Shambhu Shikhar Life Story: क्या कविताएं हमारी ज़िंदगी को बदल सकती हैं? शंभू शिखर का जीवन इस सवाल का जवाब है। बिहार के एक सामान्य परिवार से आने वाले शंभू आज हास्य कवि सम्मेलन के मंचों पर लाखों का दिल जीतते हैं। लेकिन उनकी ये कहानी केवल हंसी तक सिमटी नहीं है। इसमें इतनी गहराई, संघर्ष और प्रेरणा है कि हर किसी के लिए सीख है।
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Shambhu Shikhar Life Story
बचपन और शुरुआती संघर्ष
शंभू शिखर का बचपन अभावों में गुजरा, लेकिन उन्होने कभी इसे अपनी मजबूरी नहीं बनने दिया। उनके शब्दों में, “अभाव आपको मजबूत बनाते हैं और ज़िंदगी जीने का असली सबक सिखाते हैं।” एक मिडल क्लास परिवार से आने वाले शंभू के लिए पढ़ाई हमेशा प्राथमिकता रही। दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान उन्होंने अपनी मेधा का परिचय दिया। वो इतने मेधावी थे कि उनके दो विषयों में 100% नंबर आए।
लेकिन जिंदगी उन्हें नौकरी की परंपरागत राह पर नहीं ले जाना चाहती थी। उनका कहना है, “मुझे नौकरी नहीं करनी थी। बस ये पता था कि कुछ अलग करना है।”
कवि की शुरुआत
शंभू की कवि बनने की शुरुआत यूं ही एक प्रतियोगिता से हुई। कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर लगी स्वरचित कविता पाठ की प्रतियोगिता ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके शब्दों में, कविता ने उन्हें चुना। और वही कविता आज उन्हें भारत के सबसे लोकप्रिय हास्य कवियों में गिना जाता है।
हास्य कवि के रूप में पहचान
शंभू अपने अलग अंदाज़, धोती-कुर्ता पहनकर मंच पर जाने और बिहारी स्वाभिमान से जुड़े अपने हास्य भरे व्यंग्य के लिए मशहूर हैं। उनका एक कविता संग्रह ‘हम धरतीपुत्र बिहारी हैं’ ने उन्हें हर घर में पहचान दिलाई। वो कहते हैं, “लोग मुझसे पूछते हैं बिहारी इतने IAS क्यों बनते हैं, मैं कहता हूं क्योंकि हमारा दिमाग बाकी लोगों का खराब होता है।”
उनकी कविताएं ना केवल हंसाती हैं, बल्कि सोचने पर भी मजबूर करती हैं।
जीवन के प्रति दृष्टिकोण
शंभू अपने जीवन को बहुत सरलता से जीते हैं। उनके अनुसार, “ज़िंदगी हंसने और रोने का खेल है। इसके बीच आप जो करते हैं, वही आपका जीवन होता है।” उनका मानना है कि सामाजिक कुरीतियों से लेकर राजनीतिक मुद्दों तक हास्य के जरिए बात करना सबसे बेहतरीन तरीका है। हास्य में गहराई होनी चाहिए ताकि उसकी बात सीधी दिल तक पहुंचे।
बिहार की राजनीति और छात्रों का मुद्दा
बिहार की राजनीति और छात्रों के मुद्दों पर शंभू के विचार बेलाग हैं। वो मानते हैं कि बिहार में सिस्टम को सुदृढ़ करना चाहिए और छात्रों को प्रदर्शन के बजाय मेहनत पर जोर देना चाहिए। भले ही वो नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति का समर्थन करते हैं, लेकिन वे इसके प्रशासनिक व्यावहारिकता पर सवाल उठाने से भी नहीं चूकते।
उनका कहना है, “शराब और भगवान, दोनों दिखते नहीं हैं, पर मिल जाए तो मज़ा आ जाता है।” लेकिन वो इस बात पर भी जोर देते हैं कि शराबबंदी ने बिहार में कई समस्याएं खत्म की हैं।
हास्य कवि होने के फायदे और चुनौतियां
हास्य कवि होना आसान नहीं है। शंभू कहते हैं, “लोग आपको सीरियसली नहीं लेते। लेकिन असली कला यही है कि आप हंसी के जरिए गहरी बातें कह दें।”
उनकी हास्य कविताएं केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रहतीं। वे समाज को आईना दिखाने का काम करती हैं। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
लॉकडाउन और नई किताबें
लॉकडाउन के दौरान शंभू ने अपनी लिखने की कला को नया रूप दिया। उनकी किताब ‘लॉकडाउन की कहानियां’ उन दिनों की सच्ची और संवेदनशील घटनाओं का संग्रह है। हर एक कहानी समाज के उस दौर की झलक देती है।
एक कहानी में उन्होंने एक दादाजी का ज़िक्र किया, जो अपने परिवार के साथ फिर से जुड़ने पर कहते हैं, “15 साल बाद मेरा लॉकडाउन खुला है।” यह भावनात्मक दृष्टिकोण उनकी कविताओं और कहानियों को खास बनाता है।
नवोदित कवियों के लिए संदेश
शंभू नवोदित कवियों से कहते हैं, “कवि बनना मेहनत की बात है, बेरोजगारों का काम नहीं। अगर आप ईमानदारी और मेहनत से काम करें, तो कविता से भी लाखों कमाए जा सकते हैं।”
उनका यकीन है कि कविता एक कला है, जिसे मां सरस्वती का आशीर्वाद कहा जा सकता है। अपने काम को दिल से करें, क्योंकि यही सफलता की असली कुंजी है।
निष्कर्ष
शंभू शिखर की कहानी केवल हास्य और व्यंग्य तक सीमित नहीं है। यह प्रेरणा और विश्वास की कहानी है। उनकी कविताएं हमें बताती हैं कि ज़िंदगी में हंसी और संघर्ष दोनों जरूरी हैं। शंभू शिखर एक कलाकार नहीं, बल्कि एक सोच हैं।
आप क्या सोचते हैं? क्या हास्य हमारी जिंदगी को बदल सकता है? हमें अपने विचार जरूर बताएं।
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