पॉण्डिचेरी में एक्स्प्लोर करने के लिए इसका फ़्रांसिसी इतिहास, शांत और स्वच्छ बीच, खाना-पीना, हिस्टोरिकल मोनुमेंट्स और ऑरोविल आश्रम के अलावा और भी बहुत कुछ है, Pondicherry Three Days Itineraries

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Pondicherry Three Days Itineraries: मेरे दक्षिण भारत के यात्रा की शुरुआत 27 फरवरी 2022 को मुंबई से शुरू हुआ. मुंबई से चेन्नई के लिये मैंने विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट से अपनी यात्रा शुरू की जबकि मुझे पॉन्डिचेरी पहुँचना था. एक और खास बात मैंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पहले जॉब की शुरुआत यहीं (पॉन्डिचेरी) से किया था।

जून 2001 से जून 2002 के बीच मैं यहीं पर रहा था अपने जॉब की वजह से। इसके बाद मैं मुम्बई चला गया, पर इन 20-21 वर्षों के बीच में कुछ कुछ अंतराल पर पॉन्डिचेरी मुझे लगातार अपनी और खींचती रही है चाहे कारण कुछ भी रहा हो. इस सिटी का शांत वातावरण मुझे काफी आकर्षित करता है.
पहले मैं ज्यादातर दादर-चेन्नई रेल से अपनी यात्रा किया करता था. ट्रेन से चेन्नई उतरकर बस से पांडिचेरी तक पहुंचा था. इस यात्रा में भी हमने इसे कुछ अंशों में दुहराने की कोशिश की है. चेन्नई एयरपोर्ट से, मेट्रो के द्वारा कोयमबेडू बस स्टैंड पहुंचा, 40 रुपया टिकट का मूल्य है मेट्रो में. ध्यान देने वाली बात है कि कोयमबेडू बस स्टैंड के मेट्रो स्टेशन पर उतरे ना की कोयमबेडू मार्केट का मेट्रो स्टेशन है वहां! मैं गलती से कोयमबेडू मार्केट मेट्रो स्टेशन पर उतर गया था फिर ऑटो करके 2 किमी बस स्टैंड के लिए जाना पड़ा और पैसे खर्च हुए अलग से.
चेन्नई के कोयमबेडू बस स्टैंड से तमिलनाडु के हर जिले के लिये बस मिला करती है. यह बस स्टैंड लगभग 24-25 साल पहले से कार्यरत है. पुराने समय में उत्तर भारत में ऐसे विस्तार वाला बस टर्मिनल सिर्फ आईएसबीटी दिल्ली हुआ करता था.
कोयमबेडू बस स्टैंड पर पांडिचेरी के लिये 2 काउण्टर हैं. एक से सामान्य बसें जाती हैं और दूसरे से वातानुकूलित बसें जाती हैं. मैंने एसी बस लिया जिसका किराया 190/- रुपया था. 3 घंटे में इस बस ने लगभग 150 किमी का सफर पूरा करके हमें पॉन्डिचेरी पहुंचा दिया था. चेन्नई और पांडिचेरी के बीच में लगभग 70 किमी पहले बस भोजन आदि के लिए रुकती है।
पॉन्डिचेरी बस स्टैंड में मुझे मेरे मित्र राम नरेश मुझे लेने आ थे जो श्री अरविंद आश्रम से जुड़े हुए हैं. कुछ देर बाद आराम करने के बाद दोपहर बाद से ही हमने अपनी पुरानी गलियों में यात्रा आरम्भ कर दी जिन गलियों में मैं पहले भटका करता था. उस गली में ज़्यदातर घर फ्राँसिसी स्थापत्य कला में बना हुआ है. रात्रि विश्राम के लिए हम होटल अन्ना रेसीडेंसी में ठहरे हैं जो बहुत ही सुंदर और साफ सुथरा है जिसका किराया आपको 2000 रूपए एक रात के लिए देना होगा।
पांडिचेरी का क्षेत्रफल ज्यादा बड़ा नहीं और यहाँ पर सब कुछ सिर्फ 2 किलोमीटर की परिधि में आपको मिलेगा। इस छोटे से सुन्दर जगह में हर 200 मीटर पर एक चौराहा दिखाई देता है क्योंकि इसे चौकोर परिक्षेत्र में बांटकर निर्माण किया गया है.
पांडिचेरी शहर दो हिस्सों में बसा हुआ है. इसके मुख्य भाग्य में श्री अरविंद आश्रम है, राज्यपाल निवास है और सेक्रेटेरिएट है. यह सभी चीजें बस 1 किलोमीटर की परिधि में आपको देखने को मिल जाएगा। इस एरिया को व्हाइट एरिया बोला जाता है. व्हाइट एरिया के बाहर 2 किलोमीटर की परिधि के बाहर के क्षेत्र को दूसरा पांडिचेरी बोला जाता है.
समय के साथ अब दूसरे पॉन्डिचेरी का विस्तार हो रहा है जो मूल पांडिचेरी का हिस्सा है. यह हेरिटेज टाउन है जहाँ अभी भी फ्रांसीसी स्टाइल में सारे भवन बने हुए हैं. अरविन्द आश्रम के ही भवन इस एरिया में अधिकतर जगहों पर अवस्थित हैं. आश्रम के भवनों का एक विशेष रंग होता है जिससे मालूम चलता है कि ये आश्रम की संपत्ति है और लोग इसे आसानी से आइडेंटीफाय कर पाते हैं.
पांडिचेरी में फ्रांसीसी दूतावास और बहुत अन्य फ्रांसीसी सरकार के कई सारे भवन हैं और इन भवनों में अभी भी फ्रेंच लोग ही रहते हैं. इन भवनों को पीले रंग में रंगा गया है और बाकी भवन अपने अपने हिसाब से अलग-अलग रंगों आपको दिख जायेंगे। यहाँ पर समुद्र के किनारे जो भवन निर्मित हैं, उनके स्वरूप और स्थापत्य को बदलने की अनुमति अभी भी नहीं है. जब कभी इन भवनों को तोड़कर नया भवन बनाया जाता है तो भी उनको उसी स्थापत्य कला में बनाया जाता है ताकि शहर की पुराणी पहचान बनी रहे.
पांडिचेरी के व्हाइट एरिया के बीच में एक नाला बना हुआ है. इस नाले के निर्माण के पीछे फ्रांसीसी स्थापत्य विशेषज्ञों ने यह विचार किया था कि कभी शहर में अगर समुद्री पानी का प्रवेश कर जायेगा तो इस नाले के द्वारा वह बाहर निकल जाएगा और शहर बाढ़ सुरक्षित रहेगा हमेशा के लिए।
पांडिचेरी शहर में और आसपास के क्षेत्रों में आमतौर पर बरसात नवंबर और दिसंबर के महीने में होती है. इसका कारन है की अक्टूबर में पश्चिमी तट से लौटता हुआ मानसून इसी एरिया से वापस जाता है। इसलिए इस समय कई बार बहुत भीषण बरसात होती है पांडिचेरी में।
पांडिचेरी के बरसात की खास बात ये है कि यहां पर अधिकतर बारिश रात में होती है. सुबह आप उठ कर देखेंगे तो कहीं भी पानी जमा हुआ दिखाई नहीं देगा। सारा पानी अच्छी निस्तारण व्यवस्था के कारन समुद्र में चला जाता है और जल जमाव नहीं होता है.
पांडिचेरी में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है तो फ्रांसीसी शासन काल से यह नियम बना हुआ है कि दोपहर 2:00 बजे से लेकर शाम के 4:00 बजे तक अधिकतर दुकानें बंद रहा करती है, हालांकि अब इस कानून का यहां इतना सख्ती से पालन नहीं होता है. इस दो घंटे के बीच में उस समय में किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती थी. लोकल बताते है कि कुत्ता भी बाहर घूमता दिखाई देता था तो पुलिस वाले उसे गोली मार देते थे, ये वाला कानून उस समय इतनी सख्ती से पालन किया जाता था ताकि लोग घर में रहें और व्यर्थ में बीमार न पड़ें।
कुछ मित्रों से मिलने और समुद्र तट पर बैठकर पुराने दिनों को याद करने के बाद हम लोग महाशिवरात्रि के अवसर पर पांडिचेरी से चेन्नई के रास्ते में 15 किलोमीटर दूर श्री कर्णेश्वर नटराज टेंपल गए भगवान शंकर के दर्शन के लिए. इस मंदिर को कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह जी के सुपुत्र युवराज कर्ण सिंह जी ने बनवाया था. इस मंदिर का आकार पिरामिड का है.इस मंदिर का निर्माण सन 2000 में पूरा हुआ था. उस समय मैंने इस मंदिर को इसके आर्किटेक्ट के साथ जाकर 2001 में देखा था. सुनामी के दौरान यह मंदिर ध्वस्त हो गया था. फिर से इसका पुनर्निर्माण किया गया है और वो भी पुराने स्वरुप में.
पांडिचेरी में बहुत से अछूते बीच हैं जहाँ पर समुद्र का पानी एकदम स्वच्छ है. स्वच्छता के कारण यहाँ के समुद्र का पानी हरे रंग का दिखाई देता है.
फिर बाद में हम लोग पांडिचेरी विश्वविद्यालय होते हुए यहाँ के प्रसिद्ध ओरोविल में गए. यहां का मदर्स टेम्पल काफी प्रसिद्ध है. ऐसा इंसान जिसने कभी भी ध्यान नहीं लगाया हो वो इंसान भी यहां आकर बैठेगा तो उसका ध्यान अपने लग जाएगा क्योंकि इसे बनाया ही गया है ऐसे माहौल में. पांडिचेरी में औरोविल लगभग 40 किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है. इस आश्रम में बहुत से देशों के निवासी रहते हैं और समर्पण भाव से अपना अपना सेवा और काम करते हैं. यह श्री अरविंद आश्रम का ही एक भाग है। यहां भी कुछ मित्रों से भेंट हुई साथ ही रास्ते में हमने कमल के फूलों से पूरी तरह भरा हुआ तालाब देखा, देखकर बहुत ही आनंद आया.
दोस्तों सारांश में यह कहे कि आपको अगर शांत और ऑफबीट जगह घूमना पसंद है तो पॉन्डिचेरी आपके लिए पहला चॉइस होना चाहिए।
दोस्तों यह लेख हमारे एक मित्र ने भेजी है जिसका नाम मानवेन्द्र है. कुछ दिनों पहले मानवेन्द्र दक्षिण भारत के विभिन्न क्षेत्रों के दौरों पर थे तो उन्होंने पांडिचेरी में अपने 3 दिन के यात्रा वृतांत को हमारे साथ शेयर किया है.

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