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पंजाब की गलियों से बॉलीवुड तक: शायना खत्री की संघर्ष यात्रा, Shayana Khatri Life Story

Shayana Khatri Life Story

Shayana Khatri Life Story: भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, छोटे शहरों से बड़े सपनों की ओर निकलने वाली कहानियाँ हमेशा दिलचस्प होती हैं। हरियाणा के अंबाला से आईं शायना खत्री ने इसी संघर्ष और सपनों के मेल से अपनी जगह बनाई। ज़िंदगी की हर ठोकर और संघर्ष ने उनकी कहानी को अनोखा और प्रेरणादायक बना दिया।

Shayana Khatri Life Story

नॉन-फिल्मी बैकग्राउंड से एक्टिंग का सफर

हरियाणा जैसे पारंपरिक इलाके में, लड़कियों का एक्टिंग में जाना लगभग असंभव माना जाता था। शायना का कहना है कि उनके परिवार को यह कतई पसंद नहीं था कि लड़की किसी फिल्म इंडस्ट्री में जाए। “लड़कियों के लिए तो बस कबड्डी और खेल-कूद को ही प्रोत्साहन मिलता था,” शायना ने बताया।

अपने परिवार और समाज की सीमाओं को तोड़कर, उन्होंने अकेले ही अपने ख्वाबों को पूरा करना शुरू किया। बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड, बिना पैसे और बिना किसी संपर्क के, यह यात्रा आसान नहीं थी।

शुरुआती संघर्ष: रेंट, खाना और पहचान

मुंबई आने के बाद शायना का सामना तमाम कठिनाइयों से हुआ। एक अकेली लड़की होने के नाते, उन्हें रहने के लिए जगह खोजने से लेकर, होटल में रूम बुक करने तक बार-बार रोकेट साइंस जैसा महसूस हुआ।

“मेरे पास होटल में रूम लेने तक के लिए आईडी थी, फिर भी सिंगल लड़की को रखने से इनकार कर दिया,” उन्होंने याद किया।

रेंटल प्रॉपर्टी के मामले में तो और मुश्किलें आईं। कई जगहों पर किराए से पहले उनसे पूछा जाता कि क्या वे मॉडल हैं, या उनके साथ परिवार आएगा। आखिरकार, उन्होंने अपनी बहन के साथ एक फ्लैट शेयर किया और घर का खाना बनाना शुरू किया।

कास्टिंग काउच और कमीशन: सच का सामना

फिल्म इंडस्ट्री की असलियतों में से एक कड़वा सच है कास्टिंग काउच। शायना ने इसे लेकर बहुत कुछ झेला। शुरुआती दौर में कास्टिंग डायरेक्टर्स ने उनके साथ धोखेबाज़ी की। उन्हें पैसे जमा करने को कहा जाता और बदले में काम का आश्वासन दिया जाता।

“कुछ लोग 5,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक मांगते थे,” उन्होंने बताया। लेकिन शायना ने इन सबका सामना करते हुए अपनी स्पष्ट सोच और ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ा।

शूटिंग के दौरान सच्चाई और झूठ

जब वेब सीरीज और सीन शूट करने की बात आती है, तो शायना ने एक पर्सनल अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि कई सेट्स पर कंफर्ट का ध्यान नहीं रखा जाता।

“कुछ सेट्स पर 20-25 लोग अंदर होते हैं, जो अनचाहे और असुविधाजनक होते हैं। मुझे बोलना पड़ता है कि ‘निकालो इन्हें बाहर!’,” शायना ने स्पष्टता से कहा।

उन्होंने यह भी बताया कि बोल्ड सीन शूट करते वक्त ज़्यादातर चीज़ें केवल अभिनय होती हैं। “यह सब रियल नहीं होता। अगर ऐसा सच में होता, तो हम अब तक बीमार हो चुके होते,” उन्होंने मजाकिया अंदाज़ में कहा।

फ्रेंडशिप और इमोशनल जुड़ाव

शूट के दौरान अक्सर कलाकारों के बीच दोस्ती हो जाती है। ऐसा ही कुछ शायना के साथ हुआ। उनके पहले प्रोजेक्ट्स में एक को-स्टार के साथ बातचीत से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई। अब वह उनके सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं।

“मैं उन्हें मैनेजर के नाम से जानती हूं। वह मेरी हर चीज़ में मदद करते हैं,” शायना ने खुशी जाहिर की।

फैंस और आगे का संदेश

शायना ने अपने फैंस का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनकी प्रशंसा और आलोचनाएं दोनों ही उन्हें बेहतर बनने में मदद करती हैं।

“अगर आप इस इंडस्ट्री में आना चाहते हैं, तो अंदर आने से पहले तैयार रहें। अपनी फैमिली और दोस्तों से दूर रहने का साहस रखें। साथ ही हमेशा ऐसे लोगों को अपने पास रखें जो आपकी प्रगति और पॉजिटिविटी को प्रोत्साहित करें,” उन्होंने सलाह दी।

पसंदीदा प्रोजेक्ट्स

शायना के मुताबिक, उनके कुछ पसंदीदा प्रोजेक्ट्स में ‘पहरेदार’, ‘जलेबी बाई’, और ‘बिकाऊ’ शामिल हैं। उन्होंने ‘मलाई’ नामक प्रोजेक्ट में भी काम किया, जो उनके लिए बेहद खास रहा।

निष्कर्ष

हरियाणा की गलियों से लेकर मुंबई की चकाचौंध तक का सफर आसान नहीं था। समाज और परिवार से लड़कर, शायना ने साबित किया कि मेहनत और लगन से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

शायना खत्री की यह कहानी एक प्रेरणा है उन सभी के लिए, जो अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत रखते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो बस अपने इरादों को मजबूत रखें और आगे बढ़ें।

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