Top 5 Rising Stars of Politics in Bihar: बिहार के ऐसे युवा राजनीतिक चेहरे जिन्होंने बना ली है अपनी खुद की पहचान। तेजस्वी यादव, चिराग पासवान तो है ही लेकिन इस कहानी में चर्चा इनसे इतर 5 ऐसे युवा चेहरे की जो बिहार की राजनीति में लगातार बढ़ रहे हैं, मिसाल कायम कर रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि ये नए चेहरे निकट भविष्य में पॉलिटिक्स का एक बड़ा चेहरा बनें।
Top 5 Rising Stars of Politics in Bihar
ऋतुराज सिन्हा
बात अगर ऋतुराज सिन्हा की हो तो इन्हें बिहार ही नहीं पूरा देश जानता है, दुनिया के कई दूसरे देशों में भी पहचान है, बहुत मजबूत नीव वाले हैं, आर के सिन्हा के बेटे, एसआईएस के सर्वेसर्वा, लंदन में पढ़े-लिखे लेकिन राजनैतिक सामाजिक पहचान का फलक अब इससे भी बहुत बड़ा सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और होम मिनिस्टर अमित शाह का भरोसा बीजेपी के national president जेपी नड्डा भी ऋतुराज सिन्हा के सांगठनिक क्षमता पर पूरा यकीन करते हैं तभी तो ऋतुराज सिन्हा को फिर से बीजेपी का national secretary बनाया गया है.
बिहार से अकेले ऋतुराज ही हैं जिन्हें बीजेपी ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की सूची में शामिल कर रखा है। समझ ही सकते हैं अहमियत अभी वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों को देश की घर-घर तक पहुँचाने के मेगा अभियान में लगे हैं. बिहार priority में रहता है फिर से एक बार देश में मोदी सरकार के नारे को ऋतुराज सिन्हा ने पहले दिन से ही पॉपुलर बना दिया है विवाद भी हुआ दीवार पर जब नारे लिखे गए तो बिहार के महागठबंधन सरकार खफा हो गई. एफआईआर दर्ज होने लगा लेकिन ऋतुराज सिन्हा ने मुंह तोड़ जवाब दिया दो टुक बोले मोदी तो लोगों के दिलों में है कोई नहीं निकाल सकता अब इसके लिए एक क्या सौ मुकदमे भी खाने को तैयार है ऋतुराज सिन्हा
ऋतुराज सिन्हा बिहार के लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है बात रोजगार की हो या फिर स्वरोजगार के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की, बिहारियों को ऋतुराज सिन्हा ने हमेशा अहमियत दी है। दिल्ली के अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचने वाले बिहारियों को सहूलियत मिले ये प्रयास priority में रहता है, देश-विदेश में पढ़े हैं, इसलिए मुद्दों की बात करते हैं, बिहार के हक हकूक के लिए मुखर रहते हैं, बिहार सरकार जहाँ भूल करती है वहां जरूर टोकते हैं।
विशाल सिंह
शाहाबाद की मिट्टी से आने वाले विशाल सिंह की पहचान अब राष्ट्रीय है। बहुत मुश्किल परिस्थिति में सामाजिक और राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया। लेकिन अब आगे ही बढ़ते जा रहे हैं, अब आप जानिए उस हालात को. विशाल सिंह को यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने अगले कुछ दिनों में लंदन जाना था। टिकट कट गया था। तभी उनके सांसद पिता अजीत कुमार सिंह की मौत एक रोड accident में बिहार के सिवान में हो जाती है।
तब अजीत सिंह बिहार की राजनीति के एक मजबूत हस्ताक्षर विक्रमगंज से जेडीयू के सांसद और देश के सबसे बड़े सहकारी नेता थे। देश की cooperative politics में अजीत सिंह के बिना कोई पत्ता भी नहीं हिलता था। लेकिन अब अजित सिंह इस दुनिया में नहीं रह गए थे, बस यादें ही शेष थी. ऐसे में बेटे विशाल सिंह का लंदन जाकर पढ़ाई करने का सपना टूट जाता है।
इकलौते संतान है, पिता के चले जाने के बाद माँ अमीना सिंह को संभालना है। उम्र कम है फिर भी पिता के बिजनेस के साथ राजनीतिक विरासत को संभालना है। कई अपने पिता के जाते ही पराए हो जाते हैं। पर इन विकट हालातों से विशाल सिंह को अब खुद के बूते आगे निकलना होता है। सबसे पहले माँ अमीना सिंह को उपचुनाव में पिता की जगह पर चुनाव लड़ाने का फैसला करते हैं।
माँ चुनाव जीतती है। 2009 में आरा से भी सांसद बनती है और इसी बीच विशाल सिंह सहकारिता की दुनिया में कदम ही रख रहे होते हैं, पिता द्वारा तैयार पटना दिल्ली के स्कूल चेन को और आगे ले जाते हैं। कई नए स्कूल खोलते हैं, पटना का रेडियंट स्कूल सफलता के नए कीर्तिमान को गढ़ने लगता है और अब विशाल सिंह की ऊंचाई को देखिए पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए विशाल सिंह देश के शीर्ष cooperative संस्थानों में शामिल एनसीसीएफ के निर्विरोध चेयरमैन चुने जाते हैं.
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ पीयूष गोयल जैसे वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री विशाल सिंह पर भरोसा करते हैं, संवाद करते हैं। देश में जब टमाटर की कीमतों ने आसमान छूना शुरू किया तो सस्ते दर पर दिल्ली और कई प्रदेशों में टमाटर बेचने का जिम्मा विशाल सिंह के नेतृत्व वाले एनसीसीएफ को ही प्राप्त होता है। भविष्य की political पारी भी तय मानी जा रही है, विशाल सिंह की.
राजू दानवीर
नाम से ही दानवीर हैं, राजू दानवीर, मतलब जरूरतमंदों के काम आने वाले। नालंदा के कुर्मिस्तान से आते हैं, शहर है हिलसा, कोई राजनीतिक वंशावली नहीं है। खुद की पहचान खुद के काम से बनाई है। first generation वाले हैं, जाति से कुर्मी है पर मदद सबों की करते हैं। जनता का कोई भी आंदोलन हो जनता के लिए लड़ने को सड़कों पर उतर ही जाते हैं.
राजू दानवीर की political पारी पप्पू यादव के साथ चल रही है. कारोबार में भी पहचान है। राजू दानवीर को 2019 में पटना के बाढ़ के वक्त ही मीडिया ने नोटिस कर लिया था. तब वे पप्पू यादव के साथ मिलकर बाढ़ वाले इलाकों में हर परेशान व्यक्ति के पास पहुंच रहे थे। राशन पानी की कमी नहीं होने दे रहे थे। दिन-रात जिधर से कॉल आया, राजू दानवीर हाजिर।
पप्पू यादव सबसे बड़े हीरो बने हुए थे तो राजू दानवीर उनके हनुमान थे। आगे पप्पू यादव ने राजू दानवीर के political नब्ज को पढ़ लिया। समझ गए कि सांगठनिक क्षमता है. जाति अपनी जगह है, पूरी जमात की फिक्र है. फिर पप्पू यादव ने राजू दानवीर के राजनीतिक पायदान को उड़ान देना शुरू किया। अभी वो जन अधिकार पार्टी के youth wing के president है.
ये अवसर प्राप्त होते ही राजू दानवीर ने पूरे बिहार में जन अधिकार पार्टी की युवा पलटन को और भी मजबूत कर दिया। परिणाम दिखता है. पप्पू यादव हुंकार भरते हैं, स्वयं आगे चलते हैं. साथ में राजू दानवीर की फौज. हालात कितने भी विकट हो लाठी-गोली से कोई भय नहीं। जनता की आवाज जरूर उठेगी। जन्मभूमि नालंदा की चिंता सबसे पहले, कोई मदद मांगने को आ जाए, राजू दानवीर निराश नहीं करते। गरीब बच्चों को पढ़ाना हो, गरीब बहन, बेटी की शादी करानी हो, घटना-दुर्घटना के शिकार परिवार की मदद करनी हो, राजू दानवीर की तिजोरी हमेशा खुली रहती है।
सायन कुणाल
प्रभु श्री राम और हनुमान के अनन्य भक्त आचार्य किशोर कुणाल के पुत्र हैं, सायन कुणाल। सायन कुणाल की अब अपनी पहचान है, कोई अहंकार नहीं, कोई भेदभाव नहीं, पिता के नक्शे कदम पर समाज की सेवा में पूरी ईमानदारी से लगे हैं, लोभ लालच से बहुत दूर, रोते हुए आदमी को हंसाया जाए मन में यही संकल्प है. माता-पिता की सेवा को सर्वश्रेष्ठ सेवा मानते हैं, सायन कुणाल। पिता के हर काम में हाथ बटाना शायन कुणाल की जिंदगी का लक्ष्य है और पिता किशोर कुणाल ऐसे हैं जिन्होंने भगवान और समाज की सेवा करने को आईपीएस की नौकरी ही छोड़ दी.
आईपीएस के तौर पर भी किशोर कुणाल ऐसे पुलिस पदाधिकारी थे जिनकी चर्चा पूरे देश में होती थी. फिर जब भगवान में रमें तो पटना के प्राचीन महावीर मंदिर का कायाकल्प कर दिया। बिहार को पहला कैंसर अस्पताल दिया। फिर बच्चों का अस्पताल बनवाया और धर्म और संप्रदाय का भेदभाव किए बिना इन अस्पतालों में बिना लूट खसोट वाले इलाज की व्यवस्था कर दी।
अयोध्या में राम रसोई, सीतामढ़ी में माँ सीता की सेवा और अब चंपारण में दुनिया के सबसे बड़े रामायण मंदिर का निर्माण करा रहे हैं और पुण्य के इन सब कामों में बराबरी से पिता के हाथों को मजबूत प्रदान करते हैं सायन कुणाल। सायन कुणाल की चर्चा एक बात के लिए और की जाती है. सायन अपनी जीवन संगनी चुनने में जाति की दीवार तोड़ दी। खुद भूमिहार लेकिन शादी की बिहार में दलितों के बड़े नेता और मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शाम्भवी से। शादी का समारोह भी ऐसा कि उसमें आशीर्वाद देने को आए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, आरएसएस के मोहन भागवत और अयोध्या समेत देशभर के साधु-संत. भविष्य में सायन कुणाल के political पारी भी शुरू हो जाए तो कोई आश्चर्य मत कीजियेगा।
अभिमन्यु यादव
टीम अभिमन्यु बिहार का popular youth ब्रिगेड और इसके प्रणेता है अभिमन्यु यादव। बिहार के प्रत्येक जिले में टीम अभिमन्यु की यूनिट, पटना में पकड़ तो और जबरदस्त। मदद को हर वक्त तैयार तो जानिए ये अभिमन्यु यादव कौन है। अभिमन्यु यादव पाटलिपुत्र के बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव के पुत्र है। अभिमन्यु सामाजिक और राजनीतिक रूप से सदैव जागृत रहते है। पिता राम कृपाल यादव जमीनी पकड़ वाले तो है ही. छठी से श्राद्ध तक वे अपनों के साथ होते है.
बेटे अभिमन्यु यादव ने अपने साथ यूथ को कनेक्ट किया। शुरुआत पटना से ही की. फिर विस्तार पूरे बिहार में कर दिया। सोशल मीडिया के प्रत्येक प्लेटफार्म पर टीम अभिमन्यु की जबरदस्त चर्चा रहती है. कोई एक नया पोस्ट आया नहीं की लाइक्स और कमेंट्स की बौछार शुरू हो जाती है. टीम अभिमन्यु का प्रत्येक सदस्य अपने को स्वयंसेवक मानता है.
रात को किसी को अस्पताल में परेशानी हो. टीम अभिमन्यु का वाट्सएप्प ग्रुप एक्टिव हो जाता है. इलाज के लिए ब्लड की जरुरत हो रक्तदान करने को रक्तवीर आगे आ जाते है. पूरा डाटा है ब्लड ग्रुप का. कोई भी ग्रुप का ब्लड हो. जरुरतमंद को मिलना ही मिलना है. road accident हो टीम अभिमन्यु मदद पहुंचाने की कोशिश करता है. यज्ञ, अनुष्ठान, शादी – विवाह सभी में अपनों का ख्याल रखता है team अभिमन्यु।
अभी कुछ महीने पहले ही बागेश्वर धाम वाले बाबा आचार्य धीरेंद्र शास्त्री का पटना में लगने वाला दिव्य दरबार कई कारणों से फंसता दिख रहा था. तब अभिमन्यु यादव ने पिता राम कृपाल यादव के साथ मिलकर संभाल लिया था मोर्चा। फिर आयोजकों संग दूर हो गई थी सारी परेशानी। बाबा का कार्यक्रम हुआ था ऐतिहासिक। तो तेज कदमों से आगे बढ़ते अभिमन्यु यादव को ही आज ना कल देख सकते है किसी सदन के सदस्य के रूप में.