Sandeep Laad & Dog Training: डॉग ट्रेनिंग पर चर्चा अक्सर नए पालतू जानवर रखने वालों तक ही सीमित रहती है। लेकिन क्या बड़े और व्यवहारिक तौर पर चुनौतीपूर्ण डॉग्स को ट्रेन करना मुमकिन है? हां, बिल्कुल मुमकिन है। संदीप लाड, 23 साल के अनुभवी डॉग ट्रेनिंग विशेषज्ञ, इस बात पर जोर देते हैं कि हर डॉग, चाहे उसकी उम्र या स्वभाव कोई भी हो, एक बेहतर और प्रशिक्षित व्यवहार सीख सकता है। यह सब निर्भर करता है ट्रेनर की समझ, सही तकनीक और पेट पेरेंट्स के धैर्य पर।
Sandeep Laad & Dog Training

क्या बड़े डॉग्स को ट्रेन करना संभव है?
अगर आपके डॉग की उम्र ज्यादा हो गई है, और आप सोच रहे हैं कि ट्रेनिंग अब देर हो चुकी है, तो यह सही नहीं है। बड़े डॉग्स भी ट्रेन हो सकते हैं। चाहे डॉग की उम्र सात साल क्यों न हो, उसकी जिंदगी का अच्छा खासा हिस्सा बाकी रहता है। सही ट्रेनर के पास अनुभव और तकनीक होनी चाहिए ताकि हर प्रकार के व्यवहार को सही दिशा दी जा सके। उम्र यहां बाधा नहीं है; ट्रेनिंग का माहौल और प्रक्रिया अहम है।
आक्रामक डॉग्स के लिए ट्रेनिंग
जो डॉग बहुत आक्रामक होते हैं और काटने जैसी घटनाएं कर चुके होते हैं, उनके ट्रेनिंग में विशेष ध्यान देना पड़ता है। इन्हें अक्सर बोर्डिंग और लॉजिंग सेटअप में ट्रेन किया जाता है। इस तरह के डॉग्स को निरंतर निगरानी और सही माहौल में रखा जाता है ताकि उनका व्यवहार स्थिर किया जा सके।
आक्रामकता को समझना बेहद जरूरी है। अग्रेसन या तो जीन्स में हो सकता है, या फिर वह मानव निर्मित परिस्थितियों का नतीजा हो सकता है। ट्रेनर का रोल यहां इन्वेस्टीगेटर का होता है। इसलिए ट्रेनर और पेट पेरेंट दोनों को धैर्य और सहयोग से काम लेना चाहिए।
डॉग्स के व्यवहार और ट्रेनिंग का विज्ञान
डॉग्स और इंसानों का कनेक्शन
डॉग्स स्वाभाविक रूप से इंसानों को समझते हैं। वे आपकी ऊर्जा और हावभाव पढ़ सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, डॉग्स को पता होता है कि परिवार में कौन उनका ‘अल्फा’ है। वे बड़े-बुजुर्गों को सम्मान देते हैं, जबकि बच्चों के साथ वे प्लेमेट की तरह व्यवहार करते हैं।
डॉग्स के बिहेवियर को बदलने की प्रक्रिया
डॉग्स को समझने और उनके साथ सही तरह से दोस्ती बनाने में समय लगता है। एक प्रशिक्षित ट्रेनर पहले डॉग्स के ट्रिगर्स और उनकी आरामदायक स्थिति पहचानता है। हर डॉग का व्यक्तित्व अलग होता है, और इसी आधार पर ट्रेनिंग प्रक्रिया तय की जाती है।
डॉग्स को सही आदतें सिखाने के लिए ट्रेनिंग टूल्स का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, जैसे क्लिकर और स्पेसिफिक कॉलर्स। साथ ही, उनकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को सही गतिविधियों में खर्च कराना भी ट्रेनिंग का अहम हिस्सा है।
डॉग्स का सही खान-पान और पोषण
एक डॉग का पोषण उसके स्वास्थ्य और व्यवहार में अहम भूमिका निभाता है। डॉग्स को ज्यादा नमक, मसालेदार खाना, या फास्ट फूड जैसा कुछ नहीं दिया जाना चाहिए। उनकी डाइट ऐसी होनी चाहिए जो उनकी दैनिक कैलोरी और प्रोटीन की जरूरतें पूरी करे।
डॉग्स को ज्यादा बार खाने की आदत डालना गलत है। उन्हें भूख का एहसास होना चाहिए, जिससे उनका मेटाबॉलिज्म और खाने के प्रति रुचि बनी रहे। सही न्यूट्रिशनल प्लान के साथ, डॉग्स को एक्टिव और फिट रखा जा सकता है।
भारत में डॉग ट्रेनिंग और कल्चर का विकास
भारतीय समाज में डॉग ट्रेनिंग और पेट एजुकेशन बाकी देशों की तुलना में अभी भी पीछे है। उदाहरण के तौर पर, सर्विस डॉग्स जैसे कॉन्सेप्ट यहां बहुत कम देखने को मिलते हैं। हालांकि, कोविड के बाद इस क्षेत्र में काफी रुचि बढ़ी है।
डॉग्स को सिर्फ पालतू जानवर के रूप में नहीं, बल्कि थेरेपी, सर्विस और गार्ड के रूप में ट्रेन करना भी संभव है। इसके लिए पेट पेरेंट्स और ट्रेनर्स को मिलकर एक सपोर्टिव कम्युनिटी बनानी होगी।
अनुभव जो सिखाते हैं
संदीप लाड ने कई मुश्किल डॉग्स का व्यवहार बदलते हुए यह साबित किया है कि सही ट्रेनिंग से हर डॉग बेहतर बन सकता है। उनके अनुभव में सबसे चुनौतीपूर्ण डॉग्स भी धीरे-धीरे शांत और प्रशिक्षित हो गए।
एक किस्सा यादगार है, जिसमें एक बड़े और आक्रामक जर्मन शेफर्ड को सुधारते हुए उन्होंने छह महीने में उसकी आक्रामकता को नियंत्रित किया। ऐसे केस में धैर्य और सही ट्रेनिंग प्रोसेस का महत्व और भी बढ़ जाता है।
ट्रेनिंग का सबसे बड़ा रिवॉर्ड
संदीप लाड के अनुसार, हर दिन डॉग्स के साथ बिताए पल उनका सबसे बड़ा रिवॉर्ड हैं। डॉग्स के बिना शर्त प्यार और स्वागत का जो अनुभव है, वह न केवल एक ट्रेनर के लिए, बल्कि पेट पेरेंट्स के लिए भी बेहद खुशी का स्रोत बनता है।
निष्कर्ष
डॉग ट्रेनिंग सिर्फ कमांड सिखाने का काम नहीं है। यह डॉग्स और पेट पेरेंट्स के बीच भरोसा और प्यार का एक सेतु है। हर डॉग, चाहे उसकी उम्र ज्यादा हो या वह आक्रामक हो, सही ट्रेनिंग की मदद से बेहतर बन सकता है।
अगर आप भी अपने डॉग्स को समझना और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शित करना चाहते हैं, तो सबसे जरूरी है धैर्य, सही तकनीक और एक अनुभवी ट्रेनर की मदद। डॉग्स हमें सिखाते हैं कि प्यार और निष्ठा का रिश्ता कितना गहरा हो सकता है, और यही हमें उनके साथ रहने से सीखना चाहिए।
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