Anand Mahindra Motivation: काम के घंटे नहीं, बल्कि काम का गुणत्मक स्तर मायने रखता है। महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने “विकसित भारत यंग लीडर्स संवाद” में युवा पीढ़ी के लिए बेहतरीन विचार साझा किए। उन्होंने इस मंच पर अपनी व्यावसायिक दृष्टिकोण, काम और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने के तरीके और देश के विकास में युवाओं की भूमिका पर बातें कीं।

Anand Mahindra Motivation
विकसित भारत: आज के युवा, कल के नेता
पीएम नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए युवा शक्ति की प्रेरणा ही इस आयोजन की मूल भावना थी। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए युवा नेताओं ने इस सत्र का हिस्सा बनते हुए अपने विचार साझा किए। यह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि इसे युवाओं द्वारा, युवाओं के लिए और युवाओं के माध्यम से तैयार किया गया था।
स्वामी विवेकानंद के आदर्श और नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से जुड़कर युवाओं ने यहां अपनी सोच और दृष्टिकोण को व्यक्त किया।
क्या काम के घंटे मायने रखते हैं?
आनंद महिंद्रा ने “काम के घंटे” विवाद पर खुले विचारों को साझा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि काम की गुणवत्ता अधिक मायने रखती है।
“अगर काम को सही तरीके से नहीं किया गया, तो उसके घंटों का कोई अर्थ नहीं है।”
उन्होंने इस ओर इशारा किया कि 90 घंटे काम करने से बेहतर है कि 10 घंटे में उच्च गुणवत्ता का काम करके असली प्रभाव डाला जाए। उनका ध्यान इस बात पर था कि “सही आउटपुट” कैसे लाया जाए।
युवा कैसे देश निर्माण में योगदान दे सकते हैं?
महिंद्रा ने कहा कि देश की ताकत उसके युवाओं में है। उन्होंने बताया कि 600 मिलियन युवा भारत के विकास का आधार हैं। इन युवाओं को न केवल रोजगार के लिए तैयार रहना होगा बल्कि नेतृत्व, सृजनशीलता, और दृष्टिकोण को आत्मसात करना होगा।
उनके अनुसार, युवाओं में तीन प्रमुख गुण होने चाहिए:
- साहस (Audacity): बड़ा सोचने की क्षमता जो असंभव को संभव बना सके।
- ईमानदारी (Integrity): अगर सफलता मूल्य और सही काम करने से न जुड़ी हो, तो उसका कोई अर्थ नहीं।
- उत्कर्ष (Resilience): तूफानों से उभरने और विफलताओं से सीखने की क्षमता।
एआई और युवाओं का भविष्य
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युवाओं के लिए चिंता का कारण है। लेकिन महिंद्रा ने इसे युवाओं का सबसे बड़ा अवसर बताया। उन्होंने इसे एक ऐसा टूल माना जो युवाओं को कौशल और उन्नति का जरिया देगा।
“एआई डरावना नहीं, बल्कि भारत के युवाओं को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने का जरिया है।”
चैटजीपीटी और अन्य एआई टूल्स युवाओं को नई नौकरियों के लिए तैयार कर सकते हैं। उन्होंने स्कूल स्तर से एआई का व्यावसायिक उपयोग सिखाने पर जोर दिया।
काम और जीवन में संतुलन
महिंद्रा ने “वर्क-लाइफ बैलेंस” को लेकर एक अनोखी बात कही। उनके अनुसार, यह संतुलन नहीं, बल्कि काम और व्यक्तिगत जीवन का बेहतरीन तालमेल है।
“अगर आप अपने निर्णय लेने में संतुलित हैं, तभी आप एक बेहतर नेतृत्व कर सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि कैसे उनकी टीम, जो कला और संस्कृति से जुड़ी है, कंपनी को बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है।
युवाओं के लिए मंचों का महत्व
“विकसित भारत यंग लीडर्स संवाद” जैसे आयोजनों का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह मंच युवाओं को नेटवर्किंग, विचार-विमर्श और समस्या-समाधान का मौका देता है।
इस आयोजन में उन्होंने सुझाव दिया कि इसे एक स्थायी मंच बनाया जाए जहां युवा अपने विचार प्रस्तुत कर सकें और उचित मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष
आनंद महिंद्रा ने अपने स्पष्ट और प्रेरणादायक विचारों से साबित किया कि गुणवत्ता, साहस और सच्चाई ही वो मूल स्तंभ हैं, जो भारत की युवा शक्ति को दुनिया में शीर्ष पर ले जा सकते हैं।
यह संवाद एक यादगार अनुभव रहा। यहां दी गई सीख, न केवल सफल पेशेवरों को प्रेरणा देगी बल्कि यह संदेश हर युवा के लिए एक दिशा भी तय करेगा।
आप काम में गुणवत्ता पर ध्यान देंगे या केवल घंटों की गिनती करेंगे? फैसला आपका है!
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