भारतीय राजनीति की एक अनजान प्रेम कहानी, अटल बिहारी वाजपेयी की लव स्टोरी, Atal Bihari Vajpayee and Raj Kumari Kaul

Atal Bihari Vajpayee and Raj Kumari Kaul

Atal Bihari Vajpayee and Raj Kumari Kaul: आज की इस खास आर्टिकल में पूर्व प्रधानमंत्री कवि और राजनेता Atal Bihari Vajpayee की निजी जिंदगी का एक ऐसा सच जानेंगे, जिससे आप लोग पूरी तरीके से अनभिज्ञ है. अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार कहा था कि “मैं कुंवारा हूँ लेकिन ब्रह्मचारी नहीं”.

Atal Bihari Vajpayee and Raj Kumari Kaul

40 के दशक में भारत की आजादी की लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर लोगों के निजी संबंध लकीर के फ़क़ीर नहीं थे। गांधी खुलेआम ब्रह्मचर्य के साथ अपने प्रयोग कर रहे थे। विधुर होते हुए भी जवाहरलाल नेहरू के एडविना माउंटबेटन और पद्मप्रिया नायडू के साथ संबंध थे। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ऐलानिया रमा मित्रा के साथ रह रहे थे, जिनसे उन्होंने कभी विवाह नहीं किया। उसी कड़ी में एक और नाम था अटल बिहारी वाजपेयी का. जिनकी जिंदगी में भी राजकुमारी क़ौल के लिए एक खास जगह थी. राजकुमारी क़ौल का संबंध ग्वालियर राजघराने से था. ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वाजपेयी की मुलाकात राजकुमारी हकसर से हुई थी, जिनकी तरफ वो बहुत गहराई से खींचे चले गए थे और इन दोनों की ये प्रेम कहानी राजकुमारी क़ौल के मौत के साथ ही ख़त्म हुई थी.

कुछ साल पहले प्रकाशित वाजपेयी की जीवनी की लेखिका, मशहूर पत्रकार सागरिका घोष बताती हैं:

“एक बड़ा ही मशहूर गीत है, जो फिल्म खामोशी का है। प्यार को प्यार ही रहने दो, इसे नाम ना दो। तो मैं समझती हूँ कि ऐसा ही कुछ मसला था। वाजपेयी और राजकुमारी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और उन दिनों एक आदमी और औरत के बीच में एक फ्रेंडशिप या मित्रता या दोस्ती बहुत बड़ी बात होती थी.उन दोनों की पहले दोस्ती हुई और फिर प्यार हुआ. राजकुमारी एक बहुत ही ज्यादा जिंदा दिल और बहुत ही चंचल और सुंदर लड़की थी और उसे देखकर युवा वाजपेयी एकदम चकाचौंध हो गए. वाजपेयी आरएसएस में थे और फिर वो आंदोलन में शामिल हुए और फिर राजनीति में चले गए और उन दोनों की जिंदगी अलग-अलग दिशा में चल गई. राजकुमारी की जिंदगी अलग दिशा में गई। राजकुमारी दिल्ली आई. राजकुमारी की शादी हो गयी थी मिस्टर ब्रज नारायण कौल से जो Ramjas College में Philosophy पढ़ाते थे”.

अटल बिहारी वाजपेयी के एक और जीवनीकार किंगशुक नाग अपनी किताब Atal Bihari Vajpayee – The Man for All Seasons में लिखते हैं:

“युवा अटल बिहारी वाजपेयी ने राजकुमारी के लिए लाइब्रेरी के एक किताब में एक प्रेम पत्र रख दिया था। लेकिन उन्हें उसका जवाब नहीं मिला। दरअसल राजकुमारी ने उस पत्र का जवाब दिया था। लेकिन वो पत्र वाजपेयी तक नहीं पहुंच सका।”

जब वाजपेयी सांसद के रूप में दिल्ली आ गए तो राजकुमारी से मिलने का उनका सिलसिला फिर से शुरू हुआ। 80 के दशक में एक पत्रिका सैनी को दिए गए interview में राजकुमारी कौल ने स्वीकार किया था कि उनके और वाजपेयी के बीच परिपक्व संबंध थे। जिसे बहुत कम लोग समझ पाएंगे। वाजपेयी और मुझे अपने पति को इस रिश्ते के बारे में कभी सफाई नहीं देनी पड़ी। मेरे पति और मेरा वाजपेयी के साथ रिश्ता बहुत मजबूत था।

वाजपेयी के सबसे करीबी दोस्त अप्पा घटागे ने सागरिका घोष को बताया था कि मुझे नहीं मालूम कि उनके संबंध platonic थे या नहीं और वास्तव में इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता। पूरी दुनिया इस संबंध को अपरम्परागत और अजीब जरूर मानती थी. लेकिन वास्तव में ये दोनों के बीच उस दोस्ती का स्वाभाविक विस्तार था जो ग्वालियर में कॉलेज सहपाठियों के तौर पर शुरू हुई थी. बाद में जब वाजपेयी को दिल्ली में बड़ा सरकारी घर मिला तो राजकुमारी कौल उनके पति ब्रज नारायण कौल और उनकी बेटियां उनके घर में शिफ्ट कर गए.

सागरिका घोष बताती है कि वाजपेयी के काफी नजदीक रहे बलबीर पुंज ने उन्हें बताया था कि जब वो पहली बार वाजपेयी के घर गए तो उन्हें क़ौल दंपत्ति को वहां रहते देख थोड़ा अजीब सा लगा. लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनके लिए ये सामान्य सी बात है तो उन्होंने भी इस बारे में सोचना छोड़ दिया। जब वाजपेयी के सबसे नजदीकी दोस्त अप्पा घटागे वाजपेयी को अपने यहां खाने पर बुलाते थे तो वाजपेयी राजकुमारी कौल और ब्रज नारायण कौल तीनों साथ-साथ उनके यहां जाते थे।

जो मिस्टर कौल थे, वो भी बड़े understanding थे. वो भी बड़े mature थे और उन्होंने भी शायद इस relationship को स्वीकार कर लिया क्योंकि वो भी तो उसी घर में रहते थे. एक साथ सारे रहते थे और मुझे बलबीर पुंज ने कहा जो बहुत नजदीकी से वाजपेयी के साथ थे.

बलवीर पुंज ने कहा कि वो तीनों बड़े mature individual थे और घर के अंदर they all had separate bedrooms and they all used to go to the separate bedrooms and Mrs.Kaul was very comfortable and they were all very comfortable with each other.

बी एन  कौल वाजपेयी को बहुत ही चाहते थे और वाजपेयी के well wisher थे और वाजपेयी के बड़े close फ्रेंड भी थे और जब भी वाजपेयी घर लौटते थे राजनीतिक दौरे के बाद तो बी एन कॉल पूछते थे कि क्या आपने सही तरीके से खाया-पिया, क्या सब ठीक है, आपके भाषण कैसे गए?

अटल बिहारी बाजपेयी और राजकुमारी कौल की प्रेम कहानी देखिये इस वीडियो में:

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मशहूर पत्रकार करण थापर एक बार वाजपेयी के interview के लिए उनसे संपर्क करना चाह रहे थे। लेकिन बात बन नहीं पा रही थी। करण थापर अपनी आत्मकथा Devil’s Advocate में लिखते हैं. मैंने थक हार कर वाजपेयी के रायसेना रोड वाले घर पर फोन मिलाया। काफी मशक्कत के बाद मिसेज कौल लाइन पर आई। जब मैंने उन्हें अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने कहा मुझे उनसे बात करने दीजिए, interview हो जाना चाहिए।

अगले दिन वाजपेयी interview देने के लिए तैयार हो गए। उनके पहले शब्द थे आपने तो high command से बात कर ली. अब मैं आपको कैसे मना कर सकता हूँ?

कहानी मशहूर है कि साठ के दशक में Misses Kaul अपने पति को तलाक देकर वाजपेयी से शादी करना चाहती थी. लेकिन उनकी पार्टी और आरएसएस का मानना था कि अगर वाजपेयी ऐसा करते हैं तो उसका उनके राजनीतिक carrier पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसलिए वाजपेयी ने ताउम्र शादी नहीं की। लेकिन Misses Kaul उनकी निजी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बनी रही।

एक कार्यक्रम के दौरान वाजपेयी ने स्वीकार किया, “मैं कुंवारा हूँ, लेकिन ब्रह्मचारी नहीं।”

वाजपेयी की एक और जीवनी “हार नहीं मानूंगा मैं” में विजय त्रिवेदी लिखते हैं। दोहरे मानदंडों वाली राजनीति में ये अलिखित प्रेम कहानी तकरीबन 50 साल चली और जो छिपाई नहीं गई। लेकिन उसे कोई नाम भी नहीं मिला। हिंदुस्तान की राजनीति में शायद पहले कभी नहीं हुआ होगा कि प्रधानमंत्री के सरकारी आवास में एक ऐसी शख्सियत रह रही हो, जिसे protocol में कोई जगह ना दी गई हो. लेकिन जिसकी उपस्थिति सबको मंजूर हो.

आरएसएस ने एक विवाहित महिला के साथ वाजपेयी के संबंधों पर कभी मोहर नहीं लगाई। लेकिन वो उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं पाए क्योंकि चुनावी राजनीति में वो उनके सबसे बड़े पोस्टर बॉय थे। जिनमें भीड़ जमा करने की अद्भुत क्षमता थी.

2014 में जब राजकुमारी कौल का 86 वर्ष की आयु में निधन हुआ तो उसके बाद जारी प्रेस release में कहा गया कि मिसेस कौल पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के परिवार की सदस्य थी.

इंडियन एक्सप्रेस ने उन्हें वाजपेयी का सबसे अनजान other half बताया। हालांकि उस समय चुनाव प्रचार अपने चरम पर था. लेकिन सोनिया गांधी ने चुपचाप वाजपेयी के निवास पर जाकर उनके निधन पर अपनी संवेदना प्रकट की थी. उनके अंतिम संस्कार में ना सिर्फ चोटी के बीजेपी के नेता लालकृष्ण आडवाणी, अमित शाह, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली मौजूद थे बल्कि आरएसएस ने भी अपने दो वरिष्ठ प्रतिनिधियों सुरेश सोनी और रामलाल को वहां भेजा था. 2009 के बाद गंभीर रूप से बीमार हुए अटल बिहारी वाजपेयी राजकुमारी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे।

बाद में किंगशुक नाग ने लिखा राजकुमारी कौल के देहावसान के साथ भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी प्रेम कहानी हमेशा के लिए समाप्त हो गई. कई दशकों तक ये प्रेम कहानी पनपी। लेकिन बहुत से लोग इससे अनजान ही रहे। वाजपेयी हमेशा राजकुमारी को मिसेज कौल कहकर पुकारते थे।

मिसेज कौल घर चलाती थी और रोज सवेरे मिसेस कॉल उठकर खाने में सारे मसाले जाएंगे रोज वो चुनती थी. वाजपेयी को देखती थी, कौन सी दवा कब लेना है. एक बार अप्पा घटाटे ने मुझे बताया कि जब वो बाहर जा रहे थे कहीं तो अप्पा घटाटे को मिसेज कौल ने किचन में बुलाकर उनको आग्रह किया कि देखो उनको दवाई की बहुत जरूरत है और आप ये जरूर देखना कि दवाई टाइम-टाइम पर खाएं।

एक और किस्सा है कि एक बार वाजपेयी घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि टेबल पर सिर्फ सूखी रोटी और सब्जी थी तो वाजपेयी को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया। बोले कि मुझे पूरी चाहिए तो वो खुद रसोई में चले गए और पूरी बनाने लगे और खाने लगे तो राजकुमारी उसी टाइम घर आई वापस वो कहीं गई हुई थी. वाजपेयी पूरी खा रहे थे तो राजकुमारी ने कहा कि अरे क्या कर रहे हो, पूरी क्यों खा रहे हो? तुमको पता है कि ये सेहत के लिए ठीक नहीं है, तुम्हें रोटी खाना चाहिए। शुद्ध घी के साथ कैसे पूरी खा रहे हो? तो वाजपेयी ने मुड़कर कहा कि अरे तुम्हारा खाना तो इतना अशुद्ध है। तो मैं क्या करूं मुझे खुद ही खाना बनाना पड़ रहा है।

वाजपेयी को सुंदर महिलाओं का साथ बहुत पसंद था। उनकी महिला मित्रों में मशहूर कत्थक नृत्यांगना उमा शर्मा भी थी। उमा शर्मा से जब मैंने पूछा कि आप और वाजपेयी के बीच में क्या था? रिश्ता था। तो उमा शर्मा हंसने लगी और उन्होंने कहा कि अरे प्रेस तो हमारे बारे में बहुत कुछ बोलता है तो मुझे लगा कि कुछ-कुछ है. शायद कुछ था उनके बीच में. कुछ एक closeness था.

जब उमा शर्मा को पद्मश्री अवार्ड मिला तो उमा शर्मा ने मुझे बताया कि she was talking to सोनिया गांधी after ceremony and Vajpayee was looking at her continuously while she was talking to Sonia Gandhi और बाद में वाजपेयी ने उमा शर्मा को कहा कि अरे उमा जी award हमसे लेते हो और गैरों के साथ बात करते हो. सोनिया गांधी के साथ बात कर रही हो, जब हमने तुमको अवार्ड दिया। ऐसे बहुत सारे instances है, उमा जी ने मुझे बताया बाजपेयी जी कभी-कभी उनको फ़ोन करते थे और ये कहते थे की मुझे आना है, तुम कहाँ हो? और उमा शर्मा would say कि I am in my स्कूल because you need to set up this dance school  with the help of the गवर्नमेंट और वाजपेयी जी कहते थे कि अच्छा चलो मैं आ रहा हूँ और वो आते थे सिक्योरिटी के साथ और दोनों मिलकर बहुत सारी बातें करते थे, हंसी मजाक था उनके बीच में.

अपने शुरुआती दिनों में वाजपेयी वाइन और स्कॉच के शौकीन थे. वो ग्वालियर का चिवड़ा, चांदनी चौक की जलेबियाँ और लखनऊ की चाट और ठंडाई पसंद करते थे।

He  was a expert foodie. खाने में बहुत interest था. बहुत खाते थे वो. उनका सबसे favorite food था, Chinese style prawns और वो कचोरिया और चिकन भी काफी पसंद करते थे. क्रिसमस में जॉर्ज फर्नांडिस उन्हें क्रिसमस केक present करते थे जो वो खाते थे. एक बार 1979 में जब वो चीन के दौरे पे जा रहे थे. before going to चाइना वो chopsticks लेकर के practice करते रहे कि कैसे chopsticks से खाना चाहिए।

जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बन गए तो सुबह साढ़े 6 बजे उठ जाया करते थे। उठते ही वो शहद और नींबू मिले गर्म पानी का एक गिलास पीते थे। इसके बाद वो 8 बजे तक अखबार पढ़ते थे। 8 से साढ़े आठ बजे तक या तो वो अपने treadmill पर walk करते थे या फिर अपने कुत्तों के साथ walk पर जाते थे. नाश्ते में वो एक अंडे का आमलेट, टोस्ट या इडली लिया करते थे.

वाजपेयी के सचिव रहे शक्ति सिन्हा ने एक बार बीबीसी के पत्रकार Rehan Fazal को बताया था कि वो प्रैक्टिसिंग हिंदू नहीं थे। सागरिका घोष बताती हैं कि मैंने बहुत रिसर्च किया कि दिन में वो करते क्या थे और एक भी item मुझे नहीं मिला कि वाजपेयी कभी कहीं पूजा करते थेI Don’t think he was practicing ritualistic Hindu।

एक बार पाकिस्तान के high commissioner ने जिया उल हक़ की तरफ से वाजपेई को पठान सूट present किया और वाजपेयी ने वो पठान सूट पहनकर एक dinner पे गए और लोगों ने कहा कि आप पठान सूट में आए। तो उस समय वाजपेयी ने कहा कि मैं देश का गुलाम  हूँ, वेश का नहीं।

अगर हम वाजपेयी के career को देखें तो लगातार पाकिस्तान के साथ रिश्ते बनाने की कोशिश की. एक दक्षिणपंथी पार्टी के सदस्य होते हुए भी कम्युनिस्ट नेता हिरण मुखर्जी, भूपेश गुप्ता और इंद्रजीत गुप्ता उनके करीबी दोस्त हुआ करते थे। उनको करीब से जानने वालों में अन्ना दुर्रे, करुणा निधि के अलावा कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव भी हुआ करते थे। जिनको वो अपना गुरु मानते थे। मशहूर पत्रकार विनोद मेहता ने अपनी आत्मकथा लखनऊ बॉय में लिखा था। मैं निजी रूप से अधिकतर राजनेताओं को पसंद नहीं करता। लेकिन वाजपेयी उन लोगों में से थे जिन्हें मैं पसंद करता था। मैं इस मामले में मशहूर न्याय विद फली नरीमन से पूरी तरह सहमत हूँ, जो कहा करते थे despite हिज inconsistency I like the old man.

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