Amar Kaushik Life Story: स्त्री और स्त्री 2: अमर कौशिक की कहानी, संघर्ष और सिनेमा का जादू, क्या आपने सोचा है कि एक फिल्म के पीछे की कहानी कितनी दिलचस्प हो सकती है? अमर कौशिक, जिनकी फिल्मों “स्त्री” और “स्त्री 2” ने दर्शकों को डराने और हंसाने का अनोखा कॉम्बिनेशन पेश किया, इसका बेहतरीन उदाहरण हैं। कानपुर जैसे शहर में पले-बढ़े अमर ने अपने संघर्ष, अनुभव और जुनून के दम पर यह मुकाम हासिल किया। आइए विस्तार से जानते हैं, उनकी फिल्मों, प्रेरणाओं और उनके सफर की कहानी।
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Amar Kaushik Life Story
बचपन में सुनी हुई कहानी और स्त्री की नींव
अमर कौशिक का बचपन अरुणाचल प्रदेश और कानपुर में बीता। उनकी कहानियों का मूल इन्हीं जगहों से जुड़ा है। उन्होंने बचपन में एक डरावना अनुभव साझा किया। ट्यूशन से लौटते हुए एक महिला को जंगल में देखा, जिसके पैर टेढ़े थे।
इसी रहस्यमय घटना ने उनके भीतर हॉरर के लिए उत्साह पैदा किया। वर्षों बाद, इस दृश्य का प्रतिबिंब स्त्री के शुरुआती सीन में दिखता है। वो कहते हैं, “मैं उसी डर और भागने की भावना को पर्दे पर लाना चाहता था, जैसा मैंने महसूस किया।”
एक शॉर्ट फिल्म से सिनेमा तक का सफर
अमर कौशिक ने अपने करियर की शुरुआत शॉर्ट फिल्म “आबा” से की। इसे अरुणाचल प्रदेश में शूट किया गया था और इसे नेशनल अवॉर्ड तथा बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में सराहना मिली। इस सफलता ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि वह पूरी फिल्म बना सकते हैं।
आगे दिनेश विजन से मुलाकात हुई, जिन्होंने अमर की शॉर्ट फिल्म देखकर कहा, “तुम कॉमेडी बना लोगे।” इस बात ने अमर को कॉन्फिडेंस दिया और “स्त्री” का जन्म हुआ।
चंदेरी: स्त्री की आत्मा
फिल्म की लोकेशन का चयन करना आसान नहीं था। अमर को सेंट्रल इंडिया में एक ऐसी जगह चाहिए थी, जो असली और अनदेखी लगे। कानपुर से ओरछा जाते समय उन्हें चंदेरी नाम की जगह याद आई।
चंदेरी के किले, गलियों और रात के अंधकार में वही कहानी दिखने लगी, जिसे अमर पर्दे पर दिखाना चाहते थे। यहीं से चंदेरी ने स्त्री की कहानी में अहम भूमिका निभाई।
कास्टिंग के दिलचस्प किस्से
राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर और पंकज त्रिपाठी जैसे स्टार्स को फिल्म का हिस्सा बनाना अपने आप में एक कहानी है। श्रद्धा को फ्लाइट में फिल्म का आईडिया सुनाया गया और राजकुमार राव ने बिना सवाल किए प्रोजेक्ट के लिए हामी भर दी।
अभिषेक बनर्जी का ऑडिशन बेहद अलग था। उन्हें “डरने” का टेस्ट दिया गया। कैमरे के सामने अपनी ईमानदारी और सहजता से अभिषेक ने सभी को चौंका दिया।
हॉरर और ह्यूमर का अनोखा मेल
हॉरर-कॉमेडी बनाना चुनौतीपूर्ण है। स्त्री में “विक्की प्लीज़” जैसे सीन्स पूरी तैयारी और रिहर्सल के बाद ही परफेक्ट हुए। सेट पर “सॉन्ग ऑफ द डे” बजाने की अनोखी आदत ने माहौल को हल्का और क्रिएटिव बनाए रखा। अमर का मानना है कि फिल्म सेट मजेदार होना चाहिए, ताकि हर कोई सर्वश्रेष्ठ दे सके।
स्त्री 2 और प्रेशर का खेल
पहली फिल्म की कामयाबी के बाद स्त्री 2 बनाना आसान नहीं था। अमर और उनकी टीम को सीक्वल्स की असफलताओं का डर था। वे कहते हैं, “हमने हर फ्लॉप सीक्वल का विश्लेषण किया, ताकि उससे सीख सकें।”
पवन सिंह को गाने के लिए मनाने का किस्सा भी मजेदार है। रिकॉर्डिंग से ठीक एक दिन पहले पवन सिंह को अप्रोच किया गया। उन्होंने पहले मना किया, फिर केवल एक रात में गाना रिकॉर्ड किया गया और स्टूडियो से रिलीज कर दिया गया।
अमर का यूनिवर्स: स्त्री, भेड़िया और आगे
स्त्री और भेड़िया के कनेक्शन की कहानी रोमांचक है। भेड़िया के शुरुआती आईडिया से लेकर इसके यूनिवर्स का विस्तार करना अमर की सोच का नतीजा है। अब स्त्री 3 और अन्य स्पिनऑफ्स पर काम हो रहा है, जिससे इस यूनिवर्स को और बड़ा किया जा रहा है।
क्या सिनेमा का भविष्य ओटीटी है?
ओटीटी ने फिल्मों को चुनौती जरूर दी है, लेकिन अमर इसे सकारात्मक मानते हैं। उनका कहना है, “ओटीटी ने क्वालिटी को बेहतर किया है। लेकिन बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का अनुभव आज भी खास है।”
मिथकीय कहानियों की ओर एक कदम
अमर कौशिक की अगली फिल्म “महा अवतार” एक माइथोलॉजिकल एपिक होगी। यह उनकी मां के साथ बचपन में सुनी कहानियों से प्रेरित है। वे इस पर 6 साल से रिसर्च कर रहे हैं।
निष्कर्ष
अमर कौशिक ने अपने अनुभव, संघर्ष और दिलचस्प नजरिये से सिनेमा को एक नयी दिशा दी है। उनकी कहानियां न केवल मनोरंजन करती हैं, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी प्रभाव डालती हैं।
तो अगली बार जब आप स्त्री या स्त्री 2 देखें, तो उसके पीछे के इन रोचक किस्सों को जरूर याद रखें। क्या आपको भी ऐसी कहानियों का जादू महसूस होता है? अपने विचार और पसंदीदा अमर कौशिक मूमेंट्स हमें कमेंट में बताएं!
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