Cricketer Manoj Tiwari Life Story: भारतीय क्रिकेट जगत और राजनीति में अपनी एक खास पहचान बना चुके मनोज तिवारी ने हाल ही में अपने जीवन के खास पहलुओं पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने गौतम गंभीर के साथ अपने विवाद, धोनी के साथ अनुभव, और भारतीय टीम में चयन की कठिनाइयों से लेकर अपने राजनीतिक सफर तक के बारे में बताया। इस ब्लॉग में हम उनके इस सफर को करीब से जानेंगे।
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Cricketer Manoj Tiwari Life Story
गौतम गंभीर के साथ रिश्ते और विवाद
मनोज तिवारी और गौतम गंभीर के रिश्ते कभी दोस्ताना थे, लेकिन समय के साथ इसमें कड़वाहट आ गई। तिवारी ने बताया कि जब वह टीम इंडिया में नए थे, तो गंभीर उनके सीनियर थे, और वह उनका बहुत सम्मान करते थे। लेकिन, गंभीर को इस बात से परेशानी थी कि नए खिलाड़ियों को ज्यादा लाइमलाइट मिल रही थी।
एक बार वॉशरूम में अचानक गंभीर ने तिवारी को गालियां दीं और उनका रवैया ठीक करने की धमकी दी। तिवारी ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन गंभीर ने सुनी नहीं। यह विवाद यहीं नहीं रुका। 2015 के रणजी ट्रॉफी मैच के दौरान गंभीर ने फिर से उन्हें गालियां दीं और शाम को मिलने की धमकी दी। तिवारी ने इस मुश्किल परिस्थिति का डटकर सामना किया।
धोनी, कप्तानी और टीम इंडिया में चयन
तिवारी ने भारतीय टीम में अपने अनुभव और उसमें आने वाली चुनौतियों पर भी बात की। धोनी के कप्तानी काल में उन्हें एक बड़ी निराशा का सामना करना पड़ा, जब उन्होंने शतक बनाया, फिर भी उन्हें ड्रॉप कर दिया गया। तिवारी ने बताया कि क्रिकेट में कप्तान की पसंद और नापसंद का खिलाड़ियों के करियर पर बड़ा असर होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनकी अपनी पीआर टीम मजबूत होती, तो शायद वह भारतीय टीम के कप्तान बन सकते थे। इस बयान ने उनके करियर के पीछे की सच्चाई और क्रिकेट में पीआर के महत्व को उजागर किया।
राजनीति में कदम और टीएमसी से जुड़ाव
मनोज तिवारी ने टीएमसी में शामिल होकर राजनीति की दुनिया में प्रवेश किया। उन्होंने बताया कि ममता बनर्जी ने उन्हें पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। इस फैसले के पहले उन्होंने अपने ज्योतिषी से सलाह ली थी। तिवारी ने यह भी खुलासा किया कि राजनीति में आने से पहले वह बीजेपी नेताओं से भी मिल चुके थे, लेकिन अंत में उन्होंने टीएमसी को चुना।
खेल, परिवार और जीवन के संघर्ष
तिवारी ने अपने परिवार और व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी बात की। उन्होंने अपनी पत्नी सुष्मिता का जिक्र किया और बताया कि वह अपने परिवार को लेकर काफी जिम्मेदार हैं। क्रिकेट में उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि प्रदर्शन के बावजूद कई बार उन्हें नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट में प्रदर्शन के साथ-साथ पीआर भी उतना ही मायने रखता है।
क्रिकेट और राजनीति से सीखे सबक
मनोज तिवारी का मानना है कि क्रिकेट और राजनीति ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने कहा कि अपने अनुभवों को साझा करना और अन्य युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करना उनके लिए बहुत मायने रखता है।
निष्कर्ष
मनोज तिवारी की कहानी संघर्ष और सफलता का सुंदर मिश्रण है। उनके अनुभव बताते हैं कि चाहे क्रिकेट हो या राजनीति, हर क्षेत्र में मेहनत, आत्मविश्वास और सही रणनीति की जरूरत होती है। उनके बताए किस्से और अनुभव नई पीढ़ी के लिए सीखने का बेहतरीन जरिया हो सकते हैं।
मनोज तिवारी का यह सफर सिर्फ उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि चुनौतियों का सामना करके ही सफलता का असली स्वाद चखा जा सकता है।
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