Darkest Day in Indian Cricket History: इस महत्वपूर्ण आर्टिकल की शुरुआत एक सवाल से शुरू करते हैं कि अगर मैं आपसे भारतीय क्रिकेट का सबसे बुरा दिन पूछूं या काला दिन पूछूं तो आप किसे कहेंगे? हाँ मैं जानता हूँ कि इस सवाल के जवाब भी इंसान to इंसान vary कर सकते हैं? कोई कहेगा जिस दिन सचिन ने cricket छोड़ा था? कोई कहेगा जिस दिन धोनी 2019 world cup में run out हुए थे? कोई कहेगा कि 2003 में जो भारत final हारा वो था. लेकिन जो भी इस आर्टिकल को ऐसे लोग पढ़ रहे हैं, जिन्होंने cricket साल 2000 से ले के आज तक एकदम अच्छे से follow करा है तो सबसे ज्यादा जबान जिस दिन को अब तक भारतीय cricket का सबसे काला दिन ठहराएंगे वो था जब भारत 2007 के fifty fifty (One Day International) वर्ल्ड कप से बाहर हो गया था.
लेकिन आज की इस आर्टिकल में मैं आपको ये नहीं बताने वाला हूँ कि उस वर्ल्ड कप के मैचेस में क्या हुआ और भारत कैसे बाहर हो गया. वो आप कहीं से भी हाईलाइट जा के देख लीजिएगा। मैं असल में आपको बताने वाला हूँ वो कहानी जो उस वर्ल्ड कप के just बाद घटी जिसे सुनके आपके मुँह से भी निकल जाएगा कि इससे बुरा क्या ही हो सकता था. basic idea के लिए मैं आपको एक simple सी बात बता देता हूँ. जिससे आप ये तो समझ जाएँगे कि उस हार का असल दुःख क्या था और वो ये है कि अगर आपने सचिन गांगुली, द्रविड़, सेहवाग से ले के धोनी तक के interviews देखे होंगे तो उनसे जब भी ये सवाल करा गया कि उनके cricketing career का सबसे खराब दौर कौन सा था तो सबने 2007 world cup से बाहर होना ही बताया। even जब एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी मूवी रिलीज हुई थी तो धोनी ने खुद लॉन्च के वक्त बताया था कि हमने 2007 वर्ल्ड कप की हार के majority सीन्स को मूवी में नहीं रखा क्योंकि मैं ना वापस से देश को उस दौर से परिचित करवाना चाहता था और ना खुद ही उस दौर में जाना चाहता था. पर उसी लॉन्च में धोनी ने बहुत बड़ा खुलासा करा था वो भी मैं आपको आगे बताऊंगा। अब जिसको ना पता हो तो मैं बता दूँ कि 2007 fifty-fifty वर्ल्ड कप से पहले ऐसा नहीं था कि इंडिया कोई कमजोर टीम थी.
द्रविड़ की कप्तानी में भारत का रिकॉर्ड अच्छा था और टीम पूरी सितारों से सजी हुई थी जो अच्छा खासा perform भी कर रही थी सचिन सहबाग, गांगुली, द्रविड़ से ले के युवराज, धोनी से ले के जहीर, अगरकर, कुम्बले और भज्जी तक सब form में थे और भारत को जितनी उम्मीद 2003 वर्ल्ड कप में भारत से नहीं थी. उससे ज्यादा 2007 में थी. ग्रैग चैपल के कोच होने से टीम में कुछ उतार-चढ़ाव जरूर आए थे. लेकिन players में कोई कमी नहीं थी. लेकिन जैसी 17 मार्च 2007 को जब भारत बांग्लादेश से खेलता है जो कि उस world cup की one of the weakest team में से एक थी. पूरे देश की उम्मीदों के विपरीत भारत वो मैच हार जाता है. सेहवाग-धोनी जहाँ zero पे आउट होते हैं तो सचिन और द्रविड़ 7 और 14 पे. भारत बरमूडा के खिलाफ 257 रन से मैच जीतकर वापस जरूर करता है. लेकिन जहाँ उसे Sri Lanka से मैच किसी भी हाल में जितना ही था. उस मैच में भी भारत 254 run के लक्ष्य का पीछा करते हुए मात्र 185 पे all out हो जाता है. जहाँ फिर से धोनी और Sachin zero का ही score कर पाते हैं.
अब देखो भारत ने जैसा खेलना था खेल दिया था. लेकिन जनता का असल खेल बाकी था. एक साथ जब एक सौ पच्चीस करोड़ दिल टूटते हैं तो क्या होता है, दुनिया ने उस दिन देखा था अगले ही दिन खबर आती है कि Ranchi में 200 लोगों ने मिल के धोनी के घर पे हमला कर उनका घर तोड़ डाला। दीवारें तोड़ दी गयी, सारे pillars तोड़ दिए. वही घर जो धोनी ने कुछ टाइम पहले ही क्रिकेटिंग करियर में अपने पांव जमाने के बाद खड़ा किया था. यहां तक की डाई धोनी डाई के पोस्टर्स तक उनके घर के आसपास चिपका दिए थे. रातों रात द्रविड़ के घर भी सिक्योरिटी बढ़ा दी गई, क्योंकि जनता का आक्रोश सातवें आसमान पे था. अहमदाबाद से लेकर कोलकाता तक सचिन धोनी,द्रविड़ की अर्थियां निकाली गई. पुतले जलाए गए.
आप भी सोच रहे होंगे कि अभी टी-ट्वेंटी वर्ल्ड कप से भी तो भारत बुरे तरीके से बाहर हुआ था. लेकिन तब तो कुछ नहीं हुआ. वो इसलिए क्योंकि 2007 में सोशल मीडिया नहीं था कि लोग वहां जाकर players को या उनकी families को tag कर उन्हें गालियां दे सके. सड़क पर उतर के अपने क्रोध को जगजाहिर करने के अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं हुआ करता था. आपको शायद इतना ही सुन के ऐसा लग रहा हो कि यार सच में इतना कुछ हुआ था तो सब्र करिए अभी तो मैंने कुछ बताया ही नहीं है. असली कहानी तो अब बताऊंगा।
अभी तक की कहानी में मैंने आपको थोड़ा बहुत वो बताया जो इंडिया में हो रहा था। असल में एक कहानी भारत के ड्रेसिंग रूम में भी चल रही थी. ग्रेग चैपल ने तो टीम के हारते ही कोच के पद से रिजाइन कर दिया और कट लिए क्योंकि वो जानते थे कि भारतीय जनता उनसे इतने गुस्से में थी कि गन्ने की मशीन में एक साइड से डालती और दूसरे साइड से निकाल देती। लेकिन अब बात आती है इंडियन players की जो West Indies में थे. इस समय उन्हें ये नहीं समझ आ रहा था. जब उनके बिना भारत में उनके घर में इतने हमले हो रहे हैं तो अब वो अगर खुद भारत आए तो ये जनता उनके साथ क्या करेगी। पहली बार ऐसा हो रहा था कि players ये सोचने पे मजबूर हो गए थे कि कहीं हमने cricket को अपना career बना के गलती तो नहीं कर दी. देखो एक बात यहाँ पे ये भी समझनी जरूरी है कि 2007 में जो लोगों के cricket के प्रति emotions थे. वो आज के मुकाबले हजारों गुना ज्यादा थे. क्योंकि cable का इतना माहौल था नहीं। अगर India का match चल रहा है तो दूरदर्शन पे वो आता ही था और बच्चे से लेके बूढ़ों से लेके आदमी से लेके औरत तक हर कोई cricket देखता था, जानता था और उसके लिए ये खेल नहीं emotion हुआ करता था और भारतीय जनता से ज्यादा emotional दुनिया में कौन ही है. इसलिए जब ये emotions hurt हुए तो वही emotions ने आग का रूप ले लिया था. जो देश के कोनों-कोनों में जल रही थी.
अगर आप गैरी कर्स्टन का एक बयान पढ़ेंगे तो उन्होंने बताया था कि 2008 के आसपास जब वो coach बने थे तो सचिन ने उन्हें बताया कि उन्होंने वर्ल्ड कप के just बाद retirement का प्लान बना लिया था. शायद उन्हें लगा कि उनका cricket छोड़ना ही लोगों की भावनाओं को कुछ शांत कर पाए. अगर आप लोगों को याद हो तो 2011 वर्ल्ड कप की जीत में important रोल प्ले करने वाले तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल भी 2007 टीम का एक अहम् पार्ट थे और क्या आपको पता है कि वही एक player थे जिनको वापस लौटने में कोई डर नहीं था और वही एक reason भी थे कि बाकी लोगों में भी कुछ हिम्मत आई कि वो घर जा सकते हैं. तो सचिन तेंदुलकर ने interview के दौरान बताया था कि जब हम सब players डरे हुए थे कि घर कैसे जाएंगे। इंडिया में लोग कैसे react करेंगे तो जब उन्होंने मुनाफ पटेल से ये पूछा कि तुम्हें डर नहीं लग रहा वापस जाने में तो मुनाफ पटेल ने जो exact words कहे थे वो मैं आपको बताता हूँ जो आपको screen पे भी दिख रहे होंगे कि पाजी जहाँ मैं रहता हूँ उधर आठ हजार लोग हैं और आठ हजार लोग मेरे सिक्योरिटी हैं। मुनाफ पटेल की इस बात ने थोड़ा वापस से dressing रूम के माहौल को शांत करा और टीम ने वापस से हिम्मत जुटाई देश वापस लौटने की। सचिन ने मुनाफ से ये भी कहा था कि अगर कुछ दिक्कत हुई तो सब player तेरे वहां ही आएंगे।
जब भारतीय टीम का प्लेन भारत में land हुआ तो फिर क्या हुआ ये धोनी ने खुद उनकी मूवी के launch पे बताया था जिसकी बात मैंने starting में करी थी. उस फुटेज का पूरा link आपको डिस्क्रिप्शन में भी मिल जाएगा। धोनी ने बताया था कि जब हम लोगों का प्लेन दिल्ली में लैंड हुआ तो बाहर पुलिस की वैन्स आई थी. हमें ले जाने के लिए मैं और सेहवाग साथ में बैठे हुए थे. जैसे ही हम उस पुलिस वैन में बैठ के निकले तो कई मीडिया की गाड़ियां हमें फॉलो कर रही थी. बड़े-बड़े कैमरे और लाइट्स के साथ जो सीधे हमारी गाड़ियों पे पड़ रही थी. तब हमें ऐसा लग रहा था कि मानो हम कोई terrorist हैं या murderer हैं या हमने कोई बहुत बड़ा crime कर दिया है. हमें लगातार पीछा कुछ ऐसे करा कि हमको कुछ समय पुलिस स्टेशन में ही बिताना पड़ा और उसके बाद ही हम cars में अपने-अपने घर के लिए निकल पाए.
अब देखिए इस कहानी का कोई positive end नहीं है. ये सच जरूर है कि कुछ महीने बाद ही भारत ने विश्व का पहला T20 वर्ल्ड कप जीत सारे आक्रोश को खुशियों में बदल दिया था. जिन लोगों ने घर तोड़े थे वही लोग उनके घर को मालाओं से सजा रहे थे. लेकिन still वो वक्त ऐसा था जिसने उस वक्त को जिया है, वही समझ सकता है कि आज भी उस गुस्से की, उस शोर की एक-एक आवाज इन कानों में जीवित है क्योंकि जैसा मैंने पहले भी कहा तब लोगों के लिए क्रिकेट सिर्फ कहने के लिए धर्म नहीं था. भूख प्यास सब भूल जाता था, देश में जब भारत का मैच हुआ करता था. आज जो भी इस आर्टिकल को पढ़ रहा है. एक बार कमेंट में जरूर बताएं कि किस-किस ने उस पल को लाइव देखा था.