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नेहा सिंह राठौर: आवाज़ जो सत्ता से सवाल करती है, Neha Singh Rathore Life Story

Neha Singh Rathore Life Story

Neha Singh Rathore Life Story: नेहा सिंह राठौर का नाम सुनते ही एक निडर, बेबाक और साहसी लड़की का चेहरा सामने आता है। वह न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश में एक ऐसी आवाज़ बन चुकी हैं, जो सरकार से सीधे सवाल पूछने का साहस रखती हैं। उनका सफर, संघर्ष और बुलंदी पर पहुंचने की कहानी हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है, जो बदलाव लाना चाहती है।

Neha Singh Rathore Life Story

बचपन और शुरुआती संघर्ष

नेहा का बचपन बिहार के एक साधारण परिवार में बीता। लेकिन यह बचपन साधारण नहीं था। लड़कियों के लिए जो सीमाएं बांध दी जाती हैं, नेहा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उनके भाई को पढ़ाई के लिए शहर भेजा जाता था, जबकि उन्हें गाँव में रहने को कहा गया। घर में होने वाले छोटे-छोटे भेदभाव, जैसे ज्यादा घी भाई की दाल में पड़ना, नेहा को तभी से खलता था। इन अनुभवों ने उनकी सोच को विद्रोही और सवाल करने वाला बना दिया।

नेहा ने साझा किया कि वह हमेशा से अपने अधिकारों के लिए लड़ती रहीं। भाई को ड्राई फ्रूट्स मिलता था, लेकिन नेहा को नहीं। खीर का हिस्सा भी भाई के लिए रखा जाता था। इन सबने उनके अंदर एक गहरी टीस पैदा की और शायद यही कारण रहा कि वह हर गलत चीज़ के खिलाफ सवाल करने का साहस रखती हैं।

शिक्षा और करियर का सफर

नेहा ने बीएससी की पढ़ाई की, लेकिन पारंपरिक रास्ता अपनाने से मना कर दिया। जब परिवारवालों ने बीएड करने का दबाव डाला, तो नेहा ने इसे साफ मना कर दिया। उनका कहना था कि वह भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहतीं।

करियर की शुरुआत में उन्हें भोजपुरी संगीत ने अपनी ओर खींचा। लेकिन उनकी सोच बाकी भोजपुरी गायकों से बिल्कुल अलग थी। उन्होंने अश्लील गानों के बजाय समाजिक मुद्दों पर गाने लिखने और गाने का निर्णय लिया। ‘हमरा प्रेम के निशानी दिखाई द पिया, शौचालय बनाई द पिया’ उनका पहला गीत था, जिसने जनता का ध्यान खींचा। उन्होंने अपनी आवाज़ से साफ-सफाई और स्वच्छता जैसे मुद्दों को गानों में पिरोया।

राजनीति और समाज पर सवाल

नेहा के गाने सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं हैं। उन्होंने शिक्षा, बेरोजगारी, महंगाई, और पलायन जैसे मुद्दों पर सरकार से सीधे सवाल पूछे। ‘यूपी में काबा’ और ‘बिहार में काबा’ जैसे गानों ने आम जनता का दिल जीत लिया। लेकिन इसके पीछे उन्हें सरकार की ओर से एफआईआर और समाज की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।

उन्होंने बताया कि कैसे उनके पति हिमांशु की नौकरी छीन ली गई, सिर्फ इसलिए क्योंकि नेहा ने सवाल पूछे। हिमांशु ने नेहा का हर कदम पर साथ दिया। अपनी खेती और छोटे संसाधनों में ही दोनों ने खुश रहना सीखा।

महिलाओं के अधिकार और भोजपुरी समाज से नाराज़गी

नेहा ने साफ कहा कि भोजपुरी में अश्लील गाने महिलाओं के खिलाफ ज़हर बोने का काम कर रहे हैं। उन्होंने मनोज तिवारी और रवि किशन जैसे लोकप्रिय गायकों से भी सवाल पूछे कि आखिर उन्होंने भोजपुरी समाज को क्या दिया। नेहा का मानना है कि इस संगीत ने समाज की सोच को गिराया है।

उनके गीत केवल लेखन नहीं, बल्कि उनकी गहरी नाराज़गी का प्रतीक हैं। ‘लहंगा रिमोट से उठाएंगे’ जैसे गानों को सुनकर समाज का हर व्यक्ति असहज महसूस करता है। नेहा ने चुनौती दी कि भोजपुरी समाज को साफ और सशक्त संगीत चाहिए।

परिवार और शादी की कहानी

नेहा और हिमांशु की प्रेम कहानी किताबों जैसी लगती है। दोनों बुक फेयर में मिले, कविताओं का आदान-प्रदान हुआ और धीरे-धीरे यह प्यार शादी तक पहुंचा। नेहा ने बताया कि उनके परिवार में परिस्थिति बहुत तनावपूर्ण थी, लेकिन हिमांशु ने हमेशा उनका साथ दिया।

नेहा कहती हैं कि हिमांशु उनके जीवन का स्तंभ हैं। जब नेहा पर एफआईआर दर्ज हुई और सामाजिक बायकॉट जैसी मुश्किल स्थिति आई, तब हिमांशु ने उन्हें संभाला।

कलात्मक संघर्ष और सफलता

नेहा के गीत समाज के मुद्दों को आवाज़ देते हैं। ‘बिहार में काबा’ से लेकर बेरोजगारी और पलायन पर उनका हर गीत समाज की हकीकत को सामने लाता है। वह लिखने को एक कला नहीं, बल्कि अपनी प्रतिक्रिया का माध्यम मानती हैं।

उनका कहना है, “अगर मेरे गानों का कोई असर नहीं होता, तो एफआईआर क्यों होती? योगी जी को विधानसभा में जवाब क्यों देना पड़ता?” यही उनकी सफलता का मापदंड है।

नेहा के जीवन के हिस्से जो प्रेरणा देते हैं

  • साहस और विद्रोह
    अपनी लड़ाइयों को हारने के बजाय, नेहा ने हर मोर्चे पर डटकर सामना किया।
  • परिवार का दबाव
    परिवार का समर्थन न होने पर भी नेहा ने अपनी पहचान खुद बनाई।
  • लोक गायिका का सफर
    उन्होंने अश्लीलता की जगह सामाजिक मुद्दों को चुना, जिससे भोजपुरी संगीत को नई पहचान मिली।
  • सच बोलने की हिम्मत
    चाहे सरकार हो, समाज हो या परिवार, नेहा ने हर जगह सच बोला।

बिहार और नेहा का रिश्ता

नेहा कहती हैं कि बिहार उनका नैहर है। बिहार ने उन्हें बनाया है, लेकिन जब वह मजदूरों को ट्रेन पकड़ते या बाहर काम करने जाते देखती हैं, तो उनका दिल टूट जाता है। वह मानती हैं कि बिहार की स्थिति में सुधार की सख्त जरूरत है।

निष्कर्ष

नेहा सिंह राठौर सिर्फ एक लोक गायिका नहीं हैं। वह सवालों की आवाज़ हैं और बिहार की शान। उनका जीवन यह सिखाता है कि अपने सपनों के लिए संघर्ष करना हमेशा मायने रखता है। नेहा जैसी बेटियां ही बदलाव लाती हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती हैं।

क्या आप भी नेहा की तरह अपने जीवन में बदलाव लाने की सोच रहे हैं? आपके विचार हमें कमेंट्स में ज़रूर बताएं।

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