इंटरनेशनल बाइक राइडर असबाक मोन की लव मैरिज से लेकर मौत तक की कहानी, Asbak Mon Death Story

Asbak Mon Death Story

Asbak Mon Death Story: बात साल 2018 की है, Rajasthan के Jaisalmer में international bike race का आयोजन होने जा रहा था. इस race में भाग लेने के लिए देश दुनिया के जाने माने racer आ रहे थे. भाग लेने वाले racer में Asbak Mon नाम का भी एक international level का biker आया हुआ था. तब असबाक मोन की गिनती देश के top 10 bikers में की जाती थी. माना जा रहा था कि ये race भी Asbak Mon जीत सकते है. मगर race शुरू होने के चंद दिनों पहले Asbak Mon practice के लिए racing track पर जाते है और अचानक से गायब हो जाते हैं.

मामला police तक पहुँचता है और फिर जो खुलासे होने शुरू होते है. वो यकीन से परे होते है Asbak Mon के साथ इतना बड़ा धोखा हुआ था कि उसकी कल्पना कभी उसने भी नहीं की थी. सब कुछ इतनी perfect planning के साथ अंजाम दिया गया था कि police ने भी पूरी घटना को natural मान लिया था. मगर बाद में जब एक ईमानदार police वाले की वजह से case की file दोबारा खुली तो सच्चाई जानकर हर किसी के पैरों तले जमीन खिसक गयी.

International Biker Asbak Mon Death Story

Asbak Mon Death Story

तो आखिर Asbak के गायब होने के पीछे की पूरी कहानी क्या थी? आगे क्या कुछ खुलासा हुआ? इस साजिश को किसने अंजाम दिया था और पुरे मामले का खुलासा कैसे हुआ? इन सब सवालों के जवाब हम इस स्टोरी में जानेंगे। इस पूरे मामले में पुलिस ने जिस ईमानदारी से काम किया था, सुनकर आप भी उन्हें salute करने पर मजबूर हो जाएंगे।

2018 के अगस्त महीने में राजस्थान के जैसलमेर के रेगिस्तान में इंटरनेशनल level का bike race आयोजित होने जा रहा था। ये race इंडिया वाचा motor sports rally के नाम से आयोजित हो रहा था। bike racer के लिए ये event बहुत ज्यादा important था क्योंकि इसके winner को south अमेरिका में आयोजित होने वाले race में सीधे entry मिलती।

इसलिए दुनिया के सभी जाने-माने racer इस event में भाग लेने के लिए जैसलमेर पहुंच चुके थे. भाग लेने वाले लोगों में असबाक मोन नाम का भी एक रेसर शामिल था। असबाक मोन मूल रूप से केरल के कन्नूर जिले के रहने वाले थे। पढ़ाई-लिखाई बेंगलुरु से ही पूरी करने के बाद रोजगार की तलाश में अस्बाक मॉन यूएई चले जाते हैं और वहीं के एक बड़े बैंक में अच्छी खासी नौकरी भी हासिल कर लेते हैं।

अजमाक मॉन जॉब से अच्छा खासा पैसा कमा रहे थे। मगर उनका दिल बाइक से ही लगा रहता था। इसलिए वो जॉब छोड़कर वापस भारत आते हैं और बेंगलुरु को अपना ठिकाना बनाते हैं। यहीं कुछ समय तक एक it company में job करते हुए Asbak Mon की मुलाकात सुमेरा परवेज नाम की एक लड़की से होती है. पहले इन दोनों में दोस्ती होती है और यही दोस्ती फिर प्यार में बदल जाती है और कुछ समय बाद दोनों शादी भी कर
लेते है.

सुमेरा को भी बाइक का काफी शौक था और वो भी अपने पति असबाक मोन के साथ अक्सर बाइक पर साथ में सफर पर आया-जाया करती थी. समय के साथ असबाक मोन का रुझान शौकिया बाइकिंग से बढ़कर अब प्रोफेशनल बाइकिंग की तरफ होने लगता है और वो वजाफ्ते अपनी एक team बनाने पर काम करने लगते है और कुछ समय के बाद 5 दोस्तों के साथ मिलकर अपनी एक professional team बनाते है और दुनिया के अलग-अलग देशों में आयोजित होने वाली bike race में भाग लेने लगते है.

देखते ही देखते Asbak Mon भारत के top 10 bike racer में भी शामिल हो जाते है. 2018 में Jaisalmer में bike race में भाग लेने के लिए भी वो अपने 5 दोस्तों के साथ Jaisalmer आ जाते है. Asbak Mon की team में इनके अलावा 4 लोग और थे इसमें दो दूसरे देश के थे जबकि चौथे का नाम Sanjay Kumar तथा पांचवें का नाम विश्वास एसडी था। पूरी तैयारी के बाद Azbak Mon finally race में भाग लेने के लिए जैसलमेर पहुंच जाते हैं और race शुरू होने से कुछ दिन पहले यानि 15 अगस्त 2018 को अपने दोस्तों के साथ racing ट्रैक का मुआयना करने के लिए जाते हैं।

जब ये सभी racing track देखने गए हुए थे। तभी असबाक मोन के साथ मौजूद उसका दोस्त कहता है कि क्यों ना हम लोग final race में शामिल होने से पहले एक practice race पर चलें। Asbak Mon को ये idea पसंद आता है और तय होता है कि 16 अगस्त 2018 को ये पाँचों दोस्त एक साथ practice race पर जाएँगे। practice race पर जाने के लिए भी इस race के आयोजकों से permission लेने की जरूरत होती है. मगर ये लोग बिना permission के ही practice के लिए जाने का मन बना लेते है और finally 16 अगस्त को असबाक मोन और उसके सभी दोस्त practice के लिए निकल जाते है.

जब ये सभी race पर जाते है तो इनके दो racer एक दूसरी track पकड़ लेते है. जब असबाक मोन संजय तथा विश्वास एक अलग ट्रैक पर निकल जाते हैं तो तय schedule के मुताबिक इन लोगों को कुछ समय बाद वापस अपने-अपने कैंप में वापस आना था। प्लान के मुताबिक ही दो रेसर कैंप में वापस आ जाते हैं। मगर असबाक मोन, संजय तथा विश्वास काफी देर तक वापस नहीं आते हैं। यहां तक की कई घंटे बीत जाते हैं. मगर इन तीनों का कहीं भी अता-पता नहीं चलता है।

जब शाम तेजी से ढलने लगती है तब संजय और विश्वास वापस कैंप में आते हैं और वहां मौजूद लोगों असबाक मोन के बारे में पूछते हैं। वहां मौजूद लोग उल्टे जवाब देते हैं कि ये तो हम लोग तुमसे जानना चाहते हैं कि जब तुम सभी लोग एक साथ गए थे तो फिर असबाक मोन कहाँ चला गया?

जवाब में संजय और विश्वास कहते हैं कि रास्ते में अजबाक मौन ने हम दोनों से अलग रास्ते पर चलने के लिए कहा और वो खुद ही अलग रास्ते पर चला गया। जब काफी देर हो गई तो हम लोगों ने उसे ढूंढने का काफी प्रयास किया। मगर वो नहीं मिला। शायद वो कहीं रास्ता भटक गया है। संजय तथा विश्वास के इस खुलासे के बाद पूरे कैंप में हड़कंप मच जाता है और तुरंत पूरी टीम अस्बाक मॉन को खोजने में लग जाती है।

कई घंटों की मेहनत के बाद भी जब असबाक मोन का कहीं अता-पता नहीं चलता है तो अब मामला पास के शाहगढ़ पुलिस स्टेशन में चला जाता है। मामला एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बाइक रेसर के गायब होने का था। इसलिए पुलिस भी तुरंत हरकत में आ जाती है और पुलिस की कई टीम वीरान रेगिस्तान में असबाक मोन को ढूंढने निकल जाती है। सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले हुए रेगिस्तान में असबाक मोन को ढूंढना। रेत में सुई ढूंढने जैसा था.

मगर पुलिस वाले हिम्मत नहीं हारते हैं और अगले दो दिनों तक असबाक मोन की तलाश जारी रहती हैं. मगर कही भी असबाक मोन का अता पता नहीं चलता हैं. जब असबाक मोन को ढूंढना मुश्किल होने लगता हैं तो खोज दल में और लोगों को शामिल किया जाता हैं तथा जाँच का दायरा बढ़ाते हुए बड़े स्तर पर असबाक मोन की तलाश शुरू होती हैं.

इधर लगातार असबाक मोन का फोन भी ट्राई किया जाता है. मगर पहले उसका फोन unreachable बताता है और फिर कुछ समय बाद फोन switch off हो जाता है। असबाक मोन के गायब होने की खबर बेंगलुरु में रह रही असबाक मोन की पत्नी सुमेरा परवेज को भी दे दी जाती है. पति के गायब होने की खबर सुनते ही सुमेरा भी तत्काल ही फ्लाइट लेकर बेंगलुरु से जैसलमेर पहुंच जाती है।

18 अगस्त 2018 को एक बार फिर से असबाक मोन की तलाश शुरू होती है। शुरू में कई घंटे यूँ ही बीत जाते हैं। मगर असबाक मोन का अता-पता नहीं चलता है। हालांकि जब खोजबीन को 5 घंटे से ज्यादा बीत जाते हैं, तो खोज में लगे हुए कुछ लोगों को रेत के नीचे कुछ अजीब सा दिखाई देता है। जब वो सभी करीब जाते हैं तो देखते हैं कि रेत के ढेर के नीचे किसी की लाश पड़ी हुई है। तुरंत उस लाश को वहां से निकाला जाता है।

असबाक मोन के दोस्त नीरज और विश्वास उस लाश की पहचान असबाक मोन के तौर पर करते हैं। Asbak mon के मौत की खबर से रेसिंग की दुनिया से जुड़े लोगों को गहरा सदमा पहुंचता है, हर कोई shocked था कि वो रेसर जिसे रेस शुरू होने से पहले विनर तक माना जा रहा था। वो बेहद ही रहस्यमय तरीके से रेतों के ढेर में मरा हुआ पड़ा था। रेगिस्तान की जला देने वाली गर्मी में लगातार दो-दिनों तक पड़े रहने की वजह से, शव की हालत बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी थी.

लाश की हालत को देखकर अंदाजा लग रहा था कि असबाक मोन शायद रास्ता भटक कर यहाँ तक पहुँच गया और फिर प्यास की वजह से तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो गई। असबाक मोन का शव मिलने के बाद पुलिस सेक्शन 174 के तहत मामला दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज देती है.

इधर असबाक मोन की पत्नी जब जैसलमेर पहुंच जाती है तो पुलिस वाले उससे पूछते हैं कि क्या आपको किसी पर शक है या असबाक मोन की किसी से कोई दुश्मनी रही है. जवाब में सुमेरा कहती है कि ना तो उसको किसी पर शक है और ना ही तो उसको किसी से कोई दुश्मनी थी शायद असमाक मौन की मौत रेतीले मैदान में रास्ता भटकने की वजह से भूख और प्यास के कारण हो गई क्योंकि Asbak Mon की मौत को लेकर किसी ने किसी भी तरह का शक नहीं जताया था. इसलिए मामूली धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए postmortem के बाद शव Azbaq Mon की पत्नी के हवाले कर दिया जाता है. इधर postmortem report भी आती है और case की file में ही कहीं दबकर रह जाती है.

साधु कई साल बीत जाने के बाद सब कोई अपनी normal जिंदगी जीने लगता है. यहाँ तक की Asbak Mon की पत्नी भी कथित तौर पर दूसरी शादी कर लेती है. हर किसी के लिए Asbak Mon की मौत एक natural death थी. मगर Asbak Mon के भाई तथा माँ को यकीन नहीं हो रहा था कि ये एक सामान्य मौत है. ये लोग अपने स्तर से आवाज उठाने की कोशिश करते हैं जैसलमेर पुलिस से मामले की अच्छे से जाँच करने की गुहार लगाते हैं।

मगर कोई भी इन लोगों की बातों की ओर ध्यान नहीं देता है इस तरह तीन साल बीत जाते हैं। जिस इलाके में ये घटना हुई थी उसी इलाके में साल दर साल कई अधिकारी बदलते हैं मगर कोई भी मौन की फाइल की तरफ ध्यान नहीं देता है.

बात साल 2020 की है. इस साल जैसलमेर का नया एसपी अजय सिंह को बनाया जाता है. अजय सिंह की छवि एक साफ-सुथरे और इंसाफ पसंद अधिकारी के तौर पर रही है. जैसलमेर के एसपी का पदभार संभालने के बाद अजय सिंह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी थानों से लंबित पड़े मामलों की फाइल मंगवाते है और उन सभी पर गौर करना शुरू कर देते है. इसी बीच उनके पास 3 साल पुराना Asbak Mon वाला फाइल भी आता है.

इस केस की जाँच अधिकारी एसपी साहब के सामने इस केस को natural death का मामला बताते हुए बंद करने की सिफारिश करते हैं। मगर अजय सिंह केस बंद करने की बजाय उस फाइल को अलग रखकर खुद ही पढ़ने का फैसला करते हैं। अब यहाँ से कुछ हिला देने वाले खुलासे होने शुरू होते हैं। एसपी अजय सिंह की नजर उन बातों पर पड़ती है जिसे आज तक किसी ने पलटकर पढ़ना तक जरूरी नहीं समझा था।

जैसे ही अजय सिंह केस की फाइल पलटते हैं, उनकी नजर postmortem रिपोर्ट पर पड़ती है। postmortem रिपोर्ट में लिखा हुआ था कि Asbak Mon के गर्दन की हड्डी टूटी हुई थी। case file में आगे दर्ज था कि जब Asbak Mon की लाश मिली तो वहीं पर उसकी बाइक स्टैंड पर खड़ी थी और उसका हेलमेट बाइक पर रखा हुआ था।

अब यहाँ एसपी साहब का माथा ठनकता है और वो सवाल उठाते हैं कि अगर किसी की गर्दन की हड्डी टूटी है, तो वो अपनी बाइक खुद ही कैसे सही सलामत स्टैंड पर खड़ी कर सकता है और कैसे अपनी हेलमेट उतारकर बाइक पर रख सकता है. क्योंकि गर्दन की हड्डी टूटने का मतलब था कि तुरंत उसकी मौत हो जायेगी या फिर वो इस तरह paralysed हो जाएगा कि उसका हाथ-पैर भी हिलना-डुलना बंद हो जाएगा।

जब SP साहब file आगे पलटते हैं तो postmortem रिपोर्ट में लिखा हुआ मिलता है कि मरने वाले शख्स के पेट में कुछ undigested food भी पाया गया था। मतलब मरने से कुछ देर पहले उस शख्स ने कुछ खाया था। अब ये सवाल उठने लगता है कि जिस व्यक्ति के पेट में अभी भी कुछ undigested food बचा हुआ है, उसकी मौत भूख और प्यास से कैसे हो सकती है. postmortem report में ये भी लिखा हुआ था कि गर्दन की हड्डी बैठने की हालत में टूटी है. मतलब कोई व्यक्ति खुद ही बैठकर अपनी गर्दन कैसे और क्यों तोड़ेगा।

इतना ही नहीं पहले दावा किया गया था कि रास्ता भटकने की वजह से Asbak Mon के bike की petrol खत्म हो गयी. इस कारण वो आगे कहीं नहीं जा पाया और रेतीले मैदान में फस गया. मगर जाँच report में ये भी दर्ज मिलता है कि अब भी Asbak Mon की bike में लगभग आधा litre petrol बचा हुआ था. जिसकी मदद से वो आसानी से पास के गाँव जाकर मदद मांग सकता था.

FIR के मुताबिक Asbak Mon का mobile गायब था, stand पर खड़ी हुई bike, bike पर रखा हुआ सही सलामत helmet, पेट में बचा हुआ undigested food, गाड़ी में मौजूद petrol sitting position में टूटी हुई गर्दन की हड्डी। अब चीख चीख कर इशारा करने लगी थी कि Asbak Mon की मौत कोई natural death नहीं बल्कि पूरी planning के साथ की गयी हत्या है.

पूरी file की गहराई से जाँच करने के बाद SP Ajay Singh तत्काल ही इस case की जाँच फिर से शुरू करने का आदेश देते है. इस case की जाँच का जिम्मा डीएसपी भवानी सिंह को दिया जाता है, जांच शुरू होते ही सबसे पहले Asbak Mon के साथ उस दिन रेस पर गए हुए उसके दोस्त संजय और विश्वास को पूछताछ के लिए जैसलमेर आने के लिए नोटिस जारी किया जाता है.

इसके अलावा Asbak Mon की पत्नी सुमेरा परवेज को भी नोटिस जारी किया जाता है, उम्मीद की जा रही थी कि नोटिस मिलते ही ये सभी पूछताछ के लिए पुलिस के पास हाजिर होंगे। मगर कोई भी जांच के लिए नहीं आता है, बल्कि तीनों लापता हो जाते हैं। जब ये लोग जाँच में सहयोग करने के लिए हाजिर नहीं होते हैं तो पुलिस वाले Asbak Mon की माँ तथा भाई की शिकायत पर इन Asbak Mon की पत्नी सुमेरा, दोस्त संजय तथा विश्वास के खिलाफ Asbak Mon की हत्या का मामला दर्ज कर लिया जाता है।

हत्या की धाराओं के तहत ये मामला राजस्थान के जैसलमेर के शाहगढ़ पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि 28 साल में ये पहली बार था जब शाहगढ़ पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया जा रहा था। इस थाने में पहली बार हत्या का मामला 1993 में दर्ज किया गया था. इस थाने के अंतर्गत लगभग 4000 लोगों की आबादी भी आती है. मगर यहाँ अपराध ना के बराबर होता है. यही वजह है कि इस थाने में जो barrack कई वर्षों पहले बनाए गए थे उसमें आज तक किसी को बंद करने तक की भी नौबत नहीं आयी है.

खैर वापस case पर चलते है हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज होने के बाद 7 police वालों की एक team बनाई जाती है और संजय तथा विश्वास की गिरफ्तारी के लिए उन्हें बेंगलुरु भेजा जाता है. कुछ दिनों तक तो ये लोग पुलिस वालों के साथ लुका छिपी का खेल खेलते रहते हैं. मगर finally पुलिस कुछ दिनों की मेहनत के बाद संजय तथा विश्वास को गिरफ्तार करके जैसलमेर ले आती है.

पहले तो ये दोनों किसी भी तरीके से Asbak Mon के गायब होने तथा उसके मरने में अपना हाथ होने से इंकार करते हैं, मगर जब पुलिस वाले सख्ती से पूछताछ करते हैं, तो एक दिल दहला देने वाली सच्चाई से पर्दा उठता है. संजय और विश्वास पुलिस पूछताछ में खुलासा करते हैं कि मौन की पत्नी ने ही Asbak Mon को मारने का कांट्रैक्ट इन दोनों को दिया था। इसकी वजह ये थी कि Asbak Mon तो अपनी पत्नी से सच्चा प्यार करता था मगर उसकी पत्नी की नजर सिर्फ Asbak Mon की दौलत पर थी.

Sumera का पहले कहीं और affair चल रहा था। इसके बावजूद उसने दौलत के लिए Asbak Mon से शादी कर ली और फिर उसकी दौलत को हड़पने के लिए अलग-अलग चाले चलती रही। यहाँ तक कि इस बात को लेकर दोनों में कई बार झगड़ा भी हुआ था। पुलिस वाले जब इस angle से जाँच करते हैं तो पता चलता है कि सच में Asbak Mon की मौत के कुछ दिन बाद ही उसके account से एक करोड़ रुपए भी निकाले गए थे।

ये दोनों police जाँच में खुलासा करते हैं कि इन दोनों ने जानबूझकर दो अन्य racer को दूसरे track पर भेज दिया। जबकि खुद ये दोनों Asbak Mon को लेकर काफी दूर चले गए और फिर वहाँ ले जाकर बड़ी सफाई के साथ उसकी गर्दन पर वार करके गर्दन की हड्डी तोड़ दी जिससे उसकी मौत भी हो गई और किसी को उन शक भी नहीं हुआ।

Asbak Mon की मौत के बाद संजय तथा विश्वास ने सोशल मीडिया पर असबाक को याद करते हुए तथा उसकी मौत पर दुःख जताते हुए लंबा-चौड़ा पोस्ट भी किया था। खुलासे के मुताबिक अजबाक मौन की हत्या के बाद संजय उसका मोबाइल चुरा लेता है और फिर असमाक मौन के व्हाट्सएप से group में जानबूझकर एक message करता है कि मैं फस गया हूँ और ऐसा लग रहा है कि मेरा अंत करीब आ गया है. ये message करने के बाद संजय Asbak Mon का मोबाइल भी गायब कर देता है।

जाँच में ये खुलासा होता है कि कुछ महीने पहले ही किसी बात को लेकर Sanjay तथा Asbak Mon की साथ में लड़ाई हो गयी थी और Sanjay उस लड़ाई के बाद Asbak की racing team से भी अलग हो गया था. मगर Sumera ने Sanjay को Asbak Mon को खत्म करने का plan समझाया। इसी के बाद साजिश के तहत Sanjay पहले तो Asbakh की team में फिर से शामिल हुआ और मौका मिलते ही Asbak Mon की हत्या कर दी.

जाँच में खुलासा होता है कि इन दोनों के अलावा इस पूरे plan में Neeraj और संतोष नाम के भी दोस्त शामिल थे. इस तरह पुलिस इस पूरे खुलासे के बाद Asbak Mon की पत्नी समेत कुल पाँच लोगों पर Asbak Mon की हत्या की साजिश रचने तथा हत्या को अंजाम देने का मामला दर्ज करते हुए जाँच आगे बढ़ाती है. अब पुलिस Asbak Mon की पत्नी सुमेरा परवेज की तलाश में लग जाती है. काफी कोशिशों के बाद सुमेरा का कहीं भी अता पता नहीं चलता है. अंत में पुलिस सुमेरा के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी करवा देती है ताकि ये लोग विदेश न भाग जाए।

पुलिस की कई टीम लगातार सुमेरा को trace करने की कोशिश कर रही थी. यहाँ तक कि अब जाँच में cyber पुलिस को भी शामिल कर लिया गया था। मगर सुमेरा इतनी शातिर थी कि वो लगातार अपना sim बदल रही थी. इस कारण उसे trace करना भी काफी मुश्किल हो रहा था। इसी जाँच पड़ताल के क्रम में कई महीने बीत जाते हैं। मगर पुलिस वाले अपनी हिम्मत नहीं हारते हैं और लगातार सुमेरा की तलाश में लगे रहते हैं। इसी जाँच के क्रम में एक दिन पुलिस वालों को कहीं से एक नंबर हाथ लगता है।

इसके बारे में दावा जाता है कि ये नंबर वैसे तो सोहेल के नाम पर है. मगर यही नंबर सुमेरा use कर रही है। अब पुलिस उस नंबर को trace करना शुरू कर देती है और गुपचुप तरीके से cyber सेल expert की एक team 9 मई 2020 को बेंगलुरु के लिए निकल जाती है और दो दिनों तक उस नंबर पर नजर बनाए रखती है।

जब पुलिस वाले ये confirm कर लेते है कि ये नंबर सच में सुमेरा ही use कर रही है। तो finally location trace करने के बाद पुलिस की टीम बेंगलुरु के संजय नगर थाने के अंतर्गत आने वाले एरिया में जाती है और एक अपार्टमेंट में पहुंचकर दरवाजा knock करती है. दरवाजा knock करते ही एक लड़का गेट खोलता है। पुलिस वाले अंदर दाखिल होते हैं तो देखते हैं कि सुमेरा बड़े आराम से कपड़े iron कर रही थी.

पुलिस तत्काल ही सुमेरा को गिरफ्तार करके 13 मई 2020 को जैसलमेर लेकर आ जाती है और उससे भी पूछताछ का सिलसिला शुरू हो जाता है। पहले तो सुमेरा किसी भी तरीके से पति की हत्या में शामिल होने से इंकार करती है। मगर पुलिस की सख्ती के आगे सुमेरा की सारी चालाकी फीकी पड़ जाती है और सुमेरा जुर्म कबूल कर लेती है.

इस तरह तीन साल तक जो केस पुलिस फाइल में यूँ ही दबा हुआ था। एक ईमानदार पुलिस वाले के आते ही चैन की नींद सो रहे कातिल सलाखों के पीछे पहुंच गए। दावा किया जाता है कि इस केस की जांच को रोकने के लिए आरोपियों ने अपनी पूरी पहुंच पैरवी का इस्तेमाल किया था। यहां तक कि इस केस की जांच में शामिल अधिकारियों को पचास लाख रुपए तक की घूस की पेशकश की गई थी। मगर पुलिस वालों ने किसी भी तरीके का घूस लेने मना कर दिया था.
दोस्तों वैसे तो आरोपियों को सज़ा देने का काम अदालतों का है. मगर आपके अनुसार Asbak Mon के कातिलों को क्या सज़ा मिलनी चाहिए। comment box में ज़रूर बताए।

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