Sanjay Khan Biography: भारतीय फिल्म जगत के खूबसूरत में बेशुमार अभिनेताओं के नाम है पर 70 और 80 के दशक की बात की जाए तो दो भाइयों का नाम सामने आता है. जिन्होंने अपने अभिनय शैली से अनगिनत महिला दर्शकों का दिल जीता था. दो खूबसूरत भाइयों की बात सुनकर ही आपको अंदाजा आ गया होगा कि आज की कहानी मशहूर अभिनेता संजय खान के जीवन पर आधारित है.
सभी को ऐसा लगता है कि फिरोज खान ने संजय खान से पहले अभिनय क्षेत्र में कदम रखा था। पर ऐसा नहीं है! दरअसल संजय खान उम्र के लिहाजा फिरोज खान से छोटे थे। पर संजय ने ही सबसे पहले इस फिल्मी दुनिया में कदम रखा था।
संजय खान की फिल्में जितनी रोमांचक और दिलचस्प है, वैसी ही उनकी ज़िंदगी भी बड़ी मज़ेदार और जोखिम से भरी है. तो चलिए उनके बचपन से लेकर आज तक की कहानी पर विस्तार से बात करते है. Shah Abbas Khan उर्फ Sanjay Khan का जन्म अफगानी पश्तून पठान परिवार में Bangalore में हुआ था. वो तारीख थी 3 जनवरी 1941.
उनके पिताजी का नाम Sadiq Ali Khan Tanoli और माता जी का नाम Bibi Fatima Begam था. उनका पूरा परिवार Afghanistan के गजनी प्रांत से ताल्लुक रखता है। क्योंकि उनकी माँ ईरानी थी इसलिए संजय खान को ईरानी पश्तून पठान भी कहते हैं। संजय को 5 भाई और 2 बहनें भी हैं। जिनमें फिरोज और अकबर खान ने भी फिल्म उद्योग में खूब नाम कमाया।
ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वीराज कपूर के खानदान से उनके नजदीकी रिश्ते थे. इसलिए ऐसा लगता है कि संजय खान भी फिल्म जगत से जुड़ गए। पर दोस्तों ऐसा नहीं है. जब संजय 11 साल के थे। तब उन्होंने राज कपूर साहब की आवारा फिल्म देखी। इसे देखकर वो चकरा गए। एक पल में ही वो फिल्मों के दीवाने हो गए।
दरअसल उनका परिवार उस जमाने में भी काफी अमीर हुआ करता था और पिताजी ने सारे बच्चों को फिल्में ना देखने की नसीहत दी थी। उनका मानना था कि फिल्मों के कारण बच्चे बिगड़ते हैं. पर सारे बच्चों में से सिर्फ संजय खान का मन फिल्मों के लिए मचलता था। एक दिन छुपकर अपने नौकर के साथ वो राज कपूर की आवारा फिल्म देखने गए। जैसे ही फिल्म शुरू हुई वैसे ही संजय खान कहने लगे अरे ये जो पर्दे पर लोग दिख रहे हैं वो इतने बड़े क्यों हैं। क्या सच में पर्दे के पीछे राज कपूर है। छोटे संजय के बात को सुनकर नौकर हंसने लगा। तुरंत ही वो व्यक्ति संजय को थिएटर के प्रोजेक्शन रूम में लेकर गए और वहां उन्हें दिखाया कि एक फिल्म कैसे पर्दे पर चलती है। इसे देख कर संजय खान चौंक गए.
अगले पल में उन्होंने सोच लिया कि बस उन्होंने फिल्म industry में आकर actor बनना है. actor बनने की बात उनके दिमाग में बैठ गए और जब वो पंद्रह साल के हो गए तब उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और मुंबई की ओर चल पड़े। उनके दिमाग में बस एक बात थी कि किसी भी हालत में उन्हें राज कपूर साहब से मिलना है. यहाँ आकर दिन बीतने लगे पर फिर भी राज कपूर से उनकी मुलाकात हो नहीं रही थी. इसीलिए घरेलू रिश्ते होने के चलते वो शशि कपूर से मिले और उनसे गुजारिश करने लगे। फिर एक दिन वो घड़ी आ गई. पर वो दिन होली का था। आप जानते ही हो कि आर के स्टूडियो में होली और श्री गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
उस दिन हुआ यूँ कि सब भांग पी रहे थे। किसी ने संजय खान को भी भांग पिला दी। इस कारण से उन्हें भांग का नशा चढ़ गया और आर के स्टूडियो में सबको पूछने लगे कि उनकी स्पोर्ट्स कार कहां है? सभी लोग सोचने लगे कि ये भाई साहब कौन से कार की बात कर रहे हैं। कुछ समय के बाद नशा उतरा और संजय खान को शर्मिंदगी महसूस होने लगी। उनका मन बड़ा दुखी हुआ. वो सोचने लगे कि जिस इंसान को वो अपना गुरु मानते हैं। उनके ही सामने संजय ने ये बर्ताव किया। इसके बाद संजय खान भांग जैसी चीजों से हमेशा दूर रहे। कुछ दिन के बाद उनकी जान पहचान बढ़ी। पर फिर भी उन्हें कहीं एक्टर बनने का मौका मिला नहीं।
इसी बीच फिल्मिस्तान स्टूडियो के मालिक शशागर मुखर्जी साहब ने फिरोज खान को कहीं देख लिया। उन्होंने तुरंत अपने लोगों से कहा कि ये लड़का जहाँ भी दिखे उसे मेरे पास लेकर आओ। किसी ने उन्हें बताया कि इनका छोटा भाई हमारे यहीं है। तो इस तरह संजय खान को बताया गया कि उनके बड़े भाई को हमारे डायरेक्टर फिल्मों में लेना चाहते हैं। संजय खान बड़े खुश हुए। तुरंत ही उन्होंने अपनी माता जी को ये बात कही। फिर सबने फिरोज खान से कहा कि अब तुम हीरो बनोगे। ये सुनकर फिरोज खान बहुत गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा कि कहाँ तुम लोग इंजीनियर बनने वाले इंसान को फिल्मों में घुसा रहे हो? दरअसल उस दौरान वो इंजीनियर बनने जर्मनी जा रहे थे। वो जर्मनी तो पहुंचे नहीं पर जबरदस्ती उन्हें मुंबई लाया गया. यहाँ आकर वो संजय खान के साथ मुंबई के जुहू इलाके में रहने लगे।
संजय के बड़े भाई का फिल्मी सफर तो शुरू हुआ पर संजय अब भी परेशान ही थे। इसी दौरान हॉलीवुड के प्रोडक्शन अंतर्गत बन रही फिल्म Tarzan Goes to India में बतौर assistant डायरेक्टर बनने मौका मिला और यहीं से उनका फ़िल्मी सफर भी शुरू हुआ। इस फिल्म में उनके बड़े भाई भी अभिनय कर रहे थे। इंटरनेशनल डायरेक्टर के साथ काम करने के बाद उनका नाम बनने लगा। एक दिन किसी इंसान से उनकी मुलाकात हुई। जुहू बीच पर वो इंसान अक्सर अपने कुत्ते को लेकर सैर पर निकलते थे। वहीं उनकी मुलाकात संजय खान से हुई। एक दिन वो इंसान संजय के घर आए और उनसे कहने लगे कि मेरी गाड़ी को धक्का दे दो। संजय खान चुपचाप उनकी गाड़ी को धक्का देने लगे। आपको जानकर हैरानी होगी, पर वो इंसान हर दिन संजय से अपनी गाड़ी को धक्का दिलवाते रहे। पर संजय खान दिल और दिमाग के बड़े शांत थे। इस बात पर वो ना ही गुस्सा करते थे और ना ही कोई सवाल पूछते थे, यहां तक संजय खान को पता ही नहीं था, कि जिस इंसान की गाड़ी को वो धक्का देते रहे, वो मशहूर डायरेक्टर सत्येंद्र बोस है।
हर दिन की तरह वो एक दिन संजय खान के घर आए। दरवाजा खुला और संजय बोले, चलो आपकी गाड़ी को धक्का दे देता हूँ. ये सुनकर सत्येंद्र बॉस बोले, अब हम तुम्हारे करियर को धक्का देगा। उस दौर में Satyen Bose साहब, राजश्री प्रोडक्शन के साथ फिल्म बना रहे थे, दोस्ती। संजय खान को लगा कि Satyen Bose उन्हें अपना असिस्टेंट बनाना चाहते हैं। पर Satyen Bose ने उन्हें बतौर अभिनेता साइन कर दिया। इस फिल्म के रिलीज बाद जो हुआ वो फिल्म जगत का बच्चा-बच्चा जानता है।
दोस्ती फिल्म ने भारत में तहलका मचा दिया और फिल्म के गानों के साथ संजय खान की खूबसूरती देख सभी लोग दीवाने हो गए। यहाँ आपको बता दूँ कि वो Satyen Bose ही हैं जिन्होंने इस मुस्लिम actor को संजय ये हिन्दू नाम दिया। इस फिल्म के बाद संजय खान ने अगले 6 महीनों में सौ फिल्में sign किए। जो उस जमाने का record था। पर हुआ यू कि उन्हें एहसास होने लगा कि जिन फिल्मों को उन्होंने साइन किया है वो आगे चलकर फ्लॉप भी हो सकते हैं. क्योंकि फिरोज खान ने कुछ बी ग्रेड फिल्में की थी जो आगे चलकर फ्लॉप रही. इसे देखते हुए उन्होंने 100 में से 50 फिल्में कैंसिल की.
साल 1971 की मेला फिल्म के पीछे भी एक कहानी है. दरअसल इस फिल्म के डायरेक्टर प्रकाश मेहरा, अभिनेता प्राण को संजय खान के भाई के किरदार में लेना चाहते थे. पर संजय ने डायरेक्टर से कहा कि प्राण साहब उनके बड़े भाई नहीं बाप लगते हैं. इसलिए फिरोज खान को ही ये किरदार मिलना चाहिए। वैसे भी वो मेरे बड़े भाई ही हैं। आगे चलकर संजय खान और फिरोज खान इन दोनों के सिक्के फिल्म जगत में खूब चले। 10 लाख, एक फूल, दो माली, इंतकाम, धुंध, उपासना, मेला, नागिन, चांदी-सोना, अब्दुल्ला ये कुछ फिल्मों के नाम है. जिनमें संजय खान का किरदार बड़ा hit रहा।
संजय खान की कहानी हमने इस अंदाज में पेश की है. जिसमें अभिनेत्री जीनत अमान के साथ उनके रिश्ते की बात नहीं बताई गई है। हमने कोशिश की है कि इस अभिनेता को उनके फिल्मी ढंग से ही परिचित किया जाए। क्योंकि controversy के अलावा भी ऐसी कहानियां हैं। जिनमें संजय खान ने डटकर मुकाबला किया है।
फिल्म इंडस्ट्री के handsome मर्दों में जिसका नाम सबसे ऊपर आता है. Firoz Khan का वो भाई जिसका नाम भी controversy से जुड़ा। अभिनेत्री Zeenat Aman के कारण खूब आलोचना भी हुई. ऐसा इंसान जिसने मौत को हरा दिया। ऐसा इंसान जिसने The Great Maratha, Jay Hanuman, Jay Mahabharat, Tipu Sultan और महारथी कर्ण जैसे serial बनाकर 90 का दशक यादगार बनाया । जी हाँ, वे है हमारे सबसे चहेते कलाकार, संजय खान।
कहानी में इससे पहले जीनत अमान का नाम एक बार भी नहीं लिया गया है। क्योंकि जीनत अमान के साथ रिश्ते के कारण उनकी कहानी छुप जाती है। इस कारण से उनका फिल्मी सफर कैसे शुरू हुआ और किन मुसीबतों को पार करके उन्हें कामयाबी मिली ये बात आज भी अनजान है. अब संजय खान की दूसरी inning पर चर्चा करेंगे।
मौत को इतने नजदीक से देखकर उन्होंने अपने जीवन की दूसरी inning, television के साथ शुरू की और वहां भी उन्हें कामयाबी मिली। जीनत अमान के जिक्र के बिना संजय खान की कहानी अधूरी है. ऐसा कुछ लोगों का मानना है। संजय खान का टीवी से बहुत गहरा नाता रहा है। Television पर चर्चा से पहले के साथ उनके रिश्ते पर कुछ टिप्पणियां देना चाहूंगी। उस किस्से पर बात करने से पहले हमें ये भी बताना है कि हम दोनों बाजू पर चर्चा करेंगे। जीनत अमान के साथ जो हुआ उस पर भी बात करेंगे और इस पर संजय खान का क्या कहना है इस पर भी चर्चा करेंगे। क्योंकि जीनत अमान की भावना दिखाकर हमें संजय खान को दोषी साबित नहीं करना है। वो कहते हैं ना हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। संजय और जीनत अमान के कहानी के भी दो चेहरे हैं।
दूसरे लोग सिर्फ एक साइड बताकर और दिखाकर संजय खान को दोषी साबित करने में लगे हुए हैं। पर हम उनकी बात को भी सामने लाएंगे। सबसे पहले वो किस्सा (जीनत अमान वाला) क्या था. इस पर चर्चा करते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने जीनत अमान से शादी नहीं की थी। पर हमारी जाँच पड़ताल में ये बात सामने आई है कि शादी वाली बात झूठ हो सकती है।
खबरों के मुताबिक 30 दिसंबर 1978 के दिन संजय खान और जीनत की शादी जैसलमेर में हुई थी, वहां दो witness भी थी। उसके बाद 1979 में अब्दुल्ला के shooting के दौरान दोनों अलग हो गए। जीनत अमान ने खुले तौर पर शादी वाली बात को छोड़कर बहुत सी secret बातें मीडिया को बताई हैं। फिर ये सवाल उठता है कि दोनों में कौन सा रिश्ता था?
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जीनत अमान, संजय खान से प्यार करती थी. मारपीट वाली बात के भी दो पहलू हैं। कुछ लोग कहते हैं कि लोनावला में संजय खान ने जीनत अमान को बुरी तरह से प्रताड़ित किया तो कुछ लोग मुंबई के ताज होटल का नाम भी लेते हैं। ताज होटल में संजय खान अपनी पत्नी जरीन के साथ एक पार्टी में थे। वहां जीनत अमान आई। इससे पहले संजय खान ने जीनत से अब्दुला फिल्म के एक गाने के लिए dates मांगी थी। जिसे देने से जीनत ने इंकार किया था। जीनत के संबंध किसी और इंसान से है, ये आरोप संजय खान ने लगाया। जब जीनत ताज होटल में आई, तो संजय खान उन्हें एक कमरे में लेकर गए, मारपीट हुई। इस बीच संजय खान की पत्नी भी वहां आई। जीनत को छुड़ाने के बजाय उन्होंने संजय से कहा इस कुतिया को वो दे दो जिसकी वो हकदार है।
ये सब हो रहा था तब होटल के कर्मचारी भी वहां थे। पर किसी ने जीनत अमान की मदद करने की कोशिश नहीं की। इसके बाद जीनत अमान कुछ दिन हॉस्पिटल में एडमिट रही। Cineblitz मैगजीन ने जीनत के family डॉक्टर से मुलाकात करके पूरा वाकया जानने की कोशिश की. डॉक्टर के अनुसार संजय ने पहली बार उन्हें मारा नहीं था. इससे पहले भी उन्होंने ये हरकत की थी. अब्दुल्ला फिल्म तो हिट हुई पर जीनत और संजय खान का रिश्ता फिल्म से भी ज्यादा प्रचलित हुआ.
इस किस्से के बाद दोनों एक दूसरे से दूर रहने लगे। पर संजय खान का आगे क्या हुआ? “अब्दुल्ला” फिल्म के बाद संजय खान का भी फिल्मी सफर थम गया. 1906 में उन्होंने सुनील दत्त और अनीता राज को लेकर काला-धंधा गोरे लोग फिल्म बनाई जो संजय खान की आखिरी फिल्म साबित हुई। अब इस कहानी में संजय खान के साइड पेश करना चाहूंगा। कुछ साल पहले संजय खान ने अपनी biography publish की जिसमें उन्होंने जीनत को लेकर वैसी बातें लिखी नहीं जिसकी लोग उम्मीद करने लगे थे। पर एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि उन्होंने इस किताब में जीनत से हुई मारपीट वाली बात को लेकर clarification दिया क्यों नहीं?
इस पर संजय खान कहते हैं, एक इंसान ने इस बात को लोगों के सामने इस तरह से पेश किया। जिससे मेरी लाइफ बर्बाद हो गई. अब्दुल्ला हिट होने के बाद कई सारे प्रोड्यूसर मेरे पास आए पर मैंने सभी फिल्में ठुकरा दी. मैं हमेशा दुखी रहा. इसलिए मैंने कोई फिल्म की नहीं। काला-धंधा गोरे लोग हिट होने के बाद भी मैंने कोई फिल्म बनाई नहीं। हर कोई जीनत अमान को हमदर्दी दिखाने लगा. पर मुझसे किसी ने पूछा ही नहीं कि उस दिन असलियत में क्या हुआ? कुछ ज्यादा मिर्च मसाला लगाकर इस कहानी को पेश किया गया और ये काम उस जर्नलिस्ट ने किया जिसका नाम मैं नहीं लेना चाहूँगा। पता नहीं उसका क्या मकसद था। मैं दूसरी फिल्म में कर सकता था। इस इंसिडेंट के कारण मुझे दोबारा पीछे मुड़ना पड़ा। इस प्रोपेगेंडा ने मुझे पीछे कर दिया। तो ये है वो बात जिसमें संजय खान injustice की बात कर रहे हैं। जीनत अमान और संजय खान की शादी हुई थी. ये बात हमें बिल्कुल झूठ इसलिए लगती है क्योंकि संजय खान की बीवी ने उनका साथ कभी छोड़ा ही नहीं था. तो अंत में यही कहना चाहूंगी कि उस दिन कुछ तो हुआ था, ये बात सच है। पर असलियत में क्या हुआ, इस पर सवाल खड़े होते हैं। क्योंकि मारपीट वाली बात Cineblitz मैगजीन ने बताई। ना कि जीनत अमान ने और संजय खान जिस journalist की बात कर रहे थे, वो शायद मैगजीन का वर्कर होगा, तो ये है इस कहानी की दूसरी साइड।
यहाँ से संजय खान दूसरी पारी शुरू होती है. फिल्म जगत के बाद टेलीविज़न जगत में उन्होंने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए. संजय खान अकेले सुपरस्टार है जिन्होंने फिल्म जगत के साथ टेलीविजन इंडस्ट्री में भी कामयाबी हासिल की. पर इस दूसरे पारी में एक घटना ऐसी हुई जिसके कारण संजय खान की जान तक जा सकती थी. साल 1989 में वे अपनी पहली सीरियल “The Sword of Tipu Sultan” बना रहे थे. शूटिंग सेट मैसूर में लगा था वहां एक घटना हुई और संजय खान की बॉडी 63% जल गए.
इतनी गंभीर घटना के बाद पूरे फिल्म जगत में सन्नाटा छा गया. हर कोई उन्हें जिंदा देखना चाहता था. आपको बता दूँ कि 40 लोग इस दुर्घटना में मारे गए. संजय खान को अगले 13 से 14 महीने में टोटल 75 सर्जरी से गुजरना पड़ा। इसके बाद उन्हें अमेरिका भेजना पड़ा। जहाँ उनके हाथ-पाँव की सर्जरी हुई. इस बीच अकबर खान ने उस सीरियल का काम जारी रखा। संजय खान असली जिंदगी में बहुत विचारशील व्यक्ति है। टीपू सुल्तान के बाद उन्होंने “द ग्रेट मराठा” जैसे सीरियल बनाकर लोकप्रियता हासिल की। उस जमाने में “जय हनुमान” सीरियल का क्रेज भी था। भगवान बुद्ध और मुगल ऐरा के “जोधा अकबर” की कहानी पर भी सीरियल बनाना चाहते थे। पर किसी कारणवश वो सीरियल बन नहीं पाई। 90 से लेकर 2003 तक टेलीविजन जगत में काम करने के अलावा उन्होंने अपने परिवार का व्यापार भी संभाला।
90 के दशक में वे गल्फ कंट्री के साथ एक्सपोर्ट का काम भी करते थे। आपको बता दूँ कि उनके परिवार के लोग कंस्ट्रक्शन का काम भी करते थे। फिल्म जगत से अपना हाथ निकालने के बाद उन्होंने व्यापार और टेलीविजन को बहुत अच्छी तरह से संभाला। आग वाले दुर्घटना के बाद एक और जानलेवा हादसा 2003 के साल में हुआ। इस बार भी संजय खान बाल-बाल बच गए। उस वक्त वे हेलीकॉप्टर में सवार होकर कर्नाटक के बालाकोट जा रहे थे और उड़ान के वक्त टेक्निकल खराबी के कारण crash हो गया. जिसमें संजय खान समेत 4 लोगों की जान बच गई. आपको बता दूँ कि संजय खान के साथ विजय माल्या भी उस हेलीकॉप्टर में सवार था. जो इन दिनों देश के बाहर छुपकर बैठा है जैसे कि पहले बता दिया है कि संजय खान हमेशा देश सेवा के लिए तड़पते रहते थे.
साल 2013 में जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब संजय खान आगरा में देश का सबसे बड़ा थीम पार्क बनाना चाहते थे. इस प्रोजेक्ट के लिए 1000 करोड़ रूपए का बड़ा बजट भी तय हुआ था. पर कुछ साल के बाद योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी और इस प्रोजेक्ट का काम रुक गया. संजय खान अपने पूरे परिवार के साथ बैंगलोर में ही रहते हैं वहाँ उनका गोल्डन पाम्स एंड स्पायर रिसोर्ट नाम का आलीशान होटल था जिसे उन्होंने 2012 के साल में 300 करोड़ में बेच दिया था.
बॉलीवुड में आज के दौर में शाहरुख खान ऐसे एक्टर है जिनके पास सबसे ज्यादा नेटवर्थ है. असल में संजय खान और उनके स्वर्गीय भाई फिरोज खान को सबसे अधिक अमीर कलाकार माना जाना चाहिए। संजय खान की शादी 1966 में हो चुकी थी. उनकी पत्नी जरीन खान से उन्हें 4 बच्चे हुए। फारा, सिमोन, सुजैन और जायद। सुजैन की शादी सुपरस्टार ऋतिक रोशन से हुई तो वहीँ जायद खान ने भी बेहतरीन फिल्मों में काम किया था पर उन्हें अपने पिता की जैसी इतनी सफलता मिली नहीं। जायद को छोड़कर किसी ने भी इनके परिवार में फिल्मों में काम करने की इच्छा जताई नहीं। अंततः कहना चाहूंगी कि इन 3-4 साल में संजय खान ने दो किताबें लिखकर अपने जीवन के बहुत सारे राज दुनिया को बताई।