Truth About Cryptocurrency: साल 2022 के नवंबर महीनें में Cryptocurrency के रहस्यमय दुनिया में तब भूचाल आ गया जब Cryptocurrency exchange company FTX के संस्थापक Sam Bankman Freed ने FTX के दिवालिया होने की घोषणा कर दी.
30 साल के अमरीकी Sam Bankman Freed को एक बेहद प्रतिभाशाली genius के रूप में देखा जाता था. उन्होंने Democratic Party को भी बड़े-बड़े चंदे दिए. अब कर्जदार उनसे अपना बकाया अरबों Dollars मांग रहे है. इस company के चौंकाने वाले पतन से cryptocurrency कंपनियों की विश्वसनीयता को आघात पहुँचा है. लेकिन बहुत से देश जो लोगों और कंपनियों के बीच पैसों के लेन-देन की व्यवस्था में बड़े बदलाव की ओर आगे बढ़ रहे है उनके लिए मात्र ये एक मामूली अड़चन है.
कई देश cryptocurrency की तर्ज पर अपनी digital currency शुरू करने की योजना बना रहे है उनमें भारत भी शामिल है. जिससे पैसों के लेनदेन में बैंकों की भूमिका खत्म हो सकती है. हाल ही में भारत में भी कुछ गिने चुने शहरों में कुछ बैंकों ने digital currency शुरू की है.
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी की पूरी सच्चाई (Truth About Cryptocurrency)
अब सवाल यहाँ ये खड़ा होता है कि क्या digital currency कैश की जगह ले सकती है? या क्या ये नगद पैसे का विकल्प बन सकती है? आइये जानते हैं विस्तार से.
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पार्ट 1: डिजिटल सोना या क्रिप्टोकरेंसी
Cryptocurrency की शुरुआत तो 90 के दशक के मध्य में ही हो चुकी थी. इसका मकसद था bank या किसी देश की currency पर निर्भर ना रहकर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पैसे पहुँचाना। लेकिन कई सालों तक ये concept या कहे कल्पना केवल digital दुनिया के शौकीन लोगों तक ही सीमित रही. साल 2008 की वैश्विक वित्तीय उठापटक (वैश्विक मंदी) के बाद पूरी तरह से ये अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में आ गयी.
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Francis Copler बताती है कि “साल 2009 में आयी पहली सफल Crypto Currency के जन्म के बारे में. ये थी Bitcoin. एक गुमनाम आदमी ने एक academic दस्तावेज प्रकाशित किया। इस दस्तावेज में बिलकुल नई currency payment प्रणाली का नक्शा खींचा गया था. जिसमें बैंकों, केंद्रीय बैंकों और यहाँ तक की सरकारों को भी बाहर रखा गया था और इस system के तहत लोग एक दूसरे के साथ खरीद फरोख्त के लिए बिना पारंपरिक currency या बैंकों के बिना ही पैसों का भुगतान कर सकते हैं.”
बहुत जल्दी ही लोग Bitcoin और ऐसी दूसरी करेंसियों के बारे में जानने लगे. इन crypto करेंसियों का प्रबंधन गैर सरकारी विकेंद्रीकृत technology के ज़रिए किया जाता है. इस technology को blockchain कहते है. इसके निर्माताओं ने ऐसा तरीका निकाल लिया था जिससे एक Bitcoin दोबारा न बन सके और इस तरह 2009 में पहली crypto currency की नींव पड़ी। जब 10000 Bitcoin से दो pizza खरीदे गए. कई निवेशकों और सट्टा बाज़ारियों की Bitcoin में रूचि पैदा हुई. लेकिन सामान्य तौर पर दुकानों में इसका इस्तेमाल कभी ठीक से प्रचलित नहीं हो पाया।
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Francis Copler आगे बताती है कि “यह कहना गलत नहीं होगा कि शुरुआत में इसका इस्तेमाल एक ऐसे लोगों के खास छोटे तबके में होता रहा. जो computer science के जानकार थे और व्यवस्था विरोधी थे या अराजकतावादी थे। वो लोगों का एक बहुत छोटा सा गुट था। आप उनसे चीजें खरीद सकते थे.”
Bitcoin वैश्विक currency (Truth About Cryptocurrency) नहीं बन पाई और ना ही आम दुकानों में इसका इस्तेमाल प्रचलित हो पाया। लेकिन 2013 तक Bitcoin ने एक बात ज़रूर हासिल की और वो ये कि उसने बड़ी तादाद में अपराधियों को अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया था. Silk Road नाम की एक website जहाँ नशीली drugs, अश्लील सामग्री या हथियार बेचे जाते थे वहाँ Bitcoin चल पड़ा था. ऐसी कोई भी चीज़ जो कानूनी तौर पर खरीदी ना जा सके वो Bitcoin से खरीदी जा सकती थी. साल 2013 में ही अमरीकी जाँच agency FBI ने इसे बंद करवा दिया।
तो फिलहाल सैकड़ों cryptocurrency अस्तित्व में है. इनकी कीमत में भारी उतार चढ़ाव आते रहते है. नवंबर 1921 में एक Bitcoin की कीमत 65 हजार Dollar से ज्यादा थी. लेकिन एक साल के भीतर जब FTX के दिवालिया होने की खबर फैली तो Bitcoin की कीमत गिरकर 16000 अमेरिकी Dollar से भी कम हो गयी.
निवेशक ये जरूर मान के चलते है कि किसी की जालसाजी के चलते bank में रखे उनके पैसे खो सकते है. लेकिन अगर वो अपने Bitcoin के password या key को किसी के साथ share ना करें तो blockchain technology की वजह से उनके Bitcoin के खोने का खतरा नहीं है.
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Francis Copler बताती है कि दरअसल Bitcoin कभी भी hack नहीं किया जा सकता है. हाँ अगर आपकी password key किसी के हाथ लग जाए या खो जाए तो आपकी Bitcoin चोरी हो सकती है.
अब सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि चूँकि cryptocurrency किसी सरकार या नियंत्रित बैंक द्वारा जारी नहीं की जाती और ना ही लेन-देन करने वाली कंपनियां उसे नियंत्रित करती है तो अगर आपके पैसे गायब हो जाए तो आप किसी की मदद नहीं ले सकते। FTX के मामले में भी यही हुआ.
पार्ट 2: क्रिप्टोकोर्रेंसी का दूसरा पहलू
Bitcoin की शुरुआत के कुछ ही समय बाद MIT के भौतिक शास्त्र के एक स्नातक एक दिन cryptocurrency की कीमतें देख रहे थे.
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Frencyn Macana बताती हैं कि “FTX के संस्थापक Sam Bankman Freed के बारे में एक किस्सा है कि एक दिन सुबह उन्होंने देखा कि Bitcoin Japan में 11000 डॉलर का बिक रहा था. जबकि अमेरिका में उसकी कीमत 10000 थी तो ये व्यापार का अच्छा मौका था कि आप जहां बिटकॉइन सस्ती कीमत में बिक रहे हो वहां से खरीदें और दूसरी जगह उसे महंगा बेचकर मुनाफा कमाएं।”
तो सैम बैंकमन फ्रीड ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बिटकॉइन की खरीद फरोख्त का कारोबार करने का फैसला किया। लेकिन इसके लिए उनके पास केवल अपने पैसे थे और इसे बड़े पैमाने पर करने के लिए औरों के पैसे की जरूरत थी. इसके लिए उन्होंने ऐसे ग्राहक ढूँढे जो cryptocurrency का व्यापार करना चाहते थे. Sam के पास अपने पैसे लगाने को तैयार थे और शायद यही से मुसीबत की शुरुआत हुई.
नियंत्रित share बाज़ार में आप वही पैसे लगा सकते है. जिसके लिए लोगों ने उसमें निवेश किया है. लेकिन ये cryptocurrency नियंत्रित नहीं थी और वो नियम इस पर लागू नहीं होते थे तो Sam Bankman Freed ने ग्राहकों के पैसे cryptocurrency बाजार में लगा दिए.
बाजार में FTX ही ऐसा market नहीं था बल्कि और भी कई सारे थे. FTX का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी था Coinbase. जिसके कई देशों में दस करोड़ से ज्यादा ग्राहक थे. FTX किसी नियंत्रित share बाजार में registered या listed नहीं थी. लेकिन coinbase New York के नैस्डैक share बाजार में listed थी. इसके तहत उसे share बाजार के नियमों का पालन करना पड़ता था. FTX पर ऐसा कोई नियंत्रण नहीं था. जाहिर सी बात है ऐसी सूरत में जब हालात बिगड़ते हैं तो फिर बेहद तेजी से बिगड़ते हैं। FTX के साथ भी यही हुआ।
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Frencyn Macana बताती हैं कि “अचानक लोग बैंक की ओर भागे अपना पैसा निकालने के लिए लेकिन असल पैसे तो थे ही नहीं। ग्राहकों के पैसे इस trading कंपनी को खड़ा करने में लगा दिए गए थे। FTX का कारोबार टोकन और crypto assets का था। जो इस बात पे निर्भर था कि लोग ये मानते थे कि इसकी कीमत है। लेकिन जब वो धारणा बदली तो सब कुछ गिर गया.”
जब FTX ने खुद को दिवालिया घोषित किया तो पता चला कि 10 लाख से ज्यादा ग्राहकों के अरबों Dollar उस पर बकाया थे और उनके पास अपने पैसे पाने का कोई तरीका नहीं बचा था.
पार्ट 3: Cryptocurrency का इस्तेमाल कौन लोग करते है
यहाँ पर हमारा पहला सवाल था कि FTX का गिरना Cryptocurrency की दुनिया में कितनी बड़ी विफलता और संकट है?
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Frencyn Macana बताते हैं कि “Cryptocurrency ही कितना बड़ा संकट है. इससे आए भूचाल के झटके अभी भी महसूस किए जा रहे हैं और इसका व्यवस्थाओं पर कितना असर पड़ेगा ये देखना होगा। हो सकता है कि ये Crypto के ठंडा पड़ जाने की शुरुआत भी हो.”
क्रिप्टो विशेषज्ञ Dave Burch कहते है कि “हालांकि FTX के दिवालिया होने से कई निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा है लेकिन ये रकम एक खरब Dollar से कम है जो कि विश्व के कुल व्यापार का बहुत छोटा हिस्सा है और Crypto बाज़ार का दुनिया के दूसरे व्यापारों से संबंध ना के बराबर है. इसलिए दुनिया के आर्थिक बाजार पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा।”
कुछ देश जैसे Brazil, उरुग्वे, Columbia और Chili Cryptocurrency को नियंत्रित करके अर्थव्यवस्था में शामिल करने की कोशिश कर रहे है. इन देशों ने कई नियंत्रण लागू किए भी है. लेकिन ये मुश्किल साबित हो रहा है. कई जाल साज़ इसे इसलिए पसंद करते है क्योंकि इसे बिना किसी नियंत्रण या निगरानी के किसी को भी दिया जा सकता है और वो भी बैंकों को शामिल किए बिना। इसलिए इसका इस्तेमाल करने वाले धोखेबाज़ सरकारी संस्थाओं से दो कदम आगे रहते हैं।
क्रिप्टो के विशेषज्ञ Frencyn Macana बताते हैं कि “बहुत से लोग अपने देश की currency को इसलिए पसंद नहीं करते क्योंकि एक तो उस पर नियंत्रण होते हैं या उसकी कीमत गिरती है. मेरे अनुभव के हिसाब से ज्यादातर लोग डॉलर चाहते हैं ना कि कोई अजीबो-गरीब currency जिसे वो नहीं समझते, 19 साल के कंप्यूटर प्रेमियों की बात अलग हो सकती है. लेकिन अगर आम लोगों को डॉलर digital currency में मिले तो वो जरूर इसे इस्तेमाल करना चाहेंगे।”
तो लगता है कि cryptocurrency समाधान नहीं है. कई देशों के Central Bank अब digital currency शुरू करने के बारे में सोच रहे है यानी वो पैसे जो आपके bank में नहीं laptop या mobile में होंगे। कई सरकारों को राष्ट्रीय digital currency में इसलिए भी रुचि हो सकती है क्योंकि इसके वितरण के लिए उसे बैंकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और इस पर सरकार का नियंत्रण ज्यादा होगा। अमेरिकी और यूरोपीय केंद्रीय bank इस पर विचार कर रहे है.
इस बीच चीन ने 23 शहरों में प्रयोग के तौर पर Digital Yuan जारी कर दिए है. इससे चीन की सरकार को ज़्यादा नियंत्रण हासिल होगा। अधिकारी इसकी आसानी से निगरानी कर पाएँगे और गैरकानूनी तरीके से देश के बाहर पैसे भेजना या tax की चोरी मुश्किल हो जाएगी, coding के जरिए। केंद्रीय bank ये भी नियंत्रित कर पाएँगे कि इन पैसों का किस तरह से इस्तेमाल हो रहा है.
हाल ही में भारत सरकार ने भी कुछ गिने-चुने शहरों के कुछ बैंकों के जरिए digital रुपए जारी किए है. Dave Burch के आश्वासनों के बावजूद लगता है कि पारंपरिक currency note और सिक्के ऐसे बुरे भी नहीं है.
पार्ट 4: क्या currency नोट का दौर खत्म होने जा रहा है?
अब हमने जानते हैं Brit Escort से क्रिप्टो के बारे में जो मुद्रा विज्ञानी है और cloud money किताब के लेखक भी. Brit Escort कहते है कि cryptocurrency और सरकारी नियंत्रण को लेकर चिंताएँ है. लेकिन जिस प्रकार card payment और bank में electronic transfer का चलन बढ़ा है. हमारे पैसों को ज्यादा नुकसान उन बैंकों से हो सकता है जो इस system को चलाते है.
हमारे क्रिप्टो विशेषज्ञ ब्रेट स्काउट बताते हैं कि “पैसे मुख्य रूप से दो तरह के है. एक तो सरकार द्वारा जारी currency note या credit card और electronic money transfer जो एक तरह के digital पैसे ही है. बहस का असली मुद्दा cryptocurrency नहीं बल्कि ये है कि क्या बड़े बैंक जैसे HSBC, Barklays या फिर Paypal जैसी technology की कंपनियां digital currency के जरिए मुद्रा वितरण का नियंत्रण सरकारी cash व्यवस्था के बजाय अपने हाथ में ले लेंगी?
Brit Escort कैश व्यवस्था के पक्ष में मुहिम चलाते है वो कहते है कि media भले ही इस बात पर जोर देता रहे कि cash currency के दिन लद गए है. लेकिन इसका इस्तेमाल जारी रहेगा।
हमारे क्रिप्टो विशेषज्ञ ब्रेट स्काउट बताते हैं कि “ये कहानी तो बड़ी corporate कंपनियों व्यावसायिक बैंकों और technology कंपनियों की शह पर फैलाई जा रही है क्योंकि cashless समाज इन संस्थाओं के हित में है. लेकिन इसमें कई बड़ी समस्याएँ है. सच्चाई ये है कि सरकारें भी जानती है कि पूरी तरह cashless समाज में जहाँ मुद्रा वितरण चंद बैंकों या कंपनियों के हाथों में आ गया तो कई समस्याएँ आएँगी। इसलिए इनका बन पाना आसान नहीं है. मुद्रा वितरण पर एक व्यक्ति या चंद लोगों के गुट का नियंत्रण चिंता की बात है. digital system में चिंता की बात तो ये भी है कि अगर internet ठप हो जाए तो क्या होगा।”
हमारे क्रिप्टो विशेषज्ञ ब्रेट स्काउट बताते हैं कि “बिलकुल सही online पैसे काफी सहूलियत के लग सकते है. लेकिन अगर internet जैसा system बंद हो जाए तो सारा कारोबार ठप हो जाएगा। इसलिए लोग cash को ध्यान में रखते है. cash ऊपरी तौर पर भले ही धीमी प्रणाली लगे लेकिन सत्ता और शक्ति के संतुलन के लिए वो ज़रूरी है.”
Truth About Cryptocurrency:Million Dollar Question After FTX Bankruptcy
अब हम लौटते है उसी सवाल पर कि क्या digital currency cash की जगह ले सकती है? telephone के bill अदा करने के अलावा कई और सेवाओं के आसानी से भुगतान के लिए लोग digital currency की ओर आए. लेकिन cryptocurrency कोई आकर्षक विकल्प इसलिए नहीं है क्योंकि चीजों की कीमत cryptocurrency में नहीं लगती और इसकी कीमत में भारी उतार चढ़ाव आते है.
वो इस्तेमाल होती है व्यापारिक सट्टे के लिए. इस दौरान कई सरकारें digital currency लागू करने के लिए आगे बढ़ रही है. आने वाले कुछ सालों में लोग बैंकों के बिना ही अपने देश की digital currency से लेन-देन और transfer कर पाएँगे। फायदा ये होगा कि इसकी कीमत सटोरियों की सोच पर नहीं बल्कि उस देश की आर्थिक साख पर निर्भर होगी। साथ ही digital currency की coding के ज़रिए सरकार ये भी देख पाएगी कि वो digital currency से क्या खरीदते है, बेचते है, किसके साथ कितना लेन देन करते है.
तो पहले सवाल का जवाब, क्या digital currency cash की जगह ले सकती है तो जवाब है कि हाँ ले सकती है लेकिन एक सवाल ये ज़रूर बन जाएगा कि सरकारी digital currency का इस्तेमाल करके हम सरकारों को कितने नियंत्रण और सौंप देंगे जिससे वो हमारी सभी गतिविधियों पर नज़र रख पाएगी।
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