में टॉप करवाया, बल्कि एक्टिंग में भी पीछे नहीं रहने दिया। लॉकडाउन के दौरान घर पर ही अपनी बेटी को एक्टिंग सिखाने वाली मां ने उसे हर बार खुद पर विश्वास करना सिखाया।
“मम्मी मुझे स्टोरी टाइप समझाती थीं। वो कहती थीं, रटना नहीं, समझो।” आज तक श्रेया अपनी मां को ही अपनी सबसे बड़ी गुरु और प्रेरणा मानती हैं।
संघर्ष, असफलता और सिखने का सफर
हर सफल कलाकार के पीछे असफलताओं की एक लंबी लिस्ट होती है। श्रेया की भी यही कहानी रही। कई ऑडिशन्स के बाद भी रोल्स न मिलना, मूवी से हाथ धोना, और फिर टीवी इंडस्ट्री में टिके रहना आसान नहीं था।
“मुझे अनुपमा में एक बड़ा रोल मिलने वाला था, मगर आखिरी समय में वो किसी और को दे दिया गया। उस दौरान मैंने एक मूवी भी छोड़ दी थी। ये बहुत दर्दनाक था, लेकिन मेरी मम्मी ने मुझे समझाया कि शायद इससे बेहतर मेरे लिए भगवान ने कुछ और सोचा होगा।”
अवार्ड्स और अचीवमेंट्स
श्रेया ने इंडियन टेलीविजन इंडस्ट्री का प्रतिष्ठित आईटी अवार्ड जीता। “स्टेज पर जब मेरा नाम बुलाया गया, अंदर से मैं रो रही थी। ये सब सिर्फ मम्मी-पापा की वजह से था।”
ध्रुवतारा, जय हनुमान, शिवशक्ति जैसे शोज में काम करने के बाद उन्होंने म्यूजिक एल्बम्स और मॉडलिंग की दुनिया में भी कदम रखा।
“शूटिंग और प्रिंट शूट्स में दोनों का मजा अलग है। डेली सोप्स में आपका पूरा दिन लग जाता है, जबकि प्रिंट शूट्स कम समय में हो जाते हैं। लेकिन हर काम से कुछ न कुछ सिखने को मिला।”
समाज के लिए सपने
श्रेया सिर्फ अपनी कामयाबी तक सीमित नहीं रहना चाहतीं। वह गरीबों के लिए घर बनाना चाहती हैं। “मैंने हमेशा मम्मी से कहा था कि बड़े होकर गरीबों के लिए कुछ करूंगी। उनके लिए भोजन, छत और प्यार दे पाना मेरा सपना है।”
उनकी यह सोच बचपन की परिस्थितियों से ही बनी। वॉशरूम तक न होने वाले घर से शुरू कर दो फ्लैट्स खरीदने तक का सफर वाकई प्रेरणा देता है।
सोशल मीडिया और लोकप्रियता
श्रेया सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। “रील्स बनाना न सिर्फ मजेदार है, बल्कि इससे आपकी एक्टिंग और सोशल मीडिया प्रेजेंस दोनों बेहतर होती हैं।”
लोगों के साथ हमेशा कनेक्ट रहना और अपने फैंस का प्यार पाना श्रेया के लिए खास है।
भविष्य की योजनाएं
श्रेया का सपना है बड़ी एक्ट्रेस बनकर अपनी मम्मी के सभी सपने पूरे करना। साथ ही, गरीबों की मदद के लिए काम करना।
“मुझे डेली सोप्स ज्यादा पसंद हैं। वो एक परिवार जैसा माहौल देते हैं और शूटिंग खत्म होने के बाद भी वो बॉन्ड बना रहता है।”
अंतिम शब्द
श्रेया पटेल सिर्फ एक बच्ची नहीं, बल्कि मेहनत, जज्बे और उम्मीद की मिसाल हैं। उनकी कहानी न सिर्फ हमें प्रेरित करती है, बल्कि यह सिखाती है कि सपने देखना और उन्हें पूरा करना नामुमकिन नहीं है।
उनकी सफलता उनकी मां के सपनों और अपने काम के प्रति ईमानदारी का परिणाम है। आज वो न सिर्फ प्राइमटाइम का चेहरा हैं, बल्कि लाखों दिलों की प्रेरणा भी हैं।
“दुनिया कुछ भी कहती रहे, अगर आपके दिल को खुशी मिल रही है, तो बस वही करते जाओ।” – श्रेया पटेल
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