Deoghar Ropeway Disaster: देवघर में त्रिकुट रोपवे हादसा: किसकी चूक से इतना बड़ा हादसा हुआ

Deoghar-Ropeway-Accident

Deoghar Ropeway Disaster: झारखंड में देवघर जिले के त्रिकुट पहाड़ पर हुए भयानक रोपवे दुर्घटना के बाद फँसे हुए पर्यटकों को 46 घंटे तक चले एक्सटेंसिव बचाव अभियान के बाद सुरक्षित निकाला गया है. हालांकि इस बचाव अभियान के दौरान दो लोगों की मृत्यु भी हो गई. दुर्घटना के दिन भी ट्रॉलियों के टक्कर में एक महिला की मौत हो गयी थी.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक ट्वीट कर जानकारी दी है कि इस घटना में कुल 48 लोग फंसे हुए थे. इनमे से 46 लोगों को बचा लिया गया है और दो लोगों की मौत हो गई है.

Deoghar Ropeway Accident

Deoghar Ropeway Disaster

झारखंड में यह हादसा कैसे हुआ (Jharkhand Ropeway Accident in Deoghar)

त्रिकुट पहाड़, झारखंड (देवघर) का एक आकर्षक पर्यटन और तीर्थ स्थान है. यहाँ पर रोपवे से लोग एक ऊंची पहाड़ी पर पहुंचते हैं. बीते रविवार को रामनवमी त्यौहार के दिन शाम के लगभग 4:30 बजे वहां हादसा हुआ.

देवघर जिला के पुलिस अधीक्षक सुभाष चंद्र जाट ने हमारे संवाददाता को बताया कि त्रिकूट पर्वत पर संचालित रोपवे की तार से हुक से उतर गई थी. जिस वजह से रोपवे की ट्रालियां नीचे की ओर झुक गई थी. इन ट्रॉलियों में से नीचे की दो ट्रॉलियां पत्थर से टकरा गई थी और उसी समय एक महिला की मौत हो गई थी.

वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा बचाव अभियान

घटना के बाद तुरंत ही स्थानीय प्रशासन, ITBP और इंडियन एयरफोर्स की मदद से बचाव अभियान शुरू किया गया जो कि मंगलवार के दोपहर में समाप्त हुआ. हालांकि, बचाव अभियान के शुरुआत में ज़मीन के सबसे करीब वाली ट्रॉलियों से लोगों को निकालने के लिए स्थानीय लोगों ने काफी मदद की थी. फंसे हुए तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को निकालने का बेहतर विकल्प एयरलिफ्ट ही था.

एयरफोर्स ने एक बयान में कहा है कि यह हमारे लिए भी बहुत चुनौतीपूर्ण अभियान था. वायु सेना के जवानों ने रोपवे के 10 केबल कार से 35 यात्रियों को बेहद कठिन परिस्थितियों में रेस्क्यू किया है. इस रेस्क्यू अभियान में वायुसेना के एमआई 17 वी5 और चीता हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हुआ. इस अभियान में गरुड़ कमांडो भी शामिल थे.

Deoghar Ropeway Accident

स्थानीय पत्रकार ने बताया कि इस रोपवे की बनावट ऐसी है कि यह कुछ दूर ऊपर जाकर 80 डिग्री पर मुड़ जाती है. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान फंसे लोगों के एयरलिफ्ट में खतरा यह था कि कहीं हेलीकॉप्टर के ब्लेड के वायर के संपर्क में न आए. अधिकारियों के हवाले से उनका कहना है कि ऐसे में नीचे से ऑपरेशन को चलाना काफी मुश्किल था.

हादसा के बाद बचाव अभियान के दौरान दो पर्यटकों की मौत

त्रिकुट रोपवे हादसे के बचाव अभियान के दूसरे दिन, फंसे लोगों को एयरलिफ्ट करने के दौरान हेलिकॉप्टर तक पहुँचने से ठीक पहले एक व्यक्ति की खाई में नीचे गिरने से मौत हो गई थी. 12 अप्रैल को भी एक महिला की बचाव के दौरान गिरने से मौत हो गई थी. देवघर हादसे (Deoghar Trikut Parvat Ropeway Accident) का असली वजह, किससे और कहाँ ही चूक?

इस दुर्घटना के बाद शुरुआत खबरों में यह आशंका जताई जा रही थी कि भीड़-भाड़ की वजह से भी यह हादसा हुआ होगा। इस बात से झारखण्ड के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन ने इनकार किया है. पर्यटन मंत्री ने बीबीसी से बातचीत में कहा की,”रोपवे के ट्रॉली में जरूरत से ज्यादा संख्या में लोग सवार नहीं थे. जितने आदमी सवार होने चाहिए, उससे भी कम ही संख्या में लोग सवार थे.”

स्थानीय सांसद निशिकांत दुबे, हादसे के बाद लगातार घटनास्थल पर मौजूद रहे. उन्होंने बचाव कार्य का जायजा भी लिया. निशिकांत दुबे ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि इस हादसे की ज़िम्मेदारी झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर पूरी तरीके आती है.

निशिकांत दुबे ने आगे कहा कि, ”रोपवे के ट्रॉली में ओवरलोडिंग की बात तो अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन रोपवे के मशीनरी के रखरखाव में निश्चित तौर पर बड़ी चूक हुई है. झारखण्ड के राज्य सरकार, इस मामले में यह कहकर नहीं बच सकती है कि इसका संचालन एक कॉन्ट्रैक्ट वाली कंपनी द्वारा किया जाता है. इसमें किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए कि यह त्रिकूट पहाड़ का यह रोपवे झारखंड सरकार की ही है.”

आप ये भी पढ़ सकते हैं:

क्या डूबने दिया जाएगा LIC का पैसा?, Will LIC keep losing its money?, LIC-Adani Controversies

हिमाचल के इन सस्ते हॉस्टल में स्टे करके बचाएं ट्रिप के आधे पैसे, घूम पाएंगे कई और जगह पर

सफलता की कहानी: जो असफल हुए उन्होंने खुद तैयार की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की फौज! जानिए वुशू कोच राजेश की कहानी
 
राज्य के पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन का कहना है कि इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित किया जायेगा. दामोदर कंपनी कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर इसका संचालन कर रही थी. इस जांच में रोपवे क्षेत्र के कई विशेषज्ञ शामिल रहेंगे. उन्होंने आगे बताया कि अभी रोपवे का संचालन नहीं किया जाएगा और जांच के बाद ही पता लग पाएगा कि यह हादसा किस वजह से हुई है.

Deoghar Ropeway Accident

इन सब के बीच झारखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं. झारखण्ड हाई कोर्ट 26 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करेगी. अदालत ने इससे पहले राज्य सरकार को एफिडेविट के जरिए विस्तृत जांच रिपोर्ट दायर करने को बोला है.

देश के गृह मंत्रालय ने भी देवघर रोपवे हादसे पर मंगलवार को झारखंड सरकार को एक पत्र भेजा है. केंद्रीय गृह सचिव ने झारखंड के मुख्य सचिव से कहा है कि वो राज्य में सभी रोपवे परियोजनाओं की फिर से समीक्षा करवाएँ। ये सुनिश्चित करें कि उनके संचालन और मेंटेनेंस की मानक प्रक्रिया और आकस्मिक योजना तैयार रखें। साथ ही सुरक्षा प्रबंधों की भी लगातार ऑडिटिंग होती रहे.

Deoghar Ropeway Disaster
Deoghar Ropeway Disaster

इस रोपवे पर पहले भी हुई है तकनीकी ख़राबी

स्थानीय बताते हैं कि 2009 में उद्घाटन के दिन ही रोपवे की ट्रॉली चार घंटे तक हवा में अटकी रही थी. उस समय देवघर में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला भी चल रहा था. 80 पर्यटक उसमें फंस गए थे.

2009 के बाद 2014 में भी डेढ़ घंटे तक ट्रॉली हवा में ही लटकी रही थी. रोपवे में सवार पर्यटकों ने नीचे उतरने के बाद, टिकट काउंटर पर काफी हंगामा भी मचाया था. आपको बता दें कि इस रोपवे का संचालन, दामोदर रोपवे इंफ्रा लिमिटेड द्वारा किया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *