Shambhavi Chaudhary Bihar: बिहार की मिट्टी से जुड़ी, मेहनत और लगन की मिसाल, शांभवी चौधरी ने युवाओं के लिए नई प्रेरणा गढ़ी है। राजनीति हो या व्यक्तिगत जीवन, शांभवी का सफर संघर्ष, जुनून और साहस से भरा हुआ है। आइए जानें, उनकी कहानी के हर पहलू को जो आज पूरे बिहार को गर्व की अनुभूति करा रहा है।
Shambhavi Chaudhary Bihar
राजनीति में कदम: जनता की ‘बिटिया’
शांभवी चौधरी ने बहुत ही कम उम्र में राजनीति में कदम रखा और बिहार के समस्तीपुर क्षेत्र की जनता का दिल जीतते हुए सांसद बनीं। उनका कहना है कि जनता का प्यार और सम्मान उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
जब वे पहली बार सदन पहुंचीं, तो उनकी ताकत और आत्मविश्वास ने सबको प्रभावित किया। शपथ ग्रहण के दौरान बिना किसी कागज को देखे, पूरे आत्मविश्वास से शपथ लेना दिखाता है कि वे सिर्फ नाम की नहीं, बल्कि काम की “सांसद बिटिया” हैं।
उनके शब्द, “आपकी बेटी थक सकती है, लेकिन रुक नहीं सकती,” यह स्पष्ट करते हैं कि जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट है।
युवाओं और महिलाओं के विकास पर फोकस
शांभवी ने वादा किया है कि उनकी 5 साल की सांसद सैलरी महिलाओं की शिक्षा को मजबूत करने में दान होगी। वे कहती हैं कि शिक्षा ही वह ताकत है जो किसी भी महिला को आत्मनिर्भर बना सकती है।
इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है जो जरूरतमंद और मेधावी छात्राओं को उनकी पठन-पाठन में मदद करेगी। कॉलेज की फीस से लेकर टेक्निकल कोर्सेस तक, हर संभव तरीके से छात्राओं को सहयोग दिया जाएगा।
इंटरकास्ट शादी: समाज को नई दिशा
शांभवी ने सायन से प्रेम विवाह किया, जो भूमिहार जाति से हैं। उन्होंने दिखा दिया कि असली पहचान जाति से नहीं, इंसानियत से होती है।
उनकी यह शादी बिहार में चल रहे जातिगत स्टीरियोटाइप्स के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। उनकी ससुराल और मायके, दोनों परिवारों का समर्थन उनके इस साहसिक फैसले को और भी खास बनाता है।
उनके ससुर, आचार्य किशोर कुणाल, ने दलित समाज के लिए अहम कार्य किए हैं। शांभवी कहती हैं कि जाति से बढ़कर लोगों की सेवा करना असल राजनीति है।
पिता अशोक चौधरी और राजनीति की विरासत
शांभवी के पिता, अशोक चौधरी, जेडीयू के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं। शांभवी ने अपने पिता की सेवा भावना और जनता से जुड़ाव को बहुत करीब से देखा है।
हालांकि, उन्होंने लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान की पार्टी से जुड़कर अपनी नई पहचान बनाई। युवाओं के लिए राजनीति को साफ और पारदर्शी बनाने का उनका यह कदम उनकी अलग सोच को दर्शाता है।
यूथ पार्लियामेंट से असली संसद तक
शांभवी का सफर यूथ पार्लियामेंट जैसे मंचों से शुरू हुआ। स्कूल और कॉलेज में डिबेट और मॉडल यूनाइटेड नेशंस में भाग लेना उनकी बहस करने और अपनी बात रखने की योग्यता को विकसित करता गया।
वह कहती हैं, “बचपन से मुझे पता था कि मैं जनता की प्रतिनिधि बनना चाहती हूं।” उनकी प्रेरणा उनके दादा और पिता रहे हैं, जिन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
सामाजिक दबाव और चुनौतियों से सामना
शांभवी जानती हैं कि एक युवा महिला सांसद होने के नाते उन्हें कई बार जज किया जाएगा। फिर भी, वे हर चुनौती को अपने काम की प्रेरणा में बदलती हैं।
समस्तीपुर की जनता से वे व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहने के लिए अपना फोन नंबर तक सार्वजनिक रखती हैं। चाहे वह गीला कचरा हटवाने की शिकायत हो या किसी गंभीर समस्या का समाधान, वे हर मामले को गंभीरता से देखती हैं।
बिहार को लेकर सपने
शांभवी मानती हैं कि बिहार में पिछले 15 सालों में कई बदलाव आए हैं। महिलाओं की स्थिति में सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और युवाओं को नए अवसर मिल रहे हैं।
वे यह भी जोड़ती हैं कि कोविड के समय में बिहार की डबल डिजिट ग्रोथ ने दिखा दिया कि यह राज्य विकास के पथ पर अग्रसर है। उनका कहना है, “आने वाले समय में बिहार आर्थिक हब बनेगा।”
छठ पूजा और बिहार का भावनात्मक जुड़ाव
शांभवी का परिवार छठ पूजा को लेकर बेहद भावुक है। वे इस त्योहार को अपने पूरे परिवार के साथ मनाती हैं। उनका मानना है कि यह पर्व केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और परिवार का संगम है।
वे कहती हैं, “छठ की हर तैयारी, हर पूजा, परिवार के साथ मनाया जाने वाला आनंद है। यह हमें जोड़ता है।”
बिहारी होने पर गर्व
शांभवी बिहार की मिट्टी से गहराई से जुड़ी हैं। वे कहती हैं, “बिहार ने जो मुझे दिया है, मैं उसे लौटाने की पूरी कोशिश करूंगी।”
उनकी मेहनत, लगन और ईमानदारी उन्हें केवल एक सांसद नहीं, बल्कि बिहार की प्रेरणादायक बेटी बनाती है।
समस्तीपुर और बिहार के लोगों के लिए संदेश
“बिहारवासियों, आपका प्यार और आशीर्वाद मेरी ताकत है। आपकी बेटी हमेशा आपके साथ खड़ी मिलेगी। गलतियां हो सकती हैं, पर अपनी नीयत हमेशा साफ रहेगी। आपका विश्वास मेरी सबसे बड़ी जीत है।”
शांभवी चौधरी ने जिस तरह से अपनी पहचान बनाई है, वह सिर्फ बिहार ही नहीं, पूरे देश के लिए मिसाल है। बिहार की यह बेटिया संसद में भी अपनी आवाज मजबूती से उठा रही हैं और अपने राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का सपना देख रही हैं।
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