Sukhwinder Singh Dhillon Case: एक भारतीय मूल के व्यक्ति, सुखविंदर सिंह ढिल्लों, द्वारा किए गए अपराधों ने कनाडा को झकझोर कर रख दिया। बीमा का उपयोग सुरक्षा के लिए किया जाता है, लेकिन जब लालच इंसान की सोच पर हावी हो जाए, तो परिणाम डरावने हो सकते हैं। इस कहानी में आपने न केवल धोखाधड़ी देखी, बल्कि उस लालच को भी जिसने इंसानियत की सारी हदें तोड़ दीं।

Sukhwinder Singh Dhillon Case
कहानी का पहला मोड़: रणजीत सिंह की मौत और जांच
1996 में क्लिफ एलियट, जो एक बीमा जांचकर्ता थे, को एक अजीब मामला सौंपा गया। रणजीत सिंह नाम का एक युवक, जिसकी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी उसकी मौत से मात्र 5 दिन पहले जारी हुई थी, अचानक मर गया। बीमा क्लेम के लिए सुखविंदर सिंह ढिल्लों ने नॉमिनी बनकर दावा किया। लेकिन शुरुआती बातचीत से क्लिफ को शक हुआ कि मामला सामान्य नहीं है।
क्लिफ ने जब पुराने रिकॉर्ड्स देखे तो पता चला कि सुखविंदर पहले भी 3 लाख डॉलर का बीमा पैसा अपनी पहली पत्नी प्रवेश कौर की रहस्यमय मौत के बाद ले चुका था। रणजीत की मौत और पहले हुए मामलों में समानताएं देखकर क्लिफ ने पुलिस को संदेह जताया।
सुखविंदर सिंह ढिल्लों की पृष्ठभूमि
1959 में भारत के पंजाब में जन्मा सुखविंदर 1981 में बेहतर जिंदगी की तलाश में कनाडा गया। लेकिन मेहनत से बचने की आदत और पैसों की भूख उसे अपराध की दुनिया में ले गई। 1991 में उसने पहली बार फर्जी चोट का बहाना बताकर मुआवजा लिया। यही शुरुआत थी शातिर ठगी के सिलसिले की।
1994 तक सुखविंदर ने फर्जी इंश्योरेंस क्लेम और नकली सड़क दुर्घटनाओं से लाखों डॉलर कमाए। उसने यूज्ड कार डीलरशिप का बिजनेस शुरू किया, लेकिन उसकी लालच यहीं नहीं रुकी।
प्रवेश कौर की रहस्यमय मौत
1995 में सुखविंदर की पत्नी प्रवेश कौर की तबियत अचानक खराब हुई और उसकी मौत हो गई। डॉक्टर मौत के कारण का पता नहीं लगा सके। सुखविंदर ने तुरंत बीमा क्लेम फाइल किया और 3 लाख डॉलर हासिल किए।
तब तक किसी को शक नहीं हुआ क्योंकि वह चालाकी से हर कदम उठाता था। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। सुखविंदर ने इसी तरह अपने दो बच्चों और तीसरी पत्नी की भी हत्या कर दी।
रणजीत सिंह की मौत का प्लान
रणजीत को विश्वास में लेकर सुखविंदर ने एक लाख डॉलर की व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी दोनों के लिए करवाया। लेकिन जल्द ही उसने रणजीत को भी वही जहरीली गोली दी जो उसने अपनी पत्नी प्रवेश कौर को दी थी।
रणजीत की मौत के बाद सुखविंदर ने बीमा क्लेम फाइल किया। यही वह घटना थी जिसने जांचकर्ताओं का ध्यान सुखविंदर की आपराधिक गतिविधियों की ओर खींचा।
खुलासे और गिरफ्तारी
कनाडा और भारत, दोनों जगह जांच आगे बढ़ी। रणजीत, प्रवेश और बच्चों के शवों और विसरा की जांच में स्ट्रिकनीन नाम का जहर पाया गया। यह साबित हो गया कि सुखविंदर ने जहरीले पदार्थ का इस्तेमाल कर उनको मारा।
1997 में सुखविंदर को गिरफ्तार किया गया। उसने पहले सभी अपराधों से इनकार किया, लेकिन सबूतों के सामने उसकी सच्चाई सामने आ गई।
अंजाम और सजा
2001 में अदालत ने सुखविंदर को फर्स्ट-डिग्री मर्डर का दोषी करार देते हुए 25 साल की बिना पेरोल सजा सुनाई। 16 नवंबर 2013 को जेल में ही उसकी मौत हो गई।
क्या लालच इंसान को इंसानियत से दूर कर देता है?
सुखविंदर सिंह ढिल्लों की कहानी लालच के अंधकार की एक कड़वी मिसाल है। पैसा कमाने का यह खतरनाक रास्ता न सिर्फ दूसरों बल्कि खुद के लिए भी विनाशकारी साबित हुआ।
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