वो घोटाला जिसने भारत के IT Sector को बर्बाद कर दिया, Satyam IT Scam Story Explained

Satyam IT Scam Story Explained

अगर मैं आपसे कहूं कि एक company जो कल तक देश और share market की सबसे पसंदीदा company थी. वो अगले दिन खुद ही बर्बाद हो जाती है और उसके लाखों share खरीदने वाले लोग पूरी तरह से बर्बाद हो जाते है. तो आप क्या कहेंगे? क्योंकि कोई भी company एक दिन में ऐसे बर्बाद नहीं होती। लेकिन ऐसा हुआ और हमारे ही देश में हुआ. company का नाम था Satyam Computers जो उस जमाने में सबसे बड़ी IT company थी. जब देश के आम लोगों को computer का C भी नहीं पता था. लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ और कैसे Satyam Computer ने भारत के इतिहास में सबसे बड़ा corporate fraud करते हुए पुरे देश को हिला कर रख दिया। जिससे लाखों लोगों के पैसे डूब गए.

Satyam IT Scam Story Explained

आइए जानते है इस आर्टिकल में. सबसे पहले चलते है Satyam computers की शुरुआत पर. कहानी बिल्कुल वही है किसान के घर पैदा हुआ Ramalinga Raju पढ़ाई में अच्छा था. बड़ा होकर विदेश गया और वहाँ से MBA की degree हासिल की. भारत लौटकर उसने अपना business शुरू किया और फिर hotel business में कदम रखा और साथ ही एक real estate company भी खोल दी. जिसका नाम था Maytas। अब Maytas को भूलिएगा मत. आगे बढ़े तो आपको बताए कि असली में राजू का कारोबार शुरू हुआ 1987 में जब राजू रामलिंगम ने आईटी सेक्टर में कदम रखा. क्योंकि उस समय तक आईटी सेक्टर इतना मजबूत ही नहीं था.

उन्होंने 20 कर्मचारियों के साथ एक कंपनी खोली और उसका नाम रखा सत्यम कंप्यूटर। साल 1991 में कंपनी को अपना पहला बड़ा क्लाइंट मिला और उसके बाद राजू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1991 में कंपनी ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में खुद को launch किया। शेयर मार्किट में launch होते ही मांग ऐसी हो गयी कि company ने दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की करनी शुरू कर दी. साथ ही में सरकार भी उस समय ऐसे sector में इतने बड़े काम के लिए Satyam computers के साथ आ गयी थी. जिससे Satyam को इतना बड़ा फायदा हुआ और 2000 तक आते आते Infosys, Wipro और TCS के बाद Satyam भारत की चौथी सबसे बड़ी IT company बन गयी. 2006 में Ramalinga Raju company के chairman बने और company का turnover one billion Dollar के ऊपर पहुँच गया जो कि उस समय किसी भी company के लिए के milestone हुआ करता था.

लेकिन ये सिलसिला अभी रुकने वाला नहीं था और 2008 तक ये two billion Dollar हो गया. जिसके साथ ही 60 से ज़्यादा देशों में company ने अपना business फैला लिया और Satyam Computer भारत में IT sector की top company बन गयी. लेकिन फिर आया दिसंबर 2008 और अचानक से World Bank ने Satyam computer पर 8 साल का ban लगा दिया। जिससे पूरे देश से लेकर विदेशों तक लोग हैरान हो गए. World Bank ने ban का कारण दिया कि company के corporate governance standard खराब है और अब लोगों को ये बात हजम नहीं हो रही थी क्योंकि कुछ ही महीने पहले ही World Council for Corporate Governance ने Satyam को Golden Peacock Award for corporate governance से नवाज़ा था. मतलब जो company governance के मामले में मिसाल मानी जाती थी. उसी पर world bank ने ban लगा दिया तो ये बात तो हैरान करती ही थी.

अभी ये हैरानी और बढ़नी थी क्योंकि अगले ही महीने 7 जनवरी 2009 को अचानक company के chairman Ramalinga Raju ने अपना पद छोड़ दिया और साथ में उसने SEBI को लिखा एक letter जिसने stock market में भूचाल ला दिया। SEBI को भेजे अपने letter में Raju ने लिखा कि सालों से company की माली हालत खराब चल रही थी. लेकिन उसके बावजूद भी बाजार में company को बड़ा बनाए रखने के लिए company को profit में दिखाया गया जिसके लिए company के खातों में हेरफेर की गयी.

अब जब company के मालिक ने ही ऐसा कर दिया तो इसके पीछे का पूरा मसला कौतूहल का विषय बन गया. इसके बाद तहकीकात में जो सच सामने आया उससे लोगों के होश उड़ गए. इस फर्जी profit के खेल की शुरुआत 16 दिसंबर से हुई थी. उस दिन Abraham नाम की एक mail ID से company के बोर्ड of directors को एक mail आया. mail में लिखा था कि company की balance sheet में हेरफेर हुई है. तब satyam में एक दूसरी company को खुद में मिलाने की बात चल रही थी. ये बात जब बाजार में पहुँची तो उसी दिन company के share गिरने लगे. हुआ ये था कि Satyam में जितना profit margin दिखाया जा रहा था उतना था नहीं। profit margin सिर्फ 3 percent था और बताया जा रहा था छब्बीस percent.

अब ये तीन को छब्बीस कैसे कर पा रहे थे उसे समझिए। तो ये सब किया जा रहा था फर्जी bill बनाकर company के बिलों को दो तरीकों से जाता था एक type के bill पर H mark रहता था. H यानी hide मतलब जो bill छुपाने के लिए होते थे और दूसरे type के bill पर mark रहता था S यानी see यानी ऐसे bill जो दिखाए जा सकते थे H mark वाले ऐसे बिलों की संख्या करीब सात हज़ार थी और उनकी कीमत करीब 5100 करोड़ रुपए थी. bill भी रोज़ नहीं बनाए जाते थे बल्कि तीसरे, छठे, नव्वे या बारहवें महीने की ये खास तारिख को ये bill तैयार किए जाते थे.

CBI ने जब company के कर्मचारियों के swipe card की detail खंगाली पता चला कि करीब एक दर्जन ऐसे लोग थे जो काम खत्म हो जाने के बाद ये हेराफेरी किया करते थे. जब भी company के तिमाही, क्षमाही या yearly result आने वाले होते थे तो उससे कुछ दिन पहले फर्ज़ी यानी H mark वाले बिलों को balance sheet में जोड़ दिया जाता ताकि company का profit ज्यादा दिखे। ये काम बहुत पहले से चल रहा था.

अब ये क्यों किया जा रहा था तो दरअसल ये पूरा खेल stock market का था. क्योंकि जैसे ही company का revenue बढ़ता तो लोग और invest करते। क्योंकि उन्हें company profitable दीखता था. इससे Satyam के share में खूब उछाल आता. जिसका फायदा Ramalinga Raju अपने लिए उठाता था क्योंकि शुरुआत में Ramalinga Raju की company में सोलह प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. लेकिन market में उछाल आने के नाते उसके share की कीमत बढ़ जाती और फिर वो अपने हिस्से के share धीरे धीरे बेचता रहता। जनता समझ रही थी कि फायदे का सौदा है. लेकिन अंदर की बात तो सिर्फ Raju और उसके करीबियों को मालूम थी.

Raju के परिवार के लोग company के promoter थे. वो भी अपने share बेचकर खूब मुनाफा कमा रहे थे. यही कारण है कि आखिर के दिनों तक Ramalinga Raju की हिस्सेदारी सिर्फ तीन प्रतिशत ही रह गयी थी. बाकी सारे share उसने महँगे दामों पर बेच डाले थे. असल में Satyam computer कभी Raju का main business था ही नहीं। वो कैसे आइए बताते है.

असल में साल 2000 के बाद के सालों में real estate sector में अचानक से boom आया. लेकिन Andhra Pradesh में नियम था कि एक company को 58 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन नहीं बेची जा सकती। इसलिए Raju ने इस boom को utilize करने के लिए अपने परिवार वालों के नाम पर 300 से ज़्यादा company खोलकर Hyderabad में करीब 6000 एकड़ जमीन खरीद ली. इसमे भी घालमेल था.

दरअसल उसे साल 2000 में ही खबर लगी थी कि metro project शुरू होने वाला है. इसलिए उसने आसपास की काफी सारी जमीन खरीद डाली। इतना ही नहीं उसने कर्मचारियों की तनख्वाह में भी घालमेल किया। Satyam में कुल 40000 लोग काम करते थे. लेकिन paper पर ये number 53000 दिखाई जाती थी. इस तरह हर महीने 13000 लोगों की तनख्वाह Ramalinga Raju खुद हड़प कर जाता था यानी कि लगभग बीस करोड़ रुपए हर महीने। अपने इसी genius plan के लिए उसने IT sector को इस्तेमाल किया।

2008 तक ये खेल खूब चला लेकिन फिर मंदी ने दस्तक दी. America में मंदी का सबसे बड़ा असर real estate sector में दिखा और वही भारत में भी हुआ. real estate का कारोबार पूरी तरह बैठ गया. तब Satyam ने एक तरकीब खोजी। शुरुआत में हमने आपको ये company के बारे में बताया था Maytas real estate company जिसे Ramalinga Raju ने ही बनाया था और बाद में अपने बेटों को इसका मालिक बना दिया था. 2008 तक फर्ज़ी खातों के सहारे Satyam में करीब 7000 करोड़ रूपए की हेरा फेरी हो चुकी थी.

इसलिए Ramalinga Raju ने plan बनाया कि Maytas को Satyam में मिला दिया जाए. इससे होता ये कि घाटे में जा रही real estate company से वो छुटकारा पा लेता और Maytas की कीमत 7000 करोड़ बताकर उस रकम को दोबारा balance sheet में डाल देता। अगर Ramalinga Raju की ये तरकीब काम कर जाती तो किसी को पता ही नहीं चलता कि 7000 करोड़ का हेरफेर हुआ है.

लेकिन real estate डूब रहा था तो सवाल उठा कि ठंडे पड़े सेक्टर में सत्यम को क्यों जोड़ा जा रहा है. साथ ही लीक  हुई ईमेल ने उसकी सारी पोल खोल दी. इसी फरवरी में सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी और सारी कहानी सामने आ गई. जिस दिन Ramalinga Raju SEBI के नाम letter लिखा। share market में भूचाल आ गया. 2008 में Satyam का जो share 544 रूपए पर listed था वो 10 जनवरी को दस रूपए पचास पैसे प्रति share तक पहुँच गया और investors को लगभग 10000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ. तो इस तरह Raju ने 7000 करोड़  के घोटाले के साथ ही लोगों को 1000 करोड़ का नुकसान करवा दिया। जिसे अब तक इंडिया के सबसे बड़े corporate fraud के तौर पर जाना जाता है. आपको ये कहानी कैसी लगी हमें comment करके बताइए।

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