Burari Kand 2018: दिल्ली के बुरारी इलाके में 1 जुलाई 2018 को एक ऐसा मामला सामने आया जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया। 11 सदस्यों का एक पूरा परिवार मृत अवस्था में अपने घर में पाया गया। इनमें 10 लोग छत से लटके हुए थे, और एक वृद्ध महिला फर्श पर मृत पाई गई। ये मामला इतना अजीब और खौफनाक था कि हर कोई इसे समझने की कोशिश में लग गया।
Burari Kand 2018
परिवार की पृष्ठभूमि
जिस परिवार की बात हो रही है वह चुंडावत परिवार था, जिसे स्थानीय लोग भाटिया परिवार के नाम से जानते थे। यह परिवार मूल रूप से हरियाणा के टोहाना से ताल्लुक रखता था। करीब 20-25 साल पहले परिवार के मुखिया भोपाल सिंह परिवार के साथ दिल्ली आ गए थे। दिल्ली में उन्होंने एक ग्रोसरी शॉप की शुरुआत की, जो बाद में प्लाईवुड के व्यवसाय तक बढ़ गई। लेकिन 2007 में भोपाल सिंह की मौत ने परिवार की जिंदगी में भूचाल ला दिया। उनकी मौत के बाद, परिवार के छोटे बेटे ललित ने जिम्मेदारी संभाली और परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत किया।
हालांकि, भोपाल सिंह की मौत ललित को गहरा आघात दे गई। इस घटना के बाद उसके जीवन में कई अजीब चीजें होने लगीं। ललित का मानना था कि उनके पिता की आत्मा उनसे बात करती है। यही विश्वास धीरे-धीरे पूरे परिवार पर हावी हो गया।
घटना के दिन की शुरुआत
1 जुलाई की सुबह सब कुछ सामान्य नहीं था। ललित, जो हर दिन मॉर्निंग वॉक पर जाता था, उस दिन बाहर नहीं निकला। परिवार की ग्रोसरी की दुकान, जो सुबह 5-6 बजे खुल जाया करती थी, भी बंद थी। पड़ोसी गुरुचरण सिंह को यह सब अजीब लगा। जब वे семей के घर के अंदर पहुंचे, तो वहां का नजारा उन्हें स्तब्ध कर देने वाला था।
घर के मुख्य हॉल में 10 लोग फंदे से झूल रहे थे। वृद्ध महिला नारायणी देवी फर्श पर मृत पड़ी थीं। सभी सदस्यों के हाथ-पैर बंधे थे, मुंह पर टेप लगा था। पुलिस को बुलाया गया, और जांच शुरू हुई।
क्या था 11 लोगों की मौत का कारण?
शुरुआत में पुलिस को लूटपाट या सामूहिक हत्याकांड का शक हुआ। लेकिन घर में किसी भी तरह की लूटपाट के संकेत नहीं मिले। फॉरेंसिक टीम को बुलाया गया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 10 सदस्यों की मौत फांसी लगने से हुई थी, जबकि नारायणी देवी के शरीर में जहर पाया गया था।
लेकिन सवाल अब भी वही था: कोई परिवार सामूहिक आत्महत्या क्यों करेगा?
डायरी में छुपा था रहस्य
पुलिस को घर की तलाशी के दौरान 11 डायरी मिलीं, जिनमें इस त्रासदी का पूरा रहस्य छुपा था। डायरी की जांच से पता चला कि ललित डायरी में अपने “पिता की आत्मा” द्वारा दिए गए निर्देश लिख रहा था।
डायरी में लिखा गया था कि परिवार को “मोक्ष” प्राप्त करने के लिए एक विशेष पूजा करनी होगी। इस पूजा में सभी के हाथ-पैर बांधने, आंखों पर पट्टी बांधने और फंदा लगाने के निर्देश दर्ज थे। ललित ने परिवार को विश्वास दिलाया कि ऐसा करने पर उनके पिता उन्हें बचा लेंगे। इस भ्रम में पूरा परिवार अपने जीवन का बलिदान कर बैठा।
मानसिक स्थिति: एक साझा भ्रम
मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक की मदद से यह समझा गया कि परिवार एक मानसिक बीमारी “शेयर्ड साइकोसिस” से जूझ रहा था। इस बीमारी में एक व्यक्ति का भ्रम धीरे-धीरे बाकी सदस्यों पर भी हावी हो जाता है।
ललित को लगने लगा कि उसके पिता उसे निर्देश दे रहे हैं। और उसे परिवार ने आंख मूंदकर मान लिया।
घर की मौजूदा स्थिति
इस घटना के बाद, घर को लेकर लोग अंधविश्वास और डर में जीने लगे। 2020 में, एक परिवार वहां रहने आया लेकिन जल्द ही चले गया। अब यहां मोहन कुमार अपने परिवार के साथ रहते हैं। वे इस घर में किसी भी असामान्यता से इनकार करते हैं।
क्या थी सीख?
यह घटना न केवल त्रासदी भरी थी, बल्कि समाज पर गंभीर सवाल छोड़ गई। कैसे एक भ्रम पूरे परिवार को खत्म कर सका? क्या हम अपने आसपास ऐसी चीजों को नज़रअंदाज कर देते हैं जो भविष्य में बड़ा रूप ले सकती हैं?
बुरारी कांड आज भी देश के सबसे रहस्यमयी और खौफनाक मामलों में से एक है। इससे न सिर्फ हमारी मानसिक स्थिति पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह सामाजिक सतर्कता की भी मांग करता है।
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