कोयला खदान में भी अदाणी अदाणी, Adani rings through coal mines, Shocking Truth of Adani Coal Scam

Adani rings through coal mines

Adani rings through coal mines: अडानी की कहानी में कोयला आ गया है। फिर से विनोद अदानी भी आ गए हैं। नया सवाल यह आया है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आवंटन रद्द करने के बाद भी अदानी के लिए नियमों में बदलाव किए गए? ताकि उन्हें जिस खदान का ठेका मिला था, उसका कारोबार चलता रहे। सवाल है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बाकी के खदान बंद कर दिए गए, तो एक कंपनी का खदान क्यों चलता रहा?

Reporters collective की नयी रिपोर्ट आई है और forbes पत्रिका में फिर से गौतम अदानी पर रिपोर्ट आ गई है। reporters collective की रिपोर्ट पर अदानी समूह ने जवाब भी दिया है। कहा है कि कोयला खदान से संबंधित सभी contract नियमों के तहत मिले हैं। अच्छी बात है कि अदानी समूह ने जवाब दिया है, मानहानि का मुक़दमा नहीं की है। reporters collective ने प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और कोयला मंत्रालय से भी जवाब माँगा था। मगर उन्हें जवाब नहीं मिला है।

आज हम जिस रिपोर्ट की बात कर रहे हैं, वो reporters collective के पत्रकार श्री गिरिजेश जलिहल और कुमार संभव की है। ये रिपोर्ट अल जजीरा की website पर छपी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 204 कोयला खदानों को निरस्त कर दिया। ये सभी 1993 से लेकर 2010 के बीच आवंटित किए गए थे।

उस समय हो ये रहा था कि राज्य सरकार की कंपनियों को खदान मिलता था वो कंपनियां private कंपनियों को गुप्त ठेके के आधार पर सौंप दिया करती थी. मुनाफा private कंपनियों की जेब में जा रहा था। इसी कड़ी में 2018 में एक contract अदानी समूह को भी मिलता है. मगर अदानी समूह का काम चलता रहे इसके लिए मोदी सरकार नियमों में एक अपवाद का सहारा लेती है।

Adani rings through coal mines

Adani rings through coal mines

reporters collective ने लिखा है कि उस खदान से अदानी समूह आज तक अस्सी मिलियन टन कोयला निकाल चुका है। reporters collective ने कई दस्तावेज खंगाले हैं. उन्हें इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि सरकार ने अकेले अदानी समूह के लिए ये छूट क्यों दी? सरकारी कागजों के अध्ययन से पता चलता है कि सरकार के बड़े अफसरों ने इस deal को अनुचित बताया था।

2014 के नरेंद्र मोदी का वादा था कि सरकार में आते ही सारे खदानों की फिर से नीलामी की जाएगी और नीलामी पारदर्शी तरीके से होगी। लेकिन इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि नई सरकार में भी निजी कंपनियों को competitive bidding की प्रक्रिया से छूट मिलती रही है यानी tender में कोई दूसरी कंपनी ना हो इसका इंतजाम कई और तरीके से कर दिया जाता है ताकि पसंद की कंपनी को ही ठेका मिल जाए।

प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि देश में अमृत काल चल रहा है। कांग्रेस कहती है कि देश में मित्रकाल चल रहा है। 15 अगस्त 2022 के दिन प्रधानमंत्री ने लाल किले से दो बातें कही। कहा कि अमृत काल की दो बड़ी चुनौतियां हैं। एक भ्रष्टाचार और दूसरा भाई-भतीजावाद। क्या अडानी समूह को लेकर जो खबरें छप रही हैं, वो भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के दायरे में नहीं आती हैं? प्रधानमंत्री के भाषण का सार है, जहाँ वे कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। उससे देश को लड़ना ही होगा। हमारी कोशिश है कि जिन्होंने देश को लूटा है उनको लौटाना भी पड़े। हम इसकी कोशिश कर रहे हैं।

जब मैं भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की बात करता हूँ तो लोगों को लगता है मैं सिर्फ राजनीति की बात कर रहा हूँ। दुर्भाग्य से राजनीतिक क्षेत्र की उस बुराई ने हिंदुस्तान के हर संस्थान में परिवारवाद को पोषित कर दिया है। मेरे देश के नौजवानों आपके उज्जवल भविष्य के आपके सपनों के लिए मैं भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में आपका साथ चाहता हूँ.

क्या वाकई प्रधानमंत्री भाई-भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं? तब तो उन्हें ही बताना चाहिए कि आज जो खबर छपी है उस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया है? गौतम अडानी और विनोद अडानी को लेकर जो भी छप रहा है वो क्या भाई-भतीजावाद नहीं है? क्या भाई-भतीजा वाद में मित्रवाद नहीं आता है? Reporters collective ने केवल अदानी समूह के कोयला खदान को लेकर सवाल नहीं उठाए हैं। बल्कि अदानी समूह पर तो आज रिपोर्ट छपी है।

27 फरवरी को जो खबर आई थी उस पर तो प्रधानमंत्री ही बता सकते हैं कि एक ही कंपनी अपनी कई कंपनियां बना ले और टेंडर भर दे और बाकी कोई दूसरी कंपनी ना आए तो क्या ये भाई भतीजावाद नहीं है, भ्रष्टाचार नहीं है। अगर हमारे सवालों के जवाब नहीं दे सकते, तो कम से कम आप ये सवाल अक्षय कुमार से कह कर पूछवा लीजिए। क्या पता प्रधानमंत्री जवाब दे दें।

27 फरवरी की इस रिपोर्ट को आप पढ़ सकते हैं जिसमें रिपोर्टर्स collective के रिपोर्टरों ने बताया है कि आरपी संजीव गोयनका समूह की कंपनी बंगाल के कोयला खदान के लिए टेंडर में भाग लेती है। गोयनका समूह की ही अलग-अलग कंपनियां हिस्सा लेती है, ये गलत है. क्योंकि टेंडर का मतलब होता है, अलग-अलग कंपनियां हिस्सा ले जिसके रेट से सरकार को ज्यादा फायदा हो, ठेका उसे मिले. लेकिन इसकी जगह अगर एक ही कंपनी की कई कंपनियां अलग-अलग नाम से हिस्सा ले लें तो वह टेंडर संदिग्ध हो जाता है।

इस रिपोर्ट के अनुसार इस समूह की एक कंपनी ने दो दिन पहले एक शेल कंपनी का अधिग्रहण कर लिया और वह टेंडर में भाग लेने आ गई। सरिसा टोली खदान के टेंडर में कई प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है। CAG यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इसके साथ-साथ 10 अन्य खदानों के टेंडर को लेकर सवाल उठाए थे। सीएजी ने electronic टेंडर की समीक्षा की थी और इसकी रिपोर्ट 2016 में संसद को सौंप दी थी। इस रिपोर्ट के लिए रिपोर्टर्स collective ने सभी पक्षों से जवाब माँगा, मगर रिपोर्ट में लिखा है, कोयला मंत्रालय, सीएजी और आरपीएस गोयनका ग्रुप ने कोई जवाब नहीं दिया।

सीएजी ने भी इशारा कर दिया। इसके बाद भी काम चलता रहा। अब तो सुप्रीम कोर्ट के रद्द किए जाने के बाद भी कथित तौर पर अदानी समूह के खदान को चलाए रखने के लिए नियमों में अपवाद पैदा करने की रिपोर्ट छप गई है। क्या कोयला मंत्रालय सीएजी की तरफ से कोई जवाब आएगा? अदानी ग्रुप ने तो कहा है कि कोयला खदान का जो भी आवंटन हुआ है, वह पारदर्शी तरीके से हुआ है। competitive bidding process से हुआ है।

अदानी समूह ने reporters collective से कहा कि इस प्रक्रिया से जुड़े सवाल संबंधित authority से ही पूछे जाएँ। अदानी समूह और कोयला खदान को लेकर पहले भी खबरें छप चुकी हैं। 2018 में Caravan पत्रिका ने अडानी समूह और कोयला खदान को लेकर cover story छापी थी। cover पर कोलगेट 2.0 लिखा है। अदानी समूह ने इस पर कोई मानहानि नहीं की। इस पर Carvaan ने अपने यूट्यूब चैनल के लिए पत्रकार नीलीना एमएस से बातचीत की है। नीलीना ने ही 2018 में cover story की।

नीलीना से बातचीत Caravan हिंदी के संपादक विष्णु शर्मा ने की. यहाँ अदानी समूह की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि इस रिपोर्ट पर मानहानि नहीं की गई। बड़े लोग जब बड़ा दिल दिखाएं तो तारीफ बनती है। उम्मीद है प्रांजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ मानहानि का नोटिस वापस ले लिया जाएगा। वहीं 2018 में प्रकाशित नीलीना की इस खोजी रिपोर्ट को उस साल सर्वश्रेष्ठ रिपोर्ट का एशियन college of journalism award मिला था। उसके बाद निलिना ने अडानी के कामकाज पर और भी कई रिपोर्ट की.

हमारा एक और मकसद है कि आप दर्शक दूसरे ऐसे बेहतरीन पत्रकारों के बारे में भी जाने जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं जानने के लिए मेहनत कीजिए वरना आपको अँधेरे में रखकर कोई खजाना साफ करने की मेहनत में लगा मिलेगा। मेरी इस बात को लिखकर purse में रख लीजिए वैसे किसी भी कहानी में कोयला आ जाए, गोदी media उसे कोयल की कूक में बदल देता है। caravan की ये बातचीत आप उनके यूट्यूब channel पर जाकर देख सकते हैं, फिर दीवार से, सही में दीवार से सवाल पूछ सकते हैं कि देश में अमृत काल चल रहा है या मित्रकाल?

आखिर इन आरोपों की जांच क्यों नहीं हुई? लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी, अडाणी समूह पर लगे आरोपों का बिंदुवार जवाब दे सकते थे। क्योंकि आरोप उन पर भी लग रहे थे। मगर उन्होंने कह दिया कि जो आरोप लगे हैं, उन आरोपों को उन लोगों के बीच से गुजरना होगा, उनका भरोसा हासिल करना होगा, जिन्हें सिलेंडर और घर मिला है। दीवार फिल्म में ऐसा ही हुआ था। ठीक-ठीक ऐसा ही हुआ था। जिसमें इंस्पेक्टर भाई रवि वर्मा अपने स्मगलर भाई विजय को कहता रहा भाई तुम sign करोगे या नहीं?

आरोप पत्र पर smuggler बन चुका विजय वर्मा कहता है जाओ पहले उस आदमी का sign लेकर आओ, फिर वो गिनाने लग जाता है, किस-किस के साइन लाने हैं? क्या जिसे सिलेंडर मिला है, उसे पता है कि अडानी समूह पर क्या आरोप लगा है। बताइए जिसे मुफ्त अनाज मिला है, उज्ज्वला का सिलेंडर मिला है, या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर मिला है। उसके caravan, economics, bloomberg की रिपोर्ट कैसे पहुंचेगी। एक तो ये सब अंग्रेजी में है और बहुत सारी पत्रिकाएं बाहर की हैं।

हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री इन खबरों का हिंदी अनुवाद छुपा कर अपनी योजनाओं के लाभार्थियों के घर-घर पहुंचा दें। do you get my point वैसे घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 50 रुपए बढ़ा दिए गए हैं। दिल्ली में चौदह दशमलव दो किलोग्राम के एक सिलेंडर का दाम 1103 रुपए हो गया है। मार्च दो हजार 2021 में एक सिलेंडर 819 रुपए का मिला करता था। उम्मीद है इस दौरान आपकी कमाई भी अदानी समूह की तरह बढ़ गई होगी।

सवाल है कि ईडी की जांच क्यों नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच क्यों नहीं हुई? संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग क्यों नहीं मानी गई? जनता के प्रतिनिधियों की निगरानी में जांच नहीं होती है और कहा जाता है कि जनता से पूछ कर आओ। उसका साइन लेकर आओ। जाओ भाई जाओ, सेबी की जांच से संबंधित एक खबर छपी है। Bloomberg में जिसे money control website ने भी खबर बनाकर छापा है।

ये खबर सूत्रों के हवाले से है। सेबी की तरफ से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। सूत्रों के हवाले से छपी इस खबर में लिखा गया है कि सेबी इंडियन वर्ग के आरोपों और अडानी के जवाबों का परीक्षण कर रही है। मगर अभी तक कोई अनियमितता सामने नहीं आई है। यह भी लिखा है कि सेबी अदानी समूह की कंपनियों के कारोबार और शेयर से जुड़ी सभी पहलुओं की समीक्षा कर रही है। मगर इस खबर में इस पर भी जोर दिया गया है कि सूत्रों ने कहा है कि सेबी के इस action को औपचारिक जांच नहीं समझना चाहिए।

तो जब सेबी के परीक्षण को औपचारिक रूप से जाँच ही नहीं मानेंगे। तो फिर clean chit जैसे शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। मामला ऑफशोर कंपनियों का है यानी दूसरे देशों में बनी ऐसी कंपनियों का मामला है जिसके जरिए गुप्त रूप से लेन-देन हुआ। मगर किसका पैसा है उन कंपनियों का कौन है? उनका अडाणी समूह के मालिक से क्या संबंध है? कंपनी से क्या संबंध है?

ऐसे मामलों की जांच तो ईडी, सीबीआई जैसी संस्था ही कर सकती है। इन आरोपों को money laundering के दायरे में लाया जा सकता है या नहीं वही बता सकते हैं। आज share बाजार में अदानी समूह के share में सुधार देखा गया. अडाणी enterprises में दो दिन में 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। market cap में 30000 करोड़ की वृद्धि हुई है। अगर आप इसके सामने जीडीपी के आंकड़े देखकर खुश होना चाहते हैं वो भी बता देते हैं.

दिसंबर की तिमाही में जीडीपी की दर चार दशमलव 4% रही manufacturing का output लगातार दो तिमाही में कम देखा गया है और उपभोक्ताओं की मांग में कमी देखी गई है। इसके बाद भी आपकी चुप्पी और ख़ुशी के जो भी कारण हों मगर देश की सच्चाईयां सरकारी विकास के विज्ञापन के पोस्टरों को फाड़ देती हैं। सीएमआई की रिपोर्ट में लिखा गया कि फरवरी महीने में बेरोजगारी की दर बढ़कर सात दशमलव चार पांच प्रतिशत हो गई।

मध्यप्रदेश में तीन साल से तीन साल से nursing की परीक्षा नहीं हो पा रही है। इस खबर का अदानी समूह की खबरों से गहरा संबंध लगता है। पूछिए कैसे? नौजवान जब अपने career की बर्बादी पर चुप रह सकते हैं। तो जनता अदानी मामलों की खबरों पर क्यों नहीं चुप रहेगी? प्रधानमंत्री कहते हैं कि हवाई चप्पल वाला जहाज पर उड़े वो ये चाहते हैं। मध्यप्रदेश में nursing के छात्र तीन साल से एक ही class में हैं। उनकी परीक्षा नहीं हुई। इनके पांव में भी हवाई चप्पल होंगे। लेकिन ये तो तीन साल से एक ही क्लास में हैं, उड़ ही नहीं पा रहे हैं।

एक महीना पहले भास्कर की इस खबर की headline है कि तीन साल से एक ही class में है छात्र। अभी तक नहीं हुई है परीक्षा एसडीएम को सौंपा गया ज्ञापन। 5000 छात्रों का भविष्य किसकी वजह से अटका है, ये बहस कर दे रही है। लेकिन इनका जीवन तो बर्बाद ही हो रहा है। दो दिन पहले अमर उजाला में छपी इस खबर को आप ध्यान से देखिए, अठाईस फरवरी से परीक्षा होने वाली थी. हाईकोर्ट ने रोक लगा दी क्योंकि जनहित याचिका दायर की गई कि पुराने शिक्षण सत्र को मान्यता ही गलत तरीके से दे दी गई है। कॉलेजों ने वर्ष दो हजार उन्नीस से इक्कीस की संबद्धता जुलाई दो हजार बाईस में ली जो गलत है।

लेकिन इसकी सजा कौन भुगत रहा है जो छात्र है। जाहिर है हिंदू-मुस्लिम के debate में फंसा दिए गए युवा प्रधानमंत्री के हिसाब से अमृत पीढ़ी अपनी बर्बादी पर शायद चुप है या उन्हें पता ही नहीं चल रहा कि वे बर्बाद किए जा रहे हैं। परीक्षा से एक महीना पहले मान्यता दी जा रही है ये सब हो रहा है। इस तरह से तो अमृत पीढ़ी के जीवन से खेला जा रहा है। हिंदी के अखबारों ने अपना रास्ता बदल लिया है।

चैनलों को सांप्रदायिकता फैलाने के नोटिस मिल रहे हैं। अडानी की कहानी भारत के corporate governance के संकटों की कहानी से ज्यादा भारत के मीडिया के पतन की कहानी है। काश कोई डरपोक होने और चापलूस होने को भी श्रेष्ठ मानवीय गुण घोषित कर देता ताकि गोदी मीडिया के anchor खुलकर और भी चापलूसी करते नजर आते। मगर गुजरात समाचार को देखिए। 22 फरवरी के गुजरात समाचार की headline कहती है कि असली master mind विनोद अदानी नकली कंपनियों द्वारा अरबों डॉलर डालते।

असली और नकली के इस्तेमाल से गुजरात समाचार ने forbes पत्रिका की रिपोर्ट को गुजरात के पाठकों के बीच पहुंचा दिया है। forbes की ये रिपोर्ट 17 फरवरी को आ गई थी. इसमें लिखा है कि Hindonburg की रिपोर्ट बताती है कि अदानी समूह के stock का दाम ऊपर चढ़ाने के लिए किस तरह से offshore कंपनियों का इस्तेमाल हुआ. उसके बाद forbes ने रिपोर्ट छापी है कि कैसे इन ऑफशोर कंपनियों का संबंध गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अदानी से है।

forbes पत्रिका ने इसके पहले भी विनोद अदानी पर रिपोर्ट की थी जिसके बारे में हमने अपने वीडियो में भी बताया। अब एक और रिपोर्ट आई है, नई रिपोर्ट आई है। जैकमोतोनी और जॉन हाइट ने अपनी नई रिपोर्ट में लिखा है कि 2021 में अदानी ग्रीन एनर्जी ने अपना 20 प्रतिशत stake फ्रांस की कंपनी total energies को बेच दिया। दो अरब डॉलर की इस डील के अलावा टोटल energies ने अदानी के साथ एक joint solar venture पर 510 मिलियन डॉलर भी खर्च किए।

Forbes ने लिखा है कि इस डील में एक खासियत थी। सीधे-सीधे share खरीदने के बजाय total energies ने Mauritius के दो fund का अधिग्रहण कर, एक तीसरे Mauritius fund से किया जिनके पास वो stock थे। Forbes ने लिखा है कि कई shell कंपनियों के जाल को सुलझाने से पता चलता है कि इस तीसरे फंड का अंतिम मालिक विनोद अदानी है। अभी फरवरी में ही खबर आई थी कि टोटल एनर्जीज ने अदानी ग्रुप के साथ अपने ग्रीन हाइड्रोजन के एक प्रोजेक्ट में चार अरब डॉलर के निवेश पर रोक लगा दी है.

मगर फोर्ब्स की ये खबर बता रही है कि टोटल एनर्जीज भी शेल कंपनियों के जरिए सौदा कर रही थी. क्या उसे पता था या धोखे में रखा गया. इसलिए इन सवालों के जवाब निष्पक्ष जांच से ही मिलेंगे. कांग्रेस ने कहा है कि छह मार्च से देश भर में ब्लॉक लेवल पर पर्दाफाश रैली की जाएगी। 13 मार्च को राजभवन मार्च होगा। अप्रैल में भी सभी राजधानियों में इस मसले पर रैली होगी। भारत के सबसे बड़े व्यापारी घराने से जुड़ा एक शख्स भारत का ही नागरिक नहीं है, क्यों नहीं है?

अगर ऐसी कहानी किसी विपक्षी नेता से जुड़ी होती या उनके समर्थक से जुड़ी हो, तो अब तक उनके जूते, चप्पल तक की तलाशी हो गई होती। center for policy research जो एक think टैंक है। जहाँ लोग नीति और राजनीति से संबंधित विषयों पर research करते हैं। उसका एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। अब इस संस्था को विदेशों से चंदा नहीं मिल सकता। कहा जाता है कि संस्थान से जुड़े लोगों के लेखों में सरकार को लेकर सवाल पाए जाने के संकेत मिले हैं।

पुरातात्विकों को इस संस्थान पर पिछले साल आयकर विभाग ने surveyed किया था। आलोचना करने वाली संस्थाओं के मामले में जांच एजेंसियों का काम शानदार से भी दो अंक ऊपर बहुत शानदार चल रहा है। खबर ये भी है कि इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत दुनिया भर में लगातार पांचवें साल सबसे आगे चल रहा है। एक research संस्था विदेशों से fund नहीं ले सकेगी. मगर विदेशों में बैठकर फर्जी से कंपनी बनाकर कोई इस देश में कारोबार कर सकता है?

आप ये भी पढ़ सकते हैं:

4500 साल पुराने पिरामिड का क्या है रहस्य, Mystery of Ancient Pyramids, How were they really built? पिरामिड के अंदर क्या है?

Who is Saika Ishaque: WPL 2023 में कौन हैं सायका इशाक, जिसने 4 विकेट लेकर मुंबई इंडियंस को Women Premier League के उद्घाटन मैच में जीत दिलाई, Best Day For Saika Ishaque

अदानी समूह को कोयला खदान देने के मामले में भाई-भतीजावाद के आरोप लगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की काट निकालने के आरोप लगे, कोयला का मामला आज भी साफ-साफ नहीं लगता है। अदानी समूह ने खंडन करते हुए एक बात कही कि प्रक्रियाओं के सरकार से पूछिए। सरकार तो जवाब ही नहीं देती है। इसलिए सवालों का धुआं हवा में बिखरा हुआ है।

अब खबरें छपने लगी हैं कि अदानी समूह को किसी sovereign fund से 3 अरब डॉलर का कर्जा मिल गया है। ये खबर भी सूत्रों के हवाले से छप रही है। सूत्र ही आजकल संपादक बने हुए हैं। पिछले दो दिनों में अडाणी समूह ने share बाजार में तीस हजार करोड़ की recovery की है। अडानी समूह पर लगे आरोपों की जांच होगी या नहीं। सरकार जवाब देगी या नहीं, इसका पता नहीं है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि देश ठप हो गया है।

अभी भी लोग घंटों जाम में फंसे हुए हैं। गुरुग्राम में एक शख्स चौराहे पर रखे गमले चुरा रहा था। पुलिस ने गमला चोर पकड़ लिया है। चोर दरवाजे से कंपनियां बनाने वाले बचाए जा रहे हैं और गमला चुराने वाले पकड़े जा रहे हैं। ये अगर अमृत काल नहीं है, तो मित्रों से पूछ कर बताइए, फिर कौन सा काल है, कोयला काल है या कोयल काल है?

भारत का मीडिया कोयल की तरह कु कू and कु कू dash dash dash कर रहा है। मुख्यधारा का मीडिया हजारों करोड़ के विज्ञापन डकार रहा है। मगर उसकी तरफ से इन मामलों में एक भी ढंग की रिपोर्ट नहीं आ रही है।

One thought on “कोयला खदान में भी अदाणी अदाणी, Adani rings through coal mines, Shocking Truth of Adani Coal Scam

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *