Toyota Car Success Story: टोयोटा की फॉर्चुनर कार हमारे यहां इण्डिया में नेताओं की पहली पसंद है। रुतबा और दबंगई का स्टेटस सिंबल माना जाता है इस कार को। कार बनाने वाली कंपनी टोयोटा यूं तो जापानी कंपनी है. लेकिन भारत में भी Toyota Car के कई मॉडल काफी फेमस हैं।
टोयोटा कंपनी के नाम एक बड़ा रिकॉर्ड भी है। यह कंपनी दुनिया में सबसे ज्यादा कार बनाने वाली कंपनी भी रही है। साल 2016 में ही इस कंपनी ने लगभग 1 करोड़ 2 लाख से ज्यादा गाड़ियां बनाई। इतने बड़े स्तर निर्माण के बाद टोयोटा कंपनी, Volksvagen कंपनी को पीछे छोड़ कर प्रोडक्शन के मामले में नंबर 1 बन गई। Toyota की कोरोला मॉडल सबसे सुरक्षित कारों में से एक है। यह कार मॉडल भी अपने सेफ्टी स्टैंडर्ड के कारण गिनीज बुक रिकार्ड्स में शामिल है। साल 2005 तक इस कार की (Toyota Corolla) 3 करोड़ यूनिट बिक चुकी थीं. दुनिया में किसी भी कार के मामले यह अपने आप में एक बहुत बड़ा कीर्तिमान है।
मेगा एम्पायर सीरीज में जानिए कार बनाने वाली टोयोटा कंपनी के सफलता की कहानी
भूकंप से मिली कार कंपनी को खड़ा करने की प्रेरणा
प्रदीप ठाकुर की किताब Toyota’s Success Story में इस कंपनी के बारे में काफी कुछ जानकारी दी गयी है। इस बुक के अनुसार, भूकंप की एक घटना के बाद टोयोटा कंपनी को खड़ा करने का पहला बार आईडिया आया था। साल 1923 में जापान में आए उस भूकंप ने काफी मात्रा में तबाही मचाई थी। उस समय भूकंप में लोगों की जान बचाने के लिए कारों का इस्तेमाल किया गया था। इसी त्रासदी के बाद ही जापान की कार इंडस्ट्री ने रफ्तार जोरदार पकड़ी थी। इसी से प्रेरित होकर Toyota के फाउंडर किइचिरो ने साल 1932 में कार का एक प्रोटोटाइप मॉडल AA 1932 बनाया और फिर बाद में साल 1936 में उन्होंने टोयोटा कंपनी की नींव रखी।
शुरुआत में कंपनी का एक ही मोटो था, quantity नहीं quality पर ध्यान दो
अपने Production, Reliability और Safety के लिए आज टोयोटा दुनियाभर में मशहूर है। कंपनी के इस भरोसे का असल सफर साल 1951 से शुरू हुआ। यही वो साल था जब टोयोटा ने पहली बार लैंड क्रूजर मॉडल पेश किया और यह दुनियाभर में बहुत ज्यादा पॉपुलर हुआ। उस समय कंपनी ने एक महीने सिर्फ 500 कारों का प्रोडक्शन शुरू किया। यह कंपनी कारों की मैन्युफैक्चरिंग से ज्यादा उसकी क्वालिटी और सेफ्टी पर फोकस करना चाहती थी। इसी वजह से टोयोटा धीरे-धीरे एक बड़े ब्रैंड के तौर पर उभरी और साल दर साल उसका प्रोडक्शन भी बढ़ता गया।
Toyota Car Company दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय दिवालिया होने वाली थी
वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान जब टोयोटा की हालात खराब हुई तो कार प्रोडक्शन इस हद तक प्रभावित हो गया कि कंपनी को दिवालिया होने के लिए एप्लीकेशन देनी पड़ी। तब किइचिरो ने इस ख़राब हालत से निकलने के लिए एक उपाय ढूंढा। खर्चे को घटाने के लिए टोयोटा को छंटनी भी करनी पड़ी थी। कर्मचारियों में गुस्सा बढ़ा और उन्होंने इस छटनीं के विरोध में हड़ताल शुरू कर दी और फिर toyota मैनेजमेंट में बदलाव भी किया गया। कुछ समय बाद अमेरिका समेत कई सारे देशों में मिलिट्री ट्रक की मांग बहुत ज्यादा बढ़ने लगी। कंपनी ने इस मौके को बिना गंवाए कई सारे शहरों में आउटलेट खोले और अपने प्रोडक्शन को भी बढ़ावा दिया।
साल 1963 में पहली बार टोयोटा ने रिकॉर्ड 10 लाख कारों का एक्सपोर्ट किया
गाड़ियों में नयापन लाने के लिए टोयोटा ने अपनी फैक्ट्रीज में रिसर्च एंड डेवलपमेंट यूनिट की स्थापना की। यह स्टेप टोयोटा के लिए फायदेमंद साबित हुआ और कंपनी की आमदनी बड़ी रफ़्तार से बढ़ने लगी। साल 1963 से कंपनी ने अपना विस्तार करना शुरू किया। पहली बार एक साल के अंदर 10 लाख कारों का टोयोटा ने एक्सपोर्ट किया। अमेरिकी बाजार में साल 1991 तक कंपनी एक लाख से अधिक कार और ट्रक बेच चुकी थी। अमेरिकी मार्केट में एंट्री करने के बाद कंपनी ने लैटिन अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भी एंट्री ली.
टोयोटा, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी भी बनी
धीरे-धीरे कंपनी का विस्तार हुआ और वो किफायती कारें बनाने में भी सफल रही जिसके बाद टोयोटा ने लग्जरी कार भी बनाना शुरु कर दिया। इसके बाद टोयोटा के लग्जरी कार ब्रांड लेक्सस की भी शुरुआत हुई। साल 2000 में टोयोटा ने कई कंपनियों के साथ मिलकर कारोबार को बढ़ाना शुरू किया। इसके बाद टोयोटा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार तरक्की करती गयी। मार्केट कैप के मामले में वर्तमान में टेस्ला के बाद टोयोटा ही दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी का दर्जा रखती है।
इंजन इतना मजबूत होता है कि पानी में डुबाने से भी नहीं होता खराब
एक रिपोर्ट्स की मानें तो पिछले 20 सालों में टोयोटा ने जितनी भी कारें बेचीं, उसमें से करीब 80% कारें आज भी रोड पर है। बीबीसी की Top gear team ने टोयोटा के इंजन और बॉडी की मजबूती को टेस्ट करने के लिए इसकी एक कार को कई सारे तरीकों से टेस्ट किया। बीबीसी वालों ने Toyota Hilux मॉडल को पेड़ से टकराया, पानी में डुबाया, बिल्डिंग से गिराया और आग भी लगाकर देखी और ये सब झेलने के बाद भी Toyota Hilux Model का इंजन काम कर रहा था।
भारतीय राजनेताओं की पहली पसंद टोयोटा की cars
टोयोटा की फॉर्च्यूनर मॉडल की कार भारत के नेताओं की पहली पसंद रही है। भारत में टोयोटा की ये कार एक स्टेटस symbol की तरह है। भारत में टोयोटा के कारों को लाने का श्रेय विक्रम एस किर्लोस्कर को दिया जाता है। ये कार ब्रांड खासतौर पर भारत में मशहूर तब हुआ जब लालकृष्ण आडवाणी ने सितंबर 1990 में इसी टोयोटा कंपनी के बनाए एसी रथ से अपनी रथ यात्रा की शुरुआत करी थी। मौजूदा समय में टोयोटा कंपनी का इंडिया के कार मार्केट में करीब 4% का शेयर रखता है।
भारत में नितिन गडकरी ने टोयोटा कंपनी का पायलट प्रोजेक्ट किया लॉन्च
इलेक्ट्रिक कार वाले सेगमेंट में टेस्ला को पछाड़ने के लिए टोयोटा फ्लेक्स फ्यूल कॉन्सेप्ट लेकर आयी। हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में इस फ्लेक्स फ्यूल पर बेस्ड, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक व्हीकल का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया था। टोयोटा का यह फ्लेक्स फ्यूल बेस्ड कार बनाने का भारत में पहला पायलट प्रोजेक्ट है। फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल की बात करें तो दरअसल ये एक अल्टरनेटिव फ्यूल व्हीकल है जिसे एक से ज्यादा फ्यूल पर चलने के लिए डिजाइन किया जाता है। आमतौर पर इसमें इथेनॉल या मेथनॉल फ्यूल के साथ मिक्स गैसोलीन को एक ही टैंक में डाला जाता है। इथेनॉल और मेथनॉल जैसे फ्यूल पर चलने वाले इन इलेक्ट्रिक व्हीकल्स से प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याओं पर भी कंट्रोल किया जा सकता है।