Gorakhpur Siligudi Expressway: गोरखपुर से सिलीगुड़ी पहुंचने में 15 नहीं, लगेंगे सिर्फ 9 घंटे, 3 राज्‍यों का चेहरा बदल देगा ये एक्‍सप्रेसवे

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Gorakhpur Siligudi Expressway: उत्तर प्रदेश का गोरखपुर, बहुत सारे मंदिरों और monuments का land है। ये शहर अपने आप में कई spiritual, cultural और natural sites को समाए हुए है। medieval period के प्रसिद्ध गोरखनाथ के नाम पर इस शहर का नाम गोरखपुर रखा गया था। यहाँ मौजूद गोरखनाथ टेम्पल वर्ल्ड फेमस है। गोरखपुर को पूर्वांचल का कल्चरल कैपिटल भी कहा जाता है।

वहीं ये सिटी उत्तरप्रदेश और बिहार के large areas के सेंटर के तौर पर काम करती है। साथ ही fastest developing cities में से एक भी है। अभी recently prime minister नरेंद्र मोदी ने अपने गोरखपुर visit के दौरान city को कई सौगात दी थी। जिसमें उन्होंने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के redevelopment प्रोजेक्ट का foundation stone भी रखा था। इस प्रोजेक्ट का मकसद गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर passengers को world class facilities available कराना है।

गोरखपुर रेलवे स्टेशन की redevelopment का ये प्रोजेक्ट करीब 498 करोड़ रुपए का है। इस प्रोजेक्ट के अंदर गोरखपुर रेलवे स्टेशन को मॉडर्न लुक दिया जाएगा। ये project पूरा होने के बाद इसकी गिनती world के best रेलवे stations में होगी। वहीं city की importance को देखते हुए better connectivity provide कराने को लेकर रेलवेज के साथ ही कई road infrastructure development पर भी तेजी से काम चल रहा है।

इन्हीं project में से एक important project है गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे। भारतमाला परियोजना 2.0 के तहत गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को develop किया जा रहा है। ये एक planned green field project है जो दो मेजर cities उत्तरप्रदेश के गोरखपुर और वेस्ट बंगाल के सिलीगुड़ी को connect करेगा।

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Gorakhpur Siligudi Expressway

इस स्टोरी में हम गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के बारे में चर्चा करेंगे। जहां इस story के माध्यम से हम इस expressway की length, इसके complete होने की timeline और इसके बजट समेत इससे जुड़े important aspects को discuss करेंगे।

वर्तमान में उत्तरप्रदेश की मेजर सिटी गोरखपुर और वेस्ट बंगाल की सिलीगुड़ी के बीच ट्रेवल में 13-14 घंटे लगते हैं. इसका मेन रीजन ये है कि इन दोनों सिटीज को कनेक्ट करने वाले रोड पर ट्रैफिक का काफी प्रेशर रहता है। वहीं existing highway accessed कंट्रोल्ड नहीं है। ऐसे में लोकल ट्रैफिक भी इन रूट्स पर देखने को मिलता है। लेकिन next year से गोरखपुर से सिलीगुड़ी मात्र 9 घंटों में पहुंचना possible होगा और ये सब मुमकिन होगा गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच बन रहे इस नए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे से.

गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के कमीशन होने से दोनों सिटीज के बीच का distance करीब 100 किलोमीटर घाट जाएगा। करीब 520 किलोमीटर लम्बे इस एक्सप्रेसवे के construction पर करीब 32000 करोड़ रूपए खर्च होंगे। ये एक्सप्रेसवे green field एक्सप्रेसवे है यानी इसका नया alignment होगा।

भारत माला परियोजना के तहत बन रहा ये green field एक्सप्रेसवे नेपाल बॉर्डर के parallel run करेगा। ये four lane access कंट्रोल हाईवे होगा। future में requirements के according lanes की संख्या बढ़ाकर इसे छह lane किया जा सकेगा। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस वे पर स्पीड लिमिट 100 किलोमीटर बताई जा रही
है। इसे ईपीसी मॉडल के तहत बनाया जा रहा है।

ईपीसी यानी engineering procurement construction एक ऐसा infra development मॉडल होता है. जिसके अंदर गवर्नमेंट किसी प्राइवेट फर्म को रोड construction के लिए पे करती है और रोड़ प्रोजेक्ट के कंप्लीशन के बाद उस रोड के टोल कलेक्शन से लेकर maintenance जैसी सारी activities गवर्नमेंट द्वारा perform की जाती है। यानी ऐसे infrastructure development मॉडल में रोड की ownership गवर्नमेंट के पास ही रहती है।

NHAI ने साल 2021 में गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे को प्रोपोज किया था। इसके बाद NHAI ने भोपाल की कंपनी एल एन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड को एक्सप्रेसवे के डीपीआर यानी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमीशन किया। जिसके बाद कंपनी ने इसका डीपीआर तैयार कर लिया है। वहीं मई 2022 से गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का लैंड एक्वीजीशन वर्क भी शुरू कर दिया गया था।

इस एक्सप्रेसवे को आबादी से दूर बनाया रहा है। यही वजह है कि इसके लिए लैंड एक्वीजीशन में कोई खास परेशानी नहीं आ रही है। अब तक 80% लैंड एक्वीजीशन वर्क पूरा है। जैसे ही लैंड एक्वीजीशन का काम पूरा हो जाएगा। इसके निर्माण के लिए टेंडर इशू कर दिए जाएंगे।

गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से 3 राज्यों को फायदा होने वाला है। ये राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल है। 519.58 किलोमीटर लम्बे इस एक्सप्रेसवे की लम्बाई उत्तर प्रदेश में 84.3 किलोमीटर, बिहार में 416.2 किलोमीटर और वेस्ट बंगाल में 18.97 किलोमीटर होगी।

उत्तर प्रदेश में यह 3 जिलों गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर से क्रॉस करेगा। इसके लिए इन तीनों जिलों में टोटल 111 गांव में लैंड एक्वायर किया गया है। वहीं बिहार की बात करें तो यहाँ ये नौ जिलों से होकर गुजरेगा। ये जिला है, वेस्ट चम्पारण, ईस्ट चम्पारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज और अंत में ये पश्चिम बंगाल के दर्जेलिंग के सिलीगुड़ी पहुँचेगा।

यदि इस एक्सप्रेस वे से होने वाले फायदे की बात करें तो इस प्रोजेक्ट के कम्पलीट होने से तीन राज्यों के निवासियों को डायरेक्ट बेनिफिट होगा। गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, गोरखपुर, आजमगढ़ लिंक जैसे दूसरे रूट से भी चलना काफी आसान हो जाएगा। ये एक्सप्रेसवे वर्तमान एक्सप्रेसवे के टाइम और डिस्टेंस को भी घटा देगा। इस रूट से डिस्टेंस और टाइम के काम होने से लॉजिस्टिक और फ्यूल कॉस्ट कॉस्ट भी काफी कम होगी। साथ ही वातावरण के लिए भी लाभदायक होगा।

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वहीं स्ट्रैटेजिक पॉइंट ऑफ़ व्यू से भी गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे काफी महत्वपूर्ण है। जैसा कि मैंने आपको बताया कि ये एक्सप्रेसवे नेपाल बॉर्डर के समान्तर चलेगा। वैसे तो नेपाल का इंडिया के साथ शुरू से ही काफी अच्छा रिलेशन है। लेकिन पिछले कुछ समय से चाइना नेपाल को कंट्रोल करने में लगा हुआ है। ऐसे में गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से नेपाल के रास्ते चाइना से मिलने वाले चैलेंजेज से भी निपटा जा सकेगा। वहीं ये स्ट्रैटेजीकली काफी क्रुसिअल माने जाने वाले चिकन नैक तक बेटर एक्सेस प्रोवाइड करेगा।

भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत साल 2015 से देश भर में एक बड़ा रोड नेटवर्क को विकसित किया जा रहा है। गवर्नमेंट की कोशिश है कि अलग-अलग राज्यों में वर्तमान और भविष्य के मांगो को ध्यान में रखते हुए एक्सप्रेसवे और हाइवेज का एक इंटर और इंट्रा कनेक्टेड जाल बुना जाए। इसी कड़ी में गोरखपुर-सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को विकसित किया जा रहा है।

इस समायोजन के पूर्ण होने से गोरखपुर, वेस्ट में दिल्ली, देहरादून और पंजाब, वहीं ईस्ट में बिहार के नॉर्थेर्न रीजन और आगे पश्चिम बंगाल समेत नार्थ ईस्टर्न स्टेट्स तक कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी। जो इन रीजन के लिए, आर्थिक, सामाजिक और सामरिक रूप से फायदेमंद होगा।

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