बिहार के मुजफ्फरपुर का सुमेरा गांव, जहां गूंजती है कान्हा के बांसुरी की धुन, Flutes Making by Muslims

Flutes Making by Muslims

Flutes Making by Muslims: किसी ने सच ही कहा है कि प्रेम और कला जाति-धर्म से ऊपर होती है। भगवान कृष्ण की प्रिय रही, बांसुरी, जिसे भगवान कृष्ण गोपियों को रिझाते और गायों को चराते वक्त बजाते थे. भारतीय हिन्दू संस्कृति में भव्य स्थान रखती है। आजकल के दौर में जब भी बांसुरी की धुन सुनते हैं, हमें भगवान कृष्ण की मनमोहक छवि याद आती है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सुमेरा गांव में एक ऐसा मुस्लिम परिवार रहते हैं जिनका मुख्य पेशा कृष्ण के वाद्य यंत्र यानी बांसुरी को बनाने में लगे हुए हैं। इस गांव में संगीत की धुन से हमेशा प्रेम प्रकट होता है और बांसुरी की धुन इसका प्रतीक बनी हुई है।

Flutes Making by Muslims

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बांसुरी की धुन है प्रेम का प्रतीक

कृष्ण के हाथों में रहने वाली बांसुरी प्राचीन भारतीय संस्कृति में प्रेम का प्रतीक रही है। भगवान कृष्ण ने बांसुरी के सहारे गोपियों को मोहित किया और उन्हें रिझाते हुए रासलीला का आनंद दिलाया। बांसुरी की धुन से प्रेम के भाव सबको समझाए जाते हैं और उससे नई शक्ति प्राप्त करके अपने जीवन में प्रेम को संवार सकते हैं। इसलिए बांसुरी विभिन्न धर्म और संप्रदायों के लोगों द्वारा बनाई जाती है। बिहार के सुमेरा गांव में भी बांसुरी बनाने वाले मुस्लिम परिवारों ने एक संप्रदायवादी तालीम का उदाहरण पेश किया है, जहां पूरे गांव की रोजी-रोटी इस वाद्य यंत्र के बनाने से ही चलती है।

परंपरागत बांसुरी बनाने का माहौल

सुमेरा गांव के कुछ मुस्लिम परिवारों को बांसुरी बनाने का काम चार पीढ़ियों से भी पूर्व तक का है। इन परिवारों में बांसुरी निर्माण के कारीगर हर दिन लगातार कई बांसुरिया बनाते हैं। वे इस कार्य में अपनी पीढ़ियों की तरह लगे हुए हैं। नरकट लकड़ी का उपयोग करके इन कारीगरों ने संस्कृति और परंपरा को जीवित रखा है। जिले के कुढ़नी प्रखंड में स्थित इस गांव में हर घर से बांसुरी की धुन सुनाई देती है, जो संगीत की मधुरता और प्रेम का प्रतीक है।

बांसुरी निर्माण का चुनौतीपूर्ण कार्य

बांसुरी बनाने वाले कारीगरों को व्यापार को बढ़ाने के लिए सरकार के समर्थन की जरूरत है। इन परिवारों ने अपने संघर्षों के बावजूद बांसुरी निर्माण का काम जारी रखा है, लेकिन उन्हें अब व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी समर्थन चाहिए। बिहार सरकार को इस संबंध में सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है, ताकि इन परिवारों को अपने कल्याण के लिए एक और साधन मिल सके।

सुमेरा गांव, बिहार, एक ऐसा स्थान है जहां संगीत की धुन से प्रेम की भावना प्रकट होती है और बांसुरी निर्माण करने वाले परिवारों की परंपरागत कला और संस्कृति को जीवंत रखा जा रहा है। हालांकि, इन कारीगरों को समर्थन और सरकारी मदद की आवश्यकता है ताकि वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें और इस प्रत्याशा के साथ आगे बढ़ सकें कि कोई भगवान कृष्ण की तरह गांव में आ करके उनकी समस्याओं का समाधान करेगा।

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