Hindenburg Shutdown: हिंडनबर्ग रिसर्च, वही कंपनी जिसने अडानी ग्रुप की नींव हिला दी और भारतीय शेयर बाजार में हलचल मचा दी, अब बंद हो रही है। इसके फाउंडर नेथन एंडरसन ने खुद इस बात का ऐलान किया। आखिर इस कंपनी को क्यों बंद किया गया? अडानी ग्रुप और बाकी कंपनियों पर इसका क्या असर हुआ? और आखिर आगे क्या होगा? आइए, इन सवालों के जवाब ढूंढते हैं।
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Hindenburg Shutdown
हिंडनबर्ग रिसर्च थी कौन सी कंपनी?
हिंडनबर्ग रिसर्च, एक फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च फर्म, 2017 में नेथन एंडरसन द्वारा शुरू की गई थी। इसका नाम 1937 की एक मशहूर एयरशिप दुर्घटना से प्रेरित था, जब हाइड्रोजन गैस के गुब्बारों में आग लगने के कारण हिंडनबर्ग एयरशिप तबाह हो गई थी। एंडरसन की सोच थी कि जैसे उस समय हुई अनियमितताओं को रोका जा सकता था, वैसे ही आज की बड़ी गड़बड़ियों को उजागर किया जाए।
इस कंपनी का मुख्य काम शेयर बाजार में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों की पड़ताल करना था। हिंडनबर्ग गहराई से कंपनियों की जांच करती, रिपोर्ट तैयार करती और पब्लिश करती। इन रिपोर्ट्स के बाद कंपनियों के स्टॉक्स गिरते, जिससे हिंडनबर्ग शॉर्ट सेलिंग के जरिए मुनाफा कमाती।
अडानी पर हिंडनबर्ग का असर
जनवरी 2023 में, हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोप लगाए। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर धड़ाधड़ गिर गए। अडानी ग्रुप को लगभग 50 अरब डॉलर का नुकसान हुआ और गौतम अडानी एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब भी खो बैठे।
इसके डेढ़ साल बाद, अगस्त 2024 में, हिंडनबर्ग ने फिर से अडानी ग्रुप से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की। इसमें भारतीय बाजार नियामक सेबी और उसकी चेयरपर्सन माधाबी पुरी बुच पर आरोप लगाए गए। यह दावा किया गया कि माधाबी बुच और उनके पति ने अडानी ग्रुप से जुड़े ऑफशोर फंड्स में निवेश किया था। हालांकि, इन आरोपों को गलत बताया गया।
अन्य बड़ी रिपोर्ट्स की कहानी
हिंडनबर्ग ने न केवल अडानी ग्रुप, बल्कि कई अन्य बड़ी कंपनियों पर भी रिपोर्ट जारी की।
- 2020 में, इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला पर आरोप लगाया कि उसने अपनी टेक्नोलॉजी को लेकर झूठे दावे किए थे। इसकी वजह से निकोला को 125 मिलियन डॉलर का सेटलमेंट करना पड़ा और इसके फाउंडर को अपराधी ठहराया गया।
- 2022 में जेएनजे पर्चेसिंग पर पोंजी स्कीम चलाने का आरोप लगा। इस रिपोर्ट के बाद स्कीम के मास्टमाइंड्स को सजा मिली।
- लॉर्ड्सटाउन मोटर्स पर भी गलत प्री-ऑर्डर डेटा दिखाने के आरोप लगे। रिपोर्ट के बाद कंपनी को अपनी फैक्ट्री बेचनी पड़ी।
कंपनी बंद करने की वजह क्या?
15 जनवरी 2025 को, नेथन एंडरसन ने अपनी वेबसाइट पर एक नोट लिखा। उन्होंने कहा, “कंपनी को बंद करने के पीछे कोई धमकी, स्वास्थ्य कारण या व्यक्तिगत मसला नहीं है। मैंने अपने जीवन में पहली बार आंतरिक शांति महसूस की है। अब मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना चाहता हूं।”
एंडरसन ने हिंडनबर्ग की प्रक्रिया को सार्वजनिक करने का निर्णय भी लिया है। अगले छह महीनों में, वे अपनी इन्वेस्टिगेशन प्रक्रिया और मॉडल को वीडियो और अन्य माध्यमों से साझा करेंगे। उनका मानना है कि इससे और लोग इसे सीखकर दुनिया की गड़बड़ियों को उजागर कर सकेंगे।
अडानी ग्रुप को राहत?
हिंडनबर्ग के बंद होने की खबर सुनते ही अडानी ग्रुप के निवेशकों में खुशी की लहर दौड़ गई। 16 जनवरी को अडानी की कंपनियों के शेयरों में 9% तक उछाल आया। अडानी पावर, अडानी ग्रीन एनर्जी, एनडीटीवी और अन्य शेयरों ने बड़ी रिकवरी दिखाई।
क्या ट्रंप प्रशासन है वजह?
कुछ लोगों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में नियम सख्त हो जाते। इससे हिंडनबर्ग के लिए काम करना मुश्किल हो सकता था। हालांकि, इस पर भी कोई ठोस पुष्टि नहीं है।
अंत में
हिंडनबर्ग रिसर्च का सफर यहीं खत्म हो रहा है। लेकिन इसकी विरासत लंबे समय तक याद रखी जाएगी। क्या इसका बंद होना कंपनियों के लिए राहत है? या मार्केट में नई चुनौतियों का ख्याल रखता है? यह समय बताएगा।
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