Techi Meena Lishi Case: 1980 के दशक में अमेरिका एक खौफनाक सिरस्ते से गुजरा, जिसे ग्रीन रिवर सीरियल किलर के नाम से जाना गया। यह कहानी गैरी रिजवे की है, जिसने दर्जनों लड़कियों और महिलाओं को अपनी हवस और हिंसा का शिकार बनाया। आइए जानते हैं कि वह कौन था, पुलिस को इतने सालों तक क्यों चकमा देता रहा और आखिरकार कैसे पकड़ा गया।
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Techi Meena Lishi Case
ग्रीन रिवर: मौत की शुरुआत
15 जुलाई 1982 को अमेरिका के सिएटल के पास ग्रीन रिवर में एक 16 साल की लड़की, वेंडी ली कोफील्ड की लाश मिली। पोस्टमॉर्टम से खुलासा हुआ कि उसके साथ दरिंदगी के बाद हत्या की गई थी। पुलिस मामले की जांच में जुटी ही थी कि एक महीने बाद, 15 अगस्त 1982 को उसी नदी से तीन और लड़कियों की लाशें बरामद हुईं। इन लड़कियों की उम्र 17, 23 और 31 साल थी। चौंकाने वाली बात यह थी कि हत्या का तरीका एक जैसा था – दरिंदगी, गला घोंटना और गर्दन तोड़ना।
जांच के दौरान नदी और उसके आसपास के इलाकों से और भी शव मिलते रहे। से****क्स वर्कर और घर से भागी हुई लड़कियां लगातार इस हत्यारे का निशाना बन रही थीं, जिसने पूरे इलाके में दहशत फैला दी।
गैरी रिजवे: एक खूंखार सीरियल किलर की पहचान
गैरी रिजवे का जन्म 18 फरवरी 1949 को उटाह में हुआ। उसका बचपन एक अशांत माहौल में बीता। पिता बस ड्राइवर थे और घर में लगातार झगड़े होते थे। गरीबी और बदमिजाजी का असर उसके बचपन पर साफ दिखाई देता था। मां के साथ असहज रिश्ते और उनके हाथों मारपीट ने उसके व्यक्तित्व को और खराब कर दिया।
बड़े होकर उसने नेवी जॉइन की, लेकिन वहां वियतनाम वार के दौरान उसका बर्ताव और भी बिगड़ गया। शादीशुदा जिंदगी बुरी रही। वह अपनी पत्नियों के साथ हिंसक रहता था और से****क्स वर्कर्स के पास जाना उसकी आदत बन चुकी थी। दूसरी शादी टूटने के बाद, 1982 में उसने निर्दोष लड़कियों को निशाना बनाना शुरू किया।
पुलिस की नाकाम कोशिशें
1982 में शुरुआती जांच में पुलिस ने कई संदिग्धों से पूछताछ की। गैरी रिजवे भी उनमें से एक था, लेकिन सबूतों के अभाव में पुलिस उसे छोड़ देती। उस समय डीएनए प्रोफाइलिंग एडवांस नहीं थी, इसलिए रिजवे के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं जुटाया जा सका।
पुलिस के चंगुल से बचने के बाद भी रिजवे ने अपनी हत्याओं का सिलसिला जारी रखा। उसने ज्यादा तर से****क्स वर्कर्स को निशाना बनाया और उनकी लाशें ग्रीन रिवर या उसके आसपास फेंक दीं। जब पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला, तो मीडिया ने उसे ‘ग्रीन रिवर सीरियल किलर’ नाम दे दिया।
DNA टेक्नोलॉजी से खुला राज
2001 तक गैरी रिजवे 50 से ज्यादा हत्याएं कर चुका था। 1987 में पुलिस ने उसके बाल और लार के सैंपल लिए थे, जिन्हें 2001 में डीएनए प्रोफाइलिंग की एडवांस तकनीक से फिर से जांचा गया। नतीजा चौंकाने वाला था – रिजवे का डीएनए तीन विक्टिम्स के शरीर से मिले सैंपल से मैच कर गया। इसके अलावा, एक पीड़िता के गले से मिले कपड़े पर उसके काम की फैक्ट्री का पेंट भी पाया गया।
गिरफ्तारी और चौंकाने वाले खुलासे
30 नवंबर 2001 को रिजवे को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस से डील की कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी, तब वह सभी अपराध कबूल करेगा। इसके बाद उसने हत्याओं का आंकड़ा कबूल किया। उसने 70 से 91 हत्याओं की बात स्वीकारी, लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में यह आंकड़ा 100 से 150 तक बताया गया।
रिजवे ने यह भी कबूल किया कि वह विक्टिम्स के साथ हत्या के बाद भी शारीरिक संबंध बनाता था। कई बार वह पुरानी लाशों के पास लौटकर जाता और अपनी हैवानियत जारी रखता।
सजा और वर्तमान स्थिति
2003 में गैरी रिजवे को 48 हत्याओं के लिए 480 साल कैद की सजा सुनाई गई। उसे दिन की रोशनी से दूर, एकांत में रखा गया है। 73 वर्षीय रिजवे आजीवन जेल में रहेगा। उसकी यह सजा मौत से भी बदतर मानी जाती है।
आखिर क्यों बना ऐसा दरिंदा?
गैरी रिजवे के बचपन के अनुभवों ने उसकी मानसिकता को गहराई से प्रभावित किया। मां की मारपीट और पिता का वर्कर्स के साथ संबंध उसकी नफरत का कारण बने। वह महिलाओं और वर्कर्स को निशाना बनाकर मानो अपने बचपन का बदला ले रहा था।
यह कहानी दिल दहला देने वाली है। यह दर्शाती है कि बचपन की परिस्थितियां किसी के जीवन पर कितना गहरा असर डाल सकती हैं।
क्या आपको लगता है कि उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए थी? कमेंट बॉक्स में अपनी राय दें।
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