बिहार के सुपौल जिला में घूमने के लिए बहुत सारे ऐतिहासिक स्थल, टूरिस्ट स्पॉट और धार्मिक स्थान है, Best Places to Visit in Supaul Bihar

Best Places to Visit in Supaul Bihar

Best Places to Visit in Supaul Bihar: बिहार का सुपौल जिला मिथिलांचल का एक हिस्सा है और यह जिला नेपाल से सटा हुआ है. नेपाल से कोसी नदी जब बिहार में प्रवेश करती है तो इसकी धारा सबसे पहले सुपौल जिला से होकर ही गुजरती है इसलिए इसे कोसी का इलाका भी बोला जाता है. यहाँ की मुख्य भाषा वैसे तो हिंदी है लेकिन मैथिली के अलावा यहाँ पर ठेठ हिंदी भाषा का प्रयोग भी बहुतायत होता है जो की मैथिली भाषा से मिलती जुलती है. आइये अब आपको बताते हैं कि बिहार के सुपौल में ऐसी कौन-कौन सी जगह है जहाँ पर आप घूमने जा सकते हैं.

Best Places to Visit in Supaul Bihar

Best Places to Visit in Supaul District of Bihar State:  

1. बायसी काली स्थान और उदित नारायण की जन्मस्थली:

बायसी गांव राघोपुर प्रखंड में आता है और यहीं पर स्थित है माँ काली का मंदिर जिसकी काफी मान्यता है. ऐसी आस्था है की यहाँ पर जिस भी चीज की इच्छा रखकर पूजा करते हैं उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इस मंदिर के प्रांगण में काली पूजा के समय पुराने काल से भव्य मेला का आयोजन होता रहा है.

बॉलीवुड के मशहूर प्लेबैक सिंगर उदित नारायण का जन्म भी बायसी गांव में हुआ था. वैसे तो उदित नारायण का पैतृक गांव नेपाल के सप्तरी जिला के भारदह में है लेकिन इनका ननिहाल बायसी में है. उदित नारायण के जन्म से पहले नेपाल में बाढ़ आयी थी इसलिए कुछ सालों के लिए उनके माता-पिता यहीं बायसी गांव में आकर रहने लगे थे और उसी समय उदित नारायण का जन्म हुआ था.

बायसी गांव पहुँचने के लिए आपको सबसे पहले NH-106 से होकर बायसी चौक पहुंचना होगा और फिर वहां से आपको बायसी काली स्थान पहुँचना होगा. राघोपुर रेलवे स्टेशन से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बायसी काली स्थान वहीं भीम नगर (नेपाल) बॉर्डर से इसकी दूरी करीब 25 किलोमीटर होगी.

2. बलुआ बाजार:

बलुआ बाजार को सुपौल जिले में राजनीती का गढ़ माना जाता है. पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय ललित चंद्र मिश्र का ये जन्म स्थल है और यहीं पर उनका स्मारक भी है. यहाँ के लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में विकास की शुरुआत इन्ही के द्वारा की गयी थी और इसलिए उनको लोग विकास पुत्र के नाम से भी जानते हैं. इनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही एक आमसभा के दौरान बम ब्लास्ट में इनकी हत्या कर दी गयी थी. जब ये केंद्र में रेल मंत्री थे तो उन्होंने इस क्षेत्र में रेलवे का जाल बिछाने की शुरुआत कर दी थी और बहुत अन्य विकास के काम भी उन्होंने करवाए. हालाँकि इनके देहावसान के बाद बलुआ बाजार से और भी कई नेता उभरे लेकिन कोई भी अपने को छोड़कर आम जनता का विकास नहीं कर पाए. अभी भी जब  चुनाव होता है तो बड़े-बड़े मीडिया आर्गेनाइजेशन बलुआ बाजार जरूर पहुंचते हैं.

3. कोसी बैराज, नेपाल:

कोसी नदी पर बना ये बैराज 1150 मीटर लम्बा और 10 मीटर चौड़ा है और इसमें 56 गेट है. यहाँ पर काफी सुन्दर नजारा होता है. ठंडी-ठंडी हवाओं के साथ दूर-दूर तक पानी को देखना बड़ा रोमांचक होता है. इस बैराज के दोनों किनारों पर आपको खाने-पीने और दूसरे अन्य दुकान भी खरीदारी के लिए मिल जायेंगे. यहाँ पर आपको कोसी नदी से पकडे गए फ्रेश मछलियां भी खरीद सकते हैं. वैसे तो यह नेपाल की सीमा के अंदर आता है लेकिन नेपाली के साथ-साथ इंडियन भी यहाँ पर हमेशा घूमने के लिए आते रहते हैं. यहाँ पर नेपाल और इंडिया के अलावे दूसरे देशों के पर्यटक भी घूमते हुए मिल जायेंगे. कोसी बैराज पर 1 जनवरी को नए साल के अवसर पर और पूसी पूर्णिमा के अवसर पर भव्य मेला लगता है और काफी भीड़ जमा होती है. इंडिया से जाने के लिए सबसे पहले भीमनगर पहुँचना होगा और वहां से फिर बॉर्डर क्रॉस करके आपको कोसी बैराज पहुंचना होगा.

4. धरहरा मंदिर, गणपतगंज:

 

सुपौल जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर पूर्व तथा राघोपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी दक्षिण, गणपतगंज के धरहरा गांव में स्थित है भीमशंकर महादेव नमक देव स्थल। धरहरा गांव में मंदिर होने के कारण इसे धरहरा मंदिर के नाम से जानते हैं.

इस मंदिर के बारे में कई सारी ऐतिहासिक कहानियां प्रसिद्ध है. इस मंदिर को महाभारत काल का बताया जाता है. ऐसी मान्यता है की पांडवों द्वारा अज्ञातवास के क्रम में बिराटनगर नेपाल जाने के समय में पांडव पुत्र भीमसेन ने यहां रुक कर आराध्य भगवान शिव की पूजा की थी. उसी समय से मंदिर का नाम भीमशंकर महादेव पड़ा और मंदिर का पुनरुद्वार 1930 ई. में किया गया था.

5. वरदराज पेरुमल देवस्थानम (विष्णु मंदिर), गणपतगंज:

विष्णु मंदिर, गणपतगंज अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. इस मंदिर का वास्तुकला चेन्नई के कांचीपुरम मंदिर से मेल खाता है. विष्णु भगवान को समर्पित यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह मंदिर राघोपुर रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर दूर गणपतगंज में स्थित है.

6. कोसी महासेतु:

Kosi Mahasetu Supaul

NH-27, ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर का उद्घाटन होने के बाद कोसी नदी पर बने सड़क महासेतु से गाड़ियों का परिचालन तो शुरू हो गया लेकिन कोसी रेल महासेतु का ट्रैन के परिचालन का उद्घाटन 2020 में किया गया. इन दोनों पुलों के निर्माण के समय यहाँ पर गाइड बांध का निर्माण भी किया गया है. यहाँ पर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय का नजारा काफी जबरदस्त होता है साथ ही यहाँ पुल के पश्चिमी हिस्से के पास भगवान शिव का एक बहुत पुराना मंदिर भी है जहाँ पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है.

अपने निर्माण काल से ही यह पूल काफी चर्चित रहा है और वर्तमान में यह एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट बन गया है. इन सबों चीजों के अलावा हाईवे कई सारे ढाबे भी खुल गए जहाँ पर आप अपनी पसंद का खाना भी खा सकते हैं. यहाँ पर आपको दूर-दूर तक हरियाली नजर आएगी और ठण्ड के मौसम में पहुंचे तो आपको साइबेरियन चिड़िया भी देखने को मिल सकते हैं. इसके अलावा यहाँ पर आपको कमल के फूल भी मानसून में देखने को मिल जायेंगे.

7. तिलेश्वर नाथ महादेव मंदिर:

तिलेश्वर नाथ महादेव मंदिर दूर-दूर तक शिव भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है. इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग स्वयंभू है और शिवलिंग मंदिर तल से 10 फ़ीट की गहराई में है. यह मंदिर सुपौल जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर सुखपुर में स्थित है. आमतौर पर इस मंदिर में भक्तगण हमेशा दर्शन के लिए आते रहते हैं और रविवार और सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की ज्यादा भीड़ होती है.

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