दिल्ली की एक भूली-बिसरी धरोहर: भूली भटियारी का महल, Forgotten Bhuli Bhatiyari Place in Delhi Near Jhandewalan

Bhuli Bhatiyari ka mahal

Bhuli Bhatiyari Place in Delhi Near Jhandewalan: दिल्ली के झंडेवालान के भीड़ भरे इलाकेमें थोड़ी सी हरियाली के बीच छुपी है एक प्राचीन विरासत जो अपने अंदर लगभग 700 साल पुरानी इतिहास की जानकारियां छुपाए है। अब इन्हें उजागर करने की ओर कोई सार्थक कोशिश नहीं तो इतिहास पर कई किवदंतियों की परत चढ़ती जा रही है। इसके वास्तविक पहलू को ASI आदि द्वारा एक बोर्ड लगा कर दूर किया जा सकता है, देखें वह कब तक होता है!

बहरहाल प्राप्त जानकारियों के अनुसार भूली भटियारी का महल के रूप में चर्चित यह स्थल 14 वीं शताब्दी के दौरान फिरोज़ शाह तुगलक ने एक शिकार घर के रूप में बनवाया था। अरावली पहाड़ियों में बसा यह शिकार घर घने जंगलों से घिरा हुआ है जो दिल्ली में केंद्रीय टीले का हिस्सा है।

सर सैयद अहमद खान ने अपनी पुस्तक असर-उस-सनदीद में दो कहानियों का उल्लेख किया है जो इस स्मारक पर केन्द्रित हैं। पहली, बहुत समय पहले की है जब बू अली भट्टी नामक एक सूफ़ी-संत द्वारा इस महल का उपयोग किया जा रहा था और इसलिए महल को उनके नाम का एक अपभ्रंश रूप मिला।

सर सैयद की ही दूसरी कथा के अनुसार भुली भटियारी का नाम वहाँ रहने वाली एक ‘भुलक्कड़’ और ‘सीधी-साधी’ सराय वाली महिला, पर रखा गया था। लोक-प्रचलित कथाओं के अनुसार भटियार जनजाति की भूरी नामक महिला ने जंगल में अपना रास्ता खो दिया और वीरान महल में फंस गयी थी और एक दूसरी कहानी है कि कैसे फिरोज़ शाह ने अपनी एक रानी के उसके प्रति विश्वासघात करने पर उसे कैद कर लिया था। कहा जाता है कि वह महल में मर गई थी, हालाँकि उसके अवशेष का कोई पता नहीं लगा।

इन कहानियों ने ईमारत को पारलौकिक घटनाओं से भी जोड़ दिया है। यह भी कहा जाता है कि वह रानी अब बदला लेने के लिए महल में भूत बनकर रहती है।

इन मान्यताओं के कारण यह स्थल अब दिल्ली की सबसे ज्यादा भुतही जगहों में एक के रूप में चर्चित है। लोगों को खरोंच लगाई जाने या जिन छायाचित्रों को खींचा गया उनमें विचित्र महिला के प्रकट होने की घटनाएँ, समय-समय पर चर्चाओं में आती रहती हैं। ऐसी चर्चाओं ने महल को लेकर एक अलग ही उत्सुकता निर्मित की है।

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस भवन में सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित है, पर मेरे द्वारा वहां जाने पर मुख्य प्रवेश द्वार पर ही कतिपय कारणों से ताला लगा मिला। इतिहास के साथ शिकार घर से भूतिया महल तक का सफ़र तय करने वाली यह विरासत अपनी ओर ध्यानाकर्षण और संरक्षण की भी मांग करती है.

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