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ब्रा का इतिहास: सुंदरता, संघर्ष और बदलाव की कहानी, History of Bra

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History of Bra: सुंदरता, संघर्ष और बदलाव की कहानी, सुंदरता और नैतिकता का नाता मानवीय समाज में गहरा है। फ्रेडरिक नीत्शे ने एक बार कहा था, “तितली को मारो तो विलन, लेकिन कॉकरोच को मारो तो हीरो।” यह विचार हमें यह दिखाता है कि सुंदरता के पैमाने अक्सर हमारे फैसलों को प्रभावित करते हैं। महिलाओं के लिए यह पैमाना हमेशा भारी पड़ता रहा है। सौंदर्य की इस कसौटी को पूरा करने के लिए न केवल शारीरिक दर्द सहा गया, बल्कि कई बार जान भी जोखिम में डालनी पड़ी। इसी संदर्भ में ब्रा, एक मामूली सी वस्तु, समाज, संस्कृति और महिलाओं की आज़ादी का एक गहरा इतिहास बयां करती है।

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History of Bra:ब्रा का इतिहास

प्राचीन समय में स्तन ढकने की परंपरा

ब्रा का इतिहास इतना पुराना है जितना खुद मानव सभ्यता। कालिदास की अभिज्ञान शाकुंतलम में “उत्तरीय” और “स्तनपट” जैसे कपड़ों का जिक्र मिलता है, जिनका उपयोग स्तन ढकने के लिए किया जाता था। इसी तरह, इटली के सिसिली में मिले रोमन मोजैक में महिलाओं को पट्टी जैसे कपड़े पहने दिखाया गया है जिसे “स्ट्रोफियम” कहा जाता था। यह आज की ब्रा का शुरुआती रूप माना जा सकता है।

मध्यकालीन खोजें: 14वीं और 15वीं सदी के ब्रा जैसे कपड़े

2008 में ऑस्ट्रिया के एक प्राचीन किले से पुरातत्त्वविदों को लिनन से बने चार कपड़े मिले। ये आज की ब्रा जैसे थे, जिनमें शोल्डर स्ट्रैप, कप और लेस भी थे। रेडियो कार्बन डेटिंग से मालूम हुआ कि ये 14वीं-15वीं सदी के हैं। यह दिखाता है कि ब्रा जैसा कॉन्सेप्ट लंबे समय से हमारे समाज में मौजूद रहा है।

कॉरसेट्स का दौर: सुंदरता के लिए यातना

पुनर्जागरण काल में, यूरोप में कॉरसेट्स प्रचलन में आए। ये स्टील और व्हेल की हड्डियों से बने होते थे और महिलाओं की कमर को 19 इंच तक संकरी दिखाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे। इस प्रक्रिया में उनकी पसलियां दब जातीं, और अंदरूनी अंग अपनी जगह से खिसक जाते। सुंदरता के इस कठोर मानक के चलते कई महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती थीं।

कॉरसेट पहनने के लिए युवा लड़कियों को भी “ट्रेनिंग” दी जाती थी। 1860 के एक वाकये में, एक बोर्डिंग स्कूल में लड़कियों को 14 से 19 इंच की कमर पाने के लिए सख्त नियमों का पालन कराया जाता था। यह सुंदरता की कीमत पर स्वास्थ्य की बलि थी।

पहली मॉडर्न ब्रा की खोज

इस दर्दनाक इतिहास को बदलने की शुरुआत 1914 में हुई। न्यूयॉर्क की मैरी फिलिप्स जैकब ने एक गाउन पहनने के लिए तैयार होते समय कॉरसेट की असुविधा को महसूस किया। उन्होंने दो रुमाल लिए, रिबन जोड़े, और अपनी नौकरानी की मदद से पहली मॉडर्न ब्रा बनाई। यह डिज़ाइन इतना लोकप्रिय हुआ कि मैरी ने इसे पेटेंट कराया। हालांकि, उन्होंने जल्द ही पेटेंट को वॉर्नर ब्रदर्स कॉर्सेट कंपनी को 100 डॉलर में बेच दिया। वही कंपनी इस डिज़ाइन से 30 सालों में करोड़ों डॉलर कमाने में सफल रही।

विश्व युद्धों का प्रभाव

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, फैक्ट्रियों में काम करती महिलाओं के लिए कॉरसेट असुविधाजनक हो गए। अमेरिकी वॉर इंडस्ट्रीज बोर्ड ने भी महिलाओं से कॉरसेट न खरीदने की अपील की, ताकि धातु की बचत हो सके। इससे 28,000 टन स्टील बचाई गई, जो दो युद्धपोत बनाने के लिए पर्याप्त थी। युद्ध के इस दौर ने ब्रा को एक जरूरी और व्यावहारिक परिधान बना दिया।

ब्रा और फेमिनिस्ट मूवमेंट

1960 के दशक में, फेमिनिस्ट मूवमेंट ने सामाजिक सुंदरता मानकों के खिलाफ आवाज़ उठाई। मिस अमेरिका प्रतियोगिता के विरोध में महिलाओं ने ब्रा और अन्य वस्त्र “फ्रिडम ट्रैश कैन” में फेंक दिए। हालांकि, “ब्रा बर्निंग” एक मिथक था, लेकिन इसे मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। यह मूवमेंट महिलाओं की आज़ादी और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

पॉप कल्चर में ब्रा का स्थान

1990 के दशक में, मैडोना ने अपने ब्लोंड एंबिशन टूर के दौरान “कोन ब्रा” पहनकर ब्रा को फैशन का केंद्र बनाया। यह डिज़ाइन जीन-पॉल गॉल्टियर ने तैयार किया था। इससे ब्रा केवल एक अंतर्वस्त्र न रहकर, व्यक्तित्व और सशक्तिकरण का प्रतीक बन गई।

ब्रा का भविष्य: आवश्यकता से विलासिता

आज ब्रा सिर्फ जरूरत का साधन नहीं, बल्कि फैशन का हिस्सा बन चुकी है। फैंसी और लाखों डॉलर की कीमत वाली ब्रा अब सिर्फ आकर्षण का साधन हैं। तकनीकी विकास ने इसमें मेमोरी फोम से लेकर वायरफ्री विकल्प तक जोड़े। साथ ही, “फ्री द निपल” मूवमेंट ने इसे नए सिरे से समझने का मौका दिया।

निष्कर्ष

ब्रा का सफर एक साधारण कपड़े से शुरू होकर लाखों डॉलर के उद्योग तक पहुंचा है। यह न केवल सुंदरता की धारणा को दर्शाता है, बल्कि महिलाओं के संघर्ष और उनके अधिकारों की कहानी भी कहता है। एक समय यह शारीरिक दबाव का प्रतीक थी, और आज यह आत्म-अभिव्यक्ति और सशक्तिकरण का प्रतीक है। ब्रा का इतिहास यह बताता है कि बदलाव सिर्फ परिधान में नहीं, विचारों में भी होते हैं।

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