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नींद का विज्ञान: मस्तिष्क स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में इसके फायदे, Dr Alok Sharma on Science of Sleeping

Science of Sleeping

Science of Sleeping: क्या आप जानते हैं कि नींद सिर्फ आराम नहीं, बल्कि हमारे मस्तिष्क और शरीर की सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है? इस विषय पर देश के प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन और न्यूरोसाइंटिस्ट, डॉक्टर आलोक शर्मा, ने गहराई से चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नींद केवल थकान मिटाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आधार भी है।

Science of Sleeping

नींद के दो मुख्य चरण: नॉन-आरईएम और आरईएम

डॉ. शर्मा ने बताया कि नींद दो मुख्य चरणों में विभाजित होती है:

  1. नॉन-आरईएम (Non-Rapid Eye Movement): यह नींद का पहला चरण है जिसमें शरीर गहरे आराम की स्थिति में पहुंचता है और हमारी आंखें स्थिर रहती हैं।
  2. आरईएम (Rapid Eye Movement): इस चरण में हमारी आंखें तेजी से हिलती हैं और सपने दिखाई देते हैं। मस्तिष्क इस समय अधिक सक्रिय होता है और यह हमारी रचनात्मकता और भावनात्मक संतुलन से जुड़ा होता है।

नींद की कमी के गंभीर प्रभाव

नींद की कमी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। डॉक्टर शर्मा ने साझा किया कि कम सोने वालों में कैंसर, हृदय रोग, और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग 4 घंटे से कम सोते हैं, उनमें कैंसर का खतरा 40% बढ़ जाता है।

इम्यून सिस्टम पर प्रभाव

नींद का इम्यूनिटी पर भी बड़ा असर पड़ता है। एक अध्ययन ने साबित किया कि 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेने वालों में फ्लू का प्रभाव केवल 18% था, जबकि 5 घंटे सोने वालों में यह बढ़कर 50% हो गया। इसका मतलब है कि नींद हमारी इम्यून पावर को मजबूत करती है।

मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

नींद की कमी मस्तिष्क विकारों का कारण बन सकती है जैसे डिमेंशिया और अन्य मानसिक बीमारियां। डॉक्टर शर्मा ने बताया कि कम नींद लेने से मस्तिष्क व्यवस्थित रूप से विषाक्त पदार्थों को साफ नहीं कर पाता, जिससे याद्दाश्त और मस्तिष्क का स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

मस्तिष्क की “कचरा सफाई” प्रणाली

नींद के दौरान मस्तिष्क में एक विशेष लिंफेटिक सिस्टम सक्रिय होता है, जो मस्तिष्क से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इसे “कचरा क्लीनिंग” प्रक्रिया कहा गया है। यह सिर्फ मस्तिष्क नहीं, बल्कि पूरे शरीर को रिफ्रेश करने का जरिया है।

बेहतर नींद के लिए सुझाव

डॉ. शर्मा ने नींद की गुणवत्ता को सुधारने के कुछ आसान टिप्स भी दिए:

  • नियमित सोने और उठने का समय तय करें।
  • स्क्रीन टाइम कम करें। नीला प्रकाश (ब्लू लाइट) नींद को प्रभावित करता है।
  • सोने से पहले भारी भोजन से बचें।
  • योग, प्राणायाम और ध्यान प्रैक्टिस करें।

विशेष रूप से योग निद्रा (Yoga Nidra) का सुझाव दिया गया, जो गहरी और आरामदायक नींद के लिए बेहद फायदेमंद है।

नींद का करियर और रिश्तों पर प्रभाव

नींद का असर हमारे करियर और व्यक्तिगत जीवन पर भी होता है। बेहतर नींद से निर्णय क्षमता तेज होती है और रिश्तों में धैर्य और भावनात्मक सामंजस्य आता है। पर्याप्त नींद लेना एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल है, जो कामयाबी और सुखमय जीवन का आधार बनता है।

निष्कर्ष

नींद केवल एक गतिविधि नहीं, बल्कि हमारे शरीर और मस्तिष्क के लिए अनिवार्य जरूरत है। यह हमारी शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत के हर पहलू को प्रभावित करती है। डॉक्टर आलोक शर्मा ने सही कहा कि नींद को एक आदत नहीं, बल्कि जीवन के जरूरी कौशल के रूप में अपनाना चाहिए। नियमित और गुणवत्तापूर्ण नींद से आप न केवल स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि अपनी रचनात्मकता और कार्यक्षमता को भी बढ़ा सकते हैं। क्या आप आज से ही अपनी नींद के पैटर्न में सुधार शुरू करेंगे?

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