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एक स्टैंडअप कॉमेडियन की कहानी: आदित्य कुलश्रेष्ठ उर्फ कुल्लू, Aaditya Kulshrestha aka. Kullu

Aaditya Kulshrestha aka. Kullu

Aaditya Kulshrestha aka. Kullu: स्टैंडअप कॉमेडी की दुनिया में कदम रखना आसान नहीं होता, और अगर आप छोटे शहर से हैं, तो चुनौतियां और भी ज्यादा हो जाती हैं। यही कहानी है आदित्य कुलश्रेष्ठ, उर्फ कुल्लू की, जिन्होंने भोपाल से शुरुआत कर मुंबई तक का सफर तय किया। उनका यह सफर हंसी, संघर्ष, और प्रेरणा से भरा है।

आइए उनकी इस दिलचस्प यात्रा पर नज़र डालते हैं।

Aaditya Kulshrestha aka. Kullu

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भोपाल से रेडियो जॉकी बनने तक

कुल्लू ने अपने करियर की शुरुआत रेडियो जॉकी के रूप में की थी। कॉलेज के दिनों में वो शो करते थे और पब्लिक के सामने परफॉर्म करने का अनुभव यहीं से आया। उस वक्त स्टैंडअप कॉमेडी एक बड़ा कदम लगता था, इसलिए उन्होंने पहले कविता लिखी और उसमें जोक्स डालकर परफॉर्म किया।

भोपाल में उनके शुरुआती दिन संघर्षपूर्ण रहे। उन्होंने बताया कि कैसे क्लब शोज़ और छोटे इवेंट्स करते हुए उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्होंने एक मज़ेदार घटना शेयर की, जिसमें उन्हें गलत शो लोकेशन पर भेज दिया गया था। ये अनुभव बताते हैं कि भारत में स्टैंडअप कॉमेडी कैसे छोटे स्तर से शुरू होती है।

रेडियो जॉकी बनने और फिर स्टैंडअप कॉमेडी की ओर बढ़ने का उनका सफर आसान नहीं था। उन्होंने बताया कि कैसे अपनी परफॉर्मेंस में सुधार लाने के लिए उन्होंने ओपन माइक्स का सहारा लिया।

जक़ीर खान और मुंबई में नई शुरुआत

कुल्लू ने माना कि ज़क़ीर खान और उनके जैसे बड़े कलाकारों से मिलने ने उनकी ज़िंदगी को बदल दिया। उन्होंने ज़क़ीर और तन्मय भट्ट के साथ काम किया, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। “फर्ज़ी मुशायरा” में हिस्सा लेने से लेकर “तन्मय रिएक्ट्स” का हिस्सा बनने तक, उन्होंने कई मजेदार प्रोजेक्ट्स किए।

उन्होंने बताया कि कैसे मुंबई आने के बाद एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। भोपाल में जहां लोग उनकी कॉमेडी पर हंसते थे, वहीं मुंबई में शुरुआत में सन्नाटा छा जाता था। लेकिन इसी अनुभव ने उन्हें अलग-अलग ऑडियंस के साथ सामंजस्य बैठाने और अपनी परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने में मदद की।

कोविड-19 और सोशल मीडिया का असर

महामारी के दौरान जब लाइव शो बंद हो गए, तो कुल्लू ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। उनका कंटेंट वायरल हुआ और उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी ऑडियंस बनाई। ये बताते हुए उन्होंने सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने इस दौरान अपने अनुभवों को साझा किया कि कैसे एक नई दिशा में बढ़ने का मौका मिला। ये उनके लिए सीखने और खुद को नए सिरे से पेश करने का समय था।

यात्रा और जीवन के अनुभव

कुल्लू ने अपनी यात्रा के किस्से भी सुनाए। यूरोप की उनकी यात्राओं ने न सिर्फ उन्हें जीवन के प्रति नई दृष्टि दी, बल्कि उनकी कॉमेडी में भी विविधता लाई। उन्होंने बताया कि कैसे अलग-अलग जगहों का अनुभव उनकी कहानियों और चुटकुलों में झलकता है।

इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि नई जगहें देखने से न केवल रचनात्मकता बढ़ती है, बल्कि जीवन के छोटे-छोटे पलों की कद्र करना भी आता है।

संघर्ष और सफलता की सीख

छोटे शहर से शुरू करके बड़े मंचों पर जगह बनाना कभी आसान नहीं होता। कुल्लू ने बताया कि कैसे बार-बार रिजेक्शन के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने “इंडिया’s लाफ्टर चैलेंज” और “कॉमिकस्तान” जैसे शोज़ के ऑडिशन दिए, लेकिन चयन नहीं हुआ। फिर भी, उन्होंने अपने सफर को जारी रखा और खुद को साबित किया।

उनका मानना है कि नेटवर्किंग, सहयोग, और अपने काम के प्रति सच्चाई कभी बेकार नहीं जाती। जो लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और अपने हुनर को ईमानदारी से निखारते हैं, वही आगे बढ़ते हैं।

निष्कर्ष

आदित्य कुलश्रेष्ठ का सफर साबित करता है कि मेहनत, लगन और सही अवसर मिलने पर हर कोई कुछ बड़ा हासिल कर सकता है। उन्होंने इस सफर में सिर्फ कॉमेडी नहीं सीखी, बल्कि जिंदगी को गहराई से समझा।

उनके अनुभव उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं, जो अपने छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर निकलते हैं। कुल्लू की कहानी बताती है कि जीवन में हंसते हुए मुश्किलों का सामना करना और अपनी अलग आवाज़ बनाना कितनी बड़ी बात है।

तो, अगर आपके पास भी कोई सपना है, तो उसे पूरा करने के लिए हिम्मत जुटाइए। जैसा कुल्लू कहते हैं, “अपना अंदाज़ मत बदलो, क्योंकि लोग आपकी सच्चाई की कद्र करते हैं।”

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