Azad Movie Review: भारत की फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर नए चेहरों की एंट्री चर्चा का विषय बन जाती है। ऐसी ही एक फिल्म, आज़ाद, जिसमें तीन नए कलाकार अपने करियर की शुरुआत कर रहे हैं, इन दिनों सिनेमाघरों में चल रही है। फिल्म में अजय देवगन, आमन देवगन, राशा थडानी और मोहित मलिक मुख्य भूमिकाओं में नजर आते हैं। इसे अभिषेक कपूर ने डायरेक्ट किया है, जो “काई पो चे” और “केदारनाथ” जैसी सफल फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन क्या “आज़ाद” भी उनकी पिछली फिल्मों की तरह प्रभावशाली है?
Azad Movie Review
कहानी की झलक और इसकी बुनियाद
आज़ाद की कहानी 1920 के दशक के सेंट्रल प्रोविंस में सेट है। गोविंद नामक एक किसान का बेटा, जो बचपन से अपने दादी-नानी से सुनाई गई कहानियों में महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक से प्रेरित होता है, खुद एक ऐसा घोड़ा पाना चाहता है। यह घोड़ा पाने की उसकी जद्दोजहद उसे सिर्फ बाहरी नहीं बल्कि आत्मिक यात्रा पर भी ले जाती है। इस कहानी में गोविंद का साथ देती है गांव की जमींदार की बेटी जान।
इसका प्लॉट सुनने में दिलचस्प है, लेकिन फिल्म अपनी कहानी में गहराई और पकड़ बनाने में नाकाम रहती है। ऐसा लगता है जैसे फिल्म के पास ये बताने वाला ठोस मकसद ही नहीं था कि क्यों यह कहानी सुनाई गई।
किरदार और उनकी अदाकारी
आमन देवगन
फिल्म में गोविंद का किरदार अजय देवगन के भांजे आमन देवगन निभाते हैं। उन्होंने अपना पहला किरदार बड़ी सहजता से निभाया है। कैमरे के सामने उनकी कॉन्फिडेंस देखने लायक है। ये उनकी उम्र का फायदा माना जा सकता है, जो किरदार की चंचलता और मासूमियत को पर्दे पर उभारने में मदद करता है। हालांकि, ये कहना मुश्किल है कि उनके पास भविष्य की विविध भूमिकाओं के लिए कितनी क्षमता है।
राशा थडानी
राशा थडानी, जो रविना टंडन और अनिल थडानी की बेटी हैं, फिल्म में गोविंद की प्रेमिका के रूप में नजर आई हैं। उन्हें ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं मिला है। कुछ गानों और रोमांटिक सीन्स से आगे उनका किरदार कहीं नहीं दिखता। उनकी परफॉर्मेंस ओवर-प्रिपेयर्ड लगती है, और ये उनकी नेचुरल एक्टिंग स्टाइल में बाधा डालती है। ऑडियंस को उनके काम का सही असर महसूस करने का मौका नहीं मिलता।
अजय देवगन
अजय देवगन का किरदार विक्रम सिंह नाम के डाकू का है। उनकी उपस्थिति फिल्म में परिपक्वता और गहराई लाती है। जब तक वो स्क्रीन पर होते हैं, फिल्म एक गंभीर टोन अपनाती है। लेकिन जैसे ही वो स्क्रीन से हटते हैं, फिल्म अपनी पकड़ खो देती है।
पीयूष मिश्रा और मोहित मलिक
पीयूष मिश्रा ने एक टिपिकल जमींदार की भूमिका निभाई है, लेकिन स्क्रिप्ट ने उन्हें ज्यादा करने का मौका नहीं दिया। मोहित मलिक, जो टीवी इंडस्ट्री का बड़ा नाम हैं, ने फिल्मों में अपनी शुरुआत की है। हालांकि, उनकी परफॉर्मेंस में टीवी वाले किरदारों की झलक साफ नजर आती है।
क्या फिल्म बांध पाती है दर्शकों को?
फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी पटकथा है। कई सीन्स सिर्फ इसलिए ऐड किए गए लगते हैं ताकि फिल्म लंबी हो सके। एडिटिंग का कमजोर पक्ष ये जतलाता है कि कहानी को आसानी से छोटा और टाइट बनाया जा सकता था। क्लाइमैक्स में जरूर कुछ इमोशनल पल लाने की कोशिश की गई है, जो हालात संभालने की कोशिश करता है, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है।
क्या फिल्म देखने लायक है?
अगर आप नए कलाकारों का काम देखना पसंद करते हैं या आप अजय देवगन के बड़े फैन हैं तो आप इसे एक बार देख सकते हैं। लेकिन अगर आप एक मजबूत कहानी और यादगार अनुभव की तलाश में हैं, तो शायद ये फिल्म आपको थोड़ा निराश कर सकती है। आज़ाद एक ऐसे प्रयास की तरह लगती है, जिसे पूरा करने का कोई ठोस मकसद नहीं था।
आपकी राय क्या है?
क्या आपने “आज़ाद” देखी है? आपको यह कैसी लगी? हमें कॉमेंट में बताएं।
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