हर दिन हम सड़कों पर, ट्रैफिक सिग्नल्स पर, मंदिरों के बाहर या रेलवे स्टेशनों पर भिखारियों को देखते हैं। कुछ बूढ़े, कुछ विकलांग, कुछ औरतें गोद में बच्चा लिए, तो कहीं मासूम बच्चे अकेले भीख मांगते मिलते हैं। पहली सोच यही आती है – “बेचारे हैं, कुछ मदद कर दूं।” लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इनमें से कई लोग अपनी मर्जी से नहीं, मजबूरी से नहीं, बल्कि माफिया के दबाव में भीख मांग रहे होते हैं?
💀 भिखारी माफिया: ये कोई फिल्मी कहानी नहीं है
“भिखारी माफिया” नाम सुनने में भले फिल्मी लगे, लेकिन ये हमारे आसपास हकीकत में मौजूद है। ये एक ऐसा नेटवर्क है जो गरीब, बेसहारा, और खासकर बच्चों को टारगेट करता है। उन्हें अगवा करता है, डराता है, पीटता है, और फिर मजबूर करता है भीख मांगने के लिए — और कमाई? सीधे माफिया की जेब में जाती है।
📊 कुछ चौंकाने वाले आंकड़े:
- भारत में 4 लाख से भी ज़्यादा भिखारी हैं, जिनमें बहुत से जबरदस्ती भीख मंगवा रहे हैं।
- हर साल करीब 60,000 बच्चे लापता हो जाते हैं, जिनमें कई इस माफिया के जाल में फँस जाते हैं।
- 32% भिखारी ₹100 से भी कम कमाते हैं, और उनकी कमाई भी उनसे छीन ली जाती है।
- कई को दवा दी जाती है ताकि वो चुपचाप बैठे रहें और ज़्यादा ‘दया’ बटोर सकें।
💔 एक सच्ची कहानी: सुरेश मांझी
सुरेश मांझी, बिहार का एक मजदूर था। उसे जबरन उठाकर मुंबई लाया गया, मार-पीट कर अपाहिज बना दिया गया और फिर कई शहरों में भेजा गया सिर्फ भीख मांगने के लिए। उसकी कहानी सिर्फ एक उदाहरण है — ऐसे हजारों लोग हर दिन इस सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं।
⚖️ कानून क्या कहता है?
पुराना कानून — Bombay Prevention of Begging Act, 1959 — कहता है कि भीख माँगना अपराध है। लेकिन इस कानून ने भिखारियों को ही अपराधी बना दिया, जबकि असली गुनहगार — यानी माफिया — अब भी खुलेआम घूमते हैं।
साल 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ हिस्से सस्पेंड किए और कहा कि भीख माँगना मजबूरी हो सकती है, अपराध नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट में भी बहस चल रही है — और उम्मीद है कि नजरिया बदलेगा।
✅ क्या किया जा सकता है?
1. भिखारियों को इंसान समझो, अपराधी नहीं
उनके साथ हमदर्दी रखो, लेकिन समझदारी भी दिखाओ।
2. सरकारी स्कीम्स को सही से लागू करो
रिहैबिलिटेशन, स्किल ट्रेनिंग, और रोजगार देने वाली योजनाएं सिर्फ कागज़ पर नहीं, ज़मीन पर भी दिखनी चाहिए।
3. जनता को जागरूक करो
सिर्फ पैसे देने से मदद नहीं होती — बल्कि माफिया को ताक़त मिलती है।
4. NGOs का साथ दो
ऐसी कई संस्थाएं हैं जो वाकई इन लोगों को एक नई ज़िंदगी देने की कोशिश कर रही हैं। उन्हें सपोर्ट करो।
🤝 आप क्या कर सकते हैं?
- पैसे की बजाय खाना, कपड़े, या ज़रूरी चीज़ें दें
- किसी NGO को डोनेट करें या वॉलंटियर बनें
- लोगों को इस बारे में बताएं — चाहे सोशल मीडिया हो या आपकी बातचीत
✨ अंत में…
हर भिखारी, हर बच्चा, हर औरत जो सड़कों पर दिखती है — वो सिर्फ “भीख माँगने वाला” नहीं, बल्कि किसी दर्दनाक कहानी का हिस्सा हो सकता है। ये ज़रूरी है कि हम उन्हें सिर्फ ‘दया’ की नजर से ना देखें, बल्कि इंसानियत और समझदारी से मदद करें।
कभी-कभी सबसे छोटी कोशिश, किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकती है।

















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