अडानी और मोदी के दोस्ती की आपराधिक कहानी, Adani and Modi Friendship:The Full Story of Fraud Allegations

Adani and Modi Friendship

Adani and Modi Friendship: हिंडनबर्ग रिपोर्ट को निकले एक महीने से ज्यादा हो चुका है लेकिन अभी भी एक के बाद एक नए आरोप लगते जा रहे हैं अडानी ग्रुप के ऊपर। कुछ दिन पहले की ही बात है विकिपीडिया ने आरोप लगाया कि अडानी के ऊपर ये कहते हुए कि अडानी ने अपने विकिपीडिया pages को manipulate किया, फर्जी accounts और undeclared paid editors का इस्तेमाल करके।

इससे पहले recently पार्लियामेंट में भी इसकी चर्चा हुई जब कांग्रेस लीडर राहुल गाँधी और टीएमसी लीडर महुआ मोइत्रा ने सवाल किए प्रधानमंत्री मोदी से उनके Adani के साथ alleged रिश्ते को लेकर। यहाँ एक photo भी दिखाई गयी Parliament में प्रधानमंत्री Modi की Adani के साथ जिसको लेकर काफी हल्ला मचा और बाद में Rahul Gandhi के remarks को Parliament के record से हटा भी दिया गया. आखिर क्या है ये आरोप और कितना सच है इनमें आइए आज के इस स्टोरी में जानने की कोशिश करते है.

Adani and Modi Friendship

Adani and Modi Friendship:अडानी और मोदी के दोस्ती की आपराधिक कहानी

सबसे पहले यहाँ पर एक चीज mention करनी बहुत जरुरी है. ये पहली बार तो नहीं है कि किसी बड़े corporate group के खिलाफ बड़े-बड़े आरोप लगाए जा रहे हो. इससे पहले हमें देखने को मिला Harshad Mehta scam, सत्यम स्कैम, सहारा स्कैम, विजय माल्या के ऊपर ऐसे आरोप लगाए गए, ललित मोदी के बारे में कहा गया, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और अगर हम corporate groups और individuals को एक साइड रख भी दें तो सरकार के ऊपर भी ऐसे ही आरोप पहले भी लगे हैं.

कांग्रेस के सरकार में कहा गया Bofors scam, AgustWestland scam, 2G spectrum scam, commonwealth का scam. लेकिन इस बार जो हो रहा है वो शायद देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है। ये पहली बार है कि किसी alleged scam में जनता के पैसे डूबे हो और जनता में से कुछ लोग खड़े होकर investigation demand करने की जगह उस कंपनी को या सरकार को ही defend करने के लिए खड़े हो गए।

ट्विटर पर trend चलाया जाता है hashtag I stand with adani अब मतलब ये जो लोग अडानी के favour में खड़े हो रहे हैं. ये अडानी के employees होते या अडानी के stock में जिन लोगों ने invest किया है वो लोग होते तो समझ में आती है फिर भी कुछ हद तक बात. लेकिन कुछ लोग ऐसे जो ना तो अडानी के employees है ना ही अडानी के stock holders है.

फिर भी अडानी को defend करने के लिए सबसे पहले आगे खड़े होते है. क्या आप imagine कर सकते हो विजय माल्या के case में किसी ने hashtag चलाया होता I stand with विजय माल्या। सोचो कोई बंदा commonwealth scam के केस में कांग्रेस को defend करें और कहे कि नहीं investigation नहीं होनी चाहिए।

यहाँ पे सवाल पूछना बंद करो, यहाँ पर कुछ गलत नहीं है. इसलिए मुझे लगता है यहाँ पर सबसे बड़ा स्कैम तो लोगों के दिमाग के साथ किया गया है। मतलब basic logic, common sense और democracy की basic understanding को खत्म कर दिया गया है। ये लोग कहते हैं कि अडानी पर सवाल मत करो. क्योंकि अडानी एक इंडियन बिजनेसमैन है, अडानी ग्रुप ने इतनी सारी नौकरियां दी हैं। इंडिया की development में हाथ बटाया है, क्या इस बात का कोई sense बना? थोड़ी-सी understanding के लिए समझ लेते हैं कि अडानी ग्रुप का actually में contribution क्या रहा है?

जॉब देने के मांमले में अडानी कितना आगे

पहले jobs देख लेते हैं, अडानी एक समय पर इंडिया के रीचेस्ट आदमी थे, एशिया के रिचेस्ट आदमी थे in fact दुनिया के सेकंड richest आदमी थे। उस वक्त इनकी net worth twelve पॉइंट four four lakh करोड़ rupees थी. हिंडेनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद बहुत घटी है, ये net worth लेकिन अभी भी जिस वक़्त मैं स्टोरी लिख रहा हूँ ब्लूम्बर्ग के according इनकी net worth बताई जाती है four point three lakh करोड़ rupees

इतने अमीर आदमी, इतनी सारी कंपनियां इनके अंदर है तो इनकी सारी कंपनियां बहुत सारे लाखों लोगों को jobs दे रही होंगी ना सोचकर तो यही लगेगा। लेकिन अडानी की खुद की वेबसाइट के aacording अडाणी ग्रुप करीब 23 हजार लोगों को employee करता है. सिर्फ 23 हजार jobs. लेकिन आप कहोगे शायद कि fair comparison नहीं है. हमें बाकी और प्राइवेट कंपनी से ही compare करना चाहिए तो वो भी कर लेते हैं.

नंबर one private कंपनी जो सबसे ज्यादा jobs provide करती है इंडिया में वो है टाटा ग्रुप की कंपनीज, नौ लाख से ज्यादा जॉब्स। फिर है इंफोसिस तीन लाख से ज्यादा जॉब्स। रिलायंस इंडस्ट्रीज दो लाख छत्तीस हजार जॉब्स। विप्रो दो लाख इकतीस हजार जॉब्स। अडाणी कंपनी का नाम यहाँ पर टॉप twenty five की लिस्ट में भी नहीं आता.

अपनी सरकारी कंपनी कॉल इंडिया लिमिटेड को देख लीजिए two पॉइंट seven lakh employees. इंडियन रेलवेज twelve पॉइंट five lakh employees. अमूल जैसी कंपनी livelihood provide करती है छत्तीस लाख किसानों को. overall agriculture के सेक्टर में पंद्रह करोड़ से ज्यादा लोग employed है तो numbers देखोगे कोई इतना बड़ा contribution नहीं है अडानी ग्रुप का इंडिया में jobs देने में.

टैक्स देने में अडानी कितने नंबर पर

दूसरा चलो jobs नहीं शायद, taxes में तो बड़ा contribution होगा। क्योंकि इतनी बड़ी networth है। business today के द्वारा compile की गई इंडिया की टॉप ten टैक्स payers companies की लिस्ट देख लीजिए। टॉप पर है reliance, फिर एसबीआई, फिर टीसीएस, एचडीएफसी बैंक, वेदांता, जेएसडब्ल्यू स्टील, इंडियन oil corporation, टाटा स्टील, एलआईसी, इन्फोसिस, कॉल इंडिया। यहाँ पर अडानी का नाम तो कहीं नहीं दिख रहा।

अडानी के कंपनियों का नेट वर्थ और प्रॉफिट

कई लोगों ने ये चीज point आउट करी है कि इंडिया के सबसे अमीर आदमी है. लेकिन इनकी companies टॉप ten टैक्स payer companies में भी नहीं आती। ऐसा कैसे हो सकता है? इसकी एक explanation ये हो सकती है कि टैक्स लगाया जाता है profit के basis पर ना कि net worth के basis पर. तो चलो profit को ही देख लेते हैं।

money control com के according, अडानी enterprises का profit 12 महीने के लिए मार्च 2022 में था एक हजार एक सौ तेरह करोड़ रुपए। यहाँ कुछ अजीब नहीं लग रहा आपको कि जितनी ये बाकी सारी companies टैक्स देती हैं। उतना अडानी का profit भी नहीं है।

अगर इनका बिजनेस इतना profitable नहीं है तो इनकी valuation इतनी ज्यादा क्यों है? क्या इनकी किसी कंपनी ने कोई ग्राउंड ब्रेकिंग innovation करी या कोई ऐसी technology बनाई जिसे बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा हो, जैसे कि एप्पल, गूगल, फेसबुक, टेसला जैसी companies हो गई। लेकिन देखकर ऐसा भी नहीं लगता।

तो ऐसा क्यों है? इनका जवाब शायद कहीं इन आरोपों में ही तो नहीं छुपा। आइए अब एक-एक करके दोस्तों इन सारी नई allegations को देखते हैं। specially वो allegations जो इंडियन parliament में लगाई गई।

अडानी ग्रुप का लैंड स्कैम

सबसे पहला आरोप है land scam का। ये उस समय की बात है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के chief minister थे। उस वक्त गुजरात में अलग-अलग industrial groups को जमीन की जरूरत थी. अलग-अलग projects करने के लिए तो उन्होंने जमीन खरीदी। जैसे कि K Raheja Corporation ने जमीन खरीदी चार सौ सत्तर रुपए per square meter के हिसाब से.

मारुती सुजुकी को जमीन मिली छह सौ सत्तर रूपए per square meter के हिसाब से. Ford India, Tata Motors, TCS ने करीब एक हजार एक सौ रूपए दिए per square meter. Torrent Power ने छह हजार रूपए दिए per square meter.

लेकिन जब अडानी ने अपनी जमीन खरीदी port बनाने के लिए तो उन्हें ये जमीन मिली सिर्फ 32 रूपए per square meter में और ये maximum था. कुछ जगहों पर इस जमीन का प्राइस एक रूपए per square meter तक था. ये मैं अपने मन से बनाकर नहीं बोल रहा हूँ, 26 अप्रैल दो हजार चौदह का business standard का article है पढ़ सकते हो.

“Adani group got land at cheapest rates in Modi’s Gujrat”

तो आरोप यहाँ पर ये कि जमीन घोटाला हुआ. इसके बाद अप्रैल दो हजार पंद्रह में CAG ने अपनी गुजरात assembly में रिपोर्ट दिखाई। इन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने forest land को सही तरीके से classify नहीं किया। जिसकी वजह से करीब fifty eight point six four crore rupees का benefit पहुंचा गौतम अडानी promoted मुंद्रा port को। ये चीज हुई साल 2008-09 में।

इसके बाद दो हजार बाईस में public accounts committee ने same चीज को दुबारा दोहराया। इन्होंने कहा कि classification करी जानी थी जमीन की eco class two लेकिन इसे classify किया गया eco class four जिसकी वजह से सरकार को fifty-eight point six seven करोड़ rupees का नुकसान हुआ और सरकार के पैसे का नुकसान मतलब जनता के पैसे का नुकसान।

अडानी पर आरोप है जंगल की जमीन का दुरुपयोग करना

दूसरा आरोप है forest की जमीन का दुरुपयोग किया जाना। Narendra Modi प्रधानमंत्री बने मई दो हजार चौदह में और Times of India की ये report देखिए October दो हजार चौदह की

“Centre clears three seventy acre forest land for Adani’s Power Projects in Maharashtra”

ये हुआ Maharashtra में. इसके बाद 2018 में और hundred and forty-two hectares जमीन को sanction किया गया. इस बारी center गवर्नमेंट और state गवर्नमेंट दोनों के द्वारा और दोनों को उस वक्त बीजेपी के द्वारा head किया जा रहा था। forest department ने response में कहा कि ये जो forest जमीन demand करी गई है इनके द्वारा ये barest minimum है और इस जमीन को दिए जाने से employment बढ़ेगी।

आप पूछोगे कितनी employment? तो इन्होंने कहा कि सौ local residents को jobs मिलेंगी और indirect 250 residents को total में three hundred fifty jobs मार्च दो हजार अठारह में ही अडाणी group को in principle approval मिला। करीब एक हजार पांच सौ पचास hectares forest land use करने का. Mundra special economic zone के लिए forest advisory committee ने इस चीज को लेकर कहा कि ये forest land जो है ये non forest use के लिए इस्तेमाल किया जाएगा ज्यादातर इसमें से.

अडानी का एयरपोर्ट घोटाला

तीसरा आरोप है यहाँ पर airport घोटाले का आरोप November 2018 में cabinet 6 airports के privatization को approve करता है. यहाँ पर airports का privatization कराया जाना अपने आप एक चर्चा का मुद्दा है. ये भी सवाल उठाना चाहिए यहाँ पर कि जो airport profit कमा रहा हो. अच्छा खासा profitable business हो सरकार के लिए उसे क्यों privatize किया जाता है. जब तक कोई organization सरकार के under है और profit कमा रही है तो उसका profit जाता है सरकार के पास. जिसे जनता की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

लेकिन अगर उसे privatize कर दिया जाएगा तो उसका profit सिर्फ एक corporate company के पास जाएगा और फायदा भी उसी को ही होगा पहले excuse दिया जाता था कि जो loss making public companies हैं उन्हें privatize किया जा रहा है, चलो loss making में बात समझ में आती है। लेकिन ONGC का example लीजिए, financial year 2021-22 में. उन्होंने forty thousand करोड़ का net profit रिकॉर्ड किया था।

इंडिया की second most profitable company बन गई थी, reliance industry के बाद. लेकिन फिर भी सरकार ओएनजीसी को कहती है कि ऑइल और गैस fields को privatize करो। anyways ये अपने आप में ये एक बहुत बड़ा मुद्दा है, अभी एयरपोर्ट की privatization पर आए तो नवंबर दो हजार अठारह में एक कमेटी बनाई गई, public प्राइवेट partnership appraisal committee. इस कमेटी का काम था क्राइटेरिया decide करना कि privatization के वक्त एयरपोर्ट किसे दिए जाएंगे?

इस कमेटी ने दो decisions लिए पहला कि जो भी कंपनी इन एयरपोर्ट्स को खरीदेगी उन्हें पहले से कोई experience होने की जरूरत नहीं है इस field में और दूसरा कोई restriction नहीं है कि एक कंपनी कितने एयरपोर्ट की bidding कर सकती है? तो इसके बाद हुआ क्या कि सारे के सारे छह एयरपोर्ट्स अडानी के पास गए और अडानी कंपनी के पास कोई previous experience भी नहीं था एयरपोर्ट चलाने का।

अब ये रिपोर्ट किया जाता है दोस्तों कि जब ये हुआ था. तब finance ministry और नीति आयोग ने अपने concerns raise किए थे. इसके against इन्होंने कहा था कि ये बड़ी financial risk हो सकती है एक ऐसे bidder के हाथ में airports दे देना जिसके पास कोई पहले का experience नहीं है airports handle करने का.

इससे performance issues आ सकते हैं. services की quality को compromise किया जा सकता है. लेकिन इन objections को over rule किया गया और अडानी को ये छह एयरपोर्ट मिले। अब इसी alleged एयरपोर्ट घोटाले की category में एक और भी alleged scam है। मुंबई एयरपोर्ट का हाईजैक होना वैसे ये सारे आरोप मैं खुद से नहीं लगा रहा हूँ इन सब allegations को. ये आरोप लगाया गया था opposition leaders के द्वारा पार्लियामेंट में. बस बात ये है.

दोस्तों आप इनके बारे में detail में इसलिए नहीं जानते क्योंकि मीडिया में इसकी कोई बात नहीं होती तो बात कुछ ऐसी है कि मुंबई एयरपोर्ट कंट्रोल में था gvk ग्रुप के under. 28 जुलाई 2020 enforcement डायरेक्टरेट रेड करती है इस gvk ग्रुप के मुंबई और हैदराबाद के ऑफिसेस पर. साथ ही साथ मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के ऑफिस पर रेड डाली जाती है जो कि एक joint venture था जो इस एयरपोर्ट को चलाने लग रहा था।

इस रेड के करीब एक महीने बाद 1 सितम्बर 2020 को अडानी ग्रुप seventy four percent stake acquire कर लेता है मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट का. 74% stake में 50.5% stake जीवीके ग्रुप का था जो पूरा अडानी के हाथों गया. सवाल ये उठाया गया कि क्या ये सहयोग है या कोई प्रयोग है?

दिसंबर 2021 में मिनिस्टर of state for civil aviation general वीके सिंह ने राज्यसभा को बताया कि total आठ एयरपोर्ट जो public private partnership के under है. उनमें से 7 एयरपोर्ट्स adani enterprises के द्वारा run किए जाते हैं। मार्च 2022 में एसबीआई, अडानी की नवी मुंबई एयरपोर्ट की सारी डेट को under write कर देता है। 12770 करोड़ रूपए की debt। अब आप यहाँ पूछेंगे under write का मतलब क्या होता है?

तो आइए dictionary definition देख लेते हैं। if a bank or other organisation under write activity. It gives its financial support and takes responsibility for paying any cost if it fails यानी बैंक अपनी तरफ से financial सपोर्ट provide कर रहा है और खुद ही responsibility उठा रहा है. अगर ये फेल हुआ तो बैंक ही कॉस्ट bear करेगा। बहुत ही अच्छा गोल्डन ऑफर इसे कहा जाएगा।

अडानी का कोयला घोटाला

चौथा आरोप यहाँ पर लगाया गया है alleged coal घोटाला। opposition leaders ने alleged किया कि प्रधानमंत्री मोदी जब foreign countries के दौरों पर जाते हैं वो इंडिया के benefit के लिए काम नहीं करते वो अडानी के बेनिफिट के लिए काम करते हैं. दिलचस्प बात ये है कि ऐसे आरोप सिर्फ opposition leaders नहीं लगा रहे हैं बल्कि बीजेपी के कुछ leaders भी लगाने लग रहे हैं।

बीजेपी के leader Subramanian Swamy ने एक chronology share करी थी। हमारी research team ने इन सारे news articles को verify किया है. ये है कि नहीं ये सारे सच है. ये chronology दिसंबर 2021 अडाणी ग्रुप अपनी ऑस्ट्रेलिया की coal mine से coal को export करना शुरू करता है। इस coal mine को लेकर वैसे protest भी हुए थे climate activist के द्वारा। मई 2022 इंडिया में सरकार coal पर लगाई import duty को cut कर देती है।

2.5% से लाकर जीरो परसेंट कर दिया जाता है। जून 2022 में मोदी सरकार कोल इंडिया से कहती है कि रेडी रहो यहाँ पर 12 मिलियन टन कोयला इम्पोर्ट करने के लिये। जून 2022 एनटीपीसी 8300 करोड़ के कॉल इंपोर्ट टेंडर्स को award कर देती है, अडानी enterprises को. क्या ये संयोग है या प्रयोग है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दो और important reports miss out कर दी। मई 2022 power plants को allow किया जाता है इंडिया में कि वो blended कॉल इस्तेमाल कर सके. जिसमें 30% imported coal मिला हो। until मार्च next year बिना buyer states का consent लिए.। 26 मई को एक emergency cold blending order पास किया जाता है इसके लिए under सेक्शन 11 electricity act.

जुलाई के महीने में कांग्रेस leader गौरव बल्ला इस चीज के against concern raise करते हैं, कहते हैं कि सरकार अपने दोस्तों के benefit के लिए काम कर रही है. अगस्त 2022 इस order को वापस ले लिया जाता है। लेकिन जनवरी 2023 Central Government Power Generation Company से कहती है कि वो imported coal का blend use करें upto 6% of the requirement in September.

अब इस पूरी कहानी में एक major point मैंने miss out कर दिया। सरकारी officials ने खुद ही new Indian Express को बताया था कि जो domestic coal है, जो कोयला इंडिया के अंदर से आता है उसकी कीमत होती है around one thousand seven hundred to two thousand rupees per ton. लेकिन जो कोयला अडानी के द्वारा import किया जा रहा है उसकी कीमत पड़ती है 17000 रुपए से लेकर 20000 रुपए per ton यानी public सेक्टर companies को imported कोयला use करने के लिए कहा जाए तो दस गुना कीमत उन्हें pay करनी पड़ रही है।

वैसे यहाँ पर अगर आप पुराने alleged scams के बारे में भी detail में जानना चाहते हैं जैसे कि alleged 2G spectrum scam, commonwealth scam. exactly क्या हुआ था उन scam में क्यों उन्हें घोटाला कहा जाता है?

ऐसी ही एक और chronology देखते हैं जो श्रीलंका से related है, मई 2019 इंडिया, जापान और श्रीलंका की सरकारें एक memorandum of corporation sign करती हैं। east container terminal की development के लिए। ये कोलंबो port में होगा। बड़ी अच्छी चीज़ है. फरवरी 2021, श्रीलंका इस 2019 की ईसीटी एग्रीमेंट को कैंसिल कर देता है। इंडिया और जापान इतने खुश नहीं होते। इसे देखकर अगले महीने मार्च 2021 श्रीलंका terminal बदल देता है. east container terminal से West Container Terminal.

लेकिन फिर ये कहता है कि ये एक joint public private partnership project होगा जो कि किया जाएगा श्रीलंका ports authority और अडानी ports and एसईजेड के बीच में. श्रीलंका की सरकार अपनी press release में कहती है कि इनकी cabinet appointed negotiation committee ने request किया था. इंडिया के high commission से और जापानीज embassy से कि वो अपने investor nominate करें। जापान ने किसी investor का नाम नहीं लिया और इंडियन हाई कमीशन ने अडानी ports और एसईजेड को approval दिया।

ये इकलौता foreign project नहीं है जो अडानी के पास गया हो, ऐसे ही कई और contracts है, ports, defense electricity से related श्रीलंका, बांग्लादेश इजराइल जैसे देशों में जो अडानी के पास गए हैं। टीएमसी leader महुआ मोइत्रा का कहना है कि अडानी actually में प्रधानमंत्री मोदी के साथ travel करते हैं, उनके foreign दौरों पर। वो बाकी और heads of states से मिलते हैं और एक ऐसा impression create कर रहे है कि वही रिमोट कंट्रोल है जो प्रधानमंत्री मोदी को चला रहे हैं।

अगला बड़ा आरोप है टैक्स का इस नोटिस को देखिए जो दिया गया था directorate of revenue intelligence के द्वारा। इसकी debt है, मई 2014 की। ऐसे ही कई सारे शोकॉज नोटिस actually में issue किए गए थे अडानी ग्रुप की companies को जो करते हैं कि टैक्सेस को impose किया गया है। टैक्सेज सही तरीके से नहीं दिए गए हैं. जिनका total amount है 1000 करोड़ रूपए approximately.

allegations ये है कि यहाँ पर एक शैल का इस्तेमाल किया गया hundreds of millions of dollars companies की किताबों से इधर से उधर भेजे गए. tax में भेजे गए ताकि इतना सारा टैक्स avoid किया जा सके। लेकिन अगस्त 2017 में डीआरआई की जो adjudicating authority है केबीएस सिंह ने ये सारे charges जो इस एजेंसी के द्वारा फाइल किए गए थे इन्हें drop कर दिया हटा दिया जो कि अडानी power महाराष्ट्र लिमिटेड और अडानी power राजस्थान limited के against लगाए गए थे।

ये allegations थे कि जो सामान इन्होंने import किया था उनकी value inflate करके दिखाई गयी. जहाँ पर करीब 3900 करोड़ रुपए की बात करी जा रही थी। अब फरवरी 2018 में custom डिपार्टमेंट कहता है कि ये जो order दिया गया था. ये गलत था. illegal था और improper था। 2017 में जो documents leak किए गए थे ईपीडब्ल्यू को वो indicate करते हैं कि adani power limited ने अपनी duty raw materials और consumables पर नहीं दी थी जो कि approximately 1000 करोड़ रूपए के बराबर थी.

अडानी द्वारा लोन्स स्कैम

इसके बाद फिर अगला आरोप है loans से related. September 2022 में जब अडानी की wealth all time high पर थी. जो लोन्स अडाणी ग्रुप के पास थे वो भी ऑल टाइम हाई टच कर रहे थे. टू पॉइंट टू लाख करोड़ रुपीस। 30 जनवरी को एक इंटरव्यू दिया था अडानी ग्रुप के सीएफओ ने सीएनबीसी टीवी 18 को. जिसमें उन्होंने बताया कि टोटल जो अडाणी ग्रुप की debt है वो 30 बिलियन डॉलर्स है. आज के दिन एक डॉलर करीब एट्टी टू रूपीस के बराबर है तो एक बिलियन करीब 8000 करोड़ रूपए हो गया, approximately ये two पॉइंट four eight lakh करोड़ रूपीस होता है. इसमें से approximately 74000 करोड़ रुपीज इंडियन बैंक्स को owe किया जाता है.

लोन जो बैंकों ने disclosure किए थे उनसे हमें पता चलता है कि एसबीआई को अडानी ग्रुप forty thousand crore rupees वो करता है। पीएनबी को 7000 crore rupees और बैंक ऑफ बरोड़ा ने ये decline कर दिया openly disclose करने से कि कितना amount है। लेकिन LIVE MINT की रिपोर्ट के अनुसार ये calculate किया गया है around 5380 crore rupees. ये सारे banks, सरकारी banks हैं. पैसे जनता के हैं और एक कंपनी इन सरकारी बैंकों को fifty two thousand three hundred eighty crore rupees के अराउंड debt owe करती है।

अब लोन से related आरोप यहाँ पर लोन राइट off का है. क्योंकि इंडियन एक्सप्रेस ने एक आरटीआई फाइल करी थी. जिसमें बताया आरबीआई ने कि पिछले पाँच सालो में 10 लाख करोड़ रूपए के लोन्स राइट ऑफ किए गए हैं बैंकों के द्वारा। अब राइट ऑफ का मतलब ये नहीं कि बैंक कभी recover नहीं करेंगे। कोशिश करना बंद कर देंगे recover करने की. लेकिन बैंको ने इसमें से सिर्फ वन पॉइंट three two लाख करोड़ रूपीस के लोन्स को actually में recover किया है अभी तक जो कि सिर्फ 13% होता है write off का.

2018 और 2021 में बीजेपी leader सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था अडानी के ऊपर कि वो एनपीए के trapeze artist हैं। एनपीए यानी bad loans. अडानी ने इन allegations को counter किया था ये कहते हुए कि कोई भी एनपीए नहीं है actually में अडाणी ग्रुप के पास।

फर्जी कंपनियां जो अडानी का पैसे manange करता है (Adani and Modi Friendship)

अगला आरोप है shell companies को लेकर। महुआ मोइत्रा ने बात करी Mauritius based shell companies की। उन्होंने पूछा कि इस चीज की इन्वेस्टिगेशन क्यों नहीं करी गई? 2019 में ही जब उन्होंने इस बात को पार्लियामेंट में उठाया था। इन्होंने 40 और शेल कंपनीज को mention किया जिन्होंने अडानी ग्रुप में पैसा लगाया हो. इन्होने कहा कि इन फंड्स को मैनेज किया जाता है गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के द्वारा और एक Chinese आदमी के द्वारा जिसका नाम है Chang Chung-Ling.

DRI के रिकॉर्ड्स हमें बताते हैं कि Chang Chung-Ling और विनोद अडानी same residential एड्रेस share करते हैं। अडाणी group ने इस allegation को लेकर कोई comment नहीं किया है। आरोपों की लिस्ट बहुत लंबी है. दोस्तों ये जो अभी आपको मैंने सारी allegation बताई है, ये पूरी नहीं है। एक-एक करके ऐसे ही list term करने बैठ गया तो ये स्टोरी काफी लम्बी बन सकती है. अभी के लिए ये जान लेते हैं कि आगे क्या हुआ?

Opposition ने इन सारी चीजों की बात parliament में करी. एक JPC की demand करी गई। joint parliamentary committee बनाई जाए, investigation इन सारी allegations में। response में बीजेपी ने क्या कहा? बीजेपी ने कहा कि proof दिखाओ हमें। proof दिखाओ इन सारी allegations का मुझे ये बात समझ में नहीं आती कि और क्या proof चाहिए? ये सारे जो न्यूज़ articles हैं इन सारी allegations को लेकर। ये सब publicly मौजूद है।

क्या जो जमीन दी गई थी अडानी को वो इतने कम प्राइस पर नहीं दी गई थी? अगर ये बात गलत है तो बीजेपी की तरफ से बताया जाए कि कितने दाम पर दी गई थी वो जमीन? अगर जमीन दी ही नहीं गई थी तो बीजेपी बता दे कि जमीन नहीं दी गई थी? क्या इन छह एयरपोर्ट को लेकर rules बदले गए थे? क्या एक order पास नहीं किया गया था कि जबरदस्ती power generators अपनी 10% requirement पूरी करें imported कोयले से.

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क्या उन्होंने imported कोयला दस गुना ज्यादा प्राइस पर नहीं लिया था domestic कोयले से. नहीं लिया था तो बता दें कि कौन से दाम पर लिया गया था? इन सारी allegations के response में प्रधानमंत्री मोदी का क्या कहना था? उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपना surname नेहरू के surname पर क्यों नहीं रख लेते? मजाक नहीं कर रहा? actually में यही जवाब था प्रधानमंत्री मोदी का parliament में. लेकिन मुझे ये समझ नहीं आता है कि उनकी पीढ़ी का कोई व्यक्ति Nehru surname रखने से डरता क्यों है?

actually में इसके पीछे reason है कि Rahul Gandhy का surname आता है उनके grandfather से. उनके grandfather यानी Feroze Jehangir Gandhy जो कि एक freedom fighter थे. लेकिन इनका surname लिखा जाता था G H A N D H Y करके आजादी की movement के दौरान ये महात्मा Gandhi जी से बहुत inspired थे तो Indira Nehru से शादी करने से पहले ही इन्होंने अपना surname बदल लिया था. Gandhi की जगह Gandhy कर दिया। I की जगह Y लगा दिया। यही कारण है कि Jawaharlal Nehru, Indira Nehru से Indira Gandhy बन गयी और उनके आने वाले बेटे grandsons, grand daughters सभी यही surname इस्तेमाल करते है.

लेकिन मुझे लगता है कि अगर ये problem का मुद्दा (Adani and Modi Friendship) बन रहा है कि इसकी वजह से इन alleged scams में, investigation नहीं हो पा रही है तो मैं request करना चाहूँगा। Rahul Gandhi जी से कि वो अपना surname बदल ले. वो Rahul Nehru अपना नाम कर ले ताकि ये जो सारी investigation होनी है ये smoothly हो सके. आपको क्या लगता है दोस्तों इतने बड़े-बड़े आरोप है. इतने गंभीर आरोप है यहाँ पर, डाक्यूमेंट्स भी मौजूद है इन आरोपों को verify करने के लिए और दूसरी तरफ से जवाब में कुछ नहीं मिलता। कोई इन्वेस्टिगेशन कराना तो छोड़ो, इन्वेस्टिगेशन की डिमांड भी नहीं करी जाती।

मीडिया भी यहाँ पर अपनी पूरी चुप्पी बनाए रखता है और सोशल मीडिया पर भी कुछ लोग जब अपना मुँह खोलते हैं या तो अडानी की biography सुनाते हैं या फिर I stand with adani hashtag चलाते हैं, क्या सोच सकते हो ऐसा (Adani and Modi Friendship) देश के इतिहास में कभी भी हुआ हो।

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